Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006604 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-४ स्थिति |
Translated Chapter : |
पद-४ स्थिति |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 304 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] वाणमंतराणं भंते! देवाणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं पलिओवमं। अपज्जत्तयवाणमंतराणं देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। पज्जत्तयवाणमंतराणं देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाइं, उक्कोसेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं। वाणमंतरीणं भंते! देवीणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं। अपज्जत्तियाणं भंते! वाणमंतरीणं देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। पज्जत्तियाणं भंते! वाणमंतरीणं देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाइं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! वाणव्यन्तर देवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष की है, उत्कृष्ट एक पल्योपम की है। अपर्याप्त वाणव्यन्तर की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त्त की है। पर्याप्तक वाण – व्यन्तर की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम दस हजार वर्ष की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम एक पल्योपम की है। वाणव्यन्तर देवियों की स्थिति जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट अर्द्ध पल्योपम है। अपर्याप्त वाणव्यन्तरदेवियों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त्त है। पर्याप्तक वाणव्यन्तरदेवियों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम अर्द्ध पल्योपम है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] vanamamtaranam bhamte! Devanam kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jahannenam dasa vasasahassaim, ukkosenam paliovamam. Apajjattayavanamamtaranam devanam puchchha. Goyama! Jahannena vi ukkosena vi amtomuhuttam. Pajjattayavanamamtaranam devanam puchchha. Goyama! Jahannenam dasa vasasahassaim amtomuhuttunaim, ukkosenam paliovamam amtomuhuttunam. Vanamamtarinam bhamte! Devinam kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jahannenam dasa vasasahassaim, ukkosenam addhapaliovamam. Apajjattiyanam bhamte! Vanamamtarinam devinam puchchha. Goyama! Jahannena vi ukkosena vi amtomuhuttam. Pajjattiyanam bhamte! Vanamamtarinam devinam puchchha. Goyama! Jahannenam dasa vasasahassaim amtomuhuttunaim, ukkosenam addhapaliovamam amtomuhuttunam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Vanavyantara devom ki sthiti kitane kala ki hai\? Gautama ! Jaghanya dasa hajara varsha ki hai, utkrishta eka palyopama ki hai. Aparyapta vanavyantara ki sthiti jaghanya aura utkrishta bhi antarmuhurtta ki hai. Paryaptaka vana – vyantara ki sthiti jaghanya antarmuhurtta kama dasa hajara varsha ki hai aura utkrishta antarmuhurtta kama eka palyopama ki hai. Vanavyantara deviyom ki sthiti jaghanya dasa hajara varsha aura utkrishta arddha palyopama hai. Aparyapta vanavyantaradeviyom ki sthiti jaghanya aura utkrishta bhi antarmuhurtta hai. Paryaptaka vanavyantaradeviyom ki sthiti jaghanya antarmuhurtta kama dasa hajara varsha aura utkrishta antarmuhurtta kama arddha palyopama hai. |