Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Sr No : | 1004228 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१८ |
Translated Chapter : |
शतक-१८ |
Section : | उद्देशक-३ माकंदी पुत्र | Translated Section : | उद्देशक-३ माकंदी पुत्र |
Sutra Number : | 728 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नगरे होत्था–वण्णओ। गुणसिलए चेइए–वण्णओ जाव परिसा पडिगया। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी मागंदियपुत्ते नामं अनगारे पगइभद्दए–जहा मंडियपुत्ते जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी– से नूनं भंते! काउलेस्से पुढविकाइए काउलेस्सेहिंतो, पुढविकाइएहिंतो अनंतरं उव्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभति, लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झति, बुज्झित्ता तओ पच्छा सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? हंता मागंदियपुत्ता! काउलेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। से नूनं भंते! काउलेस्से आउकाइए काउलेस्सेहिंतो आउकाइएहिंतो अनंतरं उव्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभति, लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? हंता मागंदियपुत्ता! जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। से नूनं भंते! काउलेस्से वणस्सइकाइए काउलेसेहिंतो वणस्सइकाइएहिंतो अनंतरं उव्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभति, लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झति, बुज्झित्ता तओ पच्छा सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? हंता मागंदियपुत्ता! जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति मागंदियपुत्ते अनगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव समणा निग्गंथा तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणे निग्गंथे एवं वयासी–एवं खलु अज्जो! काउलेस्से पुढविकाइए तहेव जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। एवं खलु अज्जो! काउलेस्से आउक्काइए तहेव जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। एवं खलु अज्जो! काउ-लेस्से वणस्सइकाइए तहेव जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। तए णं ते समणा निग्गंथा मागंदियपुत्तस्स अनगारस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमट्ठं नो सद्दहंति नो पत्तियंति नो रोएंति, एयमट्ठं असद्दहमाणा अपत्तियमाणा अरोएमाणा जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवा गच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदंति नमंसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–एवं खलु भंते! मागंदियपुत्ते अनगारे अम्हं एवमा-इक्खति जाव परूवेति–एवं खलु अज्जो! काउलेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। एवं खलु अज्जो! काउलेस्से आउक्काइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति! एवं खलु अज्जो! काउलेस्से वणस्सइकाइए वि जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। से कहमेयं भंते! एवं? अज्जोति! समणे भगवं महावीरे ते समणे निग्गंथे आमंतित्ता एवं वयासी–जण्णं अज्जो! मागंदियपुत्ते अनगारे तुब्भे एवमाइ-क्खति जाव परूवेति–एवं खलु अज्जो! काउलेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। एवं खलु अज्जो! काउलेस्से आउ काइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। एवं खलु अज्जो! काउलेस्से वणस्सइकाइए वि जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। सच्चे णं एसमट्ठे। अहं पि णं अज्जो! एवमाइक्खामि एवं भासेमि एवं पन्नवेमि एवं परूवेमि–एवं खलु अज्जो! कण्हलेसे पुढविकाइए कण्हलेसेहिंतो पुढविकाइएहिंतो जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। एवं खलु अज्जो! नीललेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। एवं काउलेस्से वि। जहा पुढविकाइए एवं आउकाइए वि, एवं वणस्सइकाइए वि। सच्चे णं एसमट्ठे। