Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1005931 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | तिर्यंच उद्देशक-१ | Translated Section : | तिर्यंच उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 131 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तेसि णं भंते! जीवाणं कति लेसाओ पन्नत्ताओ? गोयमा! छल्लेसाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–कण्हलेसा जाव सुक्कलेसा। ते णं भंते! जीवा किं सम्मदिट्ठी? मिच्छदिट्ठी? सम्मामिच्छदिट्ठी? गोयमा! सम्मदिट्ठीवि मिच्छदिट्ठीवि सम्मामिच्छदिट्ठीवि। ते णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? गोयमा! नाणीवि अन्नाणीवि–तिन्नि नाणाइं तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए। ते णं भंते! जीवा किं मनजोगी? वइजोगी? कायजोगी? गोयमा! तिविधावि। ते णं भंते! जीवा किं सागारोवउत्ता? अनागारोवउत्ता? गोयमा! सागारोवउत्तावि अनागारोवउत्तावि। ते णं भंते! जीवा कओ उववज्जंति? –किं नेरइएहिंतो उववज्जंति? तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति? पुच्छा। गोयमा! असंखेज्जवासाउयअकम्मभूमगअंतरदीवगवज्जेहिंतो उववज्जंति। तेसि णं भंते! जीवाणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागं। तेसि णं भंते! जीवाणं कति समुग्घाता पन्नत्ता? गोयमा! पंच समुग्घाता पन्नत्ता, तं जहा–वेदनासमुग्घाए जाव तेयासमुग्घाए। ते णं भंते! जीवा मारणंतियसमुग्घाएणं किं समोहता मरंति? असमोहता मरंति? गोयमा! समोहतावि मरंति असमोहतावि मरंति। ते णं भंते! जीवा अनंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति? कहिं उववज्जंति? –किं नेरइएसु उववज्जंति? तिरिक्खजोणिएसु उववज्जंति? पुच्छा। गोयमा! एवं उव्वट्टणा भाणियव्वा जहा वक्कंतीए तहेव। तेसि णं भंते! जीवाणं कति जातीकुलकोडिजोणीपमुहसयसहस्सा पन्नत्ता? गोयमा! बारस जातीकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा। जोणीसंगहलेस्सादिट्ठी नाणे य जोग उवओगे । उववायठिईसमुग्घाय चयणं जातीकुलविधी उ ॥ भुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते! कतिविधे जोणीसंगहे पन्नत्ते? गोयमा! तिविहे जोणीसंगहे पन्नत्ते, तं जहा–अंडया पोयया संमुच्छिमा। एवं जहा खहयराणं तहेव, नाणत्तं–जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी, उव्वट्टित्ता दोच्चं पुढविं गच्छंति, नव जातीकुलकोडी-जोणीपमुहसतसहस्सा भवंतीति मक्खायं, सेसं तहेव। उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते! पुच्छा। जहेव भुयपरिसप्पाणं तहेव, नवरं– ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी, उव्वट्टित्ता जाव पंचमिं पुढविं गच्छंति, दस जातीकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा। चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा! दुविधे जोणीसंगहे पन्नत्ते, तं जहा–पोयया य संमुच्छिमा य। पोयया तिविधा पन्नत्ता, तं जहा–इत्थी पुरिसा नपुंसगा। तत्थ णं जेते संमुच्छिमा ते सव्वे नपुंसगा। तेसि णं भंते! जीवाणं कति लेस्साओ पन्नत्ताओ? सेसं जहा पक्खीणं, नाणत्तं–ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्निपलिओवमाइं। उव्वट्टित्ता चउत्थिं पुढविं गच्छंति, दस जातीकुलकोडी। जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। जहा भुयपरिसप्पाणं, नवरं–उव्वट्टित्ता जाव अधेसत्तमिं पुढविं, अद्धतेरस जातीकुलकोडीजोणीपमुह सयसहस्सा पन्नत्ता। चउरिंदियाणं भंते! कति जातीकुलकोडीजोणीपमुहसतसहस्सा पन्नत्ता? गोयमा! नव जातीकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा समक्खाया। तेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा! अट्ठ जातीकुल कोडीजोणीपमुहसयसहस्सा समक्खाया। बेइंदियाणं भंते! कइ जातीकुलकोडीजोणीपमुहसतसहस्सा पुच्छा। गोयमा! सत्त जातीकुलकोडीजोणीपमुहसतसहस्सा समक्खाया। | ||
