Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005977 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | द्वीप समुद्र | Translated Section : | द्वीप समुद्र |
Sutra Number : | 177 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] सभाए णं सुधम्माए उत्तरपुरत्थिमेणं, एत्थ णं महं एगे सिद्धायतने पन्नत्ते–अद्धतेरस जोयणाइं आयामेणं, छ जोयणाइं सकोसाइं विक्खंभेणं, नव जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं जाव गोमानसिया वत्तव्वया जा चेव सहाए सुहम्माए वत्तव्वया सा चेव निरवसेसा भाणियव्वा तहेव दारा मुहमंडवा पेच्छाघरमंडवा झया थूभा चेइयरुक्खा महिंदज्झया नंदाओ पुक्खरिणीओ सुधम्मासरिसप्पमाणं मनगुलिया दामा गोमानसी धूवघडियाओ तहेव भूमिभागे उल्लोए य जाव मणिफासो। तस्स णं सिद्धायतनस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगा मणिपेढिया पन्नत्ता–दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, जोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा। तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं, एत्थ णं महं एगे देवच्छंदए पन्नत्ते–दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, साइरेगाइं दो जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे। तत्थ णं देवच्छंदए अट्ठसतं जिनपडिमाणं जिनुस्सेहप्पमाणमेत्ताणं संणिखित्तं चिट्ठइ। तासि णं जिनपडिमाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा–तवणिज्जमया हत्थतलपायतला, अंकामयाइं नक्खाइं अंतोलोहियक्खपरिसेयाइं, कनगामया पादा, कनगामया गोप्फा, कनगामईओ जंघाओ, कनगामया जानू, कनगामया ऊरू, कनगामईओ गायलट्ठीओ, तवणिज्जमईओ नाभीओ, रिट्ठामईओ रोमराईओ, तवणिज्जमया चूचुया, तवणिज्जमया सिरिवच्छा कनगमईओ बाहाओ, कनगमईओ पासाओ, कनगमईओ गीवाओ, रिट्ठामए मंसू सिलप्पवालमया ओट्ठा, फालियामया दंता तवणिज्जमईओ जीहाओ, तवणिज्जमय तालुया, कनगमईओ नासियाओ, अंतोलोहित-क्खपरिसेयाओ, अंकामयाणि अच्छीणि अंतोलोहितक्खपरिसेयाइं रिट्ठामईओ ताराओ रिट्ठामयाइं अच्छिपत्ताइं, रिट्ठामईओ भमुहाओ, कनगामया कवोला, कनगामया सवणा, कनगामयनिडाल- पट्टियाओ वइरामईओ सीसघडीओ तवणिज्जमईओ केसंतकेसभूमीओ रिट्ठामया उवरिमुद्धजा। तासि णं जिनपडिमाणं पिट्ठओ पत्तेयंपत्तेयं छत्तधारपडिमाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं छत्त-धारपडिमाओ हिमरययकुंदेंदुप्पगासाइं सकोरेंटमल्लदामधवलाइं आतपत्ताइं। सलीलं धारेमा-णीओ धारेमाणीओ चिट्ठंति। तासि णं जिनपडिमाणं उभओ पासिं दोदो चामरधारपडिमाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं चामरधारपडिमाओ चंदप्पहवइरवेरुलियनानामनिरयणखचित्तचित्तदंडाओ सुहुमरयतदीहवालाओ संखं-ककुंद-दगरय-अमतमथित-फेणुपुंज-सन्निकासाओ धवलाओ चामराओ गहाय सलीलं वीजेमाणीओ चिट्ठंति। तासि णं जिनपडिमाणं पुरओ दोदो नागपडिमाओ, दोदो जक्खपडिमाओ, दोदो भूत-पडिमाओ, दोदो कुंडधारपडिमाओ संनिक्खित्ताओ चिट्ठंति– सव्वरयणामईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तत्थ णं देवच्छंदए जिनपडिमाणं पुरओ अट्ठसतं घंटाणं अट्ठसतं वंदनकलसाणं अट्ठसतं भिंगारगाणं एवं–आयंसगाणं थालाणं पातीणं सुपतिट्ठकाणं मनगुलियाणं वातकरगाणं चित्ताणं रयणकरंडगाणं हयकंठगाणं गयकंठगाणं नरकंठगाणं किन्नरकंठगाणं किंपुरिसकंठगाणं महोरग-कंठगाणं गंधव्वकंठगाणं उसभकंठगाणं, पुप्फचंगेरीणं एवं मल्लचुण्णगंधवत्थाभरणचंगेरीणं सिद्धत्थचंगेरीणं लोमहत्थचंगेरीणं पुप्फपडलगाणं जाव लोमहत्थपडलगाणं सीहासनाणं छत्ताणं चामराणं, तेल्लसमुग्गाणं कोट्ठसमुग्गाणं पत्तसमुग्गाणं चोयसमुग्गाणं तगरसमुग्गाणं एलासमुग्गाणं हरियालसमुग्गाणं हिंगुलयसमुग्गाणं मनोसिलासमुग्गाणं अंजनसमुग्गाणं, अट्ठसयं झयाणं, अट्ठसयं धूवकडुच्छुयाणं संनिक्खित्तं चिट्ठंति। तस्स णं सिद्धायतनस्स उप्पिं बहवे अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता। उत्तिगारा सोलसविहेहिं रयणेहिं उवसोणिया तं जहा रयणेहिं जाव रिट्ठेहिं। | ||
