Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004545 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-३५ एकेन्द्रिय शतक-शतक-१ |
Translated Chapter : |
शतक-३५ एकेन्द्रिय शतक-शतक-१ |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 1045 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया णं भंते! कओ उववज्जंति–किं नेरइएहिंतो? जहा उप्पलुद्देसए तहा उववाओ ते णं भंते! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जंति? गोयमा! सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति। ते णं भंते! जीवा समए समए–पुच्छा। गोयमा! ते णं अनंता समए समए अवहीरमाणा-अवहीरमाणा अनंताहिं ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीहिं अवहीरंति, नो चेव णं अवहिया सिया। उच्चत्तं जहा उप्पलुद्देसए। ते णं भंते! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स किं बंधगा? अबंधगा? गोयमा! बंधगा, नो अबंधगा। एवं सव्वेसिं आउयवज्जाणं। आउयस्स बंधगा वा अबंधगा वा। ते णं भंते! जीवा नाणावरणिज्जस्स–पुच्छा। गोयमा! वेदगा, नो अवेदगा। एवं सव्वेसिं। ते णं भंते! जीवा किं सातावेदगा? असातावेदगा? गोयमा! सातावेदगा वा असातावेदगा वा। एवं उप्पलुद्देसगपरिवाडी। सव्वेसिं कम्माणं उदई, नो अणुदई। छण्हं कम्माणं उदीरगा, नो अनुदीरगा। वेदणिज्जाउयाणं उदीरगा वा अनुदीरगा वा। ते णं भंते! जीवा किं कण्हलेस्सा–पुच्छा। गोयमा! कण्हलेस्सा वा, नीललेस्सा वा, काउलेस्सा वा, तेउलेस्सा वा। नो सम्मदिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी, मिच्छादिट्ठी। नो नाणी, अन्नाणी–नियमं दुअन्नाणी, तं जहा–मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य। नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी। सागारोवउत्ता वा, अनागारोवउत्ता वा। तेसिं णं भंते! जीवाणं सरीरगा कतिवण्णा? जहा उप्पलुद्देसए सव्वत्थ–पुच्छा। गोयमा! जहा उप्पलुद्देसए ऊसासगा वा, नीसासगा वा, नो उस्सासनीसासगा वा। आहारगा वा अनाहारगा वा। नो विरया, अविरया, नो विरयाविरया। सकिरिया, नो अकिरिया। सत्तविहबंधगा वा अट्ठविहबंधगा वा। आहारसण्णोवउत्ता वा जाव परिग्गह-सण्णोवउत्ता वा। कोहकसायी वा जाव लोभकसायी वा। नो इत्थिवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुंसगवेदगा। इत्थिवेदबंधगा वा पुरि-सवेदबंधगा वा नपुंसगवेदबंधगा वा। नो सण्णी, असण्णी। सइंदिया, नो अनिंदिया। ते णं भंते! कडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया कालओ केवच्चिरं होंति? गोयमा! जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अनंतं कालं–अनंता ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ, वणस्सइ काइयकालो। संवेहो न भण्णइ, आहारो जहा उप्पलुद्देसए नवरं–निव्वाघाएणं छद्दिसिं, वाघायं पडुच्च सिय तिदिसिं, सिय चउदिसिं, सिय पंचदिसिं, सेसं तहेव। ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साइं। समुग्घाया आदिल्ला चत्तारि। मारणंतियसमुग्घातेणं समोहया वि मरंति, असमोहया वि मरंति। उव्वट्टणा जहा उप्पलुद्देसए। अह भंते! सव्वपाणा जाव सव्वसत्ता कडजुम्मकडजुम्मएगिंदियत्ताए उववन्नपुव्वा? हंता गोयमा! असइं अदुवा अनंतखुत्तो। कडजुम्मतेओयएगिंदिया णं भंते! कओ उववज्जंति? उववाओ तहेव। ते णं भंते! जीवा एगसमए–पुच्छा। गोयमा! एकूणवीसा वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति, सेसं जहा कडजुम्मकडजुम्माणं जाव अनंतखुत्तो। कडजुम्मदावरजुम्मएगिंदिया णं भंते! कओहिंतो उववज्जंति? उववाओ तहेव। ते णं भंते! जीवा एगसमएणं–पुच्छा। गोयमा! अट्ठारस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति, सेसं तहेव जाव अनंतखुत्तो। कडजुम्मकलियोगएगिंदिया णं भंते! कओहिंतो उववज्जंति? उववाओ तहेव परिमाणं सत्तरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा, सेसं तहेव जाव अनंतखुत्तो। तेयोगकडजुम्मएगिंदिया णं