Sutra Meaning : | हे भगवन् ! इन जीवों के कितनी लेश्याएं हैं ? गौतम ! छह – कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या। हे भगवन् ! ये जीव सम्यग्दृष्टि हैं, मिथ्यादृष्टि हैं या सम्यग् मिथ्यादृष्टि हैं। गौतम ! तीनों। भगवन् ! वे जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी हैं। जो ज्ञानी हैं वे दो या तीन ज्ञानवाले हैं और जो अज्ञानी हैं वे दो या तीन अज्ञान वाले हैं। भगवन् ! वे जीव क्या मनयोगी हैं, वचनयोगी हैं, काययोगी हैं ? गौतम ! तीनों हैं। भगवन् ! वे जीव साकार – उपयोग वाले हैं या अनाकार – उपयोग वाले हैं ? गौतम ! दोनों हैं। भगवन् ! वे जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! असंख्यात वर्ष की आयु वालों, अकर्मभूमिकों और अन्तर्द्वीपकों को छोड़कर सब जगह से उत्पन्न होते हैं। हे भगवन् ! उन जीवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग – प्रमाण। उन जीवों के पाँच समुद्घात हैं, यथा – वेदनासमुद्घात यावत् तैजससमुद्घात। वे जीव मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत होकर भी मरते हैं और असमवहत होकर भी मरते हैं। भगवन् ! वे जीव मरकर अनन्तर कहाँ उत्पन्न होते हैं ? कहाँ जाते हैं ? गौतम! जैसे प्रज्ञापना के व्युत्क्रांतिपद में कहा गया है, वैसा यहाँ कहना। हे भगवन् ! उन जीवों की कितने लाख योनि – प्रमुख जातिकुलकोटि है ? गौतम ! बारह लाख। हे भगवन् ! भुजपरिसर्पस्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों का कितने प्रकार का योनिसंग्रह है ? गौतम ! तीन प्रकार का – अण्डज, पोतज और सम्मूर्च्छिम। इस तरह जैसा खेचरों में कहा, वैसा यहाँ भी कहना। विशेषता यह है – इनकी स्थिति जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटी है। ये मरकर चारों गति में जाते हैं। नरक में जाते हैं तो दूसरी पृथ्वी तक जाते हैं। इनकी नौ लाख जातिकुलकोड़ी कही गई है। शेष पूर्ववत्। भगवन् ! उरपरिसर्प – स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिकों का योनिसंग्रह कितने प्रकार का है ? गौतम ! जैसे भुजपरिसर्प का कथन किया, वैसा यहाँ भी कहना। विशेषता यह है कि इनकी स्थिति जघन्य से अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटी है। ये मरकर यदि नरक में जावें तो पाँचवी पृथ्वी तक जाते हैं। इनकी दस लाख जातिकुलकोडी हैं। चतुष्पदस्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिकों की पृच्छा ? गौतम ! इनका योनिसंग्रह दो प्रकार का है, यथा – जरायुज और सम्मूर्च्छिम। जरायुज तीन प्रकार के हैं, यथा – स्त्री, पुरुष और नपुंसक। जो सम्मूर्च्छिम हैं वे सब नपुंसक हैं। उन जीवों की लेश्याएं, इत्यादि सब खेचरों की तरह कहना। विशेषता इस प्रकार है – इनकी स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त, उत्कृष्ट तीन पल्योपम की है। मरकर यदि ये नरक में जावें तो चौथी नरकपृथ्वी तक जाते हैं। इनकी दस लाख जातिकुलकोडी हैं। जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिकों की पृच्छा ? गौतम ! जैसे भुजपरिसर्पों का कहा वैसे कहना। विशेषता यह है कि ये मरकर यदि नरक में जावें तो सप्तम पृथ्वी तक जाते हैं। इनकी साढ़े बारह लाख जातिकुलकोडी कही गई हैं। हे भगवन् ! चतुरिन्द्रिय जीवों की कितनी जातिकुलकोडी हैं ? गौतम ! नौ लाख। हे भगवन् ! त्रीन्द्रिय जीवों की कितनी जातिकुलकोडी हैं ? गौतम ! आठ लाख। भगवन् ! द्वीन्द्रियों की कितनी जातिकुलकोडी है ? गौतम ! सात लाख। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tesi nam bhamte! Jivanam kati lesao pannattao? Goyama! Chhallesao pannattao, tam jaha–kanhalesa java sukkalesa. Te nam bhamte! Jiva kim sammaditthi? Michchhaditthi? Sammamichchhaditthi? Goyama! Sammaditthivi michchhaditthivi sammamichchhaditthivi. Te nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Goyama! Nanivi annanivi–tinni nanaim tinni annanaim bhayanae. Te nam bhamte! Jiva kim manajogi? Vaijogi? Kayajogi? Goyama! Tividhavi. Te nam bhamte! Jiva kim sagarovautta? Anagarovautta? Goyama! Sagarovauttavi anagarovauttavi. Te nam bhamte! Jiva kao uvavajjamti? –kim neraiehimto uvavajjamti? Tirikkhajoniehimto uvavajjamti? Puchchha. Goyama! Asamkhejjavasauyaakammabhumagaamtaradivagavajjehimto uvavajjamti. Tesi nam bhamte! Jivanam kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam paliovamassa asamkhejjatibhagam. Tesi nam bhamte! Jivanam kati samugghata pannatta? Goyama! Pamcha samugghata pannatta, tam jaha–vedanasamugghae java teyasamugghae. Te nam bhamte! Jiva maranamtiyasamugghaenam kim samohata maramti? Asamohata maramti? Goyama! Samohatavi maramti asamohatavi maramti. Te nam bhamte! Jiva anamtaram uvvattitta kahim gachchhamti? Kahim uvavajjamti? –kim neraiesu uvavajjamti? Tirikkhajoniesu uvavajjamti? Puchchha. Goyama! Evam uvvattana bhaniyavva jaha vakkamtie taheva. Tesi nam bhamte! Jivanam kati jatikulakodijonipamuhasayasahassa pannatta? Goyama! Barasa jatikulakodijonipamuhasayasahassa. Jonisamgahalessaditthi nane ya joga uvaoge. Uvavayathiisamugghaya chayanam jatikulavidhi u. Bhuyaparisappathalayarapamchemdiyatirikkhajoniyanam bhamte! Katividhe jonisamgahe pannatte? Goyama! Tivihe jonisamgahe pannatte, tam jaha–amdaya poyaya sammuchchhima. Evam jaha khahayaranam taheva, nanattam–jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam puvvakodi, uvvattitta dochcham pudhavim gachchhamti, nava jatikulakodi-jonipamuhasatasahassa bhavamtiti makkhayam, sesam taheva. Uraparisappathalayarapamchemdiyatirikkhajoniyanam bhamte! Puchchha. Jaheva bhuyaparisappanam taheva, navaram– thiti jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam puvvakodi, uvvattitta java pamchamim pudhavim gachchhamti, dasa jatikulakodijonipamuhasayasahassa. Chauppayathalayarapamchemdiyatirikkhajoniyanam puchchha. Goyama! Duvidhe jonisamgahe pannatte, tam jaha–poyaya ya sammuchchhima ya. Poyaya tividha pannatta, tam jaha–itthi purisa napumsaga. Tattha nam jete sammuchchhima te savve napumsaga. Tesi nam bhamte! Jivanam kati lessao pannattao? Sesam jaha pakkhinam, nanattam–thiti jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tinnipaliovamaim. Uvvattitta chautthim pudhavim gachchhamti, dasa jatikulakodi. Jalayarapamchemdiyatirikkhajoniyanam puchchha. Jaha bhuyaparisappanam, navaram–uvvattitta java adhesattamim pudhavim, addhaterasa jatikulakodijonipamuha sayasahassa pannatta. Chaurimdiyanam bhamte! Kati jatikulakodijonipamuhasatasahassa pannatta? Goyama! Nava jatikulakodijonipamuhasayasahassa samakkhaya. Teimdiyanam puchchha. Goyama! Attha jatikula kodijonipamuhasayasahassa samakkhaya. Beimdiyanam bhamte! Kai jatikulakodijonipamuhasatasahassa puchchha. Goyama! Satta jatikulakodijonipamuhasatasahassa samakkhaya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavan ! Ina jivom ke kitani leshyaem haim\? Gautama ! Chhaha – krishnaleshya yavat shuklaleshya. He