Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005975 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | द्वीप समुद्र | Translated Section : | द्वीप समुद्र |
Sutra Number : | 175 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तस्स णं मूलपासायवडेंसगस्स उत्तरपुरत्थिमेणं, एत्थ णं विजयस्स देवस्स सभा सुधम्मा पन्नत्ता–अद्धत्तेरसजोयणाइं आयामेणं, छ सक्कोसाइं जोयणाइं विक्खंभेणं, नव जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अनेगखंभसतसंनिविट्ठा अब्भुग्गयसुकयवइरवेदियातोरनवररइयसालभंजिया सुसिलिट्ठ विसिट्ठ लट्ठ संठिय पसत्थवेरुलियविमलखंभा नानामणि-कनग-रयणखइय-उज्जलबहुसम-सुविभत्तभूमिभागा ईहामिय-उसभ-तुरगनरमगर-विहगवालग-किन्नररुरु-सरभचमर-कुंजरवनलय-पउमलय-भत्तिचित्ता खंभुग्गयवइरवेइयापरिगयाभिरामा विज्जाहरजमलजुयलजंतजुत्ताविव अच्चिसहस्समालणीया रूवगसहस्सकलिया भिसमाणा भिब्भिसमाणा चक्खुलोयणलेसा सुहफासा सस्सिरीयरूवा कंचनमणिरयणथूभियागा नानाविहपंचवण्णघंटापडागपरिमंडितग्गसिहरा धवला मिरीइकवचं विनिम्मुयंती लाउल्लोइयमहिया गोसीससरसरत्तचंदनदद्दरदिन्नपंचंगुलितला उवचियवंदनकलसा वंदनघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागा आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्घारियमल्लदामकलावा पंचवण्ण-सरससुरभिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिता कालागरु पवरकुंदुरुक्क तुरुक्क धूवमघमघेंतगंधुद्धु-याभिरामा सुगंधवरगंधगंधिया गंधवट्टिभूया अच्छरगणसंघसंविकिण्णा दिव्वतुडियसद्दसंपणाइया अच्छा जाव पडिरूवा। तीसे णं सोहम्माए सभाए तिदिसिं तओ दारा पन्नत्ता, तं जहा–पुरत्थिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं। ते णं दारा पत्तेयंपत्तेयं दोदो जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, एगं जोयणं विक्खंभेणं, तावइयं चेव पवेसेणं सेया वरकनगथूभियागा दारवण्णओ जाव वनमालाओ। तेसि णं दाराणं पुरओ पत्तेयंपत्तेयं मुहमंडवे पन्नत्ते ते णं मुहमंडवा अद्धतेरसजोयणाइं आयामेणं, छजोयणाइं सक्कोसाइं विक्खंभेणं, साइरेगाइं दो जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अनेग-खंभसयसंनिविट्ठा जाव उल्लोया भूमिभागवण्णओ। तेसि णं मुहमंडवाणं उवरिं पत्तेयंपत्तेयं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्ताइछत्ता। तेसि णं मुहमंडवाणं पुरओ पत्तेयंपत्तेयं पेच्छाघरमंडवे पन्नत्ते ते णं पेच्छाघरमंडवा अद्धतेरसजोयणाइं आयामेणं, छ जोयणाइं सक्कोसाइं विक्खंभेणं, साइरेगाइं दो जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं जाव मणीणं फासो। तेसि णं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयंपत्तेयं वइरामए अक्खाडगे पन्नत्ते। तेसि णं वइरामयाणं अक्खाडगाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयंपत्तेयं मणिपेढिया पन्नत्ता। ताओ णं मणिपेढियाओ जोयणमेगं आयामविक्खंभेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं, सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तासि णं मणिपेढियाणं उप्पिं पत्तेयंपत्तेयं सीहासने पन्नत्ते। सीहासनवण्णओ सपरिवारो। तेसि णं पेच्छाघरमंडवाणं उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता। तेसि णं पेच्छाघरमंडवाणं पुरओ पत्तेयंपत्तेयं मणिपेढिया पन्नत्ता। ताओ णं मणिपेढियाओ दोदो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, जोयणं बाहल्लेणं, सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तासि णं मणिपेढियाणं उप्पिं पत्तेयंपत्तेयं चेइयथूभे पन्नत्ते। ते णं चेइयथूभा दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, सातिरेगाइं जो जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, सेया संखंककुंददगरयअमयमहिय-फेणुपुंजसन्निकासा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं चेइयथूभाणं उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा बहुकिण्हचामरझया छत्तातिछत्ता। तेसि णं चेतियथूभाणं पत्तेयंपत्तेयं चउद्दिसिं चत्तारि मणिपेढियाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं मणिपेढियाओ जोयणं आयामविक्खंभेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं, सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तासि णं मणिपेढियाणं उप्पिं पत्तेयंपत्तेयं चत्तारि जिनपडिमाओ जिनुस्सेहपमाणमेत्ताओ पलियंकणिसण्णाओ थूभाभिमुहीओ चिट्ठंति, तं जहा–उसभा वद्धमाणा चंदानना वारिसेना। तेसि णं चेइयथूभाणं पुरओ पत्तेयंपत्तेयं मणिपेढियाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं मणिपेढियाओ दोदो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, जोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तासि णं मणिपेढियाणं उप्पिं पत्तेयंपत्तेयं चेइयरुक्खे पन्नत्ते, ते णं चेइयरुक्खा अट्ठजोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्धजोयणं उव्वेहेणं, दो जोयणाइं खंधी, अद्धजोयणं विक्खंभेणं, छजोयणाइं विडिमा, बहुमज्झदेसभाए अट्ठजोयणाइं आयामविक्खंभेणं, साइरेगाइं अट्ठजोयणाइं सव्वग्गेणं पन्नत्ता। तेसि णं चेइयरुक्खाणं अयमेतारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा–वइरामयमूलरययसुपतिट्ठित-विडिमा रिट्ठामयकंदवेरुलियरुइलखंधा सुजातवरजातरूवपढमगविसालसाला नानामनिरयण-विविधसाहप्पसाहवेरुलियपत्ततवणिज्जपत्तवेंटा जंबूनयरत्तमउयसुकुमालपवालपल्लववरंकुरधरा विचित्तमनिरयणसुरभिकुसुमफलभरणमियसाला सच्छाया सप्पभा सस्सिरीया सउज्जोया अधियं णयणमणणिव्वुतिकरा अमयरससमरसफला पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। ते णं चेइयरुक्खा अन्नेहिं बहूहिं तिलयलवयछत्तोवगसिरीससत्तिवण्णदहिवण्णलोद्धधवचंदन अज्जुन नीवकुडयकयंबपणसतालतमालपियालपियंगुपारावयरायरुक्खनंदिरुक्खेहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता। ते णं तिलया जाव नंदिरुक्खा कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो जाव सुरम्मा। ते णं तिलया जाव नंदिरुक्खा अन्नाहिं बहूहिं पउमलयाहिं जाव सामलयाहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता। ताओ णं पउमलयाओ जाव सामलयाओ निच्चं कुसुमियाओ जाव पडिरूवाओ। तेसि णं चेइयरुक्खाणं उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता। तेसि णं चेइयरुक्खाणं पुरओ पत्तेयंपत्तेयं मणिपेढिया पन्नत्ता। ताओ णं मणिपेढियाओ जोयणं आयामविक्खंभेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं, सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तासि णं मणिपेढियाणं उप्पिं पत्तेयंपत्तेयं महिंदज्झए पन्नत्ते। ते णं महिंदज्झया अद्धट्ठमाइं जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्धकोसं उव्वेहेणं, अद्धकोसं विक्खंभेणं, वइरामयवट्टलट्ठसंठियसुसिलिट्ठ-परिघट्ठमट्ठसुपतिट्ठिता विसिट्ठा अनेगवरपंचवण्णकुडभीसहस्सपरिमंडियाभिरामा वाउद्धुयविजय-वेजयंतीपडागछत्तातिछत्तकलिया तुंगा गगनतलमनुलिहंतसिहरा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तेसि णं महिंदज्झयाणं उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता। तेसि णं महिंदज्झयाणं पुरओ पत्तेयंपत्तेयं णंदा पुक्खरिणी पन्नत्ता। ताओ णं पुक्खरिणीओ अद्धतेरसजोयणाइं आयामेणं छ जोयणाइं सक्कोसाइं विक्खंभेणं, दसजोयणाइं उव्वेहेणं, अच्छाओ सण्हाओ पुक्खरिणीवण्णओ, पत्तेयंपत्तेयं पउमवरवेइयापरिक्खित्ताओ पत्तेयंपत्तेयं वनसंड-परिक्खित्ताओ वण्णओ। तासि णं नंदाणं पुक्खरिणीणं तिदिसिं तिसोवानपडिरूवगा पन्नत्ता। तेसि णं तिसोवान-पडिरूवगाणं वण्णओ, तोरणा भाणियव्वा जाव छत्तातिच्छत्ता। सभाए णं सुहम्माए छ मनोगुलियासाहस्सीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–पुरत्थिमेणं दो साहस्सीओ, पच्चत्थिमेणं दो साहस्सीओ, दाहिणेणं एगा साहस्सी, उत्तरेणं एगा साहस्सी। तासु णं मनोगुलियासु बहवे सुवण्णरुप्पामया फलगा पन्नत्ता। तेसु णं सुवण्णरुप्पामएसु फलगेसु बहवे वइरामया नागदंतगा पन्नत्ता। तेसु णं वइरामएसु नागदंतएसु बहवे किण्हसुत्तबद्धा वग्घारितमल्लदामकलावा जाव सुक्किलसुत्तबद्धा वग्घारितमल्लदामकलावा। ते णं दामा तवणिज्जलंबूसगा जाव चिट्ठंति। सभाए णं सुहम्माए छ गोमानसीसाहस्सीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–पुरत्थिमेणं दो साहस्सीओ, एवं पच्चत्थिमेणवि दाहिणेणं सहस्सं एवं उत्तरेणवि। तासु णं गोमानसीसु बहवे सुवण्णरुप्पामया फलगा पन्नत्ता। तेसु णं सुवण्णरुप्पामएसु फलगेसु बहवे वइरामया नागदंतगा पन्नत्ता। तेसु णं वइरामएसु नागदंतएसु बहवे रययामया सिक्कया पन्नत्ता। तेसु णं रययामएसु सिक्कएसु बहवे वेरुलियामईओ धूवघडियाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं धूवघडियाओ कालागरु पवरकुंदुरुक्क तुरुक्क धूवमघमघेंतगंधुद्धुयाभिरामाओ जाव घाणमणणिव्वुइकरेणं गंधेणं ते पएसे सव्वतो समंता आपूरेमाणीओआपूरेमाणीओ सिरीए अतीवअतीव उवसोभेमाणीओउवसोभेमाणीओ चिट्ठंति। सभाए णं सुधम्माए अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते जाव मणीणं फासो उल्लोए पउमलयाभत्तिचित्ते जाव सव्वतवणिज्जमए अच्छे जाव पडिरूवे। | ||