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति समणा निग्गंथा समणं भगवं महावीरं वंदंति नमंसंति, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव मागंदियपुत्ते अनगारे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता मागंदियपुत्तं अनगारं वंदंति नमंसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एयमट्ठं सम्मं विनएणं भुज्जो-भुज्जो खामेंति। | ||
Sutra Meaning : | उस काल उस समयमें राजगृह नगर था। वहाँ गुणशील नामक चैत्य था। यावत् परीषद् वन्दना करके वापिस लौट गई। उस काल एवं उस समय में श्रमण भगवान महावीर के अन्तेवासी यावत् प्रकृतिभद्र माकन्दिपुत्र नामक अनगार ने, मण्डितपुत्र अनगार के समान यावत् पर्युपासना करते हुए पूछा – भगवन् ! क्या कापोतलेश्यी पृथ्वीकायिक जीव, कापोतलेश्यी पृथ्वीकायिक जीवों में से मरकर अन्तररहित मनुष्य शरीर प्राप्त करता है ? फिर केवलज्ञान उपार्जित करता है ? तत्पश्चात् सिद्ध – बुद्ध – मुक्त होता है यावत् सर्व दुःखों का अन्त करता है? हाँ, माकन्दिपुत्र ! वह यावत् सब दुःखों का अन्त करता है। भगवन् ! क्या कापोतलेश्यी अप्कायिक जीव कापोतलेश्यी अप्कायिक जीवों में से मरकर अन्तररहित मनुष्यशरीर प्राप्त करता है ? फिर केवलज्ञान प्राप्त करके यावत् सब दुःखों का अन्त करता है ? हाँ, माकन्दिपुत्र ! वह यावत् सब दुःखों का अन्त करता है। भगवन् ! कापोतलेश्यी वनस्पतिकायिक जीव के सम्बन्ध में भी वही प्रश्न है। हाँ, माकन्दिपुत्र ! वह भी यावत् सब दुःखों का अन्त करता है। ‘हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है’ यों कहकर माकन्दिपुत्र अनगार श्रमण भगवान महावीर को यावत् वन्दना – नमस्कार करके जहाँ श्रमण निर्ग्रन्थ थे, वहाँ उनके पास आए, उनसे इस प्रकार कहने लगे – आर्यो ! कापोतलेश्यी पृथ्वीकायिक जीव पूर्वोक्त प्रकार से यावत् सब दुःखों का अन्त करता है, इसी प्रकार हे आर्यो ! कापोतलेश्यी अप्कायिक जीव भी यावत् सब दुःखों का अन्त करता है, इसी प्रकार कापोतलेश्यी वनस्पतिकायिक जीव भी यावत् सभी दुःखों का अन्त करता है। तदनन्तर उन श्रमण निर्ग्रन्थोंने माकन्दिपुत्र अनगार की इस प्रकार की प्ररूपणा, व्याख्या यावत् मान्यता पर श्रद्धा नहीं की, न ही उसे मान्य किया। वे इस मान्यता के प्रति अश्रद्धालु बनकर भगवान महावीर स्वामी के पास आए। फिर उन्होंने श्रमण भगवान महावीर को वन्दना – नमस्कार करके इस प्रकार पूछा – ‘भगवन् ! माकन्दिपुत्र अनगार ने हमसे कहा यावत् प्ररूपणा की कि कापोतलेश्यी पृथ्वीकायिक, अप्कायिक और वनस्पतिकायिक जीव, यावत् सभी दुःखों का अन्त करता है। हे भगवन् ! ऐसा कैसे हो सकता है ?’ भगवान महावीरने उन श्रमण निर्ग्रन्थों से कहा – ‘आर्यो ! माकन्दिपुत्र अनगारने जो तुमसे कहा है, यावत् प्ररूपणा की है, वह कथन सत्य है। आर्यो! मैं भी इसी प्रकार कहता हूँ, यावत् प्ररूपणा करता हूँ। इसी प्रकार कृष्णलेश्यी पृथ्वीकायिक जीव, कृष्णलेश्यी पृथ्वीकायिकों में से मरकर, यावत् सभी दुःखों का अन्त करता है। नीललेश्यी एवं कापोतलेश्यी पृथ्वीकायिक भी यावत् सर्व दुःखों का अन्त करता है। पृथ्वीकायिक के समान अप्कायिक और वनस्पतिकायिक भी, यावत् सर्व दुःखों का अन्त करता है। यह कथन सत्य है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, यों कहकर उन श्रमण – निर्ग्रन्थों ने श्रमण भगवान महावीर स्वामी को वन्दन – नमस्कार किया, और वे जहाँ माकन्दिपुत्र अनगार थे, वहाँ आए। उन्हें वन्दन – नमस्कार किया। फिर उन्होंने उनसे सम्यक् प्रकार से विनयपूर्वक बार – बार क्षमायाचना की। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tenam kalenam tenam samaenam rayagihe nagare hottha–vannao. Gunasilae cheie–vannao java parisa padigaya. Tenam kalenam tenam samaenam samanassa bhagavao mahavirassa amtevasi magamdiyaputte namam anagare pagaibhaddae–jaha mamdiyaputte java pajjuvasamane evam vayasi– Se nunam bhamte! Kaulesse pudhavikaie kaulessehimto, pudhavikaiehimto anamtaram uvvattitta manusam viggaham labhati, labhitta kevalam bohim bujjhati, bujjhitta tao pachchha sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti? Hamta magamdiyaputta! Kaulesse pudhavikaie java savvadukkhanam amtam kareti. Se nunam bhamte! Kaulesse aukaie kaulessehimto aukaiehimto anamtaram uvvattitta manusam viggaham labhati, labhitta kevalam bohim bujjhati java savvadukkhanam amtam kareti? Hamta magamdiyaputta! Java savvadukkhanam amtam kareti. Se nunam bhamte! Kaulesse vanassaikaie kaulesehimto vanassaikaiehimto anamtaram uvvattitta manusam viggaham labhati, labhitta kevalam bohim bujjhati, bujjhitta tao pachchha sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti? Hamta magamdiyaputta! Java savvadukkhanam amtam kareti. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti magamdiyaputte anagare samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta jeneva samana niggamtha teneva uvagachchhati, uvagachchhitta samane niggamthe evam vayasi–evam khalu ajjo! Kaulesse pudhavikaie taheva java savvadukkhanam amtam kareti. Evam khalu ajjo! Kaulesse aukkaie taheva java savvadukkhanam amtam kareti. Evam khalu ajjo! Kau-lesse vanassaikaie taheva java savvadukkhanam amtam kareti. Tae nam te samana niggamtha magamdiyaputtassa anagarassa evamaikkhamanassa java evam paruvemanassa eyamattham no saddahamti no pattiyamti no roemti, eyamattham asaddahamana apattiyamana aroemana jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhamti, uva gachchhitta samanam bhagavam mahaviram vamdamti namamsamti, vamditta namamsitta evam vayasi–evam khalu bhamte! Magamdiyaputte anagare amham evama-ikkhati java paruveti–evam khalu ajjo! Kaulesse pudhavikaie java savvadukkhanam amtam kareti. Evam khalu ajjo! Kaulesse aukkaie java savvadukkhanam amtam kareti! Evam khalu ajjo! Kaulesse vanassaikaie vi java savvadukkhanam amtam kareti. Se kahameyam bhamte! Evam? Ajjoti! Samane bhagavam mahavire te samane niggamthe amamtitta evam vayasi–jannam ajjo! Magamdiyaputte anagare tubbhe evamai-kkhati java paruveti–evam khalu ajjo! Kaulesse pudhavikaie java savvadukkhanam amtam kareti. Evam khalu ajjo! Kaulesse au kaie java savvadukkhanam amtam kareti. Evam khalu ajjo! Kaulesse vanassaikaie vi java savvadukkhanam amtam kareti. Sachche nam esamatthe. Aham pi nam ajjo! Evamaikkhami evam bhasemi evam pannavemi evam paruvemi–evam khalu ajjo! Kanhalese pudhavikaie kanhalesehimto pudhavikaiehimto java savvadukkhanam amtam kareti. Evam khalu ajjo! Nilalesse pudhavikaie java savvadukkhanam amtam kareti. Evam kaulesse vi. Jaha pudhavikaie evam aukaie vi, evam vanassaikaie vi. Sachche nam esamatthe. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti samana niggamtha samanam bhagavam mahaviram vamdamti namamsamti, vamditta namamsitta jeneva magamdiyaputte anagare teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta magamdiyaputtam anagaram vamdamti namamsamti, vamditta namamsitta eyamattham sammam vinaenam bhujjo-bhujjo khamemti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usa kala usa samayamem rajagriha nagara tha. Vaham gunashila namaka chaitya tha. Yavat parishad vandana karake vapisa lauta gai. Usa kala evam usa samaya mem shramana bhagavana mahavira ke antevasi yavat prakritibhadra makandiputra namaka anagara ne, manditaputra anagara ke samana yavat paryupasana karate hue puchha – bhagavan ! Kya kapotaleshyi prithvikayika jiva, kapotaleshyi prithvikayika jivom mem se marakara antararahita manushya sharira prapta karata hai\? Phira kevalajnyana uparjita karata hai\? Tatpashchat siddha – buddha – mukta hota hai yavat sarva duhkhom ka anta karata hai? Ham, makandiputra ! Vaha yavat saba duhkhom ka anta karata hai. Bhagavan ! Kya kapotaleshyi apkayika jiva kapotaleshyi apkayika jivom mem se marakara antararahita manushyasharira prapta karata hai\? Phira kevalajnyana prapta karake yavat saba duhkhom ka anta karata hai\? Ham, makandiputra ! Vaha yavat saba duhkhom ka anta karata hai. Bhagavan ! Kapotaleshyi vanaspatikayika jiva ke sambandha mem bhi vahi prashna hai. Ham, makandiputra ! Vaha bhi yavat saba duhkhom ka anta karata hai. ‘He bhagavan ! Yaha isi prakara hai, bhagavan ! Yaha isi prakara hai’ yom kahakara makandiputra anagara shramana bhagavana mahavira ko yavat vandana – namaskara karake jaham shramana nirgrantha the, vaham unake pasa ae, unase isa prakara kahane lage – aryo ! Kapotaleshyi prithvikayika jiva purvokta prakara se yavat saba duhkhom ka anta karata hai, isi prakara he aryo ! Kapotaleshyi apkayika jiva bhi yavat saba duhkhom ka anta karata hai, isi prakara kapotaleshyi vanaspatikayika jiva bhi yavat sabhi duhkhom ka anta karata hai. Tadanantara una shramana nirgranthomne makandiputra anagara ki isa prakara ki prarupana, vyakhya yavat manyata para shraddha nahim ki, na hi use manya kiya. Ve isa manyata ke prati ashraddhalu banakara bhagavana mahavira svami ke pasa ae. Phira unhomne shramana bhagavana mahavira ko vandana – namaskara karake isa prakara puchha – ‘bhagavan ! Makandiputra anagara ne hamase kaha yavat prarupana ki ki kapotaleshyi prithvikayika, apkayika aura vanaspatikayika jiva, yavat sabhi duhkhom ka anta karata hai. He bhagavan ! Aisa kaise ho sakata hai\?’ bhagavana mahavirane una shramana nirgranthom se kaha – ‘aryo ! Makandiputra anagarane jo tumase kaha hai, yavat prarupana ki hai, vaha kathana satya hai. Aryo! Maim bhi isi prakara kahata hum, yavat prarupana karata hum. Isi prakara krishnaleshyi prithvikayika jiva, krishnaleshyi prithvikayikom mem se marakara, yavat sabhi duhkhom ka anta karata hai. Nilaleshyi evam kapotaleshyi prithvikayika bhi yavat sarva duhkhom ka anta karata hai. Prithvikayika ke samana apkayika aura vanaspatikayika bhi, yavat sarva duhkhom ka anta karata hai. Yaha kathana satya hai. He bhagavan ! Yaha isi prakara hai, yom kahakara una shramana – nirgranthom ne shramana bhagavana mahavira svami ko vandana – namaskara kiya, aura ve jaham makandiputra anagara the, vaham ae. Unhem vandana – namaskara kiya. Phira unhomne unase samyak prakara se vinayapurvaka bara – bara kshamayachana ki. |