Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004126 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१४ |
Translated Chapter : |
शतक-१४ |
Section : | उद्देशक-८ अंतर | Translated Section : | उद्देशक-८ अंतर |
Sutra Number : | 626 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] एस णं भंते! उंबरलट्ठिया उण्हाभिहया तण्हाभिहया दवग्गिजालाभिहया कालमासे कालं किच्चा कहिं गमिहिति? कहिं उववज्जिहिति? गोयमा! इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पाडलिपुत्ते नगरे पाडलिरुक्खत्ताए पच्चायाहिति। से णं तत्थ अच्चिय-वंदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाडिहेरे लाउल्लोइय-महिए यावि भविस्सइ। से णं भंते! तओहिंतो अनंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गमिहिति? कहिं उववज्जिहिति? गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति। तेणं कालेणं तेणं समएणं अम्मडस्स परिव्वायगस्स सत्त अंतेवासिसया गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूलमासंमि गंगाए महानदीए उभओकूलेणं कंपिल्लपुराओ नगराओ पुरिमतालं नयरं संपट्ठिया विहाराए। तए णं तेसिं परिव्वायगाणं तीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं से पुव्व-गहिए उदए अणुपुव्वेणं परिभुंजमाणे ज्झीणे। तए णं ते परिव्वाया ज्झीणोदगा समाणा तण्हाए पारब्भमाणा-पारब्भमाणा उदगदातारम-पस्समाणा अन्नमन्नं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी– एवं खलु देवानुप्पिया! अम्हं इमीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसंतरमनुपत्ताणं से पुव्वग्गहिए उदए अनुपुव्वेणं परिभुंजमाणे ज्झीणे। तं सेयं खलु देवानुप्पिया! अम्हं इमीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए उदगदातारस्स सव्वओ समंता मग्गण-गवेसणं करित्तए त्ति कट्टु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमट्ठं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए उदगदातारस्स सव्वओ समंता मग्गण-गवेसणं करेंति, करेत्ता उदगदातारमलभमाणा दोच्चं पि अन्नमन्नं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी– इहण्णं देवानुप्पिया! उदगदातारो नत्थि तं नो खलु कप्पइ अम्हं अदिन्नं गिण्हित्तए, अदिन्नं साइज्जित्तए, तं मा णं अम्हे इयाणिं आवइकालं पि अदिन्नं गिण्हामो, अदिन्नं साइज्जामो, मा णं अम्हं तवलोवे भविस्सइ। तं सेयं खलु अम्हं देवानुप्पिया! तिदंडए य कुंडियाओ य कंचणियाओ य करोडियाओ य भिसियाओ य छन्नालए य अंकुसए य केसरियाओ य पवित्तए य गणेत्तियाओ य छत्तए य वाहणाओ य धाउरत्ताओ य एगंते एडित्ता गंगं महानइं ओगाहित्ता वालुयासंथारए संथरित्ता संलेहणाज्झूसियाणं भत्तपान-पडियाइक्खियाणं पाओवगयाणं कालं अनवकंखमाणाणं विहरित्तए त्ति कट्टु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमट्ठं पडिसुणेंति, पडिसुणेत्ता तिंदडए य कुंडियाओ य कंचणियाओ य करोडियाओ य भिसियाओ य छण्णालए य अंकुसए य केसरियाओ य पवित्तए य गणेत्तियाओ य छत्तए य वाहणाओ य धाउर-त्ताओ य एगंते एडेंति, एडेत्ता गंगं महानइं ओगाहेंति, ओगाहेत्ता वालुयासंथारए संथरंति, संथरित्ता वालुयासंथारयं दुरुहंति, दुरुहित्ता पुरत्थाभिमुहा संपलियंक-निसण्णा करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयासी– नमोत्थु णं अरहंताणं जाव सिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्ताणं। नमोत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स। नमोत्थु णं अम्मडस्स परिव्वायगस्स अम्हं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स। पुव्विं णं अम्हेहिं अम्मडस्स परिव्वायगस्स अंतिए थूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जी-वाए, मुसावाए अदिन्नादाने पच्चक्खाए जावज्जीवाए, सव्वे मेहुणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, इयाणिं अम्हे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं मुसावायं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं अदिण्णादाणं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं मेहुणं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं परिग्गहं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं कोहं माणं मायं लोहं पेज्जं दोसं कलहं अब्भक्खाणं पेसुण्णं परपरिवायं अरइरइं मायामोसं मिच्छादंसणसल्लं अकरणिज्जं जोगं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं असनं पानं खाइमं साइमं–चउव्विहं पि आहारं पच्चक्खामो जावज्जीवाए। जं पि य इमं सरीरं इट्ठं कंतं पियं मणुण्णं मणामं पेज्जं वेसासियं संमयं बहुमयं अणुमयं भंड-करंडग-समाणं मा णं सीयं, मा णं उण्हं, मा णं खुहा, मा णं पिवासा, मा णं वाला, मा णं चोरा, मा णं दंसा, मा णं मसगा, मा णं वाइय-पित्तिय-सिंभिय-सन्निवाइय विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतु त्ति कट्टु एयंपि णं चरिमेहिं ऊसासनीसासेहिं वोसिरामि त्ति कट्टु संलेहणा-ज्झूसिया भत्तपान-पडियाइक्खिया पाओवगया कालं अनवकंखमाणा विहरंति। तए णं ते परिव्वाया बहूइं भत्ताइं अनसनाए छेदेंति, छेदित्ता आलोइय-पडिक्कंता समाहि-पत्ता कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववन्ना। तहिं तेसिं गई, तहिं तेसिं ठिई, तहिं तेसिं उववाए पन्नत्ते। तेसि णं भंते! देवाणं केवतियं कालं ठिई पन्नत्ता? गोयमा! दससागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। अत्थि णं भंते! तेसिं देवाणं इड्ढी इ वा जुई इ वा जसे इ वा बले इ वा वीरिए इ वा पुरिसक्कार-परक्कमे इ वा? हंता अत्थि। ते णं भंते! देवा परलोगस्स आराहगा? हंता अत्थि। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! दृश्यमान सूर्य की उष्णता से संतप्त, तृषा से पीड़ित और दावानल की ज्वाला से प्रज्वलित यह उदुम्बरयष्टिका कालमास में काल करके कहाँ जाएगी ? कहाँ उत्पन्न होगी ? गौतम ! इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में पाटलिपुत्र नामक नगर में पाटली वृक्ष के रूप में पुनः उत्पन्न होगी। वह वहाँ अर्चित, वन्दित यावत् पूजनीय होगी। भगवन् ! वह यहाँ से काल करके कहाँ जाएगी ? कहाँ उत्पन्न होगी ? गौतम ! पूर्ववत् जानना। उस काल, उस समय अम्बड परिव्राजक के सात सौ शिष्य ग्रीष्म ऋतु के समय में विहार कर रहे थे, इत्यादि समस्त वर्णन औपपातिक सूत्रानुसार, यावत् – वे आराधक हुए। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] esa nam bhamte! Umbaralatthiya unhabhihaya tanhabhihaya davaggijalabhihaya kalamase kalam kichcha kahim gamihiti? Kahim uvavajjihiti? Goyama! Iheva jambuddive dive bharahe vase padaliputte nagare padalirukkhattae pachchayahiti. Se nam tattha achchiya-vamdiya-puiya-sakkariya-sammanie divve sachche sachchovae sannihiyapadihere laulloiya-mahie yavi bhavissai. Se nam bhamte! Taohimto anamtaram uvvattitta kahim gamihiti? Kahim uvavajjihiti? Goyama! Mahavidehe vase sijjhihiti java savvadukkhanam amtam kahiti. Tenam kalenam tenam samaenam ammadassa parivvayagassa satta amtevasisaya gimhakalasamayamsi jetthamulamasammi gamgae mahanadie ubhaokulenam kampillapurao nagarao purimatalam nayaram sampatthiya viharae. Tae nam tesim parivvayaganam tise agamiyae chhinnavayae dihamaddhae adavie kamchi desamtaramanupattanam se puvva-gahie udae anupuvvenam paribhumjamane jjhine. Tae nam te parivvaya jjhinodaga samana tanhae parabbhamana-parabbhamana udagadatarama-passamana annamannam saddavemti, saddavetta evam vayasi– evam khalu devanuppiya! Amham imise agamiyae chhinnavayae dihamaddhae adavie kamchi desamtaramanupattanam se puvvaggahie udae anupuvvenam paribhumjamane jjhine. Tam seyam khalu devanuppiya! Amham imise agamiyae chhinnavayae dihamaddhae adavie udagadatarassa savvao samamta maggana-gavesanam karittae tti kattu annamannassa amtie eyamattham padisuneti, padisunetta tise agamiyae chhinnavayae dihamaddhae adavie udagadatarassa savvao samamta maggana-gavesanam karemti, karetta udagadataramalabhamana dochcham pi annamannam saddavemti, saddavetta evam vayasi– Ihannam devanuppiya! Udagadataro natthi tam no khalu kappai amham adinnam ginhittae, adinnam saijjittae, tam ma nam amhe iyanim