Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )

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Sr No : 1005973
Scripture Name( English ): Jivajivabhigam Translated Scripture Name : जीवाभिगम उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

Translated Chapter :

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

Section : द्वीप समुद्र Translated Section : द्वीप समुद्र
Sutra Number : 173 Category : Upang-03
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] कहि णं भंते! विजयस्स देवस्स विजया णाम रायहाणी पन्नत्ता? गोयमा! विजयस्स णं दारस्स पुरत्थिमेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे बीतिवतित्ता अन्नंमि जंबुद्दीवे दीवे बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता, एत्थ णं विजयस्स देवस्स विजया नाम रायहाणी पन्नत्ता–बारस जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं, सत्ततीसं जोयणसहस्साइं नव य अडयाले जोयणसए किंचिविसेसाहिया परिक्खेवेणं पन्नत्ता। सा णं एगेणं पागारेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता। से णं पागारे सत्तसीसं जोयणाइं अद्धजोयणं च उड्ढं उच्चत्तेणं, मुले अद्धतेरस जोयणाइं विक्खंभेणं, मज्झे सक्कोसाइं छ जोयणाइं विक्खंभेणं, उप्पिं तिन्नि सद्धकोसाइं जोयणाइं विक्खंभेणं, मूले विच्छिन्ने मज्झे संखित्ते उप्पिं तनुए बाहिं वट्टे अंतो चउरंसे गोपुच्छसंठाणसंठिते सव्वकनगामए अच्छे जाव पडिरूवे। से णं पागारे नानाविहपंचवण्णेहिं कविसीसएहिं उवसोभिए, तं जहा– किण्हेहिं जाव सुक्किलेहिं। ते णं कविसीसका अद्धकोसं आयामेणं, पंचधनुसताइं विक्खंभेणं, देसोणमद्धकोसं उड्ढं उच्चत्तेणं, सव्वमणिमया अच्छा जाव पडिरूवा। विजयाए णं रायहाणीए एगमेगाए बाहाए पणुवीसंपणुवीसं दारसतं भवतीति मक्खायं। ते णं दारा बावट्ठिं जोयणाइं अद्धजोयणं च उड्ढं उच्चत्तेणं, एक्कतीसं जोयणाइं कोसं च विक्खंभेणं, तावतियं चेव पवेसेणं, सेता वरकनगथूभियागा वण्णओ जाव वनमालाओ। तेसि णं दाराणं उभओ पासिं दुहओ निसीहियाए दोदो पगंठगा पन्नत्ता। ते णं पगंठगा एक्कतीसं जोयणाइं कोसं च आयामविक्खंभेणं, पन्नरस जोयणाइं अड्ढाइज्जे य कोसे बाहल्लेणं पन्नत्ता सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं पगंठगाणं उप्पिं पत्तेयंपत्तेयं पासायवडेंसगा पन्नत्ता। ते णं पासायवडेंसगा एक्कतीसं जोयणाइं कोसं च उड्ढं उच्चत्तेणं, पन्नरस जोयणाइं अड्ढाइज्जे य कोसे आयामविक्खंभेणं, अब्भुग्गयमूसितपहसिया विव वण्णओ उल्लोगा सीहासनाइं जाव मुत्तादामा सेसं इमाए गाहाए अनुगंतव्वं, तं जहा– [गाथा] [तोरण मंगलया सालभंजिया नागदंतएसु दामाइं । संघाडं पंति वीधी मिधुण लता सोत्थिया चेव ॥ [गाथा] वंदनकलसा भिंगारगा य आदंसगा य थाला । पातीओ य सुपतिट्ठा मणोगुलिया वातकरगा य ॥ [गाथा] चित्ता रयणकरंडा हयगय णरकंठका य । चंगेरी पडला सीहासन छत्त चामरा उवरि भोमा य ॥] एवामेव सपुव्वावरेणं विजयाए रायहाणीए एगमेगे दारे असीतंअसीतं केउसहस्सं भवतीति मक्खायं। तेसि णं दाराणं पुरओ सत्तरससत्तरस भोमा पन्नत्ता। तेसि णं भोमाणं भूमिभागा उल्लोया य भाणियव्वा तेसि णं भोमाणं बहुमज्झदेसभाए जेते नवमनवमा भोमा, तेसि णं भोमाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयंपत्तेयं सीहासना पन्नत्ता। सीहासनवण्णओ जाव दामा जहा हेट्ठा। एत्थ णं अवसेसेसु भोमेसु पत्तेयंपत्तेयं सीहासना पन्नत्ता। तेसि णं दाराणं उवरिमागारा सोलसविधेहिं रयणेहिं उवसोभिया तं चेव जाव छत्ताइछत्ता। एवामेव पुव्वावरेण विजयाए रायहाणीए पंच दारसता भवंतीति मक्खाया।
