Sutra Navigation: Vipakasutra ( विपाकश्रुतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005513 | ||
Scripture Name( English ): | Vipakasutra | Translated Scripture Name : | विपाकश्रुतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ दुःख विपाक अध्ययन-२ उज्झितक |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ दुःख विपाक अध्ययन-२ उज्झितक |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 13 | Category : | Ang-11 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं भगवओ गोयमस्स तं पुरिसं पासित्ता अयमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए कप्पिए पत्थिए मनोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था अहो णं इमे पुरिसे पुरा पोराणाणं दुच्चिण्णाणं दुप्पडिक्कंताणं असुभाणं पावाणं कडाणं कम्माणं पावगं फलवित्तिविसेसं पच्चणुभवमाणे विहरइ। न मे दिट्ठा नरगा वा नेरइया वा। पच्चक्खं खलु अयं पुरिसे निरयपडिरूवियं वेयणं वेएइ त्ति कट्टु वाणिय गामे नयरे उच्च नीय मज्झिम कुलाइं अडमाणे अहापज्जत्तं समुदानं गिण्हइ, गिण्हित्ता वाणियगामे नयरे मज्झंमज्झेणं पडिनिक्खमइ, अतुरियमचवलमसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरओ रियं सोहेमाणे-सोहेमाणे जेणेव दूइपलासए उज्जाने जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते गमणागमणाए पडिक्कमइ, पडिक्कमित्ता एसणमनेसणं आलोएइ, आलोएत्ता भत्तपाणं पडिदंसेइ, पडिदंसेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी– एवं खलु अहं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुन्नाए समाणे वाणियगामे नयरे जाव तहेव सव्वं निवेएइ। से णं भंते! पुरिसे पुव्वभवे के आसि? किं नामए वा किं गोत्ते वा? कयरंसि गामंसि वा नयरंसि वा? किं वा दच्चा किं वा भोच्चा किं वा समायरित्ता, केसिं वा पुरा पोराणाणं दुच्चिण्णाणं दुप्पडिक्कंताणं असुभाणं पावाणं कडाणं कम्माणं पावगं फलवित्तिविसेसं पच्चणुभवमाणे विहरइ? एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हत्थिणाउरे नामं नयरे होत्था–रिद्धत्थिमियसमिद्धे। तत्थ णं हत्थिणाउरे नयरे सुनंदे नामं राया होत्था–महयाहिमवंत महंत मलय मंदर महिंदसारे। तत्थ णं हत्थिणाउरे नयरे बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे गोमंडवे होत्था–अनेगखंभ-सयसंनिविट्ठे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। तत्थ णं बहवे नगरगोरूवा सणाहा य अणाहा य नगरगावीओ य नगरबलीवद्दा य नगरपड्डियाओ य नगरवसभा य पउरतण-पाणिया निब्भया निरुव्विग्गा सुहंसुहेणं परिवसंति। तत्थ णं हत्थिणाउरे नयरे भीमे नामं कूडग्गाहे होत्था–अहम्मिए जाव दुप्पडियानंदे। तस्स णं भीमस्स कूडग्गाहस्स उप्पला नामं भारिया होत्था–अहीन पडिपुण्ण पंचिंदियसरीरा। तए णं सा उप्पला कूडग्गाहिणी अण्णदा कयाइ आवण्णसत्ता जाया यावि होत्था। तए णं तीसे उप्पलाए कूडग्गाहिणीए तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउब्भूए– धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ, संपुन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयत्थाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयलक्खणाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयविहवाओ णं ताओ अम्मयाओ, सुलद्धे णं तासिं मानुस्सए जम्मजीवियफले, जाओ णं बहूणं नगरगोरूवाणं सणाहाण य अणाहाण य नगरगावियाण य नगरबलीवद्दाण य नगरपड्डियाण य नगरवसभाण य ऊहेहि य थणेहि य वसणेहि य छेप्पाहि य ककुहेहि य वहेहि य कण्णेहि य अच्छीहि य नासाहि य जिब्भाहि य ओट्ठेहि य कंबलेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य परिसुक्केहि य लावणेहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सीधुं च पसन्नं च आसाएमाणीओ वीसाएमाणीओ परिभाएमाणीओ परिभुंजेमाणीओ दोहलं विणेंति। तं जइ णं अहमवि बहूणं नगर गोरूवाणं सणाहाण य अणाहाण य नगरगावियाण य नगरबलीवद्दाण य नगरपड्डियाण य नगरवसभाण य ऊहेहि य थणेहि य वसणेहि य छेप्पाहि य ककुहेहि य वहेहि य कण्णेहि य अच्छीहि य नासाहि य जिब्भाहि य ओट्ठेहि य कंबलेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य परिसुक्केहि य लावणेहि य सुरं च महं च मेरगं च जाइं च सीधुं च पसन्नं च आसाएमाणी वीसाएमाणी परिभाएमाणी परिभुंजेमाणी दोहलं विनिज्जामि त्ति कट्टु तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि सुक्का भुक्खा निम्मंसा ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा नित्तेया दीनविमन-वयणा पंडुल्लइयमुही ओमंथियनयनवदनकमला जहोइयं पुप्फ वत्थ गंध मल्लालंकाराहारं अपरि-भुंजमाणी करयलमलियव्व कमलमाला ओहय मणसंकप्पा करतलपल्हत्थमुही अट्टज्झाणोवगया भूमिगयदिट्ठीया ज्झियाइ। इमं च णं भीमे कूडग्गाहे जेणेव उप्पला कूडग्गाहिणी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उप्पलं कूडग्गाहिणिं ओहय मनसंकप्पं करतलपल्हत्थमुहिं अट्टज्झाणोवगयं भूमिगयदिट्ठीयं ज्झियायमाणिं पासइ, पासित्ता एवं वयासी– किं णं तुमं देवाणुप्पिए! ओहय मनसंकप्पा करतलपल्हत्थमुही अट्टज्झाणोवगया भूमिगयदिट्ठीया ज्झियासि? तए णं सा उप्पला भारिया भीमं कूडग्गाहं एवं वयासी– एवं खलु देवानुप्पिया! ममं तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दोहले पाउब्भूए– धन्नाओ णं ताओ अम्मयओ, संपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयत्थाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयलक्खणाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयविहवाओ णं ताओ अम्मयाओ, सुलद्धे णं तासिं मानुस्सए जम्मजीवियफले, जाओ णं बहूणं नगरगोरूवाणं सणाहाण य अणाहाण य नगरगावियाण य नगरबलीवद्दाण य नगरपड्डियाण य नगरवसभाण य ऊहेहि य थणेहि य वसणेहि य छेप्पाहि य ककुहेहि य वहेहि य कण्णेहि य अच्छीहि य नासाहि य जिब्भाहि य ओट्ठेहि य कंबलेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य परिसुक्केहि य लावणेहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सीधुं च पसन्नं च आसाएमाणीओ वीसाएमाणीओ परिभाएमाणीओ परिभुंजेमाणीओ दोहलं विणेंति। तह णं अहं देवानुप्पिया! तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि सुक्का भुक्खा निम्मंसा ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा नित्तेया दीनविमनवयणा पंडुल्लइयमुही ओमंथिय नयनवदनकमला जहोइयं पुप्फ वत्थ गंध मल्लालंकाराहारं अपरिभुंजमाणी करयलमलियव्व कमलमाला ओहयमनसंकप्पा करतलपल्हत्थमुही अट्टज्झाणोवगया भूमिगयदिट्ठीया ज्झियामि। तए णं से भीमे कूडग्गाहे उप्पलं भारियं एवं वयासी– मा णं तुमं देवानुप्पिया! ओहयमनसंकप्पा करतलपल्हत्थमुही अट्टज्झाणोवगया भूमिगयदिट्ठीया ज्झियाहि। अहं णं तहा करिस्सामि जहा णं तव दोहलस्स