Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1004394 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-२५ |
Translated Chapter : |
शतक-२५ |
Section : | उद्देशक-५ पर्यव | Translated Section : | उद्देशक-५ पर्यव |
Sutra Number : | 894 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] आवलिया णं भंते! किं संखेज्जा समया? असंखेज्जा समया? अनंता समया? गोयमा! नो संखेज्जा समया, असंखेज्जा समया, नो अनंता समया। आणापाणू णं भंते! किं संखेज्जा? एवं चेव। थोवे णं भंते! किं संखेज्जा? एवं चेव। एवं लवे वि, मुहुत्ते वि, एवं अहोरत्ते, एवं पक्खे, मासे, उऊ, अयणे, संवच्छरे, जुगे, वाससए, वाससहस्से, वाससयसहस्से, पुव्वंगे, पुव्वे, तुडियंगे, तुडिए, अडडंगे, अडडे, अववंगे, अववे, हूहूयंगे, हूहूए, उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, नलिणंगे, नलिणे, अत्थनिपूरंगे, अत्थनिपूरे, अउयंगे, अउए, नउयंगे, नउए, पउयंगे, पउए, चूलियंगे, चूलिए, सीसपहेलियंगे, सीसपहेलिया, पलिओवमे, सागरोवमे, ओसप्पिणी। एवं उस्सप्पिणी वि। पोग्गलपरियट्टे णं भंते! किं संखेज्जा समया–पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जा समया, नो असंखेज्जा समया, अनंता समया। एवं तीयद्धा, अनागयद्धा, सव्वद्धा। आवलियाओ णं भंते! किं संखेज्जा समया–पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जा समया, सिय असंखेज्जा समया, सिय अनंता समया। आणापाणू णं भंते! किं संखेज्जा समया? एवं चेव। थोवा णं भंते! किं संखेज्जा समया? एवं चेव। एवं जाव ओसप्पिणीओ त्ति। पोग्गलपरियट्टा णं भंते! किं संखेज्जा समया–पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जा समया, नो असंखेज्जा समया, अनंता समया। आणापाणू णं भंते! किं संखेज्जाओ आवलियाओ–पुच्छा। गोयमा! संखेज्जाओ आवलियाओ, नो असंखेज्जाओ आवलियाओ, नो अनंताओ आवलियाओ। एवं थोवे वि। एवं जाव सीसपहेलिय त्ति। पलिओवमे णं भंते! किं संखेज्जाओ आवलियाओ–पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जाओ आवलियाओ, असंखेज्जाओ आवलियाओ, नो अनंताओ आवलियाओ। एवं सागरोवमे वि। एवं ओसप्पिणी वि, उस्सप्पिणी वि। पोग्गलपरियट्टे–पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जाओ आवलियाओ, नो असंखेज्जाओ आवलियाओ, अनंताओ आवलियाओ। एवं जाव सव्वद्धा। आणापाणू णं भंते! किं संखेज्जाओ आवलियाओ–पुच्छा। गोयमा! सिय संखेज्जाओ आवलियाओ, सिय असंखेज्जाओ, सिय अनंताओ। एवं जाव सीसपहेलियाओ। पलिओवमा णं–पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जाओ आवलियाओ, सिय असंखेज्जाओ आवलियाओ, सिय अनंताओ आवलियाओ। एवं जाव उस्सप्पिणीओ। पोग्गलपरियट्टा णं–पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जाओ आवलियाओ, नो असंखेज्जाओ आवलियाओ, अनंताओ आवलियाओ। थोवे णं भंते! किं संखेज्जाओ आणापाणूओ? असंखेज्जाओ? जहा आवलियाए वत्तव्वया एवं आणापाणूओ वि निरवसेसा। एवं एतेणं गमएणं जाव सीसपहेलिया भाणियव्वा। सागरोवमे णं भंते! किं संखेज्जा पलिओवमा? – पुच्छा। गोयमा! संखेज्जा पलिओवमा, नो असंखेज्जा पलिओवमा, नो अनंता पलिओवमा। एवं ओसप्पिणी वि, उस्सप्पिणी वि। पोग्गलपरियट्टे णं–पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जा पलिओवमा, नो असंखेज्जा पलिओवमा, अनंता पलिओवमा। एवं जाव सव्वद्धा। सागरोवमा णं भंते! किं संखेज्जा पलिओवमा–पुच्छा। गोयमा! सिय संखेज्जा पलिओवमा, सिय असंखेज्जा पलिओवमा, सिय अनंता पलिओवमा। एवं जाव ओसप्पिणी वि, उस्सप्पिणी वि। पोग्गलपरियट्टा णं–पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जा