Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )

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Sr No : 1006741
Scripture Name( English ): Pragnapana Translated Scripture Name : प्रज्ञापना उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

पद-१६ प्रयोग

Translated Chapter :

पद-१६ प्रयोग

Section : Translated Section :
Sutra Number : 441 Category : Upang-04
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] कतिविहे णं भंते! गइप्पवाए पन्नत्ते? गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–पओगगती ततगती बंधणच्छेदनगती उववायगती विहायगती। से किं तं पओगगती? पओगगती पन्नरसविहा पन्नत्ता, तं जहा–सच्चमणप्पओगगती एवं जहा पओगे भणिओ तहा एसा वि भाणियव्वा जाव कम्मगसरीरकायप्पओगगती। जीवाणं भंते! कतिविहा पओगगती पन्नत्ता? गोयमा! पन्नरसविहा पन्नत्ता, तं जहा–सच्चमणप्पओगगती जाव कम्मासरीरकायप्पओगगती। नेरइयाणं भंते! कतिविहा पओगगती पन्नत्ता? गोयमा! एक्कारसविहा पन्नत्ता, तं जहा–सच्चमणप्पओगगती एवं उवउज्जिऊण जस्स जतिविहा तस्स ततिविहा भाणितव्वा जाव वेमानियाणं। जीवा णं भंते! किं सच्चमनप्पओगगती जाव कम्मगसरीरकायप्पओगगती? गोयमा! जीवा सव्वे वि ताव होज्जा सच्चमणप्पओगगती वि, एवं तं चेव पुव्ववण्णियं भाणियव्वं, भंगा तहेव जाव वेमानियाणं। से त्तं पओगगती। से किं तं ततगती? ततगती–जेणं जं गामं वा जाव सण्णिवेसं वा संपट्ठिते असंपत्ते अंतरापहे वट्टति। से त्तं ततगती। से किं तं बंधनच्छेदनगती? बंधणच्छेदणगती- जेणं जीवो वा सरीराओ सरीरं वा जीवाओ। से त्तं बंधनच्छेदनगती से किं तं उववायगती? उववायगती तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–खेत्तोववायगती भवोववायगती नोभवोववायगती से किं तं खेत्तोववायगती? खेत्तोववायगती पंचविहा पन्नत्ता, तं जहा–नेरइयखेत्तोववायगती तिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती मनूसखेत्तोववायगती देवखेत्तोववायगती सिद्धखेत्तोववायगती। से किं तं नेरइयखेत्तोववायगती? नेरइयखेत्तोववायगती सत्तविहा पन्नत्ता, तं जहा–रयणप्पभापुढविनेरइयखेत्तोववायगती जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयखेत्तोववायगती। से त्तं नेरइयखेत्तोववायगती। से किं तं तिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती? तिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती पंचविहा पन्नत्ता, तं जहा–एगिंदियतिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती। से त्तं तिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती। से किं तं मनूसखेत्तोववायगती? मनूसखेत्तोववायगती दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–सम्मुच्छिममनूसखेत्तोववायगती गब्भवक्कंतियमनूसखेत्तोववायगती। से त्तं मनूसखेत्तोववायगती। से किं तं देवखेत्तोववायगती? देवखेत्तोववायगती चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–भवनवइदेवखेत्तोववायगती जाव वेमानियदेवखेत्तोववायगती। से त्तं देवखेत्तोववायगती। से किं तं सिद्धखेत्तोववायगती? सिद्धखेत्तोववायगती अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवयवाससपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे चुल्लहिमवंत-सिहरिवासहरपव्वयसपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे हेमवय-हेरण्णवय-वाससपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे सद्दावतिवियडावतिवट्टवेयड्ढसपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे महाहिमवंतरुप्पिवासहरपव्वयसपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे हरिवास-रम्मगवाससपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे गंधावति-मालवंतपरियायवट्टवेयड्ढसपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे निसढ-नीलवंतवासहरपव्वयसपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे पुव्वविदेह-अवरविदेहसपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे देवकुरूत्तरकुरु-सपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स सपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, लवणसमुद्दे सपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, धाइयसंडे दीवे पुरिमद्धपच्छिमद्धमंदरपव्वयस्स सपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, कालोयसमुद्दे सपक्खिं सपडि-दिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, पुक्खरवरदीवड्ढपुरिमड्ढभरहेरवयवाससपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, एवं जाव पुक्खरवरदीवड्ढपच्छिमड्ढमंदरपव्वयसपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती। से त्तं सिद्धखेत्तोववायगती। से त्तं खेत्तोववायगती। से किं तं भवोववायगती? भवोववायगती चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–नेरइयभवोववायगती जाव देवभवोववायगती। से किं तं नेरइयभवोववायगती? नेरइयभवोववायगती सत्तविहा पन्नत्ता, तं जहा–एवं सिद्ध-वज्जो भेओ भाणियव्वो, जो चेव खेत्तोववायगतीए सो चेव भवोववायगतीए। से त्तं भवोववायगती। से किं तं नोभवोववायगती? णोभवोववायगती दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पोग्गलणोभवोववायगती य सिद्धनोभवोववायगती य। से किं तं पोग्गलनोभवोववायगती? पोग्गलनोभवोववायगती जण्णं परमाणुपोग्गले लोगस्स पुरत्थिमिल्लाओ चरिमंताओ पच्चत्थिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, पच्चत्थिमिल्लाओ वा चरिमंताओ पुरत्थिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, दाहिणिल्लाओ वा चरिमंताओ उत्तरिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, एवं उत्तरिल्लाओ दाहिणिल्लं, उवरिल्लाओ हेट्ठिल्लं, हेट्ठिल्लाओ वा उवरिल्लं। से त्तं पोग्गलणोभवोववायगती। से किं तं सिद्धनोभवोववायगती? सिद्धनोभवोववायगती दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–अनंतरसिद्धनोभवोववायगती य परंपरसिद्धनोभवोववायगती य। से किं तं अनंतरसिद्धणोभवोववायगती? अनंतरसिद्धणोभवोववायगती पन्नरसविहा पन्नत्ता, तं जहा–तित्थसिद्ध-अनंतरसिद्धनोभवोववायगती य जाव अनेगसिद्धनोभवोववायगती य [से त्तं अनंतरसिद्धनोभवोववायगती?] से किं तं परंपरसिद्धनोभवोववायगती? परंपरसिद्धनोभवोववायगती अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–अपढमसमयसिद्धणोभवोववायगती एवं दुसमयसिद्धनोभवोववायगती जाव अनंतसमय-सिद्धनोभवोववायगती। से त्तं परंपरसिद्धनोभवोववायगती। से त्तं सिद्धनोभवोववायगती। से त्तं नोभवोववायगती। से त्तं उववायगती। से किं तं विहायगती? विहायगती सत्तरसविहा पन्नत्ता, तं जहा–फुसमाणगती अफुसमाणगती उवसंपज्जमाणगती अणुवसंपज्जमाणगती पोग्गलगती मंडूयगती नावागती नयगती छायागती छायानुवायगती लेसागती लेस्सानुवायगती उद्दिस्सपविभत्तगती चउपुरिसविभत्तगती वंकगती पंकगती बंधनविमोयणगती। से किं तं फुसमाणगती? फुसमाणगती– जण्णं परमाणुपोग्गले दुपदेसिय जाव अनंत-पदेसियाणं खंधाणं अन्नमन्नं फुसित्ता णं गती पवत्तइ। से त्तं फुसमाणगती। से किं तं अफुसमाणगती? अफुसमाणगती–जण्णं एतेसिं चेव अफुसित्ता णं गती पवत्तइ। से त्तं अफसुमाणगती। से किं तं उवसंपज्जमाणगती? उवसंपज्जमाणगती–जण्णं रायं वा जुवरायं वा ईसरं वा तलवरं वा माडंबियं वा कोडुंबियं वा इब्भं वा सेट्ठिं वा सेणावइं वा सत्थवाहं वा उवसंपज्जित्ता णं गच्छति। से त्तं उवसंपज्जमाणगती। से किं तं अनुवसंपज्जमाणगती? अनुवसंपज्जमाणगती–जण्णं एतेसिं चेव अन्नमन्नं अनुवसंपज्जित्ता णं गच्छति से त्तं अनुवसंपज्जमाणगती। से किं तं पोग्गलगती? पोग्गलगती– जण्णं परमाणुपोग्गलाणं जाव अनंतपएसियाणं खंधाणं गती पवत्तति। से त्तं पोग्गलगती। से किं तं मंडूयगती? मंडूयगती–जण्णं मंडूए उप्फिडिया-उप्फिडिया गच्छति। से त्तं मंडूयगती। से किं तं नावागती? नावागती– जण्णं नावा पुव्ववेयालीओ दाहिणवेयालिं जलपहेणं गच्छति, दाहिणवेयालीओ वा अवरवेयालिं जलपहेणं गच्छति। से त्तं नावागती। से किं तं नयगती? नयगती–जण्णं नेगम संगम ववहार उज्जुसुय सद्द समभिरूढ एवंभूयाणं नयाणं जा गती, अहवा सव्वनया वि जं इच्छंति। से त्तं नयगती।अ से किं तं छायागती? छायागती जण्णं हयच्छायं वा गयच्छायं वा नरच्छायं वा किन्नरच्छायं वा महोरगच्छायं वा गंधव्वच्छायं वा उसहच्छायं वा रहच्छायं वा छत्तच्छायं वा उवसंपज्जित्ताणं गच्छति। से त्तं छायागती। से किं तं छायानुवायगती? छायानुवायगती–जण्णं पुरिसं छाया अणुगच्छति नो पुरिसे छायं अनुगच्छति। से त्तं छायानुवायगती। से किं तं लेस्सागती? लेस्सागती–जण्णं कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति। एवं नीललेस्सा काउलेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव ताफासत्ताए परिणमति। एवं काउलेस्सा वि तेउलेस्सं, तेउलेस्सा वि पम्हलेस्सं, पम्हलेस्सा वि सुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव ताफासत्ताए परिणमति। से त्तं लेस्सागती। से किं तं लेस्सानुवायगती? लेस्सानुवायगती– जल्लेस्साइं दव्वाइं परियाइत्ता कालं करेति तल्लेस्सेसु उववज्जति, तं जहा– कण्हलेस्सेसु वा जाव सुक्कलेस्सेसु वा। से त्तं लेस्सानुवायगती। से किं तं उद्दिस्सपविभत्तगती? उद्दिस्सपविभत्तगती–जेणं आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं वा पवत्तिं वा गणिं वा गणहरं वा गणावच्छेइयं वा उद्दिसिय-उद्दिसिय गच्छति। से त्तं उद्दिस्सपविभत्तगती। से किं तं चउपुरिसपविभत्तगती? चउपुरिसपविभत्तगती से जहानामए– चत्तारि पुरिसा समगं पट्ठिता समगं पज्जुवट्ठिया समगं पट्ठिया