संपत्ती भविस्सइ– ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं वग्गूहिं समासासेइ। तए णं से भीमे कूडग्गाहे अद्धरत्तकालसमयंसि एगे अबीए सण्णद्ध बद्धवम्मिय कवए उप्पीलियसरासणपट्टीए पिणद्धगेवेज्जे विमलवरबद्धचिंधपट्टे गहियाउहप्पहरणे साओ गिहाओ निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता हत्थिणाउरं नयरं मज्झंमज्झेणं जेणेव गोमंडवे तेणेव उवागए बहूणं नगरगोरूवाणं सणाहाण य अणाहाण य नगरगावियाण य नगरबलीवद्दाण य नगरपड्डियाण य नगरवसभाण य– अप्पेगइयाणं ऊहे छिंदइ, अप्पेगइयाणं थणे छिंदइ, अप्पेगइयाणं वसणे छिंदइ, अप्पेगइयाणं छेप्पा छिंदइ, अप्पेगइयाणं ककुहे छिंदइ, अप्पेगइयाणं वहे छिंदइ, अप्पेगइयाणं कण्णे छिंदइ, अप्पेगइयाणं नासा छिंदइ, अप्पेगइयाणं जिब्भा छिंदइ, अप्पेगइयाणं ओट्ठे छिंदइ, अप्पे-गइयाणं कंबलए छिंदइ, अप्पेगइयाणं अण्णमण्णाइं अंगोवंगाइं वियंगेइ, वियंगेत्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उप्पलाए कूडग्गाहिणीए उवनेइ। तए णं सा उप्पला भारिया तेहिं बहूहिं गोमंसेहिं सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य परिसुक्केहि य लावणेहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सीधुं च पसन्नं च आसाएमाणी वीसाएमाणी परिभाएमाणी परिभुंजेमाणी तं दोहलं विणेइ। तए णं सा उप्पला कूडग्गाहिणी संपुण्णदोहला संमाणियदोहला विनीयदोहला विच्छिन्न-दोहला संपन्नदोहला तं गब्भं सुहंसुहेणं परिवहइ। | ||
Sutra Meaning : | तत्पश्चात् उस पुरुष को देखकर भगवान् गौतम को यह चिन्तन, विचार, मनःसंकल्प उत्पन्न हुआ कि – ‘अहो! यह पुरुष कैसी नरकतुल्य वेदना का अनुभव कर रहा है !’ ऐसा विचार करके वाणिजग्राम नगर में उच्च, नीच, मध्यम घरों में भ्रमण करते हुए यथापर्याप्त भिक्षा लेकर वाणिजग्राम नगर के मध्य में से होते हुए श्रमण भगवान महावीर के पास आए। भिक्षा दिखलाई भगवान को वन्दना – नमस्कार करके उनसे इस प्रकार कहने लगे – हे प्रभो ! आपकी आज्ञा से मैं भिक्षा के हेतु वाणिजग्राम नगर में गया। वहाँ मैंने एक ऐसे पुरुष को देखा जो साक्षात् नारकीय वेदना का अनुभव कर रहा है। हे भगवन् ! वह पुरुष पूर्वभव में कौन था ? जो यावत् नरक जैसी विषम वेदना भोग रहा है ? हे गौतम ! उस काल तथा उस समय में इस जम्बूद्वीप नामक द्वीप के भरतक्षेत्र में हस्तिनापुर नामक एक समृद्ध नगर था। उस नगर का सुनन्द नामक राजा था। वह हिमालय पर्वत के समान महान् था। उस हस्तिनापुर नामक नगर के लगभग मध्यभाग में सैकड़ों स्तम्भों से निर्मित सुन्दर, मनोहर, मन को प्रसन्न करने वाली एक विशाल गोशाला थी। वहाँ पर नगर के अनेक सनाथ और अनाथ, ऐसी नगर की गायें, बैल, नागरिक छोटी गायें, भैंसे, नगर के साँड, जिन्हें प्रचुर मात्रा में घास – पानी मिलता था, भय तथा उपसर्गादि से रहित होकर परम सुख – पूर्वक निवास करते थे। उस हस्तिनापुर नगर में भीम नामक एक कूटग्राह रहता था। वह स्वभाव से ही अधर्मी व कठिनाई से प्रसन्न होने वाला था। उस भीम कूटग्राह की उत्पला नामक भार्या थी जो अहीन पंचेन्द्रिय वाली थी। किसी समय वह उत्पला गर्भवती हुई। उस उत्पला नाम की कूटग्राह की पत्नी को पूरे तीन मास के पश्चात् इस प्रकार का दोहद उत्पन्न हुआ – वे माताएं धन्य हैं, पुण्यवती हैं, कृतार्थ हैं, सुलक्षणा हैं, उनका ऐश्वर्य सफल है, उनका मनुष्यजन्म – जीवन भी सार्थक है, जो अनेक अनाथ या सनाथ नागरिक पशुओं यावत् वृषभों के ऊधस्, स्तन, वृषण, पूँछ, ककुद्, स्कन्ध, कर्ण, नेत्र, नासिका, जीभ, ओष्ठ, कम्बल, जो कि शूल्य, तलित, भृष्ट, शुष्क और लवणसंस्कृत माँस के साथ सुरा, मधु मेरक, सीधु, प्रसन्ना, इन सब मद्यों का सामान्य व विशेष रूप से आस्वादन, विस्वादन, परिभाजन तथा परिभोग करती हुई अपने दोहद को पूर्ण करती हैं। काश ! मैं भी अपने दोहद को इसी प्रकार पूर्ण करूँ। इस विचार के अनन्तर उस दोहद के पूर्ण न होने से वह उत्पला नामक कूटग्राह की पत्नी सूखने लगी, भूखे व्यक्त के समान दीखने लगी, माँस रहित – अस्थि – शेष हो गयी, रोगिणी व रोगी के समान शिथिल शरीर वाली, निस्तेज, दीन तथा चिन्तातुर मुख वाली हो गयी। उसका बदन फीका तथा पीला पड़ गया, नेत्र तथा मुख – कमल मुर्झा गया, यथोचित पुष्प, वस्त्र, गन्ध, माल्य – फूलों की गूँथी हुई माला – आभूषण और हार आदि का उपभोग न करनेवाली, करतल से मर्दित कमल को माला की तरह म्लान हुई कर्तव्य व अकर्तव्य के विवेकरहित चिन्ता – ग्रस्त रहने लगी। इतने में भीम नामक कूटग्राह, जहाँ पर उत्पला नाम की कूटग्राहिणी थी, वहाँ आया और उसने आर्तध्यान ध्याती हुई चिन्ताग्रस्त उत्पला को देखकर कहने लगा – ‘देवानुप्रिये ! तुम क्यों इस तरह शोकाकुल, हथेली पर मुख रखकर आर्तध्यान में मग्न हो रही हो ? स्वामिन् ! लगभग तीन मास पूर्ण होने पर मुझे यह दोहद उत्पन्न हुआ कि वे माताएं धन्य हैं, कि जो चतुष्पाद पशुओं के ऊधस्, स्तन आदि के लवण – संस्कृत माँस का अनेक प्रकार की मदिराओं के साथ आस्वादन करती हुई अपने दोहद को पूर्ण करती है। उस दोहद के पूर्ण न होने से निस्तेज व हतोत्साह होकर मैं आर्तध्यान में मग्न हूँ। तदनन्तर भीम कूटग्राह ने उत्पला से कहा – देवानुप्रिये ! तुम चिन्ताग्रस्त व आर्तध्यान युक्त न होओ, मैं वह सब कुछ करूँगा जिससे तुम्हारे इस दोहद की परिपूर्ति हो जाएगी। इस प्रकार के इष्ट, प्रिय, कान्त, मनोहर, मनोज्ञ वचनों से उसने उसे समाश्वासन दिया। तत्पश्चात् भीम कूटग्राह आधी रात्रि के समय अकेला ही दृढ़ कवच पहनकर, धनुष – बाण से सज्जि होकर, ग्रैवेयक धारण कर एवं आयुध प्रहरणों को लेकर अपने घर से नीकला और हस्तिनापुर नगर के मध्य से होता हुआ जहाँ पर गोमण्डप था वहाँ आकर वह नागरिक पशुओं यावत् वृषभों में से कईं एक के ऊधस्, कईं एक के सास्ना – कम्बल आदि व कईं एक के अन्यान्य अङ्गोंपाङ्गों को काटता है और काटकर अपने घर आता है। आकर अपनी भार्या उत्पला को दे देता है। तदनन्तर वह उत्पला उन अनेक प्रकार के शूल आदि पर पकाये गए गोमांसों के साथ अनेक प्रकार की मदिरा आदि का आस्वादन, विस्वादन करती हुई अपने दोहद परिपूर्ण करती है। इस तरह वह परिपूर्ण दोहदवाली, सन्मानित दोहद वाली, विनीत दोहदवाली, व्युच्छिन्न दोहदवाली व सम्पन्न दोहदवाली होकर गर्भ को सुखपूर्वक धारण करती है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam bhagavao goyamassa tam purisam pasitta ayameyaruve ajjhatthie chimtie kappie patthie manogae samkappe samuppajjittha aho nam ime purise pura porananam duchchinnanam duppadikkamtanam asubhanam pavanam kadanam kammanam pavagam phalavittivisesam pachchanubhavamane viharai. Na me dittha naraga va neraiya va. Pachchakkham khalu ayam purise nirayapadiruviyam veyanam veei tti kattu vaniya game nayare