Sutra Meaning : | उस मूल प्रासादावतंसक के उत्तर – पूर्व में विजयदेव की सुधर्मा सभा है जो साढ़े बारह योजन लम्बी, छह योजन और एक कोस की चौड़ी तथा नौ योजन की ऊंची है। वह सैकड़ों खंभों पर स्थित है, दर्शकों की नजरों में चढ़ी हुई और भलीभाँति बनाई हुई उसकी वज्रवेदिका है, श्रेष्ठ तोरण पर रति पैदा करने वाली शालभंजिकायें हैं, सुसंबद्ध, प्रधान और मनोज्ञ आकृति वाले प्रशस्त वैडूर्यरत्न के निर्मल उसके स्तम्भ हैं, उसका भूमिभाग नाना प्रकार के मणि, कनक और रत्नों से खचित है, निर्मल है, समतल है, सुविभक्त, निबिड और रमणीय है। ईहामृग, बैल, घोड़ा, मनुष्य, मगर, पक्षी, सर्प, किन्नर, रुरु, सरभ, चमर, हाथी, वनलता, पद्मलता, आदि के चित्र उस सभा में बने हुए हैं। उसके स्तम्भों पर वज्र की वेदिका बनी हुई होने से वह बहुत सुन्दर लगती है। समश्रेणी के विद्याधरों के युगलों के यंत्रों के प्रभाव से यह सदा हजारों किरणों से प्रभासित हो रही हैं यावत् शोभायुक्त है। उसके स्तूप का अग्रभाग सोने से, मणियों से और रत्नों से बना हुआ है, उसके शिखर का अग्रभाग नाना प्रकार के पाँच वर्णों की घंटाओं और पताकाओं से परिमंडित है, वह सभा श्वेतवर्ण की है, वह किरणों के समूह को छोड़ती हुई प्रतीत होती है, वह लिपी हुई और पुती हुई है, गोशीर्ष चन्दन और सरस लाल चन्दन से बड़े बड़े हाथ के छापे लगाये हुए हैं, उसमें चन्दनकलश स्थापित किये हुए हैं, उसके द्वारभाग पर चन्दन के कलशों से तोरण सुशोभित किये गये हैं, ऊपर से लेकर नीचे तक विस्तृत, गोलाकार और लटकती हुई पुष्पमालाओं से वह युक्त हैं, पाँच वर्ण के सरस – सुगंधित फूलों के पुंज से वह सुशोभित है, काला अगर, श्रेष्ठ कुन्दुरुक और तुरुष्क के धूप की गंध से वह महक रही है, सुगन्ध की गुटिका के समान सुगन्ध फैला रही है। वह सुधर्मा सभा अप्सराओं के समुदायों से व्याप्त है, दिव्य वाद्यों के शब्दों से वह निनादित हो रही है। वह सुरम्य है, सर्वरत्नमयी है, स्वच्छ है, यावत् प्रतिरूप है। उस सुधर्मासभा की तीन दिशाओं में तीन द्वार हैं। वे प्रत्येक द्वार दो – दो योजन के ऊंचे, एक योजन विस्तार वाले और इतने ही प्रवेश वाले हैं। उन द्वारों के आगे मुखमंडप है। वे मुखमण्डप साढ़े बारह योजन लम्बे, छह योजन और एक कोस चौड़े, कुछ अधिक दो योजन ऊंचे, अनेक सैकड़ों खम्भों पर स्थित हैं। उन मुखमण्डपों के ऊपर प्रत्येक पर आठ – आठ मंगल – स्वस्तिक यावत् दर्पण हैं। उन मुखमण्डपों के आगे अलग – अलग प्रेक्षाघर – मण्डप हैं। वे प्रेक्षाघरमण्डप साढ़े बारह योजन लम्बे, छह योजन एक कोस चौड़े और कुछ अधिक दो योजन ऊंचे हैं। उनके ठीक मध्यभाग में अलग – अलग वज्रमय अक्षपाटक हैं। उन वज्रमय अक्षपाटकों के बहुमध्य भाग में अलग – अलग मणिपीठिकाएं हैं। वे मणिपीठिकाएं एक योजन लम्बी – चौड़ी, आधा योजन मोटी हैं, सर्वमणियों की बनी हुई हैं, स्वच्छ हैं, यावत् प्रतिरूप हैं। उन मणिपीठिकाओं के ऊपर अलग – अलग सिंहासन हैं। इत्यादि पूर्ववत् उन प्रेक्षाघरमण्डपों के ऊपर आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं और छत्रों पर छत्र हैं। उन के आगे तीन दिशाओं में तीन मणिपीठिकाएं हैं। वे मणिपीठिकाएं दो योजन लम्बी – चौड़ी और एक योजन मोटी है, सर्वमणिमय, स्वच्छ, यावत् प्रतिरूप हैं। उन मणिपीठिकाओं के ऊपर अलग – अलग चैत्यस्तूप हैं। वे चैत्यस्तूप दो योजन लम्बे – चौड़े और कुछ अधिक दो योजन ऊंचे हैं। वे शंख, अंकरत्न, कुंद, दगरज, क्षीरोदधि के मथित फेनपुंज के समान सफेद हैं, सर्वरत्नमय हैं, स्वच्छ हैं यावत् प्रतिरूप हैं। उन चैत्यस्तूपों के ऊपर आठ – आठ मंगल, बहुत – सी कृष्णचामर से अंकित ध्वजाएं आदि और छत्रातिछत्र हैं। उन चैत्यस्तूपों के चारों दिशाओं में अलग – अलग चार मणिपीठिकाएं हैं। वे एक योजन लम्बी – चौड़ी और आधा योजन मोटी सर्वमणिमय हैं। उन के ऊपर अलग – अलग चार जिन (अरिहंत) प्रतिमाएं कही गई हैं जो जिनोत्सेधप्रमाण हैं, पर्यंकासन से बैठी हुई हैं, उनका मुख स्तूप की ओर है। इन अरिहंत के नाम हैं – ऋषभ, वर्द्धमान, चन्द्रानन और वारिषेण। उन चैत्यस्तूपों के आगे तीन दिशाओं में अलग – अलग मणिपीठिकाएं हैं। वे मणिपीठिकाएं दो – दो योजन की लम्बी – चौड़ी और एक योजन मोटी है, सर्वमणिमय हैं, स्वच्छ हैं, मृदु पुद्गलों से निर्मित हैं, चिकनी हैं, घृष्ट हैं, मृष्ट हैं, पंकरहित, रजरहित यावत् प्रतिरूप हैं। उन मणिपीठिकाओं के ऊपर अलग – अलग चैत्यवृक्ष हैं। वे आठ योजन ऊंचे हैं, आधा योजन जमीन में हैं, दो योजन ऊंचा उनका स्कन्ध हैं, आधा योजन उस स्कन्ध का विस्तार है, मध्यभाग में ऊर्ध्व विनिर्गत शाखा छह योजन ऊंची हैं, उस विडिमा का विस्तार अर्धयोजन का है, सब मिलाकर वे चैत्यवृक्ष आठ योजन से कुछ अधिक ऊंचे हैं। उनके मूल वज्ररत्न के हैं, ऊर्ध्व विनिर्गत शाखाएं रजत की हैं और सुप्रतिष्ठित हैं, कन्द रिष्टरत्नमय हैं, स्कंध वैडूर्यरत्न का है और रुचिर है, मूलभूत विशाल शाखाएं शुद्ध