विसमं पज्जुवट्ठिया विसमं पट्ठिया समगं पज्जुवट्ठिया विसमं पट्ठिया विसमं पज्जुवट्ठिया। से त्तं चउपुरिसपविभत्तगती। से किं तं वंकगती? वंकगती चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–घट्टणया थंभणया लेसणया पवडणया। से त्तं वंकगती से किं तं पंकगती? पंकगती से जहानामए–केइ पुरिसे सेयंसि वा पंकंसि वा उदयंसि वा कायं उब्बहिया गच्छति से त्तं पंकगती। से किं तं बंधनविमोयणगती? बंधनविमोयणगती– जण्णं अंबाण वा अंबाडगाण वा माउलुंगाण वा बिल्लाण वा कविट्ठाण वा भव्वाण वा फणसाण वा दालिमाण वा पारेवताण वा अक्खोडाण वा चाराण वा बोराण वा तिंदुयाण वा पक्काणं परियागयाणं बंधणाओ विप्पमुक्काणं निव्वाघाएणं अहे वीससाए गती पवत्तइ। से त्तं बंधनविमोयणगती। से त्तं विहायगती। से त्तं गइप्पवाए।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! गतिप्रपात कितने प्रकार का है ? गौतम ! पाँच – प्रयोगगति, ततगति, बन्धनछेदनगति, उपपात – गति और विहायोगति। वह प्रयोगगति क्या है ? गौतम ! पन्द्रह प्रकार की, सत्यमनःप्रयोगगति यावत्‌ कार्मणशरीरकायप्रयोगगति। प्रयोग के समान प्रयोगगति भी कहना। भगवन्‌ ! जीवों की प्रयोगगति कितने प्रकार की है ? गौतम ! पन्द्रह प्रकार की है, वे पूर्ववत्‌ जानना। भगवन्‌ ! नैरयिकों की कितने प्रकार की प्रयोगगति है ? गौतम ! ग्यारह प्रकार की, सत्यमनःप्रयोगगति इत्यादि। इस प्रकार वैमानिक पर्यन्त जिसको जितने प्रकार की गति है, उसकी उतने प्रकार की गति कहना। भगवन्‌ ! जीव क्या सत्यमनःप्रयोगगति वाले हैं, अथवा यावत्‌ कार्मणशरीरकाय – प्रयोगगतिक हैं ? गौतम! जीव सभी प्रकार की गतिवाले होते हैं। उसी प्रकार वैमानिकों तक कहना। वह ततगति किस प्रकार की है ? ततगति वह है, जिसके द्वारा जिस ग्राम यावत्‌ सन्निवेश के लिए प्रस्थान किया हुआ व्यक्ति (अभी) पहुँचा नहीं, बीच मार्ग में ही है। वह बन्धनछेदनगति क्या है ? बन्धनछेदनगति वह है, जिसके द्वारा जीव शरीर से अथवा शरीर जीव से पृथक्‌ होता है। उपपातगति कितने प्रकार की है ? तीन प्रकार की – क्षेत्रोपपातगति, भवोपपातगति और नोभवोपपातगति। क्षेत्रोपपातगति कितने प्रकार की है ? पाँच प्रकार की – नैरयिकक्षेत्रोपपातगति, तिर्यंचयोनिकक्षेत्रोपपात – गति, मनुष्यक्षेत्रोपपातगति, देवक्षेत्रोपपातगति और सिद्धक्षेत्रोपपातगति। नैरयिकक्षेत्रोपपातगति सात प्रकार की है – रत्नप्रभापृथ्वी० यावत्‌ अधस्तनसप्तमपृथ्वीनैरयिकक्षेत्रोपपातगति। तिर्यंचयोनिकक्षेत्रोपपातगति पाँच प्रकार की है, एकेन्द्रिय यावत्‌ पंचेन्द्रियतिर्यग्‌योनिकक्षेत्रोपपातगति। मनुष्यक्षेत्रोपपातगति दो प्रकार की है। सम्मूर्च्छिम० और गर्भज – मनुष्यक्षेत्रोपपातगति। देवक्षेत्रोपपातगति चार प्रकार की है, भवनपति० यावत्‌ वैमानिक देव क्षेत्रो – पपातगति। सिद्धक्षेत्रोपपातगति अनेक प्रकार की है, जम्बूद्वीप में, भरत और ऐरवत क्षेत्र में सब दिशाओं में, सब विदिशाओं में, क्षुद्र हिमवान्‌ और शिखरी वर्षधरपर्वत में, हैमवत और हैरण्यवत वर्ष में, शब्दापाती और विकटापाती वृत्तवैताढ्यपर्वत में, महाहिमवन्त और रुक्मी नामक वर्षधर पर्वतों में, हरिवर्ष और रम्यकवर्ष में, गन्धापाती और माल्यवन्त वृत्तवैताढ्यपर्वत में, निषध और नीलवन्त वर्षधर पर्वत में, पूर्वविदेह और अपरविदेह में, देवकुरु और उत्तरकुरु में तथा मन्दरपर्वत में, इन सब की सब दिशाओं और विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति हैं। लवण – समुद्र में, धातकीषण्डद्वीप में, कालोदसमुद्र में, पुष्करवरद्वीपादार्द्ध में इन सबकी सब दिशाओ – विदिशाओं में सिद्ध – क्षेत्रोपपातगति है। भवोपपातगति कितने प्रकार की है ? चार प्रकार की, नैरयिक से देवभवोपपातगति पर्यन्त। नैरयिक भवो – पपातगति सात प्रकार की है, इत्यादि सिद्धों को छोड़कर सब भेद कहना। क्षेत्रोपपातगति के समान भवोपपात – गति में कहना। नोभवोपपातगति किस प्रकार की है ? दो प्रकार की, पुद्‌गल – नोभवोपपातगति और सिद्ध – नोभवो – पपातगति। पुद्‌गल – नोभवोपपातगति क्या है ? जो पुद्‌गल परमाणु लोक के पूर्वी चरमान्त से पश्चिमी चरमान्त तक एक ही समय में चला जाता है, अथवा पश्चिमी चरमान्त से पूर्वी चरमान्त तक, अथवा चरमान्त से उत्तरी या उत्तरी चरमान्त से दक्षिणी चरमान्त तक तथा ऊपरी चरमान्त से नीचले एवं नीचले चरमान्त से ऊपरी चरमान्त तक एक समय में ही गति करता है; यह पुद्‌गल – नोभवोपपातगति कहलाती है। सिद्ध – नोभवोपपातगति दो प्रकार की है, अनन्तरसिद्ध० और परम्परसिद्ध – नोभवोपपातगति। अनन्तरसिद्ध – नोभवोपपातगति पन्द्रह प्रकार की है। तीर्थ – सिद्ध – अनन्तरसिद्ध० यावत्‌ अनेकसिद्ध – अनन्तरसिद्ध – नोभवोपपातगति। परम्परसिद्ध – नोभवोपपातगति अनेक प्रकार की है। अप्रथमसमयसिद्ध – नोभवोपपातगति, एवं द्विसमयसिद्ध – नोभवोपपातगति यावत्‌ अन्तसमयसिद्ध – नोभवोपपातगति विहायोगति कितने प्रकार की है ? सत्तरह प्रकार की। स्पृशद्‌गति, अस्पृशद्‌गति, उपसम्पद्यमानगति, अनु – पसम्पद्यमानगति, पुद्‌गलगति, मण्डूकगति, नौकागति, नयगति, छायागति, छायानुपापगति, लेश्यागति, लेश्यानु – पातगति, उद्दिश्यप्रविभक्तगति, चतुःपुरुषप्रविभक्तगति, वक्रगति, पंकगति और बन्धनविमोचनगति। वह स्पृशद्‌ – गति क्या है ? परमाणु पुद्‌गल की अथवा द्विप्रदेशी यावत्‌ अनन्तप्रदेशी स्कन्धो की एक दूसरे को स्पर्श करते हुए जो गति होती है, वह स्पृशद्‌गति है। अस्पृशद्‌गति किसे कहते हैं ? पूर्वोक्त परमाणु पुद्‌गलों से लेकर अनन्तप्रदेशी स्कन्धों की परस्पर स्पर्श किये बिना ही जो गति होती है, वह अस्पृशद्‌गति है। उपसम्पद्यमानगति वह है, जिसमें व्यक्ति राजा, युवराज, ईश्वर, तलवार, माडम्बिक, इभ्य, सेठ, सेनापति या सार्थवाह को आश्रय करके गमन करता हो। इन्हीं पूर्वोक्त (राजा आदि) का परस्पर आश्रय न लेकर जो गति होती है, वह अनुपसम्पद्यमान गति है। पुद्‌गलगति क्या है ? परमाणु पुद्‌गलों की यावत्‌ अनन्तप्रदेशी स्कन्धों की गति पुद्‌गलगति है। मेंढ़क जो उछल – उछल कर गति करता है, वह मण्डूकगति कहलाती है। जैसे नौका पूर्व वैताली से दक्षिण वैताली की ओर जलमार्ग से जाती है, अथवा दक्षिण वैताली से अपर वैताली की ओर जलपथ से जाती है, ऐसी गति नौकागति है। नैगम, संग्रह, व्यवहार, ऋजुसूत्र, शब्द, समभिरूढ़ और एवम्भूत, इन सात नयों की जो प्रवृत्ति है, वह नयगति है। अश्व, हाथी, मनुष्य, किन्नर, महोरग, गन्धर्व, वृषभ, रथ और छत्र की छाया का आश्रय करके जो गमन होता है, वह छायागति है। छाया पुरुष आदि अपने निमित्त का अनुगमन करती हैं, किन्तु पुरुष छाया का अनुगमन नहीं करता, वह छायानुपातगति है। कृष्णलेश्या (के द्रव्य) नीललेश्या (के द्रव्य) को प्राप्त होकर उसी के वर्ण, गन्ध, रस तथा स्पर्शरूप में बार – बार जो परिणत होती हैं, इसी प्रकार नीललेश्या कापोतलेश्या को प्राप्त होकर, कापोतलेश्या तेजोलेश्या को, तेजोलेश्या पद्मलेश्या को तथा पद्मलेश्या शुक्ललेश्या को प्राप्त होकर जो उसी के वर्ण यावत्‌ स्पर्श रूप में परिणत होती है, वह लेश्यागति है। जिस लेश्या के द्रव्यों को ग्रहण करके (जीव) काल करता है, उसी लेश्यावाले में उत्पन्न होता है। जैसे – कृष्णलेश्या वाले यावत्‌ शुक्ललेश्या वाले द्रव्यों में। – यह लेश्यानुपातगति है। उद्दिश्यप्रविभक्तगति क्या है ? आचार्य, उपाध्याय, स्थविर, प्रवर्त्तक, गणि, गणधर अथवा गणावच्छेदक को लक्ष्य करके जो गमन किया जाता है, वह उद्दिश्यप्रविभक्तगति है। चतुःपुरुषप्रविभक्तगति किसे कहते हैं ? जैसे – १. किन्हीं चार पुरुषों का एक साथ प्रस्थान हुआ और एक ही साथ पहुँचे, २. एक साथ प्रस्थान हुआ, किन्तु एक साथ नहीं पहुँचे, ३. एक साथ प्रस्थान नहीं हुआ, किन्तु पहुँचे एक साथ, तथा ४. प्रस्थान एक साथ नहीं हुआ और एक साथ भी नहीं पहुँचे, यह चतुःपुरुषप्रविभक्तगति है। वक्रगति चार प्रकार की है। घट्टन से, स्तम्भन से, श्लेषण से और प्रपतन से। जैसे कोई पुरुष कादे में, कीचड़ में अथवा जल में (अपने) शरीर को दूसरे के साथ जोड़कर गमन करता है, (उसकी) यह (गति) पंकगति है। वह बन्धनविमोचनगति क्या है ? अत्यन्त पक कर तैयार हुए, अतएव बन्धन से विमुक्त आम्रों, आम्रातकों, बिजौरों, बिल्वफलों, कवीठों, भद्र फलों, कटहलों, दाड़िमों, पारेवत फल, अखरोटों, चोर फलों, बोरों अथवा तिन्दुकफलों की रुकावट न हो तो स्वभाव से ही जो अधोगति होती है, वह बन्धनविमोचनगति है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] kativihe nam bhamte! Gaippavae pannatte? Goyama! Pamchavihe pannatte, tam jaha–paogagati tatagati bamdhanachchhedanagati uvavayagati vihayagati. Se kim tam paogagati? Paogagati pannarasaviha pannatta, tam jaha–sachchamanappaogagati evam jaha paoge bhanio taha esa vi bhaniyavva java kammagasarirakayappaogagati. Jivanam bhamte! Kativiha paogagati pannatta? Goyama! Pannarasaviha pannatta, tam jaha–sachchamanappaogagati java kammasarirakayappaogagati. Neraiyanam bhamte! Kativiha paogagati pannatta? Goyama! Ekkarasaviha pannatta, tam jaha–sachchamanappaogagati evam uvaujjiuna jassa jativiha tassa tativiha bhanitavva java vemaniyanam. Jiva nam bhamte! Kim sachchamanappaogagati java kammagasarirakayappaogagati? Goyama! Jiva savve vi tava hojja sachchamanappaogagati vi, evam tam cheva puvvavanniyam bhaniyavvam, bhamga taheva java vemaniyanam. Se ttam paogagati. Se kim tam tatagati? Tatagati–jenam jam gamam va java sannivesam va sampatthite