पलिओवमा, नो असंखेज्जा पलिओवमा, अनंता पलिओवमा। ओसप्पिणी णं भंते! किं संखेज्जा सागरोवमा? जहा पलिओवमस्स वत्तव्वया तहा सागरोवमस्स वि। पोग्गलपरियट्टे णं भंते! किं संखेज्जाओ ओसप्पिणी-उस्सप्पिणीओ–पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जाओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ, नो संखेज्जाओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ, अनंताओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ। एवं जाव सव्वद्धा। पोग्गलपरियट्टा णं भंते! किं संखेज्जाओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ–पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जाओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ, नो असंखेज्जाओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ, अनंताओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ। तीतद्धा णं भंते! किं संखेज्जा पोग्गलपरियट्टा–पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, नो असंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, अनंता पोग्गल-परियट्टा। एवं अनागयद्धा वि। एवं सव्वद्धा वि। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! क्या आवलिका संख्यात समय की, असंख्यात समय की या अनन्त समय की होती है ? गौतम ! वह केवल असंख्यात समय की होती है। भगवन् ! आनप्राण संख्यात समय का होता है ? इत्यादि। गौतम ! पूर्ववत्। भगवन् ! स्तोक संख्यात समय का होता है ? इत्यादि। गौतम ! पूर्ववत्। इसी प्रकार लव, मुहूर्त्त, अहोरात्र, पक्ष, मास, ऋतु, अयन, संवत्सर, युग, वर्षशत, वर्षसहस्र, लाख वर्ष, पूर्वांग, पूर्व, त्रुटितांग, त्रुटित, अटटांग, अटट, अववांग, अवव, हूहूकांग, हूहूक, उत्पलांग, उत्पल, पद्मांग, पद्म, नलिनांग, नलिन, अक्षनिपूरांग, अक्षनिपूर, अयुतांग, अयुत, नयुतांग, नयुत, प्रयुतांग, प्रयुत, चूलिकांग, चूलिका, शीर्षप्रहेलिकांग, शीर्षप्रहेलिका, पल्योपम, सागरोपम, अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी, इन सबके भी समय (पूर्वोक्त) जानना। भगवन् ! पुद्गलपरिवर्तन संख्यात समय का होता है, असंख्यात समय का या अनन्त समय का होता है ? गौतम ! वह अनन्त समय का होता है। इसी प्रकार भूतकाल, भविष्यत्काल तथा सर्वकाल भी समझना चाहिए। भगवन् ! क्या (बहुत) आवलिकाएं संख्यात समय की होती है ? इत्यादि। गौतम ! कदाचित् असंख्यात समय की और कदाचित् अनन्त समय की होती है। भगवन् ! क्या (अनेक) आनप्राण संख्यात समय के होते हैं ? गौतम ! पूर्ववत्। भगवन् ! (अनेक) स्तोक संख्यात समयरूप हैं ? गौतम ! पूर्ववत्। इसी प्रकार यावत् अवसर्पिणीकाल तक समझना। भगवन् ! क्या पुद्गल – परिवर्तन संख्यातसमय के होते हैं ? इत्यादि प्रश्न। गौतम ! वह अनन्त समय के होते हैं। भगवन् ! आनप्राण क्या संख्यात आवलिकारूप हैं ? हाँ, गौतम ! इसी प्रकार स्तोक यावत् – शीर्षप्रहेलिका तक जानना। भगवन् ! पल्योपम संख्यात आवलिकारूप है ? गौतम ! वह असंख्यात आवलिकारूप है। इसी प्रकार सागरोपम तथा अवसर्पिणी उत्सर्पिणी काल में जानना। (भगवन् !) पुद्गलपरिवर्तन ? गौतम ! वह अनन्त आवलिकारूप है। इसी प्रकार यावत् सर्वकाल तक जानना। भगवन् ! क्या (बहुत) आनप्राण संख्यात आवलिकारूप है ? वे कदाचित् संख्यात कदाचित् असंख्यात और कदाचित् अनन्त आवलिकारूप हैं। इसी प्रकार यावत् शीर्षप्रहेलिका तक जानना। भगवन् ! क्या पल्योपम? वे कदाचित् असंख्यात आवलिकारूप हैं और कदाचित् अनन्त आवलिकारूप हैं। इस प्रकार यावत् उत्सर्पिणी पर्यन्त