uchcha niya majjhima kulaim adamane ahapajjattam samudanam ginhai, ginhitta vaniyagame nayare majjhammajjhenam padinikkhamai, aturiyamachavalamasambhamte jugamtarapaloyanae ditthie purao riyam sohemane-sohemane jeneva duipalasae ujjane jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanassa bhagavao mahavirassa adurasamamte gamanagamanae padikkamai, padikkamitta esanamanesanam aloei, aloetta bhattapanam padidamsei, padidamsetta samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi– Evam khalu aham bhamte! Tubbhehim abbhanunnae samane vaniyagame nayare java taheva savvam niveei. Se nam bhamte! Purise puvvabhave ke asi? Kim namae va kim gotte va? Kayaramsi gamamsi va nayaramsi va? Kim va dachcha kim va bhochcha kim va samayaritta, kesim va pura porananam duchchinnanam duppadikkamtanam asubhanam pavanam kadanam kammanam pavagam phalavittivisesam pachchanubhavamane viharai? Evam khalu goyama! Tenam kalenam tenam samaenam iheva jambuddive dive bharahe vase hatthinaure namam nayare hottha–riddhatthimiyasamiddhe. Tattha nam hatthinaure nayare sunamde namam raya hottha–mahayahimavamta mahamta malaya mamdara mahimdasare. Tattha nam hatthinaure nayare bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege gomamdave hottha–anegakhambha-sayasamnivitthe pasaie darisanijje abhiruve padiruve. Tattha nam bahave nagaragoruva sanaha ya anaha ya nagaragavio ya nagarabalivadda ya nagarapaddiyao ya nagaravasabha ya pauratana-paniya nibbhaya niruvvigga suhamsuhenam parivasamti. Tattha nam hatthinaure nayare bhime namam kudaggahe hottha–ahammie java duppadiyanamde. Tassa nam bhimassa kudaggahassa uppala namam bhariya hottha–ahina padipunna pamchimdiyasarira. Tae nam sa uppala kudaggahini annada kayai avannasatta jaya yavi hottha. Tae nam tise uppalae kudaggahinie tinham masanam bahupadipunnanam ayameyaruve dohale paubbhue– dhannao nam tao ammayao, sampunnao nam tao ammayao, kayatthao nam tao ammayao, kayapunnao nam tao ammayao, kayalakkhanao nam tao ammayao, kayavihavao nam tao ammayao, suladdhe nam tasim manussae jammajiviyaphale, jao nam bahunam nagaragoruvanam sanahana ya anahana ya nagaragaviyana ya nagarabalivaddana ya nagarapaddiyana ya nagaravasabhana ya uhehi ya thanehi ya vasanehi ya chheppahi ya kakuhehi ya vahehi ya kannehi ya achchhihi ya nasahi ya jibbhahi ya otthehi ya kambalehi ya sollehi ya taliehi ya bhajjiehi ya parisukkehi ya lavanehi ya suram cha mahum cha meragam cha jaim cha sidhum cha pasannam cha asaemanio visaemanio paribhaemanio paribhumjemanio dohalam vinemti. Tam jai nam ahamavi bahunam nagara goruvanam sanahana ya anahana ya nagaragaviyana ya nagarabalivaddana ya nagarapaddiyana ya nagaravasabhana ya uhehi ya thanehi ya vasanehi ya chheppahi ya kakuhehi ya vahehi ya kannehi ya achchhihi ya nasahi ya jibbhahi ya otthehi ya kambalehi ya