Sutra Navigation: Gyatadharmakatha ( धर्मकथांग सूत्र )

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Sr No : 1004780
Scripture Name( English ): Gyatadharmakatha Translated Scripture Name : धर्मकथांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-८ मल्ली

Translated Chapter :

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-८ मल्ली

Section : Translated Section :
Sutra Number : 80 Category : Ang-06
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अनगारा मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरंति जाव एगराइयं। तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अनगारा खुड्डागं सीहनिक्कीलियं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरंति, तं जहा– चउत्थं करेंति, सव्वकामगुणियं पारेंति। छट्ठं करेंति, चउत्थं करेंति। अट्ठमं करेंति, छट्ठं करेंति। दसमं करेंति, अट्ठमं करेंति। दुवालसमं करेंति, दसमं करेंति। चोद्दसमं करेंति, दुवालसमं करेंति। सोलसमं करेंति, चोद्दसमं करेंति। अट्ठारसमं करेंति, सोलसमं करेंति। वीसइमं करेंति, सोलसमं करेंति। अट्ठारसमं करेंति, चोद्दसमं करेंति। सोलसमं करेंति, दुवालसमं करेंति। चोद्दसमं करेंति, दसमं करेंति। दुवालसमं करेंति, अट्ठमं करेंति। दसमं करेंति, छट्ठं करेंति। अट्ठमं करेंति, चउत्थं करेंति। छट्ठं करेंति, चउत्थं करेंति, करेत्ता सव्वत्थ सव्वकामगुणिएणं पारेंति। एवं खलु एसा खुड्डागसीहनिक्कीलियस्स तवोकम्मस्स पढमा परिवाडी छहिं मासेहिं सत्तहि य अहोरत्तेहिं अहासुत्तं जाव आराहिया भवइ। तयानंतरं दोच्चाए परिवाडीए चउत्थं करेंति, नवरं–विगइवज्जं पारेंति। एवं तच्चा वि परिवाडी, नवरं–पारणए अलेवाडं पारेंति। एवं चउत्था वि परिवाडी, नवरं–पारणए आयंबिलेण पारेंति। तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अनगारा खुड्डागं सीहनिक्कीलियं तवोकम्मं दोहिं संवच्छरेहिं अट्ठवीसाए अहोरत्तेहिं अहासुत्तं जाव आणाए आराहेत्ता जेणेव थेरे भगवंते तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते वंदंति नमंसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–इच्छामो णं भंते! महालयं सीहनिक्कीलियं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। तहेव जहा खुड्डागं, नवरं–चोत्तीसइमाओ नियत्तइ। एगाए परिवाडीए कालो एगेणं संवच्छरेणं छहिं मासेहिं अट्ठारसहिं य अहोरत्तेहिं समप्पेइ। सव्वंपि महालयं सीहनिक्कीलियं छहिं वासेहिं दोहिं मासेहिं बारसहि य अहोरत्तेहिं समप्पेइ। तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अनगारा महालयं सीहनिक्कीलियं अहासुत्तं जाव आराहित्ता जेणेव थेरे भगवंते तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते वंदंति नमंसंति, वंदित्ता नमंसित्ता बहूणि चउत्थ-छट्ठट्ठम-दसम-दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं अप्पाणं भावेमाणा विहरंति। तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अनगारा तेणं उरालेणं तवोकम्मेणं सुक्का भुक्खा निम्मंसा किडि-किडियाभूया अट्ठिचम्मावणद्धा किसा धमणिसंतया जाया या वि होत्था। जहा खंदओ नवरं–थेरे आपुच्छित्ता चारुपव्वयं सणियं-सणियं दुरुहंति जाव दोमासियाए संलेहणाए अप्पाणं ज्झोसेत्ता, सवीसं भत्तसयं अनसणाए छेएत्ता, चतुरासीइं वाससयसहस्साइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता, चुलसीइं पुव्वसयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता जयंते विमाणे देवत्ताए उववन्ना।