समझना। भगवन् ! क्या पुद्गलपरिवर्त्तन ? वे अनन्त आवलिकारूप हैं। भगवन् ! स्तोक क्या संख्यात आनप्राणरूप हैं या असंख्यात आनप्राणरूप हैं ? आवलिका समान आनप्राण सम्बन्धी समग्र वक्तव्यता जानना। इस प्रकार पूर्वोक्त गम के अनुसार यावत् शीर्षप्रहेलिका तक कहना चाहिए। भगवन् ! सागरोपम क्या संख्यात पल्योपमरूप हैं ? इत्यादि प्रश्न। गौतम ! वह संख्यात पल्योपमरूप हैं, किन्तु असंख्यात पल्योपमरूप या अनन्त पल्योपमरूप नहीं है। इसी प्रकार अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी के जानना। भगवन् ! पुद्गलपरिवर्तन क्या संख्यात पल्योपमरूप हैं ? गौतम ! वह अनन्तर पल्योपमरूप है। इसी प्रकार सर्वकाल तक जानना। भगवन् ! सागरोपम क्या संख्यात पल्योपमरूप है ? गौतम ! वे कदाचित् संख्यात कदाचित् असंख्यात और कदाचित् पल्योपमरूप हैं। इसी प्रकार यावत् अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी काल के सम्बन्ध में जानना। भगवन् ! पुद्गलपरिवर्तन क्या संख्यात पल्योपमरूप होते हैं ? गौतम ! वे अनन्त पल्योपम – रूप हैं। भगवन्! अवसर्पिणी क्या संख्यात सागरोपम रूप है ? गौतम ! पल्योपम अनुसार सागरोपम की वक्तव्यता कहनी चाहिए। भगवन् ! पुद्गलपरिवर्तन क्या संख्यात अवसर्पिणीरूप – उत्सर्पिणीरूप है ? गौतम ! वह अनन्त अवस – र्पिणी – उत्सर्पिणीरूप है। इसी प्रकार यावत् सर्वकाल तक जानना। भगवन् ! (अनेक) पुद्गलपरिवर्तन क्या संख्यात अवसर्पिणी – उत्सर्पिणीरूप है ? गौतम ! वे अनन्त अवसर्पिणी – उत्सर्पिणीरूप है। भगवन् ! अतीताद्धा क्या संख्यात पुद्गलपरिवर्तनरूप है ? गौतम ! अनन्त पुद्गलपरिवर्तनरूप है। इसी प्रकार अनागताद्धा को जानना। इसी प्रकार सर्वाद्धा के विषय में जानना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] avaliya nam bhamte! Kim samkhejja samaya? Asamkhejja samaya? Anamta samaya? Goyama! No samkhejja samaya, asamkhejja samaya, no anamta samaya. Anapanu nam bhamte! Kim samkhejja? Evam cheva. Thove nam bhamte! Kim samkhejja? Evam cheva. Evam lave vi, muhutte vi, evam ahoratte, evam pakkhe, mase, uu, ayane, samvachchhare, juge, vasasae, vasasahasse, vasasayasahasse, puvvamge, puvve, tudiyamge, tudie, adadamge, adade, avavamge, avave, huhuyamge, huhue, uppalamge, uppale, paumamge, paume, nalinamge, naline, atthanipuramge, atthanipure, auyamge, aue, nauyamge, naue, pauyamge, paue, chuliyamge, chulie, sisapaheliyamge, sisapaheliya, paliovame, sagarovame, osappini. Evam ussappini vi. Poggalapariyatte nam bhamte! Kim samkhejja samaya–puchchha. Goyama! No samkhejja samaya, no asamkhejja samaya, anamta samaya. Evam tiyaddha, anagayaddha, savvaddha. Avaliyao nam bhamte! Kim samkhejja samaya–puchchha. Goyama! No samkhejja samaya, siya asamkhejja samaya, siya anamta samaya. Anapanu nam bhamte! Kim samkhejja samaya? Evam cheva. Thova nam bhamte! Kim samkhejja samaya? Evam cheva. Evam java osappinio tti. Poggalapariyatta nam bhamte! Kim samkhejja samaya–puchchha. Goyama! No samkhejja samaya, no asamkhejja samaya, anamta samaya. Anapanu nam bhamte! Kim samkhejjao avaliyao–puchchha. Goyama! Samkhejjao avaliyao, no asamkhejjao avaliyao, no anamtao avaliyao. Evam thove vi. Evam java sisapaheliya tti. Paliovame nam bhamte! Kim samkhejjao avaliyao–puchchha. Goyama! No samkhejjao avaliyao, asamkhejjao avaliyao, no anamtao avaliyao. Evam sagarovame vi. Evam osappini vi, ussappini vi. Poggalapariyatte–puchchha. Goyama! No samkhejjao avaliyao, no asamkhejjao avaliyao, anamtao avaliyao. Evam java savvaddha. Anapanu nam bhamte! Kim samkhejjao avaliyao–puchchha. Goyama! Siya samkhejjao avaliyao, siya asamkhejjao, siya anamtao. Evam java sisapaheliyao. Paliovama nam–puchchha. Goyama! No samkhejjao avaliyao, siya asamkhejjao avaliyao, siya anamtao avaliyao. Evam java ussappinio. Poggalapariyatta nam–puchchha. Goyama! No samkhejjao avaliyao, no asamkhejjao avaliyao, anamtao avaliyao. Thove nam bhamte! Kim samkhejjao anapanuo? Asamkhejjao? Jaha avaliyae vattavvaya evam anapanuo vi niravasesa. Evam etenam gamaenam java sisapaheliya bhaniyavva. Sagarovame nam bhamte! Kim samkhejja paliovama? – puchchha. Goyama! Samkhejja paliovama, no asamkhejja paliovama, no anamta paliovama. Evam osappini vi, ussappini vi. Poggalapariyatte nam–puchchha. Goyama! No samkhejja paliovama, no asamkhejja paliovama, anamta paliovama. Evam java savvaddha. Sagarovama nam bhamte! Kim samkhejja paliovama–puchchha. Goyama! Siya samkhejja paliovama, siya asamkhejja paliovama, siya anamta paliovama. Evam java osappini vi, ussappini vi. Poggalapariyatta nam–puchchha. Goyama! No samkhejja paliovama, no asamkhejja paliovama, anamta paliovama. Osappini nam bhamte! Kim samkhejja sagarovama? Jaha paliovamassa vattavvaya taha sagarovamassa vi. Poggalapariyatte nam bhamte! Kim samkhejjao osappini-ussappinio–puchchha. Goyama! No samkhejjao osappini-ussappinio, no samkhejjao osappini-ussappinio, anamtao osappini-ussappinio. Evam java savvaddha. Poggalapariyatta nam bhamte! Kim samkhejjao osappini-ussappinio–puchchha. Goyama! No samkhejjao osappini-ussappinio, no asamkhejjao osappini-ussappinio, anamtao osappini-ussappinio. Titaddha nam bhamte! Kim samkhejja poggalapariyatta–puchchha. Goyama! No samkhejja poggalapariyatta, no asamkhejja poggalapariyatta, anamta poggala-pariyatta. Evam anagayaddha vi. Evam savvaddha vi. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Kya avalika samkhyata samaya ki, asamkhyata samaya ki ya ananta samaya ki hoti hai\? Gautama ! Vaha kevala asamkhyata samaya ki hoti hai. Bhagavan ! Anaprana samkhyata samaya ka hota hai\? Ityadi. Gautama ! Purvavat. Bhagavan ! Stoka samkhyata samaya ka hota hai\? Ityadi. Gautama ! Purvavat. Isi prakara lava, muhurtta, ahoratra, paksha, masa, ritu, ayana, samvatsara, yuga, varshashata, varshasahasra, lakha varsha, purvamga, purva, trutitamga, trutita, atatamga, atata, avavamga, avava, huhukamga, huhuka, utpalamga, utpala, padmamga, padma, nalinamga, nalina, akshanipuramga, akshanipura, ayutamga, ayuta, nayutamga, nayuta, prayutamga, prayuta, chulikamga, chulika, shirshaprahelikamga, shirshaprahelika, palyopama, sagaropama, avasarpini aura utsarpini, ina sabake bhi samaya (purvokta) janana. Bhagavan ! Pudgalaparivartana samkhyata samaya ka hota hai, asamkhyata samaya ka ya ananta samaya ka