और श्रेष्ठ स्वर्ण की हैं, विविध शाखा – प्रशाखाएं नाना मणिरत्नों की हैं, पत्ते वैडूर्यरत्न के हैं, पत्तों के वृन्त तपनीय स्वर्ण के हैं। जम्बूनद जाति के स्वर्ण के समान लाल, मृदु, सुकुमार प्रवाल और पल्लव तथा अंकुरों को धारण करने वाले हैं, उन चैत्यवृक्षों की शाखाएं विचित्र मणिरत्नों के सुगन्धित फूल और फलों के भार से झुकी हुई हैं। वे चैत्यवृक्ष सुन्दर छाया वाले, सुन्द कान्ति वाले, किरणों से युक्त और उद्योत करने वाले हैं। अमृतरस के समान उनके फलों का रस है। वे नेत्र और मन को अत्यन्त तृप्ति देनेवाले हैं, प्रासादीय हैं, दर्शनीय हैं, अभिरूप हैं और प्रतिरूप हैं। वे चैत्यवृक्ष अन्य बहुत से तिलक, लवंग, छत्रोपग, शिरीष, सप्तपर्ण, दधिपर्ण, लोघ्र, धव, चन्दन, नीप, कुटज, कदम्ब, पनस, ताल, तमाल, प्रियाल, प्रियंगु, पारापत, राजवृक्ष और नन्दीवृक्षों से सब ओर से घिरे हुए हैं। वे तिलकवृक्ष यावत् नन्दीवृक्ष अन्य बहुत – सी पद्मलताओं यावत् श्यामलताओं से घिरे हुए हैं। वे पद्मतलाएं यावत् श्यामलताएं नित्य कुसुमित रहती हैं। यावत् वे प्रतिरूप हैं। उन चैत्यवृक्षों के ऊपर बहुत से आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं और छत्रों पर छत्र हैं। उन चैत्यवृक्षों के आगे तीन दिशाओं में तीन मणिपीठिकाएं हैं। वे एक – एक योजन लम्बी – चौड़ी और आधे योजन मोटी हैं। वे सर्वमणिमय हैं, स्वच्छ हैं, यावत् प्रतिरूप हैं। उन मणिपीठिकाओं पर अलग – अलग महेन्द्रध्वज हैं जो साढ़ेसात योजन ऊंचे, आधा कोस ऊंडे, आधा कोस विस्तारवाले, वज्रमय, गोल, सुन्दर आकारवाले, सुसम्बद्ध, घृष्ट, मृष्ट और सुस्थिर हैं, अनेक श्रेष्ठ पाँच वर्णों की लघुपताकाओं से परिमण्डित होने से सुन्दर हैं, वायु से उड़ती हुई विजय सूचक वैजयन्ती पताकाओं से युक्त हैं, छत्रों पर छत्र से युक्त हैं, ऊंची हैं, उनके शिखर आकाश को लाँघ रहे हैं, वे प्रासादीय यावत् प्रतिरूप हैं। उन महेन्द्रध्वजों ऊपर आठ – आठ मंगल हैं, ध्वजाएं हैं और छत्रातिछत्र हैं। उन महेन्द्रध्वजों के आगे तीन दिशाओं में तीन नन्दा पुष्करिणियाँ हैं। वे साढ़े बारह योजन लम्बी हैं, छह सवा योजन की चौड़ी हैं, दस योजन ऊंडी हैं, स्वच्छ हैं, श्लक्ष्ण हैं इत्यादि वे पद्मवरवेदिका और वनखण्ड से घिरी हुई हैं। यावत् वे पुष्करिणियाँ दर्शनीय यावत् प्रतिरूप हैं। उन पुष्करिणियों की तीन दिशाओं में अलग – अलग त्रिसोपानप्रतिरूपक हैं। तोरणों का वर्णन यावत् छत्रों पर छत्र हैं। उस सुधर्मासभा में छह हजार मनोगुलिकाएं हैं, यथा – पूर्व में दो हजार, पश्चिम में दो हजार, दक्षिण में एक हजार और उत्तर में एक हजार। उन मनोगुलिकाओं में बहुत से सोने चाँदी के फलक हैं। उन सोने – चाँदी के फलकों में बहुत से वज्रमय नागदंतक हैं। उन वज्रमय नागदन्तकों में बहुत – सी काले सूत्र में यावत् सफेद डोरे में पिरोई हुई गोल और लटकती हुई पुष्पमालाओं के समुदाय हैं। वे पुष्पमालाएं सोने के लम्बूसक वाली हैं यावत् सब दिशाओं को सुगन्ध से भरती हुई स्थित हैं। उस सुधर्मासभा में छह हजार गोमाणसियाँ हैं, यथा – पूर्व में दो हजार, पश्चिम में दो हजार, दक्षिण में एक हजार और उत्तर में एक हजार। उन गोमाणसियों में बहुत – से सोने – चाँदी के फलक हैं, उन फलकों में बहुत से वज्रमय नागदन्तक हैं, उन वज्रमय नागदन्तकों में बहुत से चाँदी के सींके हैं। उन रजतमय सींकों में बहुत – सी वैडूर्य रत्न की धूपघटिकाएं हैं। वे धूपघटिकाएं काले अगर, श्रेष्ठ कुंदुरुक्क और लोभान के धूप की नाक और मन को तृप्ति देनेवाली सुगन्ध से आसपास के क्षेत्र को भरती हुई स्थित हैं। उस सुधर्मासभा में बहुसमरमणीय भूमिभाग है। यावत् वह भूमिभाग तपनीय स्वर्ण का है, स्वच्छ है और प्रतिरूप है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tassa nam mulapasayavademsagassa uttarapuratthimenam, ettha nam vijayassa devassa sabha sudhamma pannatta–addhatterasajoyanaim ayamenam, chha sakkosaim joyanaim vikkhambhenam, nava joyanaim uddham uchchattenam, anegakhambhasatasamnivittha abbhuggayasukayavairavediyatoranavararaiyasalabhamjiya susilittha visittha lattha samthiya pasatthaveruliyavimalakhambha nanamani-kanaga-rayanakhaiya-ujjalabahusama-suvibhattabhumibhaga ihamiya-usabha-turaganaramagara-vihagavalaga-kinnararuru-sarabhachamara-kumjaravanalaya-paumalaya-bhattichitta khambhuggayavairaveiyaparigayabhirama vijjaharajamalajuyalajamtajuttaviva achchisahassamalaniya ruvagasahassakaliya bhisamana bhibbhisamana chakkhuloyanalesa suhaphasa sassiriyaruva kamchanamanirayanathubhiyaga