Sutra Meaning : तत्पश्चात्‌ वे महाबल आदि सातों अनगार एक मास की पहली भिक्षु – प्रतिमा अंगीकार करके विचरने लगे। यावत्‌ बारहवी एकरात्रि की भिक्षु – प्रतिमा अंगीकार करके विचरने लगे। तत्पश्चात्‌ वे महाबल प्रभृति सातों अनगार क्षुल्लक सिंहनिष्क्रीडित नामक तपश्चरण अंगीकार करके विचरने लगे। वह तप इस प्रकार किया जाता है – सर्वप्रथम एक उपवास करे, उपवास करके सर्वकामगुणित पारणा करे, पारणा करके दो उपवास करे, फिर एक उपवास करे, करके तीन उपवास करे, करके दो उपवास करे, करके चार उपवास करे, करके तीन उपवास करे, करके पाँच उपवास करे, करके चार उपवास करे, करके छह उपवास करे, करके पाँच उपवास करे, करके सात उपवास करे, करके छह उपवास करे, करके आठ उपवास करे, करके सात उपवास करे, करके नौ उपवास करे, करके आठ उपवास करे, करके नौ उपवास करे, करके सात उपवास करे, करके आठ उपवास करे, करके छह उपवास करे, करके सात उपवास करे, करके पाँच उपवास करे, करके छह उपवास करे, करके चार उपवास करे, करके पाँच उपवास करे, करके तीन उपवास करे, करके चार उपवास करे, करके दो उपवास करे, करके तीन उपवास करे, करके एक उपवास करे, करके दो उपवास करे, करके एक उपवास करे। सब जगह पारणा के दिन सर्वकामगुणित पारणा करके उपवासों का पारणा समझना चाहिए। इस प्रकार इस क्षुल्लक सिंहनिष्क्रिडित तप की पहली परिपाटी छह मास और सात अहोरात्रों में सूत्र के अनुसार यावत्‌ आराधित होती है। तत्पश्चात्‌ दूसरी परिपाटी में एक उपवास करते हैं, इत्यादि विशेषता यह है कि इसमें विकृति रहित पारणा करते हैं, इसी प्रकार तीसरी परिपाटी। विशेषता यह है कि अलेपकृत से पारणा करते हैं। चौथी परिपाटी में भी ऐसा ही करते हैं किन्तु उसमें आयंबिल से पारणा की जाती है। तत्पश्चात्‌ महाबल आदि सातों अनगार क्षुल्लक सिंहनिष्क्रिडित तप को दो वर्ष और अट्ठाईस अहोरात्र में, सूत्र के कथनानुसार यावत्‌ तीर्थंकर की आज्ञा से आराधन करके, जहाँ स्थविर भगवान थे, वहाँ आए। आकर उन्होंने वन्दना की, नमस्कार किया। वन्दना – नमस्कार करके इस प्रकार बोले – भगवन्‌ ! हम महत्‌ सिंहनिष्क्रिडित नामक तपःकर्म करना चाहते हैं आदि। यह तप क्षुल्लक सिंहनिष्क्रिडित तप के समान जानना। विशेषता यह कि इसमें सोलह उपवास तक पहुँचकर वापिस लौटा जाता है। एक परिपाटी एक वर्ष, छह मास और अठारह अहोरात्र में समाप्त होती है। सम्पूर्ण महासिंहनिष्क्रिडित तप छह वर्ष, दो मास और बारह अहोरात्र में पूर्ण होता है। तत्पश्चात्‌ वे महाबल प्रभृति सातों मुनि महासिंहनिष्क्रिडित तपःकर्म का सूत्र के अनुसार यावत्‌ आराधन करके जहाँ स्थविर भगवान थे वहाँ आते हैं। स्थविर भगवान को वन्दना और नमस्कार करते हैं। बहुत से उपवास, तेला आदि करते हुए विचरते हैं। तत्पश्चात्‌ वे महाबल प्रभृति अनगार उस प्रधान तप के कारण शुष्क रूक्ष हो गए, स्कन्दक मुनि समान – जानना। विशेषता यह कि इन सात मुनियों ने स्थविर भगवान से आज्ञा ली। आज्ञा लेकर चारु पर्वत पर आरूढ़ होकर यावत्‌ दो मास की संलेखना करके – १२० भक्त का अनशन करके, चौरासी लाख वर्षों तक संयम का पालन करके, चौरासी लाख पूर्व का कुल आयुष्य भोगकर जयंत नामक तीसरे अनुत्तर विमान में देव – पर्याय से उत्पन्न हुए
