Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005974 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | द्वीप समुद्र | Translated Section : | द्वीप समुद्र |
Sutra Number : | 174 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] विजयाए णं रायहाणीए चउद्दिसि पंचपंच जोयणसताइं अबाहाए, एत्थ णं चत्तारि वनसंडा पन्नत्ता, तं जहा–असोगवने सत्तिवण्णवने चंपगवने चूतवने। [गाथा] पुव्वेण असोगवनं, दाहिणतो होइ सत्तिवण्णवनं । अवरेणं चंपगवनं, चूयवनं उत्तरे पासे ॥ ते णं वनसंडा साइरेगाइं दुवालस जोयणसहस्साइं आयामेणं, पंच जोयणसयाइं विक्खंभेणं पन्नत्ता–पत्तेयंपत्तेयं पागारपरिक्खित्ता किण्हा किण्होभासा वनसंडवण्णओ भाणियव्वो जाव बहवे वाणमंतरा देवा य देवीओ य आसयंति सयंति चिट्ठंति णिसीदंति तुयट्टंति रमंति ललंति कीलंति मोहंति पुरापोराणाणं सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कम्माणं कडाणं कल्लाणाणं कल्लाणं फलवित्तिविसेसं पच्चणुभवमाणा विहरंति। तेसि णं वनसंडाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयंपत्तेयं पासायवडेंसगा पन्नत्ता। ते णं पासाय-वडेंसगा बावट्ठिं जोयणाइं अद्धजोयणं च उड्ढं उच्चत्तेणं, एक्कतीसं जोयणाइं कोसं च आयाम-विक्खंभेणं, अब्भुग्गतमूसियपहसिया विव तहेव जाव अंतो बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा पन्नत्ता, उल्लोया पउमलयाभत्तिचित्ता भाणियव्वा। तेसि णं पासायवडेंसगाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयंपत्तेयं सीहासना पन्नत्ता वण्णावासो सपरिवारा। तेसि णं पासायवडेंसगाणं उप्पिं बहवे अट्ठट्टमंगलगा झया छत्तातिछत्ता। तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्ढीया जाव पलिओवमट्ठितीया परिवसंति, तं जहा–असोए सत्तिवण्णे चंपए चूते। ते णं तत्थ साणंसाणं वनसंडाणं, साणंसाणं पासायवडेंसयाणं, साणंसाणं सामाणियाणं, साणंसाणं अग्गमहिसीणं, साणंसाणं परिसाणं, साणंसाणं आयरक्खदेवाणं आहेवच्चं जाव विहरति। विजयाए णं रायहाणीए अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते जाव पंचवण्णेहिं मणीहिं उवसोभिए तणसद्दविहूणे जाव देवा य देवीओ य आसयंति जाव विहरंति। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं एगे महं उवगारिया-लयणे पन्नत्ते–बारस जोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसहस्साइं सत्त य पंचाणउते जोयणसते किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं, अद्धकोसं बाहल्लेणं, सव्वजंबूणयामए अच्छे जाव पडिरूवे। से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वनसंडेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते। पउमवरवेइयाए वण्णओ, वनसंडवण्णओ जाव विहरंति। से णं वनसंडे देसूणाइं दो जोयणाइं चक्कवाल विक्खंभेणं उवगारियालयणसमे परिक्खेवेणं। तस्स णं उवगारियालयणस्स चउद्दिसिं चत्तारि तिसोवानपडिरूवगा पन्नत्ता। वण्णओ तेसि णं तिसोवानपडिरूवगाणं पुरतो पत्तेयंपत्तेयं तोरणा पन्नत्ता। वण्णओ। तस्स णं उवगारियालयणस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते जाव मणीणं फासो। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे मूलपासायवडेंसए पन्नत्ते। से णं मूल पासायवडेंसए बावट्ठिं जोयणाइं अद्धजोयणं च उड्ढं उच्चत्तेणं, एक्कतीसं जोयणाइं कोसं च आयामविक्खंभेणं, अब्भुग्गयमूसियप्पहसिते तहेव। तस्स णं मूल पासायवडेंसगस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते जाव मणिफासे उल्लोए। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे, एत्थ णं महं एगा मणिपेढिया पन्नत्ता। सा च एगं जोयणमायामविक्खंभेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा। तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं महं एगे सीहासने पन्नत्ते। एवं सीहासनवण्णओ सपरिवारो। तस्स णं पासायवडेंसगस्स उप्पिं बहवे अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता। से णं मूल पासायवडेंसए अन्नेहिं चउहिं तदद्धुच्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं पासायवडेंसएहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते। ते णं पासायवडेंसगा एक्कतीसं जोयणाइं कोसं च उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्धसोलसजोयणाइं अद्धकोसं च आयामविक्खंभेणं, अब्भुग्गतमूसियपहसिया विव तहेव। तेसि णं पासायवडेंसयाणं अंतो बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा उल्लोया। तेसि णं बहुसमरमणिज्जाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयंपत्तेयं सीहासनं पन्नत्तं, वण्णओ। तेसिं परिवारभूता भद्दासना पन्नत्ता। तेसि णं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता। ते णं पासायवडेंसगा अन्नेहिं चउहिं तदद्धुच्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं पासायवडेंसएहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता। ते णं पासायवडेंसगा अद्धसोलसजोयणाइं अद्धकोसं च उड्ढं उच्चत्तेणं, देसूणाइं अट्ठ जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, अब्भुग्गयमूसियपहसिया विव तहेव। तेसि णं पासायवडेंसगाणं अंतो बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा उल्लोया। तेसि णं बहुसमरमणिज्जाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयंपत्तेयं पउमासणा पन्नत्ता। तेसि णं पासायवडेंसगाणं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता। ते णं पासायवडेंसगा अन्नेहिं चउहिं तदद्धुच्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं पासायवडेंसएहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता। ते णं पासायवडेंसका देसूणाइं अट्ठ जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, देसूणाइं चत्तारि जोयणाइं आयामविक्खंभेणं अब्भुग्गतमूसियपहसिया विव भूमिभागा उल्लोया भद्दासणाइं उवरिं मंगलगा झया छत्तातिछत्ता। ते णं पासायवडेंसगा अन्नेहिं चउहिं तदद्धुच्चत्तमाणमेत्तेहिं पासायवडेंसएहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता। ते णं पासायवडेंसगा देसूणाइं चत्तारिचत्तारि जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, देसूणाइं दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसियपहसिया विव भूमिभागा उल्लोया पउमासणाइं उवरिं मंगलगा झया छत्ताइच्छत्ता। | ||
Sutra Meaning : | उस विजया राजधानी की चारों दिशाओं में पाँच – पाँच सौ योजन के अपान्तराल को छोड़ने के बाद चार वनखंड हैं, अशोकवन, सप्तपर्णवन, चम्पकवन और आम्रवन। पूर्व में अशोकवन, दक्षिण में सप्तपर्णवन, पश्चिम में चंपकवन और उत्तर में आम्रवन हैं। वे वनखण्ड कुछ अधिक बारह हजार योजन के लम्बे और पाँच सौ योजन के चौड़े हैं। वे प्रत्येक एक – एक प्राकार से परिवेष्ठित हैं, काले हैं, काले ही प्रतिभासित होते हैं – इत्यादि यावत् वहाँ बहुत से वानव्यंतर देव और देवियाँ स्थित होती हैं, सोती हैं, ठहरती हैं, बैठती हैं, करवट बदलती