asampatte amtarapahe vattati. Se ttam tatagati. Se kim tam bamdhanachchhedanagati? Bamdhanachchhedanagati- jenam jivo va sarirao sariram va jivao. Se ttam bamdhanachchhedanagati Se kim tam uvavayagati? Uvavayagati tiviha pannatta, tam jaha–khettovavayagati bhavovavayagati nobhavovavayagati Se kim tam khettovavayagati? Khettovavayagati pamchaviha pannatta, tam jaha–neraiyakhettovavayagati tirikkhajoniyakhettovavayagati manusakhettovavayagati devakhettovavayagati siddhakhettovavayagati. Se kim tam neraiyakhettovavayagati? Neraiyakhettovavayagati sattaviha pannatta, tam jaha–rayanappabhapudhavineraiyakhettovavayagati java ahesattamapudhavineraiyakhettovavayagati. Se ttam neraiyakhettovavayagati. Se kim tam tirikkhajoniyakhettovavayagati? Tirikkhajoniyakhettovavayagati pamchaviha pannatta, tam jaha–egimdiyatirikkhajoniyakhettovavayagati java pamchemdiyatirikkhajoniyakhettovavayagati. Se ttam tirikkhajoniyakhettovavayagati. Se kim tam manusakhettovavayagati? Manusakhettovavayagati duviha pannatta, tam jaha–sammuchchhimamanusakhettovavayagati gabbhavakkamtiyamanusakhettovavayagati. Se ttam manusakhettovavayagati. Se kim tam devakhettovavayagati? Devakhettovavayagati chauvviha pannatta, tam jaha–bhavanavaidevakhettovavayagati java vemaniyadevakhettovavayagati. Se ttam devakhettovavayagati. Se kim tam siddhakhettovavayagati? Siddhakhettovavayagati anegaviha pannatta, tam jaha–jambuddive dive bharaheravayavasasapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, jambuddive dive chullahimavamta-siharivasaharapavvayasapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, jambuddive dive hemavaya-herannavaya-vasasapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, jambuddive dive saddavativiyadavativattaveyaddhasapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, jambuddive dive mahahimavamtaruppivasaharapavvayasapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, jambuddive dive harivasa-rammagavasasapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, jambuddive dive gamdhavati-malavamtapariyayavattaveyaddhasapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, jambuddive dive nisadha-nilavamtavasaharapavvayasapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, jambuddive dive puvvavideha-avaravidehasapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, jambuddive dive devakuruttarakuru-sapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, jambuddive dive mamdarassa pavvayassa sapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, lavanasamudde sapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, dhaiyasamde dive purimaddhapachchhimaddhamamdarapavvayassa sapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, kaloyasamudde sapakkhim sapadi-disim siddhakhettovavayagati, pukkharavaradivaddhapurimaddhabharaheravayavasasapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati, evam java pukkharavaradivaddhapachchhimaddhamamdarapavvayasapakkhim sapadidisim siddhakhettovavayagati. Se ttam siddhakhettovavayagati. Se ttam khettovavayagati. Se kim tam bhavovavayagati? Bhavovavayagati chauvviha pannatta, tam jaha–neraiyabhavovavayagati java devabhavovavayagati. Se kim tam neraiyabhavovavayagati? Neraiyabhavovavayagati sattaviha pannatta, tam jaha–evam siddha-vajjo bheo bhaniyavvo, jo cheva khettovavayagatie so cheva bhavovavayagatie. Se ttam bhavovavayagati. Se kim tam nobhavovavayagati? Nobhavovavayagati duviha pannatta, tam jaha–poggalanobhavovavayagati ya siddhanobhavovavayagati ya. Se kim tam poggalanobhavovavayagati? Poggalanobhavovavayagati jannam paramanupoggale logassa puratthimillao charimamtao pachchatthimillam charimamtam egasamaenam gachchhati, pachchatthimillao va charimamtao puratthimillam charimamtam egasamaenam gachchhati, dahinillao va charimamtao uttarillam charimamtam egasamaenam gachchhati, evam uttarillao dahinillam, uvarillao hetthillam, hetthillao va uvarillam. Se ttam poggalanobhavovavayagati. Se kim tam