nanavihapamchavannaghamtapadagaparimamditaggasihara dhavala miriikavacham vinimmuyamti laulloiyamahiya gosisasarasarattachamdanadaddaradinnapamchamgulitala uvachiyavamdanakalasa vamdanaghadasukayatoranapadiduvaradesabhaga asattosattaviulavattavagghariyamalladamakalava pamchavanna-sarasasurabhimukkapupphapumjovayarakalita kalagaru pavarakumdurukka turukka dhuvamaghamaghemtagamdhuddhu-yabhirama sugamdhavaragamdhagamdhiya gamdhavattibhuya achchharaganasamghasamvikinna divvatudiyasaddasampanaiya achchha java padiruva. Tise nam sohammae sabhae tidisim tao dara pannatta, tam jaha–puratthimenam dahinenam uttarenam. Te nam dara patteyampatteyam dodo joyanaim uddham uchchattenam, egam joyanam vikkhambhenam, tavaiyam cheva pavesenam seya varakanagathubhiyaga daravannao java vanamalao. Tesi nam daranam purao patteyampatteyam muhamamdave pannatte te nam muhamamdava addhaterasajoyanaim ayamenam, chhajoyanaim sakkosaim vikkhambhenam, sairegaim do joyanaim uddham uchchattenam, anega-khambhasayasamnivittha java ulloya bhumibhagavannao. Tesi nam muhamamdavanam uvarim patteyampatteyam atthatthamamgalaga jhaya chhattaichhatta. Tesi nam muhamamdavanam purao patteyampatteyam pechchhagharamamdave pannatte te nam pechchhagharamamdava addhaterasajoyanaim ayamenam, chha joyanaim sakkosaim vikkhambhenam, sairegaim do joyanaim uddham uchchattenam java maninam phaso. Tesi nam bahumajjhadesabhae patteyampatteyam vairamae akkhadage pannatte. Tesi nam vairamayanam akkhadaganam bahumajjhadesabhae patteyampatteyam manipedhiya pannatta. Tao nam manipedhiyao joyanamegam ayamavikkhambhenam, addhajoyanam bahallenam, savvamanimaio achchhao java padiruvao. Tasi nam manipedhiyanam uppim patteyampatteyam sihasane pannatte. Sihasanavannao saparivaro. Tesi nam pechchhagharamamdavanam uppim atthatthamamgalaga jhaya chhattatichhatta. Tesi nam pechchhagharamamdavanam purao patteyampatteyam manipedhiya pannatta. Tao nam manipedhiyao dodo joyanaim ayamavikkhambhenam, joyanam bahallenam, savvamanimaio achchhao java padiruvao. Tasi nam manipedhiyanam uppim patteyampatteyam cheiyathubhe pannatte. Te nam cheiyathubha do joyanaim ayamavikkhambhenam, satiregaim jo joyanaim uddham uchchattenam, seya samkhamkakumdadagarayaamayamahiya-phenupumjasannikasa savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesi nam cheiyathubhanam uppim atthatthamamgalaga bahukinhachamarajhaya chhattatichhatta. Tesi nam chetiyathubhanam patteyampatteyam chauddisim chattari manipedhiyao pannattao. Tao nam manipedhiyao joyanam ayamavikkhambhenam, addhajoyanam bahallenam, savvamanimaio achchhao java padiruvao. Tasi nam manipedhiyanam uppim patteyampatteyam chattari jinapadimao jinussehapamanamettao paliyamkanisannao thubhabhimuhio chitthamti, tam jaha–usabha vaddhamana chamdanana varisena. Tesi nam cheiyathubhanam purao patteyampatteyam manipedhiyao pannattao. Tao nam manipedhiyao dodo joyanaim ayamavikkhambhenam, joyanam bahallenam savvamanimaio achchhao java padiruvao. Tasi nam manipedhiyanam uppim patteyampatteyam cheiyarukkhe pannatte, te nam cheiyarukkha atthajoyanaim uddham uchchattenam, addhajoyanam uvvehenam, do joyanaim khamdhi, addhajoyanam vikkhambhenam, chhajoyanaim vidima, bahumajjhadesabhae atthajoyanaim ayamavikkhambhenam, sairegaim atthajoyanaim savvaggenam pannatta. Tesi nam cheiyarukkhanam ayametaruve vannavase pannatte, tam jaha–vairamayamularayayasupatitthita-vidima ritthamayakamdaveruliyaruilakhamdha sujatavarajataruvapadhamagavisalasala nanamanirayana-vividhasahappasahaveruliyapattatavanijjapattavemta jambunayarattamauyasukumalapavalapallavavaramkuradhara vichittamanirayanasurabhikusumaphalabharanamiyasala sachchhaya sappabha sassiriya saujjoya adhiyam nayanamananivvutikara amayarasasamarasaphala pasadiya darisanijja abhiruva padiruva. Te nam cheiyarukkha annehim bahuhim tilayalavayachhattovagasirisasattivannadahivannaloddhadhavachamdana ajjuna