sollehi ya taliehi ya bhajjiehi ya parisukkehi ya lavanehi ya suram cha maham cha meragam cha jaim cha sidhum cha pasannam cha asaemani visaemani paribhaemani paribhumjemani dohalam vinijjami tti kattu tamsi dohalamsi avinijjamanamsi sukka bhukkha nimmamsa olugga oluggasarira nitteya dinavimana-vayana pamdullaiyamuhi omamthiyanayanavadanakamala jahoiyam puppha vattha gamdha mallalamkaraharam apari-bhumjamani karayalamaliyavva kamalamala ohaya manasamkappa karatalapalhatthamuhi attajjhanovagaya bhumigayaditthiya jjhiyai. Imam cha nam bhime kudaggahe jeneva uppala kudaggahini teneva uvagachchhai, uvagachchhitta uppalam kudaggahinim ohaya manasamkappam karatalapalhatthamuhim attajjhanovagayam bhumigayaditthiyam jjhiyayamanim pasai, pasitta evam vayasi– kim nam tumam devanuppie! Ohaya manasamkappa karatalapalhatthamuhi attajjhanovagaya bhumigayaditthiya jjhiyasi? Tae nam sa uppala bhariya bhimam kudaggaham evam vayasi– evam khalu devanuppiya! Mamam tinham masanam bahupadipunnanam dohale paubbhue– dhannao nam tao ammayao, sampunnao nam tao ammayao, kayatthao nam tao ammayao, kayapunnao nam tao ammayao, kayalakkhanao nam tao ammayao, kayavihavao nam tao ammayao, suladdhe nam tasim manussae jammajiviyaphale, jao nam bahunam nagaragoruvanam sanahana ya anahana ya nagaragaviyana ya nagarabalivaddana ya nagarapaddiyana ya nagaravasabhana ya uhehi ya thanehi ya vasanehi ya chheppahi ya kakuhehi ya vahehi ya kannehi ya achchhihi ya nasahi ya jibbhahi ya otthehi ya kambalehi ya sollehi ya taliehi ya bhajjiehi ya parisukkehi ya lavanehi ya suram cha mahum cha meragam cha jaim cha sidhum cha pasannam cha asaemanio visaemanio paribhaemanio paribhumjemanio dohalam vinemti. Taha nam aham devanuppiya! Tamsi dohalamsi avinijjamanamsi sukka bhukkha nimmamsa olugga oluggasarira nitteya dinavimanavayana pamdullaiyamuhi omamthiya nayanavadanakamala jahoiyam puppha vattha gamdha mallalamkaraharam aparibhumjamani karayalamaliyavva kamalamala ohayamanasamkappa karatalapalhatthamuhi attajjhanovagaya bhumigayaditthiya jjhiyami. Tae nam se bhime kudaggahe uppalam bhariyam evam vayasi– ma nam tumam devanuppiya! Ohayamanasamkappa karatalapalhatthamuhi attajjhanovagaya bhumigayaditthiya jjhiyahi. Aham nam taha karissami jaha nam tava dohalassa sampatti bhavissai– tahim itthahim kamtahim piyahim manunnahim manamahim vagguhim samasasei. Tae nam se bhime kudaggahe addharattakalasamayamsi ege abie sannaddha baddhavammiya kavae uppiliyasarasanapattie pinaddhagevejje vimalavarabaddhachimdhapatte gahiyauhappaharane sao gihao niggachchhai, niggachchhitta hatthinauram nayaram majjhammajjhenam jeneva gomamdave teneva uvagae bahunam nagaragoruvanam sanahana ya anahana ya nagaragaviyana ya nagarabalivaddana ya nagarapaddiyana ya nagaravasabhana ya– appegaiyanam uhe chhimdai, appegaiyanam thane