भंते! कओहिंतो उववज्जंति उववाओ तहेव, परिमाणं बारस वा संखेज्जा वा असंखे-ज्जा वा अनंता वा उववज्जंति, सेसं तहेव जाव अनंतखुत्तो। तेयोयतेयोयएगिंदिया णं भंते! कओहिंतो उववज्जंति? उववाओ तहेव। परिमाणं पन्नरस वा संखेज्जा वा असं-खेज्जा वा अनंता वा, सेसं तहेव जाव अनंतखुत्तो। एवं एएसु सोलससु महाजुम्मेसु एक्को गमओ, नवरं–परिमाणे नाणत्तं–तेयोय-दावरजुम्मेसु परिमाणं चोद्दस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति। तेयोगकलियोगेसु तेरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति। दावरजुम्मकडजुम्मेसु अट्ठ वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति। दावरजुम्मतेयो-गेसु एक्कारस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति। दावरजुम्मदावरजुम्मेसु दस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति। दावरजुम्म-कलियोगेसु नव वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति। कलियोगकडजुम्मे चत्तारि वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति। कलियोगतेयोगेसु सत्त वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति। कलियोगदावरजुम्मेसु छ वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति। कलियोगकलियोगएगिंदिया णं भंते! कओ उववज्जंति? उववाओ तहेव। परिमाणं पंच वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति, सेसं तहेव जाव अनंतखुत्तो। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! कृतयुग्म – कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! उत्पलोद्देशक के उपपात समान उपपात कहना चाहिए। भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! वे सोलह, संख्यात, असंख्यात या अनन्त। भगवन् ! वे अनन्त जीव समय – समय में एक – एक अपहृत किये जाएं तो कितने काल में अपहृत होते हैं ? गौतम ! अनन्त अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी बीत जाएं तो भी वे अपहृत नहीं होते। इनकी ऊंचाई उत्पलोद्देशक के अनुसार जानना। भगवन् ! वे एकेन्द्रिय जीव ज्ञानावरणीयकर्म के बन्धक हैं या अबन्धक ? गौतम ! वे बन्धक हैं, अबन्धक नहीं वे जीव आयुष्यकर्म को छोड़कर शेष सभी कर्मों के बन्धक हैं। आयुष्यकर्म के वे बन्धक भी हैं और अबन्धक भी हैं भगवन् ! वे जीव ज्ञानावरणीयकर्म के वेदक हैं या अवेदक हैं ? गौतम ! वेदक हैं, अवेदक नहीं हैं। इसी प्रकार सभी कर्मों में जानना। भगवन् ! वे जीव साता के वेदक हैं अथवा असाता के ? गौतम ! वे सातावेदक भी होते हैं, अथवा असातावेदक भी एवं उत्पलोद्देशक की परिपाटी के अनुसार वे सभी कर्मों के उदय वाले हैं, वे छह कर्मों के उदीरक हैं तथा वेदनीय और आयुष्यकर्म के उदीरक भी हैं और अनुदीरक भी हैं। भगवन् ! वे एकेन्द्रिय जीव क्या कृष्णलेश्या वाले होते हैं ? इत्यादि प्रश्न। गौतम ! वे जीव कृष्णलेश्यी, नीललेश्यी, कापोतलेश्यी अथवा तेजोलेश्यी होते हैं। ये मिथ्यादृष्टि होते हैं। वे अज्ञानी होते हैं। वे नियमतः दो अज्ञान वाले होते हैं, यथा – मतिअज्ञानी और श्रुतअज्ञानी। वे काययोगी होते हैं। वे साकारोपयोग वाले भी होते हैं और अनाकारोपयोग वाले भी होते हैं। भगवन् ! उन एकेन्द्रिय जीवों के शरीर कितने वर्ण के होते हैं ? इत्यादि समग्र प्रश्न। गौतम ! उत्पलोद्देशक के अनुसार, उनके शरीर पाँच वर्ण, पाँच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श वाले होते हैं। वे उच्छ्वास वाले या निःश्वास वाले अथवा नो – उच्छ्वास – निःश्वास वाले होते हैं। आहारक या अनाहारक होते हैं। वे अविरत होते हैं क्रियायुक्त होते हैं, सात या आठ कर्मप्रकृतियों के बन्धक होते हैं। आहारसंज्ञा यावत् परिग्रहसंज्ञा वाले होते हैं। क्रोधकषायी यावत् लोभकषायी होते हैं। नपुंसकवेदी होते हैं। स्त्रीवेदबन्धक पुरुषवेद – बन्धक या नपुंसकवेद – बन्धक होते हैं। असंज्ञी होते हैं और सइन्द्रिय होते हैं। भगवन् ! वे कृतयुग्म – कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रिय जीव काल की अपेक्षा कितने काल तक होते हैं ? गौतम! वे जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अनन्तकाल – अनन्त वनस्पतिकाल – पर्यन्त होते हैं। यहाँ संवेध का कथन नहीं किया जाता। आहार उत्पलोद्देशक अनुसार जानना, किन्तु वे व्याघातरहित छह दिशा से और व्याघात हो तो कदाचित् तीन, चार या पाँच दिशा से आहार लेते हैं। स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट बाईस हजार वर्ष की होती है। आदि के चार समुद्घात होते हैं। ये मारणान्तिक समुद्घात से समवहत अथवा असमवहत होकर मरते हैं और उद्वर्त्तना उत्पलोद्देशक के अनुसार जानना। भगवन् ! समस्त प्राण, भूत, जीव और सत्त्व क्या कृतयुग्म – कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रियरूप से पहले उत्पन्न हुए हैं ? हाँ, गौतम ! वे अनेक बार अथवा अनन्त बार उत्पन्न हो चूके हैं। भगवन् ! कृतयुग्म – त्र्योजराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? इत्यादि प्रश्न। गौतम ! उनका उपपात पूर्ववत् जानना। भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! वे एक समय में उन्नीस, संख्यात, असंख्यात या अनन्त उत्पन्न होते हैं। शेष पूर्ववत्। कृतयुग्म – कृतयुग्मराशिरूप के पाठ के अनुसार अनन्त बार उत्पन्न हुए हैं, तक कहना। भगवन् ! कृतयुग्म – द्वापरयुग्मरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! उपपात पूर्ववत् जानना। भगवन् ! वे जीव एक समयमें कितने उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! अठारह, संख्यात, असंख्यात या अनन्त उत्पन्न होते हैं। शेष सब पूर्ववत् यावत् अनन्त बार उत्पन्न हुए हैं, भगवन् ! कृतयुग्म – कल्योजरूप एकेन्द्रिय कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! उपपात पूर्ववत्। इनका परिमाण है – सत्रह, संख्यात, असंख्यात या अनन्त। शेष पूर्ववत् यावत् अनन्त बार उत्पन्न हो चूके हैं। भगवन् ! त्र्योज – कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! उपपात पूर्ववत् जानना। इनका परिमाण है – बारह, संख्यात, असंख्यात अथवा अनन्त। शेष पूर्ववत् यावत् अनन्तबार उत्पन्न हुए हैं। भगवन् ! त्र्योज – त्र्योजराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! उपपात पूर्ववत् है। इनका परिमाण – पन्द्रह, संख्यात, असंख्यात या अनन्त। शेष पूर्ववत् यावत् अनन्त बार उत्पन्न हुए इस प्रकार इन सोलह महायुग्मों का एक ही प्रकार का कथन समझना चाहिए। किन्तु इनके परिमाण में भिन्नता है। जैसे कि – त्र्योजद्वापरयुग्म का प्रतिसमय उत्पाद का परिमाण चौदह, संख्यात, असंख्यात या अनन्त है। त्र्योजकल्योज का है – तेरह, संख्यात, असंख्यात या अनन्त। द्वापरयुग्मकृतयुग्म का उत्पाद – परिमाण आठ, संख्यात, असंख्यात या अनन्त है। द्वापरयुग्मत्र्योज का ग्यारह, संख्यात, असंख्यात या अनन्त है। द्वापरयुग्मद्वाप – रयुग्म में दस, संख्यात, असंख्यात या अनन्त उत्पन्न होते हैं। द्वापरयुग्मकल्योज में नौ, संख्यात, असंख्यात या अनन्त हैं। कल्योजकृतयुग्म में चार, संख्यात, असंख्यात या अनन्त हैं। कल्योजत्र्योज में प्रतिसमय सात, संख्यात, असंख्यात या अनन्त है और कल्योजद्वापरयुग्म में छह, संख्यात, असंख्यात या अनन्त है। भगवन् ! कल्योज – कल्योजराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! उपपात पूर्ववत् कहना। परिमाण पाँच संख्यात, असंख्यात या अनन्त है। शेष पूर्ववत्। ‘हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है।’ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kadajummakadajummaegimdiya nam bhamte! Kao uvavajjamti–kim neraiehimto? Jaha uppaluddesae taha uvavao Te nam bhamte! Jiva egasamaenam kevaiya uvavajjamti? Goyama! Solasa va samkhejja va asamkhejja va anamta va uvavajjamti. Te nam bhamte! Jiva samae samae–puchchha. Goyama! Te nam anamta samae samae avahiramana-avahiramana anamtahim osappini-ussappinihim avahiramti, no cheva nam avahiya siya. Uchchattam jaha uppaluddesae. Te nam bhamte! Jiva nanavaranijjassa kammassa kim bamdhaga? Abamdhaga? Goyama! Bamdhaga, no abamdhaga. Evam savvesim auyavajjanam. Auyassa bamdhaga va abamdhaga va. Te nam bhamte! Jiva nanavaranijjassa–puchchha. Goyama! Vedaga, no avedaga. Evam savvesim. Te nam bhamte! Jiva kim satavedaga? Asatavedaga? Goyama! Satavedaga va asatavedaga va. Evam uppaluddesagaparivadi. Savvesim kammanam udai, no anudai. Chhanham kammanam udiraga, no anudiraga. Vedanijjauyanam udiraga va anudiraga va. Te nam bhamte! Jiva kim kanhalessa–puchchha. Goyama! Kanhalessa va, nilalessa va, kaulessa va, teulessa va. No sammaditthi, no sammamichchhaditthi, michchhaditthi. No nani, annani–niyamam duannani, tam jaha–maiannani ya suyaannani ya. No manajogi, no vaijogi, kayajogi. Sagarovautta va, anagarovautta va. Tesim nam bhamte! Jivanam sariraga kativanna? Jaha uppaluddesae savvattha–puchchha. Goyama! Jaha uppaluddesae usasaga va, nisasaga va, no ussasanisasaga va. Aharaga va anaharaga va. No viraya, aviraya, no virayaviraya. Sakiriya, no akiriya. Sattavihabamdhaga va atthavihabamdhaga va. Aharasannovautta va java pariggaha-sannovautta va. Kohakasayi va java lobhakasayi va. No itthivedaga, no purisavedaga, napumsagavedaga. Itthivedabamdhaga va puri-savedabamdhaga va napumsagavedabamdhaga va. No sanni, asanni. Saimdiya, no animdiya. Te nam bhamte! Kadajummakadajummaegimdiya kalao kevachchiram homti? Goyama! Jahannenam ekkam samayam, ukkosenam anamtam kalam–anamta osappini-ussappinio, vanassai kaiyakalo. Samveho na bhannai, aharo jaha uppaluddesae navaram–nivvaghaenam chhaddisim, vaghayam paduchcha siya tidisim, siya chaudisim, siya pamchadisim, sesam taheva. Thiti jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam bavisam vasasahassaim. Samugghaya adilla chattari. Maranamtiyasamugghatenam samohaya vi maramti, asamohaya vi maramti. Uvvattana jaha uppaluddesae. Aha bhamte! Savvapana java savvasatta kadajummakadajummaegimdiyattae uvavannapuvva? Hamta goyama! Asaim aduva anamtakhutto. Kadajummateoyaegimdiya nam bhamte! Kao uvavajjamti? Uvavao taheva. Te nam bhamte! Jiva egasamae–puchchha. Goyama! Ekunavisa va samkhejja va asamkhejja va anamta va uvavajjamti, sesam jaha kadajummakadajummanam java anamtakhutto. Kadajummadavarajummaegimdiya nam bhamte! Kaohimto uvavajjamti? Uvavao taheva. Te nam bhamte! Jiva egasamaenam–puchchha. Goyama! Attharasa va samkhejja va asamkhejja va anamta va uvavajjamti, sesam taheva java anamtakhutto. Kadajummakaliyogaegimdiya nam bhamte! Kaohimto uvavajjamti? Uvavao taheva parimanam sattarasa va samkhejja va asamkhejja va anamta va, sesam taheva java anamtakhutto. Teyogakadajummaegimdiya nam bhamte! Kaohimto uvavajjamti uvavao taheva, parimanam barasa va samkhejja va asamkhe-jja va anamta va uvavajjamti, sesam taheva java anamtakhutto. Teyoyateyoyaegimdiya nam bhamte! Kaohimto uvavajjamti? Uvavao taheva. Parimanam pannarasa va samkhejja va asam-khejja va anamta va, sesam taheva java anamtakhutto. Evam eesu solasasu mahajummesu ekko gamao, navaram–parimane nanattam–teyoya-davarajummesu parimanam choddasa va samkhejja va