siddhanobhavovavayagati? Siddhanobhavovavayagati duviha pannatta, tam jaha–anamtarasiddhanobhavovavayagati ya paramparasiddhanobhavovavayagati ya. Se kim tam anamtarasiddhanobhavovavayagati? Anamtarasiddhanobhavovavayagati pannarasaviha pannatta, tam jaha–titthasiddha-anamtarasiddhanobhavovavayagati ya java anegasiddhanobhavovavayagati ya [se ttam anamtarasiddhanobhavovavayagati?] Se kim tam paramparasiddhanobhavovavayagati? Paramparasiddhanobhavovavayagati anegaviha pannatta, tam jaha–apadhamasamayasiddhanobhavovavayagati evam dusamayasiddhanobhavovavayagati java anamtasamaya-siddhanobhavovavayagati. Se ttam paramparasiddhanobhavovavayagati. Se ttam siddhanobhavovavayagati. Se ttam nobhavovavayagati. Se ttam uvavayagati. Se kim tam vihayagati? Vihayagati sattarasaviha pannatta, tam jaha–phusamanagati aphusamanagati uvasampajjamanagati anuvasampajjamanagati poggalagati mamduyagati navagati nayagati chhayagati chhayanuvayagati lesagati lessanuvayagati uddissapavibhattagati chaupurisavibhattagati vamkagati pamkagati bamdhanavimoyanagati. Se kim tam phusamanagati? Phusamanagati– jannam paramanupoggale dupadesiya java anamta-padesiyanam khamdhanam annamannam phusitta nam gati pavattai. Se ttam phusamanagati. Se kim tam aphusamanagati? Aphusamanagati–jannam etesim cheva aphusitta nam gati pavattai. Se ttam aphasumanagati. Se kim tam uvasampajjamanagati? Uvasampajjamanagati–jannam rayam va juvarayam va isaram va talavaram va madambiyam va kodumbiyam va ibbham va setthim va senavaim va satthavaham va uvasampajjitta nam gachchhati. Se ttam uvasampajjamanagati. Se kim tam anuvasampajjamanagati? Anuvasampajjamanagati–jannam etesim cheva annamannam anuvasampajjitta nam gachchhati se ttam anuvasampajjamanagati. Se kim tam poggalagati? Poggalagati– jannam paramanupoggalanam java anamtapaesiyanam khamdhanam gati pavattati. Se ttam poggalagati. Se kim tam mamduyagati? Mamduyagati–jannam mamdue upphidiya-upphidiya gachchhati. Se ttam mamduyagati. Se kim tam navagati? Navagati– jannam nava puvvaveyalio dahinaveyalim jalapahenam gachchhati, dahinaveyalio va avaraveyalim jalapahenam gachchhati. Se ttam navagati. Se kim tam nayagati? Nayagati–jannam negama samgama vavahara ujjusuya sadda samabhirudha evambhuyanam nayanam ja gati, ahava savvanaya vi jam ichchhamti. Se ttam nayagatI.A Se kim tam chhayagati? Chhayagati jannam hayachchhayam va gayachchhayam va narachchhayam va kinnarachchhayam va mahoragachchhayam va gamdhavvachchhayam va usahachchhayam va rahachchhayam va chhattachchhayam va uvasampajjittanam gachchhati. Se ttam chhayagati. Se kim tam chhayanuvayagati? Chhayanuvayagati–jannam purisam chhaya anugachchhati no purise chhayam anugachchhati. Se ttam chhayanuvayagati. Se kim tam lessagati? Lessagati–jannam kanhalessa nilalessam pappa taruvattae tavannattae tagamdhattae tarasattae taphasattae bhujjo-bhujjo parinamati. Evam nilalessa kaulessam pappa taruvattae java taphasattae parinamati. Evam kaulessa vi teulessam, teulessa vi pamhalessam, pamhalessa vi sukkalessam pappa taruvattae java taphasattae parinamati. Se ttam lessagati. Se kim tam lessanuvayagati? Lessanuvayagati– jallessaim davvaim pariyaitta kalam kareti tallessesu uvavajjati, tam jaha– kanhalessesu va java sukkalessesu va. Se ttam lessanuvayagati. Se kim tam uddissapavibhattagati? Uddissapavibhattagati–jenam ayariyam va uvajjhayam va theram va pavattim va ganim va ganaharam va ganavachchheiyam va uddisiya-uddisiya gachchhati. Se ttam uddissapavibhattagati. Se kim tam chaupurisapavibhattagati? Chaupurisapavibhattagati se jahanamae– chattari purisa samagam patthita samagam pajjuvatthiya samagam patthiya visamam pajjuvatthiya visamam patthiya samagam pajjuvatthiya visamam patthiya visamam pajjuvatthiya. Se ttam chaupurisapavibhattagati. Se kim tam vamkagati? Vamkagati chauvviha pannatta, tam jaha–ghattanaya thambhanaya lesanaya pavadanaya. Se ttam vamkagati Se kim tam pamkagati? Pamkagati se jahanamae–kei purise seyamsi va pamkamsi va udayamsi va kayam ubbahiya gachchhati se ttam pamkagati. Se kim tam bamdhanavimoyanagati? Bamdhanavimoyanagati– jannam ambana va ambadagana va maulumgana va billana va kavitthana va bhavvana va phanasana va dalimana va parevatana va akkhodana va charana va borana va timduyana va pakkanam pariyagayanam bamdhanao vippamukkanam nivvaghaenam ahe visasae gati pavattai. Se ttam bamdhanavimoyanagati. Se ttam vihayagati. Se ttam gaippavae.