Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005976 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | द्वीप समुद्र | Translated Section : | द्वीप समुद्र |
Sutra Number : | 176 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगा मणिपेढिया पन्नत्ता। सा णं मणिपेढिया दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा। तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं, एत्थ णं महं एगे मानवए णाम चेइयखंभे पन्नत्ते–अद्धट्ठमाइं जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्धकोसं उव्वेहेणं, अद्धकोसं विक्खंभेणं, छकोडीए छलंसे छविग्गहिते वइरामयवट्टलट्ठसंठियसुसिलिट्ठपरिघट्ठमट्ठसुपतिट्ठिते एवं जहा महिंदज्झयस्स वण्णओ जाव पडिरूवे। तस्स णं मानवगस्स चेतियखंभस्स उवरिं छक्कोसे ओगाहित्ता, हेट्ठावि छक्कोसे वज्जेत्ता, मज्झे अद्धपंचमेसु जोयणेसु एत्थ णं बहवे सुवण्णरुप्पमया फलगा पन्नत्ता। तेसु णं सुवण्णरुप्पमएसु फलएसु बहवे वइरामया नागदंता पन्नत्ता। तेसु णं वइरामएसु नागदंतएसु बहवे रययामया सिक्कगा पन्नत्ता। तेसु णं रययामयसिक्कएसु बहवे वइरामया गोलवट्टसमुग्गका पन्नत्ता। तेसु णं वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहुयाओ जिनसकहाओ संनिक्खित्ताओ चिट्ठंति, जाओ णं विजयस्स देवस्स अन्नेसिं च बहूणं वाणमंतराणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ वंदणिज्जाओ पूयणिज्जाओ माणणिज्जाओ सक्कारणिज्जाओ कल्लाणं मंगलं देवयं चेतियं पज्जुवासणिज्जोओ। मानवगस्स णं चेतियखंभस्स उवरिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता। तस्स णं मानवगस्स चेतियखंभस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं महं एगा मणिपेढिया पन्नत्ता। सा णं मणिपेढिया जोयणं आयामविक्खंभेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा। तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं, एत्थ णं महं एगे सीहासने पन्नत्ते सपरिवारे। तस्स णं मानवगस्स चेतियखंभस्स पच्चत्थिमेणं, एत्थ णं महं एगा मणिपेढिया पन्नत्ता–जोयणं आयामविक्खंभेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा। तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं, एत्थ णं महं एगे देवसयणिज्जे पन्नत्ते। तस्स णं देवसयणिज्जस्स अयमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा–नानामणिमया पडिपादा, सोवण्णिया पादा, नानामणिमया पायसीसा, जंबूणयमयाइं गत्ताइं, वइरामया संधी, नानामणिमए वेच्चे, रययामई तूली, लोहियक्खमया बिब्बोयणा, तवणिज्जमई गंडोवहाणिया। से णं देवसयणिज्जे सालिंगनवट्टिए उभओ बिब्बोयणे दुहओ उण्णए मज्झे णयगंभीरे गंगापुलिणवालुयाउद्धालसालिसए ओयवियखोमदुगुल्लपट्ट-पडिच्छयणे आइणगरूतबूरनवनीयतूलफासे सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुते सुरम्मे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। तस्स णं देवसयणिज्जस्स उत्तरपुरत्थिमेणं, एत्थ णं महं एगा मणिपेढिया पन्नत्ता–जोयणमेगं आयामविक्खंभेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं, सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा। तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं एत्थ णं खुड्डए महिंदज्झए पन्नत्ते। पमाणं वण्णओ जो महिंदज्झयस्स। तस्स णं खुड्डमहिंदज्झयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं विजयस्स देवस्स महं एगे चोप्पाले नाम पहरणकोसे पन्नत्ते–सव्ववइरामए अच्छे जाव पडिरूवे। तत्थ णं विजयस्स देवस्स बहवे फलिह-रयणपामोक्खा पहरणरयणा संनिक्खित्ता चिट्ठंति–उज्जला सुणिसिया, सुतिक्खधारा पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तीसे णं सभाए सुहम्माए उप्पिं बहवे अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता। | ||