nivakudayakayambapanasatalatamalapiyalapiyamguparavayarayarukkhanamdirukkhehim savvao samamta samparikkhitta. Te nam tilaya java namdirukkha kusavikusavisuddharukkhamula mulamamto kamdamamto java suramma. Te nam tilaya java namdirukkha annahim bahuhim paumalayahim java samalayahim savvato samamta samparikkhitta. Tao nam paumalayao java samalayao nichcham kusumiyao java padiruvao. Tesi nam cheiyarukkhanam uppim atthatthamamgalaga jhaya chhattatichhatta. Tesi nam cheiyarukkhanam purao patteyampatteyam manipedhiya pannatta. Tao nam manipedhiyao joyanam ayamavikkhambhenam, addhajoyanam bahallenam, savvamanimaio achchhao java padiruvao. Tasi nam manipedhiyanam uppim patteyampatteyam mahimdajjhae pannatte. Te nam mahimdajjhaya addhatthamaim joyanaim uddham uchchattenam, addhakosam uvvehenam, addhakosam vikkhambhenam, vairamayavattalatthasamthiyasusilittha-parighatthamatthasupatitthita visittha anegavarapamchavannakudabhisahassaparimamdiyabhirama vauddhuyavijaya-vejayamtipadagachhattatichhattakaliya tumga gaganatalamanulihamtasihara pasadiya darisanijja abhiruva padiruva. Tesi nam mahimdajjhayanam uppim atthatthamamgalaga jhaya chhattatichhatta. Tesi nam mahimdajjhayanam purao patteyampatteyam namda pukkharini pannatta. Tao nam pukkharinio addhaterasajoyanaim ayamenam chha joyanaim sakkosaim vikkhambhenam, dasajoyanaim uvvehenam, achchhao sanhao pukkharinivannao, patteyampatteyam paumavaraveiyaparikkhittao patteyampatteyam vanasamda-parikkhittao vannao. Tasi nam namdanam pukkharininam tidisim tisovanapadiruvaga pannatta. Tesi nam tisovana-padiruvaganam vannao, torana bhaniyavva java chhattatichchhatta. Sabhae nam suhammae chha manoguliyasahassio pannattao, tam jaha–puratthimenam do sahassio, pachchatthimenam do sahassio, dahinenam ega sahassi, uttarenam ega sahassi. Tasu nam manoguliyasu bahave suvannaruppamaya phalaga pannatta. Tesu nam suvannaruppamaesu phalagesu bahave vairamaya nagadamtaga pannatta. Tesu nam vairamaesu nagadamtaesu bahave kinhasuttabaddha vaggharitamalladamakalava java sukkilasuttabaddha vaggharitamalladamakalava. Te nam dama tavanijjalambusaga java chitthamti. Sabhae nam suhammae chha gomanasisahassio pannattao, tam jaha–puratthimenam do sahassio, evam pachchatthimenavi dahinenam sahassam evam uttarenavi. Tasu nam gomanasisu bahave suvannaruppamaya phalaga pannatta. Tesu nam suvannaruppamaesu phalagesu bahave vairamaya nagadamtaga pannatta. Tesu nam vairamaesu nagadamtaesu bahave rayayamaya sikkaya pannatta. Tesu nam rayayamaesu sikkaesu bahave veruliyamaio dhuvaghadiyao pannattao. Tao nam dhuvaghadiyao kalagaru pavarakumdurukka turukka dhuvamaghamaghemtagamdhuddhuyabhiramao java ghanamananivvuikarenam gamdhenam te paese savvato samamta apuremanioapuremanio sirie ativaativa uvasobhemaniouvasobhemanio chitthamti. Sabhae nam sudhammae amto bahusamaramanijje bhumibhage pannatte java maninam phaso ulloe paumalayabhattichitte java savvatavanijjamae achchhe java padiruve. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usa mula prasadavatamsaka ke uttara – purva mem vijayadeva ki sudharma sabha hai jo sarhe baraha yojana lambi, chhaha yojana aura eka kosa ki chauri tatha nau yojana ki umchi hai. Vaha saikarom khambhom para sthita hai, darshakom ki najarom mem charhi hui aura bhalibhamti banai hui usaki vajravedika hai, shreshtha torana para rati paida karane vali shalabhamjikayem haim, susambaddha, pradhana aura manojnya akriti vale prashasta vaiduryaratna ke nirmala usake stambha haim, usaka bhumibhaga nana prakara ke mani, kanaka aura ratnom se khachita hai, nirmala hai, samatala hai, suvibhakta, nibida aura ramaniya hai. Ihamriga, baila, ghora, manushya, magara, pakshi, sarpa, kinnara, ruru, sarabha, chamara, hathi, vanalata, padmalata, adi ke chitra usa sabha mem bane hue haim. Usake stambhom para vajra ki vedika bani hui hone se vaha bahuta sundara lagati hai. Samashreni ke vidyadharom ke yugalom ke yamtrom ke