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Gatiprapata kitane prakara ka hai\? Gautama ! Pamcha – prayogagati, tatagati, bandhanachhedanagati, upapata – gati aura vihayogati. Vaha prayogagati kya hai\? Gautama ! Pandraha prakara ki, satyamanahprayogagati yavat karmanasharirakayaprayogagati. Prayoga ke samana prayogagati bhi kahana. Bhagavan ! Jivom ki prayogagati kitane prakara ki hai\? Gautama ! Pandraha prakara ki hai, ve purvavat janana. Bhagavan ! Nairayikom ki kitane prakara ki prayogagati hai\? Gautama ! Gyaraha prakara ki, satyamanahprayogagati ityadi. Isa prakara vaimanika paryanta jisako jitane prakara ki gati hai, usaki utane prakara ki gati kahana. Bhagavan ! Jiva kya satyamanahprayogagati vale haim, athava yavat karmanasharirakaya – prayogagatika haim\? Gautama! Jiva sabhi prakara ki gativale hote haim. Usi prakara vaimanikom taka kahana. Vaha tatagati kisa prakara ki hai\? Tatagati vaha hai, jisake dvara jisa grama yavat sannivesha ke lie prasthana kiya hua vyakti (abhi) pahumcha nahim, bicha marga mem hi hai. Vaha bandhanachhedanagati kya hai\? Bandhanachhedanagati vaha hai, jisake dvara jiva sharira se athava sharira jiva se prithak hota hai. Upapatagati kitane prakara ki hai\? Tina prakara ki – kshetropapatagati, bhavopapatagati aura nobhavopapatagati. Kshetropapatagati kitane prakara ki hai\? Pamcha prakara ki – nairayikakshetropapatagati, tiryamchayonikakshetropapata – gati, manushyakshetropapatagati, devakshetropapatagati aura siddhakshetropapatagati. Nairayikakshetropapatagati sata prakara ki hai – ratnaprabhaprithvi0 yavat adhastanasaptamaprithvinairayikakshetropapatagati. Tiryamchayonikakshetropapatagati pamcha prakara ki hai, ekendriya yavat pamchendriyatiryagyonikakshetropapatagati. Manushyakshetropapatagati do prakara ki hai. Sammurchchhima0 aura garbhaja – manushyakshetropapatagati. Devakshetropapatagati chara prakara ki hai, bhavanapati0 yavat vaimanika deva kshetro – papatagati. Siddhakshetropapatagati aneka prakara ki hai, jambudvipa mem, bharata aura airavata kshetra mem saba dishaom mem, saba vidishaom mem, kshudra himavan aura shikhari varshadharaparvata mem, haimavata aura hairanyavata varsha mem, shabdapati aura vikatapati vrittavaitadhyaparvata mem, mahahimavanta aura rukmi namaka varshadhara parvatom mem, harivarsha aura ramyakavarsha mem, gandhapati aura malyavanta vrittavaitadhyaparvata mem, nishadha aura nilavanta varshadhara parvata mem, purvavideha aura aparavideha mem, devakuru aura uttarakuru mem tatha mandaraparvata mem, ina saba ki saba dishaom aura vidishaom mem siddhakshetropapatagati haim. Lavana – samudra mem, dhatakishandadvipa mem, kalodasamudra mem, pushkaravaradvipadarddha mem ina sabaki saba dishao – vidishaom mem siddha – kshetropapatagati hai. Bhavopapatagati kitane prakara ki hai\? Chara prakara ki, nairayika se devabhavopapatagati paryanta. Nairayika bhavo – papatagati sata prakara ki hai, ityadi siddhom ko chhorakara saba bheda kahana. Kshetropapatagati ke samana bhavopapata – gati mem kahana. Nobhavopapatagati kisa prakara ki hai\? Do prakara ki, pudgala – nobhavopapatagati aura siddha – nobhavo – papatagati. Pudgala – nobhavopapatagati kya hai\? Jo pudgala paramanu loka ke purvi charamanta se pashchimi charamanta taka eka hi samaya mem chala jata hai, athava pashchimi charamanta se purvi charamanta taka, athava charamanta se uttari ya uttari charamanta se dakshini charamanta taka tatha upari charamanta se nichale evam nichale charamanta se upari charamanta taka eka samaya mem hi gati karata hai; yaha