bhagavan ! Ye jiva samyagdrishti haim, mithyadrishti haim ya samyag mithyadrishti haim. Gautama ! Tinom. Bhagavan ! Ve jiva jnyani haim ya ajnyani haim\? Gautama ! Jnyani bhi haim aura ajnyani bhi haim. Jo jnyani haim ve do ya tina jnyanavale haim aura jo ajnyani haim ve do ya tina ajnyana vale haim. Bhagavan ! Ve jiva kya manayogi haim, vachanayogi haim, kayayogi haim\? Gautama ! Tinom haim. Bhagavan ! Ve jiva sakara – upayoga vale haim ya anakara – upayoga vale haim\? Gautama ! Donom haim. Bhagavan ! Ve jiva kaham se akara utpanna hote haim\? Gautama ! Asamkhyata varsha ki ayu valom, akarmabhumikom aura antardvipakom ko chhorakara saba jagaha se utpanna hote haim. He bhagavan ! Una jivom ki sthiti kitane kala ki hai\? Gautama ! Jaghanya se antarmuhurtta aura utkrishta palyopama ka asamkhyatavam bhaga – pramana. Una jivom ke pamcha samudghata haim, yatha – vedanasamudghata yavat taijasasamudghata. Ve jiva maranantikasamudghata se samavahata hokara bhi marate haim aura asamavahata hokara bhi marate haim. Bhagavan ! Ve jiva marakara anantara kaham utpanna hote haim\? Kaham jate haim\? Gautama! Jaise prajnyapana ke vyutkramtipada mem kaha gaya hai, vaisa yaham kahana. He bhagavan ! Una jivom ki kitane lakha yoni – pramukha jatikulakoti hai\? Gautama ! Baraha lakha. He bhagavan ! Bhujaparisarpasthalachara pamchendriya tiryamchayonikom ka kitane prakara ka yonisamgraha hai\? Gautama ! Tina prakara ka – andaja, potaja aura sammurchchhima. Isa taraha jaisa khecharom mem kaha, vaisa yaham bhi kahana. Visheshata yaha hai – inaki sthiti jaghanya antamuhurtta aura utkrishta purvakoti hai. Ye marakara charom gati mem jate haim. Naraka mem jate haim to dusari prithvi taka jate haim. Inaki nau lakha jatikulakori kahi gai hai. Shesha purvavat. Bhagavan ! Uraparisarpa – sthalachara pamchendriya tiryakyonikom ka yonisamgraha kitane prakara ka hai\? Gautama ! Jaise bhujaparisarpa ka kathana kiya, vaisa yaham bhi kahana. Visheshata yaha hai ki inaki sthiti jaghanya se antamuhurtta aura utkrishta purvakoti hai. Ye marakara yadi naraka mem javem to pamchavi prithvi taka jate haim. Inaki dasa lakha jatikulakodi haim. Chatushpadasthalachara pamchendriya tiryakyonikom ki prichchha\? Gautama ! Inaka yonisamgraha do prakara ka hai, yatha – jarayuja aura sammurchchhima. Jarayuja tina prakara ke haim, yatha – stri, purusha aura napumsaka. Jo sammurchchhima haim ve saba napumsaka haim. Una jivom ki leshyaem, ityadi saba khecharom ki taraha kahana. Visheshata isa prakara hai – inaki sthiti jaghanya antarmuhurtta, utkrishta tina palyopama ki hai. Marakara yadi ye naraka mem javem to chauthi narakaprithvi taka jate haim. Inaki dasa lakha jatikulakodi haim. Jalachara pamchendriya tiryakyonikom ki prichchha\? Gautama ! Jaise bhujaparisarpom ka kaha vaise kahana. Visheshata yaha hai ki ye marakara yadi naraka mem javem to saptama prithvi taka jate haim. Inaki sarhe baraha lakha jatikulakodi kahi gai haim. He bhagavan ! Chaturindriya jivom ki kitani jatikulakodi haim\? Gautama ! Nau lakha. He bhagavan ! Trindriya jivom ki kitani jatikulakodi haim\? Gautama ! Atha lakha. Bhagavan ! Dvindriyom ki kitani jatikulakodi hai\? Gautama ! Sata lakha. |