avaikalam pi adinnam ginhamo, adinnam saijjamo, ma nam amham tavalove bhavissai. Tam seyam khalu amham devanuppiya! Tidamdae ya kumdiyao ya kamchaniyao ya karodiyao ya bhisiyao ya chhannalae ya amkusae ya kesariyao ya pavittae ya ganettiyao ya chhattae ya vahanao ya dhaurattao ya egamte editta gamgam mahanaim ogahitta valuyasamtharae samtharitta samlehanajjhusiyanam bhattapana-padiyaikkhiyanam paovagayanam kalam anavakamkhamananam viharittae tti kattu annamannassa amtie eyamattham padisunemti, padisunetta timdadae ya kumdiyao ya kamchaniyao ya karodiyao ya bhisiyao ya chhannalae ya amkusae ya kesariyao ya pavittae ya ganettiyao ya chhattae ya vahanao ya dhaura-ttao ya egamte edemti, edetta gamgam mahanaim ogahemti, ogahetta valuyasamtharae samtharamti, samtharitta valuyasamtharayam duruhamti, duruhitta puratthabhimuha sampaliyamka-nisanna karayalapariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu evam vayasi– Namotthu nam arahamtanam java siddhigainamadheyam thanam sampattanam. Namotthu nam samanassa bhagavao mahavirassa java sampaviukamassa. Namotthu nam ammadassa parivvayagassa amham dhammayariyassa dhammovadesagassa. Puvvim nam amhehim ammadassa parivvayagassa amtie thulae panaivae pachchakkhae javajji-vae, musavae adinnadane pachchakkhae javajjivae, savve mehune pachchakkhae javajjivae, thulae pariggahe pachchakkhae javajjivae, iyanim amhe samanassa bhagavao mahavirassa amtie savvam panaivayam pachchakkhamo javajjivae savvam musavayam pachchakkhamo javajjivae savvam adinnadanam pachchakkhamo javajjivae savvam mehunam pachchakkhamo javajjivae savvam pariggaham pachchakkhamo javajjivae savvam koham manam mayam loham pejjam dosam kalaham abbhakkhanam pesunnam paraparivayam arairaim mayamosam michchhadamsanasallam akaranijjam jogam pachchakkhamo javajjivae savvam asanam panam khaimam saimam–chauvviham pi aharam pachchakkhamo javajjivae. Jam pi ya imam sariram ittham kamtam piyam manunnam manamam pejjam vesasiyam sammayam bahumayam anumayam bhamda-karamdaga-samanam ma nam siyam, ma nam unham, ma nam khuha, ma nam pivasa, ma nam vala, ma nam chora, ma nam damsa, ma nam masaga, ma nam vaiya-pittiya-simbhiya-sannivaiya viviha rogayamka parisahovasagga phusamtu tti kattu eyampi nam charimehim usasanisasehim vosirami tti kattu samlehana-jjhusiya bhattapana-padiyaikkhiya paovagaya kalam anavakamkhamana viharamti. Tae nam te parivvaya bahuim bhattaim anasanae chhedemti, chheditta aloiya-padikkamta samahi-patta kalamase kalam kichcha bambhaloe kappe devattae uvavanna. Tahim tesim gai, tahim tesim thii, tahim tesim uvavae pannatte. Tesi nam bhamte! Devanam kevatiyam kalam thii pannatta? Goyama! Dasasagarovamaim thii pannatta. Atthi nam bhamte! Tesim devanam iddhi i va jui i va jase i va bale i va virie i va purisakkara-parakkame i va? Hamta atthi. Te nam bhamte! Deva paralogassa arahaga? Hamta atthi. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Drishyamana surya ki ushnata se samtapta, trisha se pirita aura davanala ki jvala se prajvalita yaha udumbarayashtika kalamasa mem kala karake kaham jaegi\? Kaham utpanna hogi\? Gautama ! Isi jambudvipa ke bharatavarsha mem pataliputra namaka nagara mem patali vriksha ke rupa mem punah utpanna hogi. Vaha vaham archita, vandita yavat pujaniya hogi. Bhagavan ! Vaha yaham se kala karake kaham jaegi\? Kaham utpanna hogi\? Gautama ! Purvavat janana. Usa kala, usa samaya ambada parivrajaka ke sata sau shishya grishma ritu ke samaya mem vihara kara rahe the, ityadi samasta varnana aupapatika sutranusara, yavat – ve aradhaka hue. |