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam te mahabbalapamokkha satta anagara masiyam bhikkhupadimam uvasampajjitta nam viharamti java egaraiyam. Tae nam te mahabbalapamokkha satta anagara khuddagam sihanikkiliyam tavokammam uvasampajjitta nam viharamti, tam jaha– Chauttham karemti, savvakamaguniyam paremti. Chhattham karemti, chauttham karemti. Atthamam karemti, chhattham karemti. Dasamam karemti, atthamam karemti. Duvalasamam karemti, dasamam karemti. Choddasamam karemti, duvalasamam karemti. Solasamam karemti, choddasamam karemti. Attharasamam karemti, solasamam karemti. Visaimam karemti, solasamam karemti. Attharasamam karemti, choddasamam karemti. Solasamam karemti, duvalasamam karemti. Choddasamam karemti, dasamam karemti. Duvalasamam karemti, atthamam karemti. Dasamam karemti, chhattham karemti. Atthamam karemti, chauttham karemti. Chhattham karemti, chauttham karemti, karetta savvattha savvakamagunienam paremti. Evam khalu esa khuddagasihanikkiliyassa tavokammassa padhama parivadi chhahim masehim sattahi ya ahorattehim ahasuttam java arahiya bhavai. Tayanamtaram dochchae parivadie chauttham karemti, navaram–vigaivajjam paremti. Evam tachcha vi parivadi, navaram–paranae alevadam paremti. Evam chauttha vi parivadi, navaram–paranae ayambilena paremti. Tae nam te mahabbalapamokkha satta anagara khuddagam sihanikkiliyam tavokammam dohim samvachchharehim atthavisae ahorattehim ahasuttam java anae arahetta jeneva there bhagavamte teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta there bhagavamte vamdamti namamsamti, vamditta namamsitta evam vayasi–ichchhamo nam bhamte! Mahalayam sihanikkiliyam tavokammam uvasampajjitta nam viharittae. Taheva jaha khuddagam, navaram–chottisaimao niyattai. Egae parivadie kalo egenam samvachchharenam chhahim masehim attharasahim ya ahorattehim samappei. Savvampi mahalayam sihanikkiliyam chhahim vasehim dohim masehim barasahi ya ahorattehim samappei. Tae nam te mahabbalapamokkha satta anagara mahalayam sihanikkiliyam ahasuttam java arahitta jeneva there bhagavamte teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta there bhagavamte vamdamti namamsamti, vamditta namamsitta bahuni chauttha-chhatthatthama-dasama-duvalasehim masaddhamasakhamanehim appanam bhavemana viharamti. Tae nam te mahabbalapamokkha satta anagara tenam uralenam tavokammenam sukka bhukkha nimmamsa kidi-kidiyabhuya atthichammavanaddha kisa dhamanisamtaya jaya ya vi hottha. Jaha khamdao navaram–there apuchchhitta charupavvayam saniyam-saniyam duruhamti java domasiyae samlehanae appanam jjhosetta, savisam bhattasayam anasanae chheetta, chaturasiim vasasayasahassaim samannapariyagam paunitta, chulasiim puvvasayasahassaim savvauyam palaitta jayamte vimane devattae uvavanna.