Sutra Meaning : हे भगवन्‌ ! विजयदेव की विजया नामक राजधानी कहाँ है ? गौतम ! विजयद्वार के पूर्व में तीरछे असंख्य द्वीप – समुद्रों को पार करने के बाद अन्य जंबूद्वीप में बारह हजार योजन जाने पर है जो बारह हजार योजन की लम्बी – चौड़ी है तथा सैंतीस हजार नौ सौ अड़तालीस योजन से कुछ अधिक परिधि है। वह विजया राजधानी चारों ओर से एक प्राकार से घिरी हुई है। वह प्राकार साढ़े तेंतीस योजन ऊंचा है, उसका विष्कम्भ मूल में साढ़े बारह योजन, मध्य में छह योजन एक कोस और ऊपर तीन योजन आधा कोस है; इस तरह वह मूल में विस्तृत है, मध्य में संक्षिप्त है और ऊपर तनु है। वह बाहर से गोल, अन्दर से चौकोन, गाय की पूँछ के आकार का है। वह सर्व स्वर्णमय है, स्वच्छ है, यावत्‌ प्रतिरूप है। वह प्राकार नाना प्रकार के पाँच वर्णों के कपिशीर्षकों से सुशोभित है, यथा – कृष्ण यावत्‌ सफेद। वे कंगूरे लम्बाई में आधा कोस, चौड़ाई में पाँच सौ धनुष, ऊंचाई में कुछ कम आधा कोस है। सर्व मणिमय हैं, स्वच्छ हैं यावत्‌ प्रतिरूप हैं। विजया राजधानी की एक – एक बाहा में एक सौ पच्चीस, एक सौ पच्चीस द्वार हैं। ये द्वार साढ़े बासठ योजन के ऊंचे हैं, इनकी चौड़ाई इकतीस योजन और एक कोस है और इतना ही इनका प्रवेश है। ये द्वार श्वेत वर्ण के हैं, श्रेष्ठ स्वर्ण की स्तूपिका है, उन पर ईहामृग आदि के चित्र बने हैं यावत्‌ उनके प्रस्तर में स्वर्णमय बालुका बिछी हुई है। उनका स्पर्श शुभ और सुखद है, वे शोभायुक्त सुन्दर प्रासादीय दर्शनीय अभिरूप और प्रतिरूप हैं। उन द्वारों के दोनों तरफ दोनों नैषेधिकाओं में दो – दो चन्दन – कलश की परिपाटी हैं – इत्यादि। उन द्वारों के दोनों तरफ दोनों नैषेधिकाओं में दो – दो प्रकण्ठक हैं। वे प्रकण्ठक इकतीस योजन और एक कोस लम्बाई – चौड़ाई वाले हैं, उनकी मोटाई पन्द्रह योजन और ढ़ाई कोस है, वे सर्व वज्रमय स्वच्छ यावत्‌ प्रतिरूप हैं। उन प्रकण्ठकों के ऊपर प्रत्येक पर अलग – अलग प्रासादावतंसक हैं। वे इकतीस योजन एक कोस ऊंचे हैं, पन्द्रह योजन ढाई कोस लम्बे – चौड़े हैं। शेष वर्णन विजयद्वार के समान कहना, विशेषता यह है कि वे सब बहुवचन रूप कहना। उस विजया राजधानी के एक – एक द्वार पर १०८ चक्र से चिह्नित ध्वजाएं यावत्‌ १०८ श्वेत और चार दाँत वाले हाथी से अंकित ध्वजाएं हैं। ये सब आगे – पीछे की ध्वजाएं मिलाकर विजया राजधानी के एक – एक द्वार पर एक हजार अस्सी ध्वजाएं हैं। विजया राजधानी के एक – एक द्वार पर सत्रह भौम हैं। उन भौमों के भूमिभाग और अन्दर की छतें पद्मलता आदि विविध चित्रों से चित्रित हैं। उन भौमों के बहुमध्य भाग में जो नौवें भौम हैं, उनके ठीक मध्यभाग में अलग – अलग सिंहासन हैं। शेष भौमों में अलग – अलग भद्रासन हैं। इस प्रकार सब मिलाकर विजया राजधानी के पाँच सौ द्वार होते हैं। ऐसा कहा है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] kahi nam bhamte! Vijayassa devassa vijaya nama rayahani pannatta? Goyama! Vijayassa