Sutra Meaning : | सुधर्मासभा के उत्तरपूर्व में एक विशाल सिद्धायतन (जिनालय) है जो साढ़े बारह योजन का लम्बा, छह योजन एक कोस चौड़ा और नौ योजन ऊंचा है। द्वार, मुखमण्डप, प्रेक्षागृहमण्डप, ध्वजा, स्तूप, माहेन्द्रध्वज, नन्दा पुष्करिणियाँ, मनोगुलिकाओं का प्रमाण, गोमाणसी, धूपघटिकाएं, भूमिभाग, उल्लोक आदि का वर्णन सुधर्मासभा के समान कहना। उन सिद्धायतन के बहुमध्य देशभाग में एक विशाल मणिपीठिका है जो दो योजन लम्बी – चौड़ी, एक योजन मोटी है, सर्व मणियों की बनी हुई है, स्वच्छ है। उस के ऊपर एक विशाल देवच्छंदक है, जो दो योजन का लम्बा – चौड़ा और कुछ अधिक दो योजन का ऊंचा है, सर्वात्मना रत्नमय है और स्वच्छ स्फटिक के समान है। उस देवच्छंदक में जिनोत्सेधप्रमाण एक सौ आठ जिन (अरिहंत) प्रतिमाएं रखी हुई हैं। उन प्रतिमा के हस्ततल तपनीय स्वर्ण के हैं, नख अंकरत्नों के हैं और मध्यभाग लोहिताक्ष रत्नों से युक्त है, पाँव स्वर्ण के हैं, गुल्फ, जंघाए, जानु, ऊरु और गात्रयष्टि कनकमयी हैं, उनकी नाभियाँ तपनीय स्वर्ण की हैं, रोमराजि रिष्टरत्नों की है, चूचुक तपनीय स्वर्ण के हैं, श्रीवत्स तपनीय स्वर्ण के हैं, उनकी भुजाएं, पसलियाँ और ग्रीवा कनकमयी हैं, उनकी मूछें रिष्टरत्न की हैं, होठ विद्रुममय हैं, दाँत स्फटिकरत्न के हैं, तपनीय स्वर्ण की जिह्वाएं हैं, तपनीय स्वर्ण के तालु हैं, कनकमयी नासिका है, मध्यभाग लोहिताक्षरत्नों की ललाई से युक्त है, उनकी आँखें अंकरत्न की हैं और मध्यभाग लोहिताक्ष रत्न की ललाई से युक्त है, दृष्टि पुलकित है, आँखों की तारिका, अक्षिपत्र और भौंहें रिष्टरत्नों की हैं, गाल स्वर्ण के हैं, कान स्वर्ण के हैं, ललाट कनकमय हैं, शीर्ष गोल वज्ररत्न के हैं, केशों की भूमि तपनीय स्वर्ण की हैं और केश रिष्टरत्नों के हैं। उन जिनप्रतिमाओं के पीछे अलग – अलग छत्रधारिणी प्रतिमाएं हैं। वे प्रतिमाएं लीलापूर्वक कोरंट पुष्प की मालाओं से युक्त हिम, रजत, कुन्द और चन्द्र के समान सफेद आतपत्रों को धारण किये हुए खड़ी हैं। उन जिन – प्रतिमाओं के दोनों पार्श्वभाग में अलग – अलग चंवर धारण करनेवाली प्रतिमाएं हैं। वे प्रतिमाएं चन्द्रकान्त मणि, वज्र, वैडूर्य आदि नाना मणिरत्नों व सोने से खचित और निर्मल बहुमूल्य तपनीय स्वर्ण के समान उज्ज्वल और विचित्र दंडों एवं शंख – अंकरत्न – कुंद – जलकण, चाँद एवं क्षीरोदधि को मथने से उत्पन्न फेनपुंज के समान श्वेत, सूक्ष्म और चाँदी के दीर्घ बाल वाले धवल चामरों को लीलापूर्वक धारण करती हुई स्थित हैं। उन जिनप्रतिमाओं के आगे दो – दो नाग प्रतिमाएं, दो – दो यक्ष प्रतिमाएं, दो – दो भूत प्रतिमाएं, दो – दो कुण्डधार प्रतिमाएं हैं। वे सर्वात्मना रत्नमयी हैं, स्वच्छ हैं, मृदु हैं, सूक्ष्म पुद्गलों से निर्मित हैं, घृष्ट – मृष्ट, नीरजस्क, निष्कंप यावत् प्रतिरूप हैं। उन जिन – प्रतिमाओं के आगे १०८ – १०८ घंटा, चन्दनकलश, झारियाँ तथा इसी तरह आदर्शक, स्थाल, पात्रियाँ, सुप्रतिष्ठक, मनोगुलिका, जलशून्य घड़े, चित्र, रत्नकरण्डक, हयकंठक यावत् वृषभकंठक, पुष्पचंगेरियाँ यावत् लोमहस्त – चंगेरियाँ, पुष्पपटलक, तेलसमुद्गक यावत् धूप के कडुच्छुक हैं। उस सिद्धायतन के ऊपर बहुत से आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं और छत्रातिछत्र हैं, जो उत्तम आकार के सोलह रत्न यावत् रिष्टरत्नों से उपशोभित हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] sabhae nam sudhammae uttarapuratthimenam, ettha nam maham ege siddhayatane pannatte–addhaterasa joyanaim ayamenam, chha joyanaim sakosaim vikkhambhenam, nava joyanaim uddham uchchattenam java gomanasiya vattavvaya ja cheva sahae suhammae vattavvaya sa cheva niravasesa bhaniyavva taheva dara muhamamdava pechchhagharamamdava