Sutra Meaning : | उस बहुसमरमणीय भूमिभाग के ठीक मध्यभाग में एक मणिपीठिका है। वह मणिपीठिका दो योजन लम्बी – चौड़ी, एक योजन मोटी और सर्वमणिमय है। उस के ऊपर माणवक चैत्यस्तम्भ है। वह साढ़े सात योजन ऊंचा, आधा कोस ऊंडा और आधा कोस चौड़ा है। उसकी छह कोटियाँ हैं, छह कोण हैं और छह भाग हैं, वह वज्र का है, गोल है और सुन्दर आकृतिवाला है, यावत् वह प्रासादीय है। उस चैत्यस्तम्भ के ऊपर छह कोस ऊपर और छह कोस नीचे छोड़कर बीच के साढ़े चार योजन में बहुत से सोने – चाँदी के फलक हैं। उन फलकों में बहुत से वज्रमय नागदन्तक हैं। उन नागदन्तकों में बहुत से चाँदी के छींके हैं। उन छींकों में बहुत – से वज्रमय गोल समुद्गक हैं। उन वर्तुल समुद्गकों में बहुत – सी जिन – अस्थियाँ हैं। वे विजयदेव और अन्य बहुत से वानव्यन्तर देव और देवियों के लिए अर्चनीय, वन्दनीय, पूजनीय, सत्कारयोग्य, सन्मानयोग्य, कल्याणरूप, मंगलरूप, देवरूप, चैत्यरूप और पर्युपासनायोग्य हैं। उस चैत्यस्तम्भ के ऊपर आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं और छत्रातिछत्र हैं। उस माणवक चैत्यस्तम्भ के पूर्व में एक बड़ी मणिपीठिका है। वह दो योजन लम्बी – चौड़ी, एक योजन मोटी और सर्व – मणिमय है यावत् प्रतिरूप है। उस मणिपीठिका के ऊपर एक बड़ी सिंहासन है। उस माणवक चैत्यस्तम्भ के पश्चिम में एक बड़ी मणिपीठिका है जो एक योजन लम्बी – चौड़ी और आधा योजन मोटी है, जो सर्वमणिमय है और स्वच्छ है। उस मणिपीठिका के ऊपर एक बड़ा देवशयनीय है। नाना मणियों के उसके प्रतिपाद हैं, उसके मूल पाये सोने के हैं, नाना मणियों के पायों के ऊपरी भाग हैं, जम्बूनद स्वर्ण की उसकी ईसें हैं, वज्रमय सन्धियाँ हैं, नाना मणियों से वह बुना हुआ है, चाँदी की गादी है, लोहिताक्ष रत्नों के तकिये हैं और तपनीय स्वर्ण का गलमसूरिया है। वह देवशयनीय दोनों ओर तकियोंवाला है, शरीरप्रमाण तकियोंवाला है, वह दोनों तरफ से उन्नत और मध्य में नत और गहरा है, गंगा नदी की बालुका समान वह शय्या उस पर सोते ही नीचे बैठ जाती है, उस पर बेल – बूटे नीकाला हुआ सूती वस्त्र बिछा हुआ है, उस पर रजस्त्राण है, लाल वस्त्र से वह ढ़का हुआ है, सुरम्य है, मृगचर्म, रूई, बूर वनस्पति और मक्खन के समान उसका मृदुल स्पर्श है, वह प्रासादीय यावत् प्रतिरूप है। उस देवशयनीय के उत्तर – पूर्वमें एक बड़ी मणिपीठिका है। वह एक योजन की लम्बी – चौड़ी, आधे योजन मोटी तथा सर्व मणिमय यावत् स्वच्छ है। उस मणिपीठिका के ऊपर एक छोटा महेन्द्रध्वज है जो साढ़े सात योजन ऊंचा, आधा कोस ऊंडा और आधा कोस चौड़ा है। वह वैडूर्यरत्न का है, गोल है और सुन्दर आकार का है, यावत् आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं और छत्रातिछत्र हैं। उस छोटे महेन्द्रध्वज के पश्चिम में विजयदेव का चौपाल नामक शस्त्रागार है। वहाँ विजयदेव के परिघरत्न आदि रखे हुए हैं। वे शस्त्र उज्ज्वल, अति तेज और तीखी धारवाले हैं। वे प्रासादीय यावत् प्रतिरूप हैं। उस सुधर्मासभाके ऊपर बहुत सारे आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं और छत्रातिछत्र हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ega manipedhiya pannatta. Sa nam manipedhiya do joyanaim ayamavikkhambhenam joyanam bahallenam savvamanimai achchha java padiruva. Tise nam manipedhiyae uppim, ettha nam maham ege manavae nama cheiyakhambhe pannatte–addhatthamaim joyanaim uddham uchchattenam, addhakosam uvvehenam, addhakosam vikkhambhenam, chhakodie chhalamse chhaviggahite vairamayavattalatthasamthiyasusilitthaparighatthamatthasupatitthite evam jaha mahimdajjhayassa vannao java padiruve. Tassa nam manavagassa chetiyakhambhassa uvarim chhakkose ogahitta, hetthavi chhakkose vajjetta, majjhe addhapamchamesu joyanesu ettha nam bahave suvannaruppamaya phalaga pannatta. Tesu nam suvannaruppamaesu phalaesu bahave vairamaya nagadamta pannatta. Tesu nam vairamaesu nagadamtaesu bahave rayayamaya sikkaga pannatta. Tesu nam rayayamayasikkaesu bahave vairamaya golavattasamuggaka pannatta. Tesu nam vairamaesu golavattasamuggaesu bahuyao jinasakahao samnikkhittao chitthamti, jao nam vijayassa devassa annesim cha bahunam vanamamtaranam devana ya devina ya achchanijjao vamdanijjao puyanijjao mananijjao sakkaranijjao kallanam mamgalam devayam chetiyam pajjuvasanijjoo. Manavagassa nam chetiyakhambhassa uvarim atthatthamamgalaga jhaya chhattatichhatta. Tassa nam manavagassa chetiyakhambhassa puratthimenam, ettha nam maham ega manipedhiya pannatta. Sa nam manipedhiya joyanam ayamavikkhambhenam, addhajoyanam bahallenam savvamanimai achchha java padiruva. Tise nam manipedhiyae uppim, ettha nam maham ege sihasane pannatte saparivare. Tassa nam manavagassa chetiyakhambhassa pachchatthimenam, ettha nam maham ega manipedhiya pannatta–joyanam ayamavikkhambhenam, addhajoyanam bahallenam savvamanimai achchha java padiruva. Tise nam manipedhiyae uppim, ettha nam maham ege devasayanijje pannatte. Tassa nam devasayanijjassa ayameyaruve vannavase pannatte, tam jaha–nanamanimaya padipada, sovanniya pada, nanamanimaya payasisa, jambunayamayaim gattaim, vairamaya samdhi, nanamanimae vechche, rayayamai tuli, lohiyakkhamaya bibboyana, tavanijjamai gamdovahaniya. Se nam devasayanijje salimganavattie ubhao bibboyane duhao unnae majjhe nayagambhire gamgapulinavaluyauddhalasalisae oyaviyakhomadugullapatta-padichchhayane ainagarutaburanavaniyatulaphase suviraiyarayattane rattamsuyasamvute suramme pasaie darisanijje abhiruve padiruve. Tassa nam devasayanijjassa uttarapuratthimenam, ettha nam maham ega manipedhiya pannatta–joyanamegam ayamavikkhambhenam, addhajoyanam bahallenam, savvamanimai achchha java padiruva. Tise nam manipedhiyae uppim ettha nam khuddae mahimdajjhae pannatte. Pamanam vannao jo mahimdajjhayassa. Tassa nam khuddamahimdajjhayassa pachchatthimenam ettha nam vijayassa devassa maham ege choppale nama paharanakose pannatte–savvavairamae achchhe java padiruve. Tattha nam vijayassa devassa bahave phaliha-rayanapamokkha paharanarayana samnikkhitta chitthamti–ujjala sunisiya, sutikkhadhara pasaiya darisanijja abhiruva padiruva. Tise nam sabhae suhammae uppim bahave atthatthamamgalaga jhaya chhattatichhatta. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usa bahusamaramaniya bhumibhaga ke thika madhyabhaga mem eka manipithika hai. Vaha manipithika do yojana lambi – chauri, eka yojana moti aura sarvamanimaya hai. Usa ke upara manavaka chaityastambha hai. Vaha sarhe sata yojana umcha, adha kosa umda aura adha kosa chaura hai. Usaki chhaha kotiyam haim, chhaha kona haim aura chhaha bhaga haim, vaha vajra ka hai, gola hai aura sundara akritivala hai, yavat vaha prasadiya hai. Usa chaityastambha ke upara chhaha kosa upara aura chhaha kosa niche chhorakara bicha ke sarhe chara yojana mem bahuta se sone – chamdi ke phalaka haim. Una phalakom mem bahuta se vajramaya nagadantaka haim. Una nagadantakom mem bahuta se chamdi ke chhimke haim. Una chhimkom mem bahuta – se vajramaya gola samudgaka haim. Una vartula samudgakom mem bahuta – si jina – asthiyam haim. Ve vijayadeva aura anya bahuta se vanavyantara deva aura deviyom ke lie archaniya, vandaniya, pujaniya, satkarayogya, sanmanayogya, kalyanarupa, mamgalarupa, devarupa, chaityarupa aura paryupasanayogya haim. Usa chaityastambha ke upara atha – atha mamgala, dhvajaem aura chhatratichhatra haim. Usa manavaka chaityastambha ke purva mem eka bari manipithika hai. Vaha do yojana lambi – chauri, eka yojana moti aura sarva – manimaya hai yavat pratirupa hai. Usa manipithika ke upara eka bari simhasana hai. Usa manavaka chaityastambha ke pashchima mem eka bari manipithika hai jo eka yojana lambi – chauri aura adha yojana moti hai, jo sarvamanimaya hai aura svachchha hai. Usa manipithika ke upara eka bara devashayaniya hai. Nana maniyom ke usake pratipada haim, usake mula paye sone ke haim, nana maniyom ke payom ke upari bhaga haim, jambunada svarna ki usaki isem haim, vajramaya sandhiyam haim, nana maniyom se vaha buna hua hai, chamdi ki gadi hai, lohitaksha ratnom ke takiye haim aura tapaniya svarna ka galamasuriya hai. Vaha devashayaniya donom ora takiyomvala hai, sharirapramana takiyomvala hai, vaha donom tarapha se unnata aura madhya mem nata aura gahara hai, gamga nadi ki baluka samana vaha shayya usa para sote hi niche baitha jati hai, usa para bela – bute nikala hua suti vastra bichha hua hai, usa para rajastrana hai, lala vastra se vaha rhaka hua hai, suramya hai, mrigacharma, rui, bura vanaspati aura makkhana ke samana usaka mridula sparsha hai, vaha prasadiya yavat pratirupa hai. Usa devashayaniya ke uttara – purvamem eka bari manipithika hai. Vaha eka yojana ki lambi – chauri, adhe yojana moti tatha sarva manimaya yavat svachchha hai. Usa manipithika ke upara eka chhota mahendradhvaja hai jo sarhe sata yojana umcha, adha kosa umda aura adha kosa chaura hai. Vaha vaiduryaratna ka hai, gola hai aura sundara akara ka hai, yavat atha – atha mamgala, dhvajaem aura chhatratichhatra haim. Usa chhote mahendradhvaja ke pashchima mem vijayadeva ka chaupala namaka shastragara hai. Vaham vijayadeva ke parigharatna adi rakhe hue haim. Ve shastra ujjvala, ati teja aura tikhi dharavale haim. Ve prasadiya yavat pratirupa haim. Usa sudharmasabhake upara bahuta sare atha – atha mamgala, dhvajaem aura chhatratichhatra haim. |