prabhava se yaha sada hajarom kiranom se prabhasita ho rahi haim yavat shobhayukta hai. Usake stupa ka agrabhaga sone se, maniyom se aura ratnom se bana hua hai, usake shikhara ka agrabhaga nana prakara ke pamcha varnom ki ghamtaom aura patakaom se parimamdita hai, vaha sabha shvetavarna ki hai, vaha kiranom ke samuha ko chhorati hui pratita hoti hai, vaha lipi hui aura puti hui hai, goshirsha chandana aura sarasa lala chandana se bare bare hatha ke chhape lagaye hue haim, usamem chandanakalasha sthapita kiye hue haim, usake dvarabhaga para chandana ke kalashom se torana sushobhita kiye gaye haim, upara se lekara niche taka vistrita, golakara aura latakati hui pushpamalaom se vaha yukta haim, pamcha varna ke sarasa – sugamdhita phulom ke pumja se vaha sushobhita hai, kala agara, shreshtha kunduruka aura turushka ke dhupa ki gamdha se vaha mahaka rahi hai, sugandha ki gutika ke samana sugandha phaila rahi hai. Vaha sudharma sabha apsaraom ke samudayom se vyapta hai, divya vadyom ke shabdom se vaha ninadita ho rahi hai. Vaha suramya hai, sarvaratnamayi hai, svachchha hai, yavat pratirupa hai. Usa sudharmasabha ki tina dishaom mem tina dvara haim. Ve pratyeka dvara do – do yojana ke umche, eka yojana vistara vale aura itane hi pravesha vale haim. Una dvarom ke age mukhamamdapa hai. Ve mukhamandapa sarhe baraha yojana lambe, chhaha yojana aura eka kosa chaure, kuchha adhika do yojana umche, aneka saikarom khambhom para sthita haim. Una mukhamandapom ke upara pratyeka para atha – atha mamgala – svastika yavat darpana haim. Una mukhamandapom ke age alaga – alaga prekshaghara – mandapa haim. Ve prekshagharamandapa sarhe baraha yojana lambe, chhaha yojana eka kosa chaure aura kuchha adhika do yojana umche haim. Unake thika madhyabhaga mem alaga – alaga vajramaya akshapataka haim. Una vajramaya akshapatakom ke bahumadhya bhaga mem alaga – alaga manipithikaem haim. Ve manipithikaem eka yojana lambi – chauri, adha yojana moti haim, sarvamaniyom ki bani hui haim, svachchha haim, yavat pratirupa haim. Una manipithikaom ke upara alaga – alaga simhasana haim. Ityadi purvavat Una prekshagharamandapom ke upara atha – atha mamgala, dhvajaem aura chhatrom para chhatra haim. Una ke age tina dishaom mem tina manipithikaem haim. Ve manipithikaem do yojana lambi – chauri aura eka yojana moti hai, sarvamanimaya, svachchha, yavat pratirupa haim. Una manipithikaom ke upara alaga – alaga chaityastupa haim. Ve chaityastupa do yojana lambe – chaure aura kuchha adhika do yojana umche haim. Ve shamkha, amkaratna, kumda, dagaraja, kshirodadhi ke mathita phenapumja ke samana sapheda haim, sarvaratnamaya haim, svachchha haim yavat pratirupa haim. Una chaityastupom ke upara atha – atha mamgala, bahuta – si krishnachamara se amkita dhvajaem adi aura chhatratichhatra haim. Una chaityastupom ke charom dishaom mem alaga – alaga chara manipithikaem haim. Ve eka yojana lambi – chauri aura adha yojana moti sarvamanimaya haim. Una ke upara alaga – alaga chara jina (arihamta) pratimaem kahi gai haim jo jinotsedhapramana haim, paryamkasana se baithi hui haim, unaka mukha stupa ki ora hai. Ina arihamta ke nama haim – rishabha, varddhamana, chandranana aura varishena. Una chaityastupom ke age tina dishaom mem alaga – alaga manipithikaem haim. Ve manipithikaem do – do yojana ki lambi – chauri aura eka yojana moti hai, sarvamanimaya haim, svachchha haim, mridu pudgalom se nirmita haim, chikani haim, ghrishta haim, mrishta haim, pamkarahita, rajarahita yavat pratirupa haim. Una manipithikaom ke upara alaga – alaga chaityavriksha haim. Ve atha yojana umche haim, adha yojana jamina mem haim, do yojana umcha unaka skandha haim, adha yojana usa skandha ka vistara hai, madhyabhaga mem urdhva vinirgata shakha chhaha yojana umchi haim, usa vidima ka vistara ardhayojana ka hai, saba milakara ve chaityavriksha atha yojana se kuchha adhika umche haim. Unake mula vajraratna