hota hai\? Gautama ! Vaha ananta samaya ka hota hai. Isi prakara bhutakala, bhavishyatkala tatha sarvakala bhi samajhana chahie. Bhagavan ! Kya (bahuta) avalikaem samkhyata samaya ki hoti hai\? Ityadi. Gautama ! Kadachit asamkhyata samaya ki aura kadachit ananta samaya ki hoti hai. Bhagavan ! Kya (aneka) anaprana samkhyata samaya ke hote haim\? Gautama ! Purvavat. Bhagavan ! (aneka) stoka samkhyata samayarupa haim\? Gautama ! Purvavat. Isi prakara yavat avasarpinikala taka samajhana. Bhagavan ! Kya pudgala – parivartana samkhyatasamaya ke hote haim\? Ityadi prashna. Gautama ! Vaha ananta samaya ke hote haim. Bhagavan ! Anaprana kya samkhyata avalikarupa haim\? Ham, gautama ! Isi prakara stoka yavat – shirshaprahelika taka janana. Bhagavan ! Palyopama samkhyata avalikarupa hai\? Gautama ! Vaha asamkhyata avalikarupa hai. Isi prakara sagaropama tatha avasarpini utsarpini kala mem janana. (bhagavan !) pudgalaparivartana\? Gautama ! Vaha ananta avalikarupa hai. Isi prakara yavat sarvakala taka janana. Bhagavan ! Kya (bahuta) anaprana samkhyata avalikarupa hai\? Ve kadachit samkhyata kadachit asamkhyata aura kadachit ananta avalikarupa haim. Isi prakara yavat shirshaprahelika taka janana. Bhagavan ! Kya palyopama? Ve kadachit asamkhyata avalikarupa haim aura kadachit ananta avalikarupa haim. Isa prakara yavat utsarpini paryanta samajhana. Bhagavan ! Kya pudgalaparivarttana\? Ve ananta avalikarupa haim. Bhagavan ! Stoka kya samkhyata anapranarupa haim ya asamkhyata anapranarupa haim\? Avalika samana anaprana sambandhi samagra vaktavyata janana. Isa prakara purvokta gama ke anusara yavat shirshaprahelika taka kahana chahie. Bhagavan ! Sagaropama kya samkhyata palyopamarupa haim\? Ityadi prashna. Gautama ! Vaha samkhyata palyopamarupa haim, kintu asamkhyata palyopamarupa ya ananta palyopamarupa nahim hai. Isi prakara avasarpini aura utsarpini ke janana. Bhagavan ! Pudgalaparivartana kya samkhyata palyopamarupa haim\? Gautama ! Vaha anantara palyopamarupa hai. Isi prakara sarvakala taka janana. Bhagavan ! Sagaropama kya samkhyata palyopamarupa hai\? Gautama ! Ve kadachit samkhyata kadachit asamkhyata aura kadachit palyopamarupa haim. Isi prakara yavat avasarpini aura utsarpini kala ke sambandha mem janana. Bhagavan ! Pudgalaparivartana kya samkhyata palyopamarupa hote haim\? Gautama ! Ve ananta palyopama – rupa haim. Bhagavan! Avasarpini kya samkhyata sagaropama rupa hai\? Gautama ! Palyopama anusara sagaropama ki vaktavyata kahani chahie. Bhagavan ! Pudgalaparivartana kya samkhyata avasarpinirupa – utsarpinirupa hai\? Gautama ! Vaha ananta avasa – rpini – utsarpinirupa hai. Isi prakara yavat sarvakala taka janana. Bhagavan ! (aneka) pudgalaparivartana kya samkhyata avasarpini – utsarpinirupa hai\? Gautama ! Ve ananta avasarpini – utsarpinirupa hai. Bhagavan ! Atitaddha kya samkhyata pudgalaparivartanarupa hai\? Gautama ! Ananta pudgalaparivartanarupa hai. Isi prakara anagataddha ko janana. Isi prakara sarvaddha ke vishaya mem janana. |