nam darassa puratthimenam tiriyamasamkhejje divasamudde bitivatitta annammi jambuddive dive barasa joyanasahassaim ogahitta, ettha nam vijayassa devassa vijaya nama rayahani pannatta–barasa joyanasahassaim ayamavikkhambhenam, sattatisam joyanasahassaim nava ya adayale joyanasae kimchivisesahiya parikkhevenam pannatta. Sa nam egenam pagarenam savvato samamta samparikkhitta. Se nam pagare sattasisam joyanaim addhajoyanam cha uddham uchchattenam, mule addhaterasa joyanaim vikkhambhenam, majjhe sakkosaim chha joyanaim vikkhambhenam, uppim tinni saddhakosaim joyanaim vikkhambhenam, mule vichchhinne majjhe samkhitte uppim tanue bahim vatte amto chauramse gopuchchhasamthanasamthite savvakanagamae achchhe java padiruve. Se nam pagare nanavihapamchavannehim kavisisaehim uvasobhie, tam jaha– kinhehim java sukkilehim. Te nam kavisisaka addhakosam ayamenam, pamchadhanusataim vikkhambhenam, desonamaddhakosam uddham uchchattenam, savvamanimaya achchha java padiruva. Vijayae nam rayahanie egamegae bahae panuvisampanuvisam darasatam bhavatiti makkhayam. Te nam dara bavatthim joyanaim addhajoyanam cha uddham uchchattenam, ekkatisam joyanaim kosam cha vikkhambhenam, tavatiyam cheva pavesenam, seta varakanagathubhiyaga vannao java vanamalao. Tesi nam daranam ubhao pasim duhao nisihiyae dodo pagamthaga pannatta. Te nam pagamthaga ekkatisam joyanaim kosam cha ayamavikkhambhenam, pannarasa joyanaim addhaijje ya kose bahallenam pannatta savvavairamaya achchha java padiruva. Tesi nam pagamthaganam uppim patteyampatteyam pasayavademsaga pannatta. Te nam pasayavademsaga ekkatisam joyanaim kosam cha uddham uchchattenam, pannarasa joyanaim addhaijje ya kose ayamavikkhambhenam, abbhuggayamusitapahasiya viva vannao ulloga sihasanaim java muttadama sesam imae gahae anugamtavvam, tam jaha– [gatha] [torana mamgalaya salabhamjiya nagadamtaesu damaim. Samghadam pamti vidhi midhuna lata sotthiya cheva. [gatha] vamdanakalasa bhimgaraga ya adamsaga ya thala. Patio ya supatittha manoguliya vatakaraga ya. [gatha] chitta rayanakaramda hayagaya narakamthaka ya. Chamgeri padala sihasana chhatta chamara uvari bhoma ya.] Evameva sapuvvavarenam vijayae rayahanie egamege dare asitamasitam keusahassam bhavatiti makkhayam. Tesi nam daranam purao sattarasasattarasa bhoma pannatta. Tesi nam bhomanam bhumibhaga ulloya ya bhaniyavva tesi nam bhomanam bahumajjhadesabhae jete navamanavama bhoma, tesi nam bhomanam bahumajjhadesabhae patteyampatteyam sihasana pannatta. Sihasanavannao java dama jaha hettha. Ettha nam avasesesu bhomesu patteyampatteyam sihasana pannatta. Tesi nam daranam uvarimagara solasavidhehim rayanehim uvasobhiya tam cheva java chhattaichhatta. Evameva puvvavarena vijayae rayahanie pamcha darasata bhavamtiti makkhaya.
