Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1005933 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | तिर्यंच उद्देशक-१ | Translated Section : | तिर्यंच उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 133 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अत्थि णं भंते! विमानाइं अच्चीणि अच्चियावत्ताइं अच्चिप्पभाइं अच्चिकंताइं अच्चिवण्णाइं अच्चि-लेस्साइं अच्चि ज्झयाइं अच्चिसिंगाइं अच्चिसिट्ठाइं अच्चिकूडाइं अच्चुत्तरवडिंसगाइं? हंता अत्थि। ते णं भंते! विमाना केमहालता पन्नत्ता? गोयमा! जावतिए णं सूरिए उदेति जावइएणं च सूरिए अत्थमेति एवतियाइं तिन्नोवासंतराइं अत्थेगतियस्स देवस्स एगे विक्कमे सिता। से णं देवे ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए सिग्घाए उद्धुयाए जइणाए छेयाए दिव्वाए देवगतीए वीतीवयमाणे-वीतीवयमाणे जहन्नेणं एकाहं वा दुयाहं वा, उक्कोसेणं छम्मासे बीतीवएज्जा–अत्थेगतियं विमाणं वीतीवएज्जा अत्थेगतियं विमाणं नो बीतीवएज्जा, एमहालता णं गोयमा! ते विमाना पन्नत्ता समणाउसो! अत्थि णं भंते! विमानाइं सोत्थीणि सोत्थियावत्ताइं सोत्थियपभाइं सोत्थियकंताइं सोत्थिय-वण्णाइं सोत्थियलेसाइं सोत्थियज्झयाइं सोत्थिसिंगाइं सोत्थिकूडाइं सोत्थिसिट्ठाइं सोत्थुत्तर-वडिंसगाइं। हंता अत्थि। ते णं भंते! विमाना केमहालता पन्नत्ता? गोयमा! जावतिए णं सूरिए उदेति जावइएणं च सूरिए अत्थमेति एवतियाइं पंच ओवासंतराइं अत्थेगतियस्स देवस्स एगे विक्कमे सिता। से णं देवे ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए सिग्घाए उद्धुयाए जइणाए छेयाए दिव्वाए देवगतीए बीतीवयमाणे-बीतीवयमाणे जहन्नेणं एकाहं वा दुयाहं वा, उक्कोसेणं छम्मासे बीतीवएज्जा–अत्थेगतियं विमाणं बीतिवएज्जा अत्थेगतियं विमाणं नो बीतीवएज्जा, एमहालता णं गोयमा! ते विमाना पन्नत्ता समणाउसो! अत्थि णं भंते! विमानाइं कामाइं कामावत्ताइं कामप्पभाइं कामकंताइं कामवण्णाइं काम-लेस्साइं कामज्झयाइं कामसिंगाइं कामकूडाइं कामसिट्ठाइं कामुत्तरवडिंसयाइं? हंता अत्थि। ते णं भंते! विमाना केमहालया पन्नत्ता? गोयमा! जावतिए णं सूरिए उदेति जावइएणं च सूरिए अत्थमेति एवतियाइं सत्त ओवासंतराइं अत्थेगतियस्स देवस्स एगे विक्कमे सिता। से णं देवे ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए सिग्घाए उद्धुयाए जइणाए छेयाए दिव्वाए देवगतीए वीतीवयमाणे-वीतीवयमाणे जहन्नेणं एकाहं वा दुयाहं वा, उक्कोसेणं छम्मासी बीतीवएज्जा–अत्थेगतियं विमाणं बीतीवएज्जा अत्थेगतियं विमाणं नो बीतीवएज्जा, एमहालता णं गोयमा! ते विमाना पन्नत्ता समणाउसो! अत्थि णं भंते! विमानाइं विजयाइं वेजयंताइं अपराजिताइं? हंता अत्थि। ते णं भंते! विमाना केमहालता पन्नत्ता? गोयमा! जावतिए णं सूरिए उदेति जावइए णं च सूरिए अत्थमेति एवइयाइं नव ओवासंतराइं अत्थेगतियस्स देवस्स एगे विक्कमे सिता। से णं देवे ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए सिग्घाए उद्धुयाए जइणाए छेयाए दिव्वाए देवगतीए बीतीवयमाणेबीतीवयमाणे जहन्नेणं एकाहं वा दुयाहं वा, उक्कोसेणं छम्मासे बीतीवएज्जा, नो चेव णं ते विमाणे वीईवएज्जा, एमहालयाणं विमाना पन्नत्ता समणाउसो! । | ||