chhimdai, appegaiyanam vasane chhimdai, appegaiyanam chheppa chhimdai, appegaiyanam kakuhe chhimdai, appegaiyanam vahe chhimdai, appegaiyanam kanne chhimdai, appegaiyanam nasa chhimdai, appegaiyanam jibbha chhimdai, appegaiyanam otthe chhimdai, appe-gaiyanam kambalae chhimdai, appegaiyanam annamannaim amgovamgaim viyamgei, viyamgetta jeneva sae gihe teneva uvagachchhai, uvagachchhitta uppalae kudaggahinie uvanei. Tae nam sa uppala bhariya tehim bahuhim gomamsehim sollehi ya taliehi ya bhajjiehi ya parisukkehi ya lavanehi ya suram cha mahum cha meragam cha jaim cha sidhum cha pasannam cha asaemani visaemani paribhaemani paribhumjemani tam dohalam vinei. Tae nam sa uppala kudaggahini sampunnadohala sammaniyadohala viniyadohala vichchhinna-dohala sampannadohala tam gabbham suhamsuhenam parivahai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Tatpashchat usa purusha ko dekhakara bhagavan gautama ko yaha chintana, vichara, manahsamkalpa utpanna hua ki – ‘aho! Yaha purusha kaisi narakatulya vedana ka anubhava kara raha hai !’ aisa vichara karake vanijagrama nagara mem uchcha, nicha, madhyama gharom mem bhramana karate hue yathaparyapta bhiksha lekara vanijagrama nagara ke madhya mem se hote hue shramana bhagavana mahavira ke pasa ae. Bhiksha dikhalai bhagavana ko vandana – namaskara karake unase isa prakara kahane lage – he prabho ! Apaki ajnya se maim bhiksha ke hetu vanijagrama nagara mem gaya. Vaham maimne eka aise purusha ko dekha jo sakshat narakiya vedana ka anubhava kara raha hai. He bhagavan ! Vaha purusha purvabhava mem kauna tha\? Jo yavat naraka jaisi vishama vedana bhoga raha hai\? He gautama ! Usa kala tatha usa samaya mem isa jambudvipa namaka dvipa ke bharatakshetra mem hastinapura namaka eka samriddha nagara tha. Usa nagara ka sunanda namaka raja tha. Vaha himalaya parvata ke samana mahan tha. Usa hastinapura namaka nagara ke lagabhaga madhyabhaga mem saikarom stambhom se nirmita sundara, manohara, mana ko prasanna karane vali eka vishala goshala thi. Vaham para nagara ke aneka sanatha aura anatha, aisi nagara ki gayem, baila, nagarika chhoti gayem, bhaimse, nagara ke samda, jinhem prachura matra mem ghasa – pani milata tha, bhaya tatha upasargadi se rahita hokara parama sukha – purvaka nivasa karate the. Usa hastinapura nagara mem bhima namaka eka kutagraha rahata tha. Vaha svabhava se hi adharmi va kathinai se prasanna hone vala tha. Usa bhima kutagraha ki utpala namaka bharya thi jo ahina pamchendriya vali thi. Kisi samaya vaha utpala garbhavati hui. Usa utpala nama ki kutagraha ki patni ko pure tina masa ke pashchat isa prakara ka dohada utpanna hua – Ve mataem dhanya haim, punyavati haim, kritartha haim, sulakshana haim, unaka aishvarya saphala hai, unaka manushyajanma – jivana bhi sarthaka hai, jo aneka anatha ya sanatha nagarika pashuom yavat