Sutra Meaning Transliteration : Tatpashchat ve mahabala adi satom anagara eka masa ki pahali bhikshu – pratima amgikara karake vicharane lage. Yavat barahavi ekaratri ki bhikshu – pratima amgikara karake vicharane lage. Tatpashchat ve mahabala prabhriti satom anagara kshullaka simhanishkridita namaka tapashcharana amgikara karake vicharane lage. Vaha tapa isa prakara kiya jata hai – sarvaprathama eka upavasa kare, upavasa karake sarvakamagunita parana kare, parana karake do upavasa kare, phira eka upavasa kare, karake tina upavasa kare, karake do upavasa kare, karake chara upavasa kare, karake tina upavasa kare, karake pamcha upavasa kare, karake chara upavasa kare, karake chhaha upavasa kare, karake pamcha upavasa kare, karake sata upavasa kare, karake chhaha upavasa kare, karake atha upavasa kare, karake sata upavasa kare, karake nau upavasa kare, karake atha upavasa kare, karake nau upavasa kare, karake sata upavasa kare, karake atha upavasa kare, karake chhaha upavasa kare, karake sata upavasa kare, karake pamcha upavasa kare, karake chhaha upavasa kare, karake chara upavasa kare, karake pamcha upavasa kare, karake tina upavasa kare, karake chara upavasa kare, karake do upavasa kare, karake tina upavasa kare, karake eka upavasa kare, karake do upavasa kare, karake eka upavasa kare. Saba jagaha parana ke dina sarvakamagunita parana karake upavasom ka parana samajhana chahie. Isa prakara isa kshullaka simhanishkridita tapa ki pahali paripati chhaha masa aura sata ahoratrom mem sutra ke anusara yavat aradhita hoti hai. Tatpashchat dusari paripati mem eka upavasa karate haim, ityadi visheshata yaha hai ki isamem vikriti rahita parana karate haim, isi prakara tisari paripati. Visheshata yaha hai ki alepakrita se parana karate haim. Chauthi paripati mem bhi aisa hi karate haim kintu usamem ayambila se parana ki jati hai. Tatpashchat mahabala adi satom anagara kshullaka simhanishkridita tapa ko do varsha aura atthaisa ahoratra mem, sutra ke kathananusara yavat tirthamkara ki ajnya se aradhana karake, jaham sthavira bhagavana the, vaham ae. Akara unhomne vandana ki, namaskara kiya. Vandana – namaskara karake isa prakara bole – bhagavan ! Hama mahat simhanishkridita namaka tapahkarma karana chahate haim adi. Yaha tapa kshullaka simhanishkridita tapa ke samana janana. Visheshata yaha ki isamem solaha upavasa taka pahumchakara vapisa lauta jata hai. Eka paripati eka varsha, chhaha masa aura atharaha ahoratra mem samapta hoti hai. Sampurna mahasimhanishkridita tapa chhaha varsha, do masa aura baraha ahoratra mem purna hota hai. Tatpashchat ve mahabala prabhriti satom muni mahasimhanishkridita tapahkarma ka sutra ke anusara yavat aradhana karake jaham sthavira bhagavana the vaham ate haim. Sthavira bhagavana ko vandana aura namaskara karate haim. Bahuta se upavasa, tela adi karate hue vicharate haim. Tatpashchat ve mahabala prabhriti anagara usa pradhana tapa ke karana shushka ruksha ho gae, skandaka muni samana – janana. Visheshata yaha ki ina sata muniyom ne sthavira bhagavana se ajnya li. Ajnya lekara charu parvata para arurha hokara yavat do masa ki samlekhana karake – 120 bhakta ka anashana karake, chaurasi lakha varshom taka samyama ka palana karake, chaurasi lakha purva ka kula ayushya bhogakara jayamta namaka tisare anuttara vimana mem deva – paryaya se utpanna hue