Sutra Meaning : | हे भगवन् ! क्या स्वस्तिक नामवाले, स्वस्तिकावर्त नामवाले, स्वस्तिकप्रभ, स्वस्तिककान्त, स्वस्तिकवर्ण, स्वस्तिकलेश्य, स्वस्तिकध्वज, स्वस्तिकशृंगार, स्वस्तिककूट, स्वस्तिकशिष्ट और स्वस्तिकोत्तरावतंसक नामक विमान हैं ? हाँ, गौतम ! हैं। भगवन् ! वे विमान कितने बड़े हैं ? गौतम ! जितनी दूरी से सूर्य उदित होता दीखता है और जितनी दूरी से सूर्य अस्त होता दीखता है (यह एक अवकाशान्तर है), ऐसे तीन अवकाशान्तरप्रमाण क्षेत्र किसी देव का एक विक्रम हो और वह देव उस उत्कृष्ट, त्वरित यावत् दिव्य देवगति से चलता हुआ यावत् एक दिन, दो दिन उत्कृष्ट छह मास तक चलता जाय तो किसी विमान का तो पार पा सकता है और किसी विमान का पार नहीं पा सकता है। हे गौतम ! इतने बड़े वे विमान कहे गये हैं। हे भगवन् ! क्या अर्चि, अर्चिरावर्त आदि यावत् अर्चिरुत्तरावतंसक नाम के विमान हैं ? हाँ, गौतम ! हैं। भगवन् ! वे विमान कितन बड़े कहे गये हैं ? गौतम ! जैसी वक्तव्यता स्वस्तिक आदि विमानों की कही है, वैसी ही यहाँ कहना। विशेषता यह है कि यहाँ वैसे पाँच अवकाशा – न्तर प्रमाण क्षेत्र किसी देव का एक पदन्यास कहना। हे भगवन् ! क्या काम, कामावर्त्त यावत् कामोत्तरावतंसक विमान हैं ? हाँ, गौतम ! हैं। भगवन् ! वे विमान कितने बड़े हैं ? गौतम ! जैसी वक्तव्यता स्वस्तिकादि विमानों की कही है वैसी ही कहना। विशेषता यह है कि यहाँ वैसे सात अवकाशान्तर प्रमाण क्षेत्र किसी देव का एक विक्रम कहना। हे भगवन् ! क्या विजय, वैजयंत, जयंत और अपराजित नाम के विमान हैं ? हाँ, गौतम ! हैं। भगवन् ! वे विमान कितने बड़े हैं ? गौतम ! वही वक्तव्यता कहना यावत् यहाँ नौ अवकाशान्तर प्रमाण क्षेत्र किसी एक देव का एक पदन्यास कहना। इसी तीव्र और दिव्यगति से वह देव एक दिन, दो दिन उत्कृष्ट छह मास तक चलता रहे तो किन्ही विमानों के पार पहुँच सकता है और किन्ही विमानों के पार नहीं पहुँच सकता है। हे आयुष्मन् श्रमण ! इतने बड़े विमान के कहे गये हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] atthi nam bhamte! Vimanaim achchini achchiyavattaim achchippabhaim achchikamtaim achchivannaim achchi-lessaim achchi jjhayaim achchisimgaim achchisitthaim achchikudaim achchuttaravadimsagaim? Hamta atthi. Te nam bhamte! Vimana kemahalata pannatta? Goyama! Javatie nam surie udeti javaienam cha surie atthameti evatiyaim tinnovasamtaraim atthegatiyassa devassa ege vikkame sita. Se nam deve tae ukkitthae turiyae chavalae chamdae sigghae uddhuyae jainae chheyae divvae devagatie vitivayamane-vitivayamane jahannenam ekaham va duyaham va, ukkosenam chhammase bitivaejja–atthegatiyam vimanam vitivaejja atthegatiyam vimanam no bitivaejja, emahalata nam goyama! Te vimana pannatta samanauso! Atthi nam bhamte! Vimanaim sotthini sotthiyavattaim sotthiyapabhaim sotthiyakamtaim sotthiya-vannaim sotthiyalesaim sotthiyajjhayaim sotthisimgaim sotthikudaim sotthisitthaim sotthuttara-vadimsagaim. Hamta atthi. Te nam bhamte! Vimana kemahalata pannatta? Goyama! Javatie nam surie udeti javaienam cha surie atthameti evatiyaim pamcha ovasamtaraim atthegatiyassa devassa ege vikkame sita. Se nam deve tae ukkitthae turiyae chavalae chamdae sigghae uddhuyae jainae chheyae divvae devagatie bitivayamane-bitivayamane jahannenam ekaham va duyaham va, ukkosenam chhammase bitivaejja–atthegatiyam vimanam bitivaejja atthegatiyam vimanam no bitivaejja, emahalata nam goyama! Te vimana pannatta samanauso! Atthi nam bhamte! Vimanaim kamaim kamavattaim kamappabhaim kamakamtaim kamavannaim kama-lessaim kamajjhayaim kamasimgaim kamakudaim kamasitthaim kamuttaravadimsayaim? Hamta atthi. Te nam bhamte! Vimana