jhaya thubha cheiyarukkha mahimdajjhaya namdao pukkharinio sudhammasarisappamanam managuliya dama gomanasi dhuvaghadiyao taheva bhumibhage ulloe ya java maniphaso. Tassa nam siddhayatanassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ega manipedhiya pannatta–do joyanaim ayamavikkhambhenam, joyanam bahallenam savvamanimai achchha java padiruva. Tise nam manipedhiyae uppim, ettha nam maham ege devachchhamdae pannatte–do joyanaim ayamavikkhambhenam, sairegaim do joyanaim uddham uchchattenam, savvarayanamae achchhe java padiruve. Tattha nam devachchhamdae atthasatam jinapadimanam jinussehappamanamettanam samnikhittam chitthai. Tasi nam jinapadimanam ayameyaruve vannavase pannatte, tam jaha–tavanijjamaya hatthatalapayatala, amkamayaim nakkhaim amtolohiyakkhapariseyaim, kanagamaya pada, kanagamaya goppha, kanagamaio jamghao, kanagamaya janu, kanagamaya uru, kanagamaio gayalatthio, tavanijjamaio nabhio, ritthamaio romaraio, tavanijjamaya chuchuya, tavanijjamaya sirivachchha kanagamaio bahao, kanagamaio pasao, kanagamaio givao, ritthamae mamsu silappavalamaya ottha, phaliyamaya damta tavanijjamaio jihao, tavanijjamaya taluya, kanagamaio nasiyao, amtolohita-kkhapariseyao, amkamayani achchhini amtolohitakkhapariseyaim ritthamaio tarao ritthamayaim achchhipattaim, ritthamaio bhamuhao, kanagamaya kavola, kanagamaya savana, kanagamayanidala- pattiyao vairamaio sisaghadio tavanijjamaio kesamtakesabhumio ritthamaya uvarimuddhaja. Tasi nam jinapadimanam pitthao patteyampatteyam chhattadharapadimao pannattao. Tao nam chhatta-dharapadimao himarayayakumdemduppagasaim sakoremtamalladamadhavalaim atapattaim. Salilam dharema-nio dharemanio chitthamti. Tasi nam jinapadimanam ubhao pasim dodo chamaradharapadimao pannattao. Tao nam chamaradharapadimao chamdappahavairaveruliyananamanirayanakhachittachittadamdao suhumarayatadihavalao samkham-kakumda-dagaraya-amatamathita-phenupumja-sannikasao dhavalao chamarao gahaya salilam vijemanio chitthamti. Tasi nam jinapadimanam purao dodo nagapadimao, dodo jakkhapadimao, dodo bhuta-padimao, dodo kumdadharapadimao samnikkhittao chitthamti– savvarayanamaio achchhao java padiruvao. Tattha nam devachchhamdae jinapadimanam purao atthasatam ghamtanam atthasatam vamdanakalasanam atthasatam bhimgaraganam evam–ayamsaganam thalanam patinam supatitthakanam managuliyanam vatakaraganam chittanam rayanakaramdaganam hayakamthaganam gayakamthaganam narakamthaganam kinnarakamthaganam kimpurisakamthaganam mahoraga-kamthaganam gamdhavvakamthaganam usabhakamthaganam, pupphachamgerinam evam mallachunnagamdhavatthabharanachamgerinam siddhatthachamgerinam lomahatthachamgerinam pupphapadalaganam java lomahatthapadalaganam sihasananam chhattanam chamaranam, tellasamugganam kotthasamugganam pattasamugganam choyasamugganam tagarasamugganam elasamugganam hariyalasamugganam himgulayasamugganam manosilasamugganam amjanasamugganam, atthasayam jhayanam, atthasayam dhuvakaduchchhuyanam samnikkhittam chitthamti. Tassa nam siddhayatanassa uppim bahave atthatthamamgalaga jhaya chhattatichhatta. Uttigara solasavihehim rayanehim uvasoniya tam jaha rayanehim java ritthehim. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Sudharmasabha ke uttarapurva mem eka vishala siddhayatana (jinalaya) hai jo sarhe baraha yojana ka lamba, chhaha yojana eka kosa chaura aura nau yojana umcha hai. Dvara, mukhamandapa, prekshagrihamandapa, dhvaja, stupa, mahendradhvaja, nanda pushkariniyam, manogulikaom ka pramana, gomanasi, dhupaghatikaem, bhumibhaga, ulloka adi ka varnana sudharmasabha ke samana kahana. Una siddhayatana ke bahumadhya deshabhaga mem eka vishala manipithika hai jo do yojana lambi – chauri, eka yojana moti hai, sarva maniyom ki bani hui hai, svachchha hai. Usa ke upara eka vishala devachchhamdaka hai, jo do yojana ka lamba – chaura aura kuchha adhika do yojana ka umcha hai, sarvatmana ratnamaya hai aura svachchha sphatika ke samana hai. Usa devachchhamdaka mem jinotsedhapramana eka sau atha jina (arihamta) pratimaem rakhi hui haim. Una pratima ke hastatala tapaniya svarna ke haim, nakha amkaratnom ke haim aura madhyabhaga lohitaksha ratnom se yukta hai, pamva svarna ke haim, gulpha, jamghae, janu, uru aura gatrayashti kanakamayi haim, unaki nabhiyam tapaniya svarna ki haim, romaraji rishtaratnom ki hai, chuchuka tapaniya svarna ke haim, shrivatsa tapaniya svarna ke haim, unaki bhujaem, pasaliyam aura griva kanakamayi haim, unaki muchhem rishtaratna ki haim, hotha vidrumamaya haim, damta sphatikaratna ke haim, tapaniya svarna ki jihvaem haim, tapaniya svarna ke talu haim, kanakamayi nasika hai, madhyabhaga lohitaksharatnom ki lalai se yukta hai, unaki amkhem amkaratna ki haim aura madhyabhaga lohitaksha ratna ki lalai se yukta hai, drishti pulakita hai, amkhom ki tarika, akshipatra aura bhaumhem rishtaratnom ki haim, gala svarna ke haim, kana svarna ke haim, lalata kanakamaya haim, shirsha gola vajraratna ke haim, keshom ki bhumi tapaniya svarna ki haim aura kesha rishtaratnom ke haim. Una jinapratimaom ke pichhe alaga – alaga chhatradharini pratimaem haim. Ve pratimaem lilapurvaka koramta pushpa ki malaom se yukta hima, rajata, kunda aura chandra ke samana sapheda atapatrom ko dharana kiye hue khari haim. Una jina – pratimaom ke donom parshvabhaga mem alaga – alaga chamvara dharana karanevali pratimaem haim. Ve pratimaem chandrakanta mani, vajra, vaidurya adi nana maniratnom va sone se khachita aura nirmala bahumulya tapaniya svarna ke samana ujjvala aura vichitra damdom evam shamkha – amkaratna – kumda – jalakana, chamda evam kshirodadhi ko mathane se utpanna phenapumja ke samana shveta, sukshma aura chamdi ke dirgha bala vale dhavala chamarom ko lilapurvaka dharana karati hui sthita haim. Una jinapratimaom ke age do – do naga pratimaem, do – do yaksha pratimaem, do – do bhuta pratimaem, do – do kundadhara pratimaem haim. Ve sarvatmana ratnamayi haim, svachchha haim, mridu haim, sukshma pudgalom se nirmita haim, ghrishta – mrishta, nirajaska, nishkampa yavat pratirupa haim. Una jina – pratimaom ke age 108 – 108 ghamta, chandanakalasha, jhariyam tatha isi taraha adarshaka, sthala, patriyam, supratishthaka, manogulika, jalashunya ghare, chitra, ratnakarandaka, hayakamthaka yavat vrishabhakamthaka, pushpachamgeriyam yavat lomahasta – chamgeriyam, pushpapatalaka, telasamudgaka yavat dhupa ke kaduchchhuka haim. Usa siddhayatana ke upara bahuta se atha – atha mamgala, dhvajaem aura chhatratichhatra haim, jo uttama akara ke solaha ratna yavat rishtaratnom se upashobhita haim. |