Sutra Meaning Transliteration : He bhagavan ! Vijayadeva ki vijaya namaka rajadhani kaham hai\? Gautama ! Vijayadvara ke purva mem tirachhe asamkhya dvipa – samudrom ko para karane ke bada anya jambudvipa mem baraha hajara yojana jane para hai jo baraha hajara yojana ki lambi – chauri hai tatha saimtisa hajara nau sau aratalisa yojana se kuchha adhika paridhi hai. Vaha vijaya rajadhani charom ora se eka prakara se ghiri hui hai. Vaha prakara sarhe temtisa yojana umcha hai, usaka vishkambha mula mem sarhe baraha yojana, madhya mem chhaha yojana eka kosa aura upara tina yojana adha kosa hai; isa taraha vaha mula mem vistrita hai, madhya mem samkshipta hai aura upara tanu hai. Vaha bahara se gola, andara se chaukona, gaya ki pumchha ke akara ka hai. Vaha sarva svarnamaya hai, svachchha hai, yavat pratirupa hai. Vaha prakara nana prakara ke pamcha varnom ke kapishirshakom se sushobhita hai, yatha – krishna yavat sapheda. Ve kamgure lambai mem adha kosa, chaurai mem pamcha sau dhanusha, umchai mem kuchha kama adha kosa hai. Sarva manimaya haim, svachchha haim yavat pratirupa haim. Vijaya rajadhani ki eka – eka baha mem eka sau pachchisa, eka sau pachchisa dvara haim. Ye dvara sarhe basatha yojana ke umche haim, inaki chaurai ikatisa yojana aura eka kosa hai aura itana hi inaka pravesha hai. Ye dvara shveta varna ke haim, shreshtha svarna ki stupika hai, una para ihamriga adi ke chitra bane haim yavat unake prastara mem svarnamaya baluka bichhi hui hai. Unaka sparsha shubha aura sukhada hai, ve shobhayukta sundara prasadiya darshaniya abhirupa aura pratirupa haim. Una dvarom ke donom tarapha donom naishedhikaom mem do – do chandana – kalasha ki paripati haim – ityadi. Una dvarom ke donom tarapha donom naishedhikaom mem do – do prakanthaka haim. Ve prakanthaka ikatisa yojana aura eka kosa lambai – chaurai vale haim, unaki motai pandraha yojana aura rhai kosa hai, ve sarva vajramaya svachchha yavat pratirupa haim. Una prakanthakom ke upara pratyeka para alaga – alaga prasadavatamsaka haim. Ve ikatisa yojana eka kosa umche haim, pandraha yojana dhai kosa lambe – chaure haim. Shesha varnana vijayadvara ke samana kahana, visheshata yaha hai ki ve saba bahuvachana rupa kahana. Usa vijaya rajadhani ke eka – eka dvara para 108 chakra se chihnita dhvajaem yavat 108 shveta aura chara damta vale hathi se amkita dhvajaem haim. Ye saba age – pichhe ki dhvajaem milakara vijaya rajadhani ke eka – eka dvara para eka hajara assi dhvajaem haim. Vijaya rajadhani ke eka – eka dvara para satraha bhauma haim. Una bhaumom ke bhumibhaga aura andara ki chhatem padmalata adi vividha chitrom se chitrita haim. Una bhaumom ke bahumadhya bhaga mem jo nauvem bhauma haim, unake thika madhyabhaga mem alaga – alaga simhasana haim. Shesha bhaumom mem alaga – alaga bhadrasana haim. Isa prakara saba milakara vijaya rajadhani ke pamcha sau dvara hote haim. Aisa kaha hai.