kemahalaya pannatta? Goyama! Javatie nam surie udeti javaienam cha surie atthameti evatiyaim satta ovasamtaraim atthegatiyassa devassa ege vikkame sita. Se nam deve tae ukkitthae turiyae chavalae chamdae sigghae uddhuyae jainae chheyae divvae devagatie vitivayamane-vitivayamane jahannenam ekaham va duyaham va, ukkosenam chhammasi bitivaejja–atthegatiyam vimanam bitivaejja atthegatiyam vimanam no bitivaejja, emahalata nam goyama! Te vimana pannatta samanauso! Atthi nam bhamte! Vimanaim vijayaim vejayamtaim aparajitaim? Hamta atthi. Te nam bhamte! Vimana kemahalata pannatta? Goyama! Javatie nam surie udeti javaie nam cha surie atthameti evaiyaim nava ovasamtaraim atthegatiyassa devassa ege vikkame sita. Se nam deve tae ukkitthae turiyae chavalae chamdae sigghae uddhuyae jainae chheyae divvae devagatie bitivayamanebitivayamane jahannenam ekaham va duyaham va, ukkosenam chhammase bitivaejja, no cheva nam te vimane viivaejja, emahalayanam vimana pannatta samanauso!. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavan ! Kya svastika namavale, svastikavarta namavale, svastikaprabha, svastikakanta, svastikavarna, svastikaleshya, svastikadhvaja, svastikashrimgara, svastikakuta, svastikashishta aura svastikottaravatamsaka namaka vimana haim\? Ham, gautama ! Haim. Bhagavan ! Ve vimana kitane bare haim\? Gautama ! Jitani duri se surya udita hota dikhata hai aura jitani duri se surya asta hota dikhata hai (yaha eka avakashantara hai), aise tina avakashantarapramana kshetra kisi deva ka eka vikrama ho aura vaha deva usa utkrishta, tvarita yavat divya devagati se chalata hua yavat eka dina, do dina utkrishta chhaha masa taka chalata jaya to kisi vimana ka to para pa sakata hai aura kisi vimana ka para nahim pa sakata hai. He gautama ! Itane bare ve vimana kahe gaye haim. He bhagavan ! Kya archi, archiravarta adi yavat archiruttaravatamsaka nama ke vimana haim\? Ham, gautama ! Haim. Bhagavan ! Ve vimana kitana bare kahe gaye haim\? Gautama ! Jaisi vaktavyata svastika adi vimanom ki kahi hai, vaisi hi yaham kahana. Visheshata yaha hai ki yaham vaise pamcha avakasha – ntara pramana kshetra kisi deva ka eka padanyasa kahana. He bhagavan ! Kya kama, kamavartta yavat kamottaravatamsaka vimana haim\? Ham, gautama ! Haim. Bhagavan ! Ve vimana kitane bare haim\? Gautama ! Jaisi vaktavyata svastikadi vimanom ki kahi hai vaisi hi kahana. Visheshata yaha hai ki yaham vaise sata avakashantara pramana kshetra kisi deva ka eka vikrama kahana. He bhagavan ! Kya vijaya, vaijayamta, jayamta aura aparajita nama ke vimana haim\? Ham, gautama ! Haim. Bhagavan ! Ve vimana kitane bare haim\? Gautama ! Vahi vaktavyata kahana yavat yaham nau avakashantara pramana kshetra kisi eka deva ka eka padanyasa kahana. Isi tivra aura divyagati se vaha deva eka dina, do dina utkrishta chhaha masa taka chalata rahe to kinhi vimanom ke para pahumcha sakata hai aura kinhi vimanom ke para nahim pahumcha sakata hai. He ayushman shramana ! Itane bare vimana ke kahe gaye haim. |