pudgala – nobhavopapatagati kahalati hai. Siddha – nobhavopapatagati do prakara ki hai, anantarasiddha0 aura paramparasiddha – nobhavopapatagati. Anantarasiddha – nobhavopapatagati pandraha prakara ki hai. Tirtha – siddha – anantarasiddha0 yavat anekasiddha – anantarasiddha – nobhavopapatagati. Paramparasiddha – nobhavopapatagati aneka prakara ki hai. Aprathamasamayasiddha – nobhavopapatagati, evam dvisamayasiddha – nobhavopapatagati yavat antasamayasiddha – nobhavopapatagati Vihayogati kitane prakara ki hai\? Sattaraha prakara ki. Sprishadgati, asprishadgati, upasampadyamanagati, anu – pasampadyamanagati, pudgalagati, mandukagati, naukagati, nayagati, chhayagati, chhayanupapagati, leshyagati, leshyanu – patagati, uddishyapravibhaktagati, chatuhpurushapravibhaktagati, vakragati, pamkagati aura bandhanavimochanagati. Vaha sprishad – gati kya hai\? Paramanu pudgala ki athava dvipradeshi yavat anantapradeshi skandho ki eka dusare ko sparsha karate hue jo gati hoti hai, vaha sprishadgati hai. Asprishadgati kise kahate haim\? Purvokta paramanu pudgalom se lekara anantapradeshi skandhom ki paraspara sparsha kiye bina hi jo gati hoti hai, vaha asprishadgati hai. Upasampadyamanagati vaha hai, jisamem vyakti raja, yuvaraja, ishvara, talavara, madambika, ibhya, setha, senapati ya sarthavaha ko ashraya karake gamana karata ho. Inhim purvokta (raja adi) ka paraspara ashraya na lekara jo gati hoti hai, vaha anupasampadyamana gati hai. Pudgalagati kya hai\? Paramanu pudgalom ki yavat anantapradeshi skandhom ki gati pudgalagati hai. Memrhaka jo uchhala – uchhala kara gati karata hai, vaha mandukagati kahalati hai. Jaise nauka purva vaitali se dakshina vaitali ki ora jalamarga se jati hai, athava dakshina vaitali se apara vaitali ki ora jalapatha se jati hai, aisi gati naukagati hai. Naigama, samgraha, vyavahara, rijusutra, shabda, samabhirurha aura evambhuta, ina sata nayom ki jo pravritti hai, vaha nayagati hai. Ashva, hathi, manushya, kinnara, mahoraga, gandharva, vrishabha, ratha aura chhatra ki chhaya ka ashraya karake jo gamana hota hai, vaha chhayagati hai. Chhaya purusha adi apane nimitta ka anugamana karati haim, kintu purusha chhaya ka anugamana nahim karata, vaha chhayanupatagati hai. Krishnaleshya (ke dravya) nilaleshya (ke dravya) ko prapta hokara usi ke varna, gandha, rasa tatha sparsharupa mem bara – bara jo parinata hoti haim, isi prakara nilaleshya kapotaleshya ko prapta hokara, kapotaleshya tejoleshya ko, tejoleshya padmaleshya ko tatha padmaleshya shuklaleshya ko prapta hokara jo usi ke varna yavat sparsha rupa mem parinata hoti hai, vaha leshyagati hai. Jisa leshya ke dravyom ko grahana karake (jiva) kala karata hai, usi leshyavale mem utpanna hota hai. Jaise – krishnaleshya vale yavat shuklaleshya vale dravyom mem. – yaha leshyanupatagati hai. Uddishyapravibhaktagati kya hai\? Acharya, upadhyaya, sthavira, pravarttaka, gani, ganadhara athava ganavachchhedaka ko lakshya karake jo gamana kiya jata hai, vaha uddishyapravibhaktagati hai. Chatuhpurushapravibhaktagati kise kahate haim\? Jaise – 1. Kinhim chara purushom ka eka satha prasthana hua aura eka hi satha pahumche, 2. Eka satha prasthana hua, kintu eka satha nahim pahumche, 3. Eka satha prasthana nahim hua, kintu pahumche eka satha, tatha 4. Prasthana eka satha nahim hua aura eka satha bhi nahim pahumche, yaha chatuhpurushapravibhaktagati hai. Vakragati chara prakara ki hai. Ghattana se, stambhana se, shleshana se aura prapatana se. Jaise koi purusha kade mem, kichara mem athava jala mem (apane) sharira ko dusare ke satha jorakara gamana karata hai, (usaki) yaha (gati) pamkagati hai. Vaha bandhanavimochanagati kya hai\? Atyanta paka kara taiyara hue, ataeva bandhana se vimukta amrom, amratakom, bijaurom, bilvaphalom, kavithom, bhadra phalom, katahalom, darimom, parevata phala, akharotom, chora phalom, borom athava tindukaphalom ki rukavata na ho to svabhava se hi jo adhogati hoti hai, vaha bandhanavimochanagati hai.