ke haim, urdhva vinirgata shakhaem rajata ki haim aura supratishthita haim, kanda rishtaratnamaya haim, skamdha vaiduryaratna ka hai aura ruchira hai, mulabhuta vishala shakhaem shuddha aura shreshtha svarna ki haim, vividha shakha – prashakhaem nana maniratnom ki haim, patte vaiduryaratna ke haim, pattom ke vrinta tapaniya svarna ke haim. Jambunada jati ke svarna ke samana lala, mridu, sukumara pravala aura pallava tatha amkurom ko dharana karane vale haim, una chaityavrikshom ki shakhaem vichitra maniratnom ke sugandhita phula aura phalom ke bhara se jhuki hui haim. Ve chaityavriksha sundara chhaya vale, sunda kanti vale, kiranom se yukta aura udyota karane vale haim. Amritarasa ke samana unake phalom ka rasa hai. Ve netra aura mana ko atyanta tripti denevale haim, prasadiya haim, darshaniya haim, abhirupa haim aura pratirupa haim. Ve chaityavriksha anya bahuta se tilaka, lavamga, chhatropaga, shirisha, saptaparna, dadhiparna, loghra, dhava, chandana, nipa, kutaja, kadamba, panasa, tala, tamala, priyala, priyamgu, parapata, rajavriksha aura nandivrikshom se saba ora se ghire hue haim. Ve tilakavriksha yavat nandivriksha anya bahuta – si padmalataom yavat shyamalataom se ghire hue haim. Ve padmatalaem yavat shyamalataem nitya kusumita rahati haim. Yavat ve pratirupa haim. Una chaityavrikshom ke upara bahuta se atha – atha mamgala, dhvajaem aura chhatrom para chhatra haim. Una chaityavrikshom ke age tina dishaom mem tina manipithikaem haim. Ve eka – eka yojana lambi – chauri aura adhe yojana moti haim. Ve sarvamanimaya haim, svachchha haim, yavat pratirupa haim. Una manipithikaom para alaga – alaga mahendradhvaja haim jo sarhesata yojana umche, adha kosa umde, adha kosa vistaravale, vajramaya, gola, sundara akaravale, susambaddha, ghrishta, mrishta aura susthira haim, aneka shreshtha pamcha varnom ki laghupatakaom se parimandita hone se sundara haim, vayu se urati hui vijaya suchaka vaijayanti patakaom se yukta haim, chhatrom para chhatra se yukta haim, umchi haim, unake shikhara akasha ko lamgha rahe haim, ve prasadiya yavat pratirupa haim. Una mahendradhvajom upara atha – atha mamgala haim, dhvajaem haim aura chhatratichhatra haim. Una mahendradhvajom ke age tina dishaom mem tina nanda pushkariniyam haim. Ve sarhe baraha yojana lambi haim, chhaha sava yojana ki chauri haim, dasa yojana umdi haim, svachchha haim, shlakshna haim ityadi ve padmavaravedika aura vanakhanda se ghiri hui haim. Yavat ve pushkariniyam darshaniya yavat pratirupa haim. Una pushkariniyom ki tina dishaom mem alaga – alaga trisopanapratirupaka haim. Toranom ka varnana yavat chhatrom para chhatra haim. Usa sudharmasabha mem chhaha hajara manogulikaem haim, yatha – purva mem do hajara, pashchima mem do hajara, dakshina mem eka hajara aura uttara mem eka hajara. Una manogulikaom mem bahuta se sone chamdi ke phalaka haim. Una sone – chamdi ke phalakom mem bahuta se vajramaya nagadamtaka haim. Una vajramaya nagadantakom mem bahuta – si kale sutra mem yavat sapheda dore mem piroi hui gola aura latakati hui pushpamalaom ke samudaya haim. Ve pushpamalaem sone ke lambusaka vali haim yavat saba dishaom ko sugandha se bharati hui sthita haim. Usa sudharmasabha mem chhaha hajara gomanasiyam haim, yatha – purva mem do hajara, pashchima mem do hajara, dakshina mem eka hajara aura uttara mem eka hajara. Una gomanasiyom mem bahuta – se sone – chamdi ke phalaka haim, una phalakom mem bahuta se vajramaya nagadantaka haim, una vajramaya nagadantakom mem bahuta se chamdi ke simke haim. Una rajatamaya simkom mem bahuta – si vaidurya ratna ki dhupaghatikaem haim. Ve dhupaghatikaem kale agara, shreshtha kumdurukka aura lobhana ke dhupa ki naka aura mana ko tripti denevali sugandha se asapasa ke kshetra ko bharati hui sthita haim. Usa sudharmasabha mem bahusamaramaniya bhumibhaga hai. Yavat vaha bhumibhaga tapaniya svarna ka hai, svachchha hai aura pratirupa hai. |