asamkhejja va anamta va uvavajjamti. Teyogakaliyogesu terasa va samkhejja va asamkhejja va anamta va uvavajjamti. Davarajummakadajummesu attha va samkhejja va asamkhejja va anamta va uvavajjamti. Davarajummateyo-gesu ekkarasa va samkhejja va asamkhejja va anamta va uvavajjamti. Davarajummadavarajummesu dasa va samkhejja va asamkhejja va anamta va uvavajjamti. Davarajumma-kaliyogesu nava va samkhejja va asamkhejja va anamta va uvavajjamti. Kaliyogakadajumme chattari va samkhejja va asamkhejja va anamta va uvavajjamti. Kaliyogateyogesu satta va samkhejja va asamkhejja va anamta va uvavajjamti. Kaliyogadavarajummesu chha va samkhejja va asamkhejja va anamta va uvavajjamti. Kaliyogakaliyogaegimdiya nam bhamte! Kao uvavajjamti? Uvavao taheva. Parimanam pamcha va samkhejja va asamkhejja va anamta va uvavajjamti, sesam taheva java anamtakhutto. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Kritayugma – kritayugmarashirupa ekendriya jiva kaham se akara utpanna hote haim\? Gautama ! Utpaloddeshaka ke upapata samana upapata kahana chahie. Bhagavan ! Ve jiva eka samaya mem kitane utpanna hote haim\? Gautama ! Ve solaha, samkhyata, asamkhyata ya ananta. Bhagavan ! Ve ananta jiva samaya – samaya mem eka – eka apahrita kiye jaem to kitane kala mem apahrita hote haim\? Gautama ! Ananta avasarpini aura utsarpini bita jaem to bhi ve apahrita nahim hote. Inaki umchai utpaloddeshaka ke anusara janana. Bhagavan ! Ve ekendriya jiva jnyanavaraniyakarma ke bandhaka haim ya abandhaka\? Gautama ! Ve bandhaka haim, abandhaka nahim ve jiva ayushyakarma ko chhorakara shesha sabhi karmom ke bandhaka haim. Ayushyakarma ke ve bandhaka bhi haim aura abandhaka bhi haim Bhagavan ! Ve jiva jnyanavaraniyakarma ke vedaka haim ya avedaka haim\? Gautama ! Vedaka haim, avedaka nahim haim. Isi prakara sabhi karmom mem janana. Bhagavan ! Ve jiva sata ke vedaka haim athava asata ke\? Gautama ! Ve satavedaka bhi hote haim, athava asatavedaka bhi evam utpaloddeshaka ki paripati ke anusara ve sabhi karmom ke udaya vale haim, ve chhaha karmom ke udiraka haim tatha vedaniya aura ayushyakarma ke udiraka bhi haim aura anudiraka bhi haim. Bhagavan ! Ve ekendriya jiva kya krishnaleshya vale hote haim\? Ityadi prashna. Gautama ! Ve jiva krishnaleshyi, nilaleshyi, kapotaleshyi athava tejoleshyi hote haim. Ye mithyadrishti hote haim. Ve ajnyani hote haim. Ve niyamatah do ajnyana vale hote haim, yatha – matiajnyani aura shrutaajnyani. Ve kayayogi hote haim. Ve sakaropayoga vale bhi hote haim aura anakaropayoga vale bhi hote haim. Bhagavan ! Una ekendriya jivom ke sharira kitane varna ke hote haim\? Ityadi samagra prashna. Gautama ! Utpaloddeshaka ke anusara, unake sharira pamcha varna, pamcha rasa, do gandha aura atha sparsha vale hote haim. Ve uchchhvasa vale ya nihshvasa vale athava no – uchchhvasa – nihshvasa vale hote haim. Aharaka ya anaharaka hote haim. Ve avirata hote haim kriyayukta hote haim, sata ya atha karmaprakritiyom ke bandhaka hote haim. Aharasamjnya yavat parigrahasamjnya vale hote haim. Krodhakashayi yavat lobhakashayi hote haim. Napumsakavedi hote haim. Strivedabandhaka purushaveda – bandhaka ya napumsakaveda – bandhaka hote haim. Asamjnyi hote haim aura saindriya hote haim. Bhagavan ! Ve kritayugma – kritayugmarashirupa ekendriya jiva