हैं, रमण करती हैं, लीला करती हैं, क्रीड़ा करती हैं, कामक्रीड़ा करती हैं और अपने पूर्व जन्म में पुराने अच्छे अनुष्ठानों का, सुपरा – क्रान्त तप आदि का और किये हुए शुभ कर्मों का कल्याणकारी फलविपाक का अनुभव करती हुई विचरती हैं। उन वनखण्डों के ठीक मध्यभाग में अलग – अलग प्रासादावतंसक हैं। वे साढ़े बासठ योजन ऊंचे, इकतीस योजन और एक कोस लम्बे – चौड़े हैं। ये चारों तरफ से नीकलती हुई प्रभा से बंधे हुए हों इत्यादि यावत् उनके अन्दर बहुत समतल एवं रमणीय भूमिभाग है, भीतरी छतों पर पद्मलता आदि के विविध चित्र बने हुए हैं। उन प्रासादावतंसकों के ठीक मध्यभाग में अलग अलग सिंहासन हैं। यावत् सपरिवार सिंहासन जानने चाहिए। उन प्रासादावतंसकों के ऊपर बहुत से आठ – आठ मंगलक हैं, ध्वजाएं हैं और छत्रों पर छत्र हैं। वहाँ चार देव रहते हैं जो महर्द्धिक यावत् पल्योपम की स्थितिवाले हैं, अशोक, सप्तपर्ण, चंपक और आम्र। वे अपने – अपने वनखंड का, अपने – अपने प्रासादावतंसक का, अपने – अपने सामानिक देवों का, अपनी – अपनी अग्रमहिषियों का, अपनी – अपनी पर्षदा का और अपने – अपने आत्मरक्षक देवों का आधिपत्य करते हुए यावत् विचरते हैं। विजय राजधानी के अन्दर बहुसमरमणीय भूमिभाग है यावत् वह पाँच वर्णों की मणियों से शोभित है। तृण – शब्दरहित मणियों का स्पर्श यावत् देव – देवियाँ वहाँ उठती – बैठती हैं यावत् पुराने कर्मों का फल भोगती हुई विचरती हैं। उस बहुसमरमणीय भूमिभाग के मध्य में एक बड़ा उपकारिकालयन है जो बारह सौ योजन का लम्बा – चौड़ा और तीन हजार सात सौ पिचानवे योजन से कुछ अधिक की उसकी परिधि है। आधा कोस की उसकी मोटाई हे। वह पूर्णतया स्वर्ण का है, स्वच्छ है यावत् प्रतिरूप है। वह उपकारिकालयन एक पद्मवरवेदिका और एक वनखंड से चारों ओर से परिवेष्ठित है। यावत् वहाँ वानव्यन्तर देव – देवियाँ कल्याणकारी पुण्यफलों का अनुभव करती हुई विचरती हैं। वह वनखण्ड कुछ कम दो योजन चक्रवाल विष्कम्भ वाला और उपकारिकालयन के परिक्षेप के तुल्य परिक्षेपवाला है। उस उपकारिकालयन के चारों दिशाओं में चार त्रिसोपानप्रतिरूपक हैं। उन त्रिसोपानप्रतिरूपकों के आगे अलग – अलग तोरण कहे गये हैं यावत् छत्रों पर छत्र हैं। उस उपकारिकालयन के ऊपर बहुसमरमणीय भूमिभाग है यावत् वह मणियों से उपशोभित है। उस बहु – समरमणीय भूमिभाग के ठीक मध्य में एक बड़ा मूल प्रासादावतंसक है। वह साढ़े बासठ योजन का ऊंचा और इकतीस योजन एक कोस की लंबाई – चौड़ाई वाला है। वह सब ओर से नीकलती हुई प्रभाकिरणों से हँसता हुआ – सा लगता है आदि। उस प्रासादावतंसक के अन्दर बहुसमरमणीय भूमिभाग कहा है यावत् मणियों का स्पर्श और भीतों पर विविध चित्र हैं। उस के ठीक मध्यभाग में एक बड़ी मणिपीठिका है। वह एक योजन की लम्बी – चौड़ी और आधा योजन की मोटाई वाली है। वह सर्वमणिमय, स्वच्छ और मृदु है। उसके ऊपर एक बड़ा सिंहासन है। उस प्रासादावतंसक के ऊपर बहुत से आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं और छत्रातिछत्र हैं। वे अन्य उनसे आधी ऊंचाई वाले चार प्रासादावतंसकों से सब ओर से घिरे हुए हैं। वे इकतीस योजन एक कोस की ऊंचाई वाले साढ़े पन्द्रह योजन और आधा कोस के लम्बे – चौड़े, किरणों से युक्त हैं। उन के अन्दर बहुसमरमणीय भूमिभाग यावत् चित्रित भीतरी छत है। उन बहुसमरमणीय भूमिभाग के बहुमध्यदेशभाग में प्रत्येक में अलग – अलग सिंहासन हैं। उन सिंहासनों के परिवार के तुल्य वहाँ भद्रासन हैं। इन प्रासादावतंसकों के ऊपर आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं और छत्रातिछत्र हैं। वे प्रासादावतंसक उनसे आधी ऊंचाई वाले अन्य चार प्रासादावतंसकों से सब ओर से वेष्ठित हैं। वे प्रासादावतंसक साढ़े पन्द्रह योजन और आधे कोस के ऊंचे और कुछ कम आठ योजन की लम्बाई – चौड़ाई वाले हैं, किरणों से युक्त आदि पूर्ववत् वर्णन जानना चाहिए। उनके अन्दर बहुसमरमणीय भूमिभाग हैं और चित्रित छतों के भीतरी भाग हैं। उन बहुसमरमणीय भूमिभाग के ठीक मध्य में अलग – अलग पद्मासन हैं। उन प्रासादावतंसकों के ऊपर आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं और छत्रातिछत्र हैं। वे प्रासादावतंसक उनसे आधी ऊंचाई वाले अन्य चार प्रासा – दावतंसकों से सब ओर से घिरे हुए हैं। वे कुछ कम आठ योजन की ऊंचाई वाले और कुछ कम चार योजन की लम्बाई – चौड़ाई वाले हैं, किरणों से व्याप्त हैं। उन प्रासादावतंसकों पर आठ – आठ मंगल, ध्वजा और छत्रातिछत्र हैं। वे प्रासादावतंसक उनसे आधी ऊंचाई वाले अन्य चार प्रासादावतंसकों से चारों ओर से घिरे हुए हैं। वे कुछ कम चार योजन के ऊंचे और कुछ कम दो योजन के लम्बे – चौड़े हैं, उन के अन्दर भूमिभाग, उल्लोक, और पद्मासनादि कहना। उन के ऊपर आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं और छत्रातिछत्र हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] vijayae nam rayahanie chauddisi pamchapamcha joyanasataim abahae, ettha nam chattari vanasamda pannatta, tam jaha–asogavane sattivannavane champagavane chutavane. [gatha] puvvena asogavanam, dahinato hoi sattivannavanam. Avarenam champagavanam, chuyavanam uttare pase. Te nam vanasamda sairegaim duvalasa joyanasahassaim ayamenam, pamcha joyanasayaim vikkhambhenam pannatta–patteyampatteyam pagaraparikkhitta kinha kinhobhasa vanasamdavannao bhaniyavvo java bahave vanamamtara deva ya devio ya asayamti sayamti chitthamti nisidamti tuyattamti ramamti lalamti kilamti mohamti puraporananam suchinnanam suparakkamtanam subhanam kammanam kadanam kallananam kallanam phalavittivisesam pachchanubhavamana viharamti. Tesi nam vanasamdanam bahumajjhadesabhae patteyampatteyam pasayavademsaga pannatta. Te nam pasaya-vademsaga bavatthim joyanaim addhajoyanam cha uddham uchchattenam, ekkatisam joyanaim kosam cha ayama-vikkhambhenam, abbhuggatamusiyapahasiya viva taheva java amto bahusamaramanijja bhumibhaga pannatta, ulloya paumalayabhattichitta bhaniyavva. Tesi nam pasayavademsaganam bahumajjhadesabhae patteyampatteyam sihasana pannatta vannavaso saparivara. Tesi nam pasayavademsaganam uppim bahave atthattamamgalaga jhaya chhattatichhatta. Tattha nam chattari deva mahiddhiya java paliovamatthitiya parivasamti, tam jaha–asoe sattivanne champae chute. Te nam tattha sanamsanam vanasamdanam, sanamsanam pasayavademsayanam, sanamsanam samaniyanam, sanamsanam aggamahisinam, sanamsanam parisanam, sanamsanam ayarakkhadevanam ahevachcham java viharati. Vijayae nam rayahanie amto bahusamaramanijje bhumibhage pannatte java pamchavannehim manihim uvasobhie tanasaddavihune java deva ya devio ya asayamti java viharamti. Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhae, ettha nam ege maham uvagariya-layane pannatte–barasa joyanasayaim ayamavikkhambhenam, tinni joyanasahassaim satta ya pamchanaute joyanasate kimchi visesahie parikkhevenam, addhakosam bahallenam, savvajambunayamae achchhe java padiruve. Se nam egae paumavaraveiyae egena ya vanasamdenam savvato samamta samparikkhitte. Paumavaraveiyae vannao, vanasamdavannao java viharamti. Se nam vanasamde desunaim do joyanaim chakkavala vikkhambhenam uvagariyalayanasame parikkhevenam. Tassa nam uvagariyalayanassa chauddisim chattari tisovanapadiruvaga pannatta. Vannao tesi nam tisovanapadiruvaganam purato patteyampatteyam torana pannatta. Vannao. Tassa nam uvagariyalayanassa uppim bahusamaramanijje bhumibhage pannatte java maninam phaso. Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege mulapasayavademsae pannatte. Se nam mula pasayavademsae bavatthim joyanaim addhajoyanam cha uddham uchchattenam, ekkatisam joyanaim kosam cha ayamavikkhambhenam, abbhuggayamusiyappahasite taheva. Tassa nam mula pasayavademsagassa amto bahusamaramanijje bhumibhage pannatte java maniphase ulloe. Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhage, ettha nam maham ega manipedhiya pannatta. Sa cha egam joyanamayamavikkhambhenam, addhajoyanam bahallenam savvamanimai achchha java padiruva. Tise nam manipedhiyae uvarim maham ege sihasane pannatte. Evam sihasanavannao saparivaro. Tassa nam pasayavademsagassa uppim bahave atthatthamamgalaga jhaya chhattatichhatta. Se nam mula pasayavademsae annehim chauhim tadaddhuchchattappamanamettehim pasayavademsaehim savvato samamta samparikkhitte. Te nam pasayavademsaga ekkatisam joyanaim kosam cha uddham uchchattenam, addhasolasajoyanaim addhakosam cha ayamavikkhambhenam, abbhuggatamusiyapahasiya viva taheva. Tesi nam pasayavademsayanam amto bahusamaramanijja bhumibhaga ulloya. Tesi nam bahusamaramanijjanam bhumibhaganam bahumajjhadesabhae patteyampatteyam sihasanam pannattam, vannao. Tesim parivarabhuta bhaddasana pannatta. Tesi nam atthatthamamgalaga jhaya chhattatichhatta. Te nam pasayavademsaga annehim chauhim tadaddhuchchattappamanamettehim pasayavademsaehim savvato samamta samparikkhitta. Te nam pasayavademsaga addhasolasajoyanaim addhakosam cha uddham uchchattenam, desunaim attha joyanaim ayamavikkhambhenam, abbhuggayamusiyapahasiya viva taheva. Tesi nam pasayavademsaganam amto bahusamaramanijja bhumibhaga ulloya. Tesi nam bahusamaramanijjanam bhumibhaganam bahumajjhadesabhae patteyampatteyam paumasana pannatta. Tesi nam pasayavademsaganam atthatthamamgalaga jhaya chhattatichhatta. Te nam pasayavademsaga annehim chauhim tadaddhuchchattappamanamettehim pasayavademsaehim savvato samamta samparikkhitta. Te nam pasayavademsaka desunaim attha joyanaim uddham uchchattenam, desunaim chattari joyanaim ayamavikkhambhenam abbhuggatamusiyapahasiya viva bhumibhaga ulloya bhaddasanaim uvarim mamgalaga jhaya chhattatichhatta. Te nam pasayavademsaga annehim chauhim tadaddhuchchattamanamettehim pasayavademsaehim savvato samamta samparikkhitta. Te nam pasayavademsaga desunaim chattarichattari joyanaim uddham uchchattenam, desunaim do joyanaim ayamavikkhambhenam abbhuggayamusiyapahasiya viva bhumibhaga ulloya paumasanaim uvarim mamgalaga jhaya chhattaichchhatta. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usa vijaya rajadhani ki charom dishaom mem pamcha – pamcha sau yojana ke apantarala ko chhorane ke bada chara vanakhamda haim, ashokavana, saptaparnavana, champakavana aura amravana. Purva mem ashokavana, dakshina mem saptaparnavana, pashchima mem champakavana aura uttara mem amravana haim. Ve vanakhanda kuchha adhika baraha hajara yojana ke lambe aura pamcha sau yojana ke chaure haim. Ve pratyeka eka – eka prakara se pariveshthita haim, kale haim, kale hi pratibhasita hote haim – ityadi yavat vaham bahuta se vanavyamtara deva aura deviyam sthita hoti haim, soti haim, thaharati haim, baithati haim, karavata badalati haim, ramana karati haim, lila karati haim, krira karati haim, kamakrira karati haim aura apane purva janma mem purane achchhe anushthanom ka, supara – kranta tapa adi ka aura kiye hue shubha karmom ka kalyanakari phalavipaka ka anubhava karati hui vicharati haim. Una vanakhandom ke thika madhyabhaga mem alaga – alaga prasadavatamsaka haim. Ve sarhe basatha yojana umche, ikatisa yojana aura eka kosa lambe – chaure haim. Ye charom tarapha se nikalati hui prabha se bamdhe hue hom ityadi yavat unake andara bahuta samatala evam ramaniya bhumibhaga hai, bhitari chhatom para padmalata adi ke vividha chitra bane hue haim. Una prasadavatamsakom ke thika madhyabhaga mem alaga alaga simhasana haim. Yavat saparivara simhasana janane chahie. Una prasadavatamsakom ke upara bahuta se atha – atha mamgalaka haim, dhvajaem haim aura chhatrom para chhatra haim. Vaham chara deva rahate haim jo maharddhika yavat palyopama ki sthitivale haim, ashoka, saptaparna, champaka aura amra. Ve apane – apane vanakhamda ka, apane – apane prasadavatamsaka ka, apane – apane samanika devom ka, apani – apani agramahishiyom ka, apani – apani parshada ka aura apane – apane atmarakshaka devom ka adhipatya karate hue yavat vicharate haim. Vijaya rajadhani ke andara bahusamaramaniya bhumibhaga hai yavat vaha pamcha varnom ki maniyom se shobhita hai. Trina – shabdarahita maniyom ka sparsha yavat deva – deviyam vaham uthati – baithati haim yavat purane karmom ka phala bhogati hui vicharati haim. Usa bahusamaramaniya bhumibhaga ke madhya mem eka bara upakarikalayana hai jo baraha sau yojana ka lamba – chaura aura tina hajara sata sau pichanave yojana se kuchha adhika ki usaki paridhi hai. Adha kosa ki usaki motai he. Vaha purnataya svarna ka hai, svachchha hai yavat pratirupa hai. Vaha upakarikalayana eka padmavaravedika aura eka vanakhamda se charom ora se pariveshthita hai. Yavat vaham vanavyantara deva – deviyam kalyanakari punyaphalom ka anubhava karati hui vicharati haim. Vaha vanakhanda kuchha kama do yojana chakravala vishkambha vala aura upakarikalayana ke parikshepa ke tulya parikshepavala hai. Usa upakarikalayana ke charom dishaom mem chara trisopanapratirupaka haim. Una trisopanapratirupakom ke age alaga – alaga torana kahe gaye haim yavat chhatrom para chhatra haim. Usa upakarikalayana ke upara bahusamaramaniya bhumibhaga hai yavat vaha maniyom se upashobhita hai. Usa bahu – samaramaniya bhumibhaga ke thika madhya mem eka bara mula prasadavatamsaka hai. Vaha sarhe basatha yojana ka umcha aura ikatisa yojana eka kosa ki lambai – chaurai vala hai. Vaha saba ora se nikalati hui prabhakiranom se hamsata hua – sa lagata hai adi. Usa prasadavatamsaka ke andara bahusamaramaniya bhumibhaga kaha hai yavat maniyom ka sparsha aura bhitom para vividha chitra haim. Usa ke thika madhyabhaga mem eka bari manipithika hai. Vaha eka yojana ki lambi – chauri aura adha yojana ki motai vali hai. Vaha sarvamanimaya, svachchha aura mridu hai. Usake upara eka bara simhasana hai. Usa prasadavatamsaka ke upara bahuta se atha – atha mamgala, dhvajaem aura chhatratichhatra haim. Ve anya unase adhi umchai vale chara prasadavatamsakom se saba ora se ghire hue haim. Ve ikatisa yojana eka kosa ki umchai vale sarhe pandraha yojana aura adha kosa ke lambe – chaure, kiranom se yukta haim. Una ke andara bahusamaramaniya bhumibhaga yavat chitrita bhitari chhata hai. Una bahusamaramaniya bhumibhaga ke bahumadhyadeshabhaga mem pratyeka mem alaga – alaga simhasana haim. Una simhasanom ke parivara ke tulya vaham bhadrasana haim. Ina prasadavatamsakom ke upara atha – atha mamgala, dhvajaem aura chhatratichhatra haim. Ve prasadavatamsaka unase adhi umchai vale anya chara prasadavatamsakom se saba ora se veshthita haim. Ve prasadavatamsaka sarhe pandraha yojana aura adhe kosa ke umche aura kuchha kama atha yojana ki lambai – chaurai vale haim, kiranom se yukta adi purvavat varnana janana chahie. Unake andara bahusamaramaniya bhumibhaga haim aura chitrita chhatom ke bhitari bhaga haim. Una bahusamaramaniya bhumibhaga ke thika madhya mem alaga – alaga padmasana haim. Una prasadavatamsakom ke upara atha – atha mamgala, dhvajaem aura chhatratichhatra haim. Ve prasadavatamsaka unase adhi umchai vale anya chara prasa – davatamsakom se saba ora se ghire hue haim. Ve kuchha kama atha yojana ki umchai vale aura kuchha kama chara yojana ki lambai – chaurai vale haim, kiranom se vyapta haim. Una prasadavatamsakom para atha – atha mamgala, dhvaja aura chhatratichhatra haim. Ve prasadavatamsaka unase adhi umchai vale anya chara prasadavatamsakom se charom ora se ghire hue haim. Ve kuchha kama chara yojana ke umche aura kuchha kama do yojana ke lambe – chaure haim, una ke andara bhumibhaga, ulloka, aura padmasanadi kahana. Una ke upara atha – atha mamgala, dhvajaem aura chhatratichhatra haim. |