vrishabhom ke udhas, stana, vrishana, pumchha, kakud, skandha, karna, netra, nasika, jibha, oshtha, kambala, jo ki shulya, talita, bhrishta, shushka aura lavanasamskrita mamsa ke satha sura, madhu meraka, sidhu, prasanna, ina saba madyom ka samanya va vishesha rupa se asvadana, visvadana, paribhajana tatha paribhoga karati hui apane dohada ko purna karati haim. Kasha ! Maim bhi apane dohada ko isi prakara purna karum. Isa vichara ke anantara usa dohada ke purna na hone se vaha utpala namaka kutagraha ki patni sukhane lagi, bhukhe vyakta ke samana dikhane lagi, mamsa rahita – asthi – shesha ho gayi, rogini va rogi ke samana shithila sharira vali, nisteja, dina tatha chintatura mukha vali ho gayi. Usaka badana phika tatha pila para gaya, netra tatha mukha – kamala murjha gaya, yathochita pushpa, vastra, gandha, malya – phulom ki gumthi hui mala – abhushana aura hara adi ka upabhoga na karanevali, karatala se mardita kamala ko mala ki taraha mlana hui kartavya va akartavya ke vivekarahita chinta – grasta rahane lagi. Itane mem bhima namaka kutagraha, jaham para utpala nama ki kutagrahini thi, vaham aya aura usane artadhyana dhyati hui chintagrasta utpala ko dekhakara kahane laga – ‘devanupriye ! Tuma kyom isa taraha shokakula, hatheli para mukha rakhakara artadhyana mem magna ho rahi ho\? Svamin ! Lagabhaga tina masa purna hone para mujhe yaha dohada utpanna hua ki ve mataem dhanya haim, ki jo chatushpada pashuom ke udhas, stana adi ke lavana – samskrita mamsa ka aneka prakara ki madiraom ke satha asvadana karati hui apane dohada ko purna karati hai. Usa dohada ke purna na hone se nisteja va hatotsaha hokara maim artadhyana mem magna hum. Tadanantara bhima kutagraha ne utpala se kaha – devanupriye ! Tuma chintagrasta va artadhyana yukta na hoo, maim vaha saba kuchha karumga jisase tumhare isa dohada ki paripurti ho jaegi. Isa prakara ke ishta, priya, kanta, manohara, manojnya vachanom se usane use samashvasana diya. Tatpashchat bhima kutagraha adhi ratri ke samaya akela hi drirha kavacha pahanakara, dhanusha – bana se sajji hokara, graiveyaka dharana kara evam ayudha praharanom ko lekara apane ghara se nikala aura hastinapura nagara ke madhya se hota hua jaham para gomandapa tha vaham akara vaha nagarika pashuom yavat vrishabhom mem se kaim eka ke udhas, kaim eka ke sasna – kambala adi va kaim eka ke anyanya angompangom ko katata hai aura katakara apane ghara ata hai. Akara apani bharya utpala ko de deta hai. Tadanantara vaha utpala una aneka prakara ke shula adi para pakaye gae gomamsom ke satha aneka prakara ki madira adi ka asvadana, visvadana karati hui apane dohada paripurna karati hai. Isa taraha vaha paripurna dohadavali, sanmanita dohada vali, vinita dohadavali, vyuchchhinna dohadavali va sampanna dohadavali hokara garbha ko sukhapurvaka dharana karati hai. |