kala ki apeksha kitane kala taka hote haim\? Gautama! Ve jaghanya eka samaya aura utkrishta anantakala – ananta vanaspatikala – paryanta hote haim. Yaham samvedha ka kathana nahim kiya jata. Ahara utpaloddeshaka anusara janana, kintu ve vyaghatarahita chhaha disha se aura vyaghata ho to kadachit tina, chara ya pamcha disha se ahara lete haim. Sthiti jaghanya antarmuhurtta ki aura utkrishta baisa hajara varsha ki hoti hai. Adi ke chara samudghata hote haim. Ye maranantika samudghata se samavahata athava asamavahata hokara marate haim aura udvarttana utpaloddeshaka ke anusara janana. Bhagavan ! Samasta prana, bhuta, jiva aura sattva kya kritayugma – kritayugmarashirupa ekendriyarupa se pahale utpanna hue haim\? Ham, gautama ! Ve aneka bara athava ananta bara utpanna ho chuke haim. Bhagavan ! Kritayugma – tryojarashirupa ekendriya jiva kaham se akara utpanna hote haim\? Ityadi prashna. Gautama ! Unaka upapata purvavat janana. Bhagavan ! Ve jiva eka samaya mem kitane utpanna hote haim\? Gautama ! Ve eka samaya mem unnisa, samkhyata, asamkhyata ya ananta utpanna hote haim. Shesha purvavat. Kritayugma – kritayugmarashirupa ke patha ke anusara ananta bara utpanna hue haim, taka kahana. Bhagavan ! Kritayugma – dvaparayugmarupa ekendriya jiva kaham se akara utpanna hote haim\? Gautama ! Upapata purvavat janana. Bhagavan ! Ve jiva eka samayamem kitane utpanna hote haim\? Gautama ! Atharaha, samkhyata, asamkhyata ya ananta utpanna hote haim. Shesha saba purvavat yavat ananta bara utpanna hue haim, bhagavan ! Kritayugma – kalyojarupa ekendriya kaham se akara utpanna hote haim\? Gautama ! Upapata purvavat. Inaka parimana hai – satraha, samkhyata, asamkhyata ya ananta. Shesha purvavat yavat ananta bara utpanna ho chuke haim. Bhagavan ! Tryoja – kritayugmarashirupa ekendriya jiva kaham se akara utpanna hote haim\? Gautama ! Upapata purvavat janana. Inaka parimana hai – baraha, samkhyata, asamkhyata athava ananta. Shesha purvavat yavat anantabara utpanna hue haim. Bhagavan ! Tryoja – tryojarashirupa ekendriya jiva kaham se akara utpanna hote haim\? Gautama ! Upapata purvavat hai. Inaka parimana – pandraha, samkhyata, asamkhyata ya ananta. Shesha purvavat yavat ananta bara utpanna hue Isa prakara ina solaha mahayugmom ka eka hi prakara ka kathana samajhana chahie. Kintu inake parimana mem bhinnata hai. Jaise ki – tryojadvaparayugma ka pratisamaya utpada ka parimana chaudaha, samkhyata, asamkhyata ya ananta hai. Tryojakalyoja ka hai – teraha, samkhyata, asamkhyata ya ananta. Dvaparayugmakritayugma ka utpada – parimana atha, samkhyata, asamkhyata ya ananta hai. Dvaparayugmatryoja ka gyaraha, samkhyata, asamkhyata ya ananta hai. Dvaparayugmadvapa – rayugma mem dasa, samkhyata, asamkhyata ya ananta utpanna hote haim. Dvaparayugmakalyoja mem nau, samkhyata, asamkhyata ya ananta haim. Kalyojakritayugma mem chara, samkhyata, asamkhyata ya ananta haim. Kalyojatryoja mem pratisamaya sata, samkhyata, asamkhyata ya ananta hai aura kalyojadvaparayugma mem chhaha, samkhyata, asamkhyata ya ananta hai. Bhagavan ! Kalyoja – kalyojarashirupa ekendriya jiva kaham se akara utpanna hote haim\? Gautama ! Upapata purvavat kahana. Parimana pamcha samkhyata, asamkhyata ya ananta hai. Shesha purvavat. ‘he bhagavan ! Yaha isi prakara hai.’ |