Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1002311 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-४ |
Translated Chapter : |
स्थान-४ |
Section : | उद्देशक-२ | Translated Section : | उद्देशक-२ |
Sutra Number : | 311 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–संपागडपडिसेवी नाममेगे, पच्छन्नपडिसेवी नाममेगे, पडुप्पन्नणंदी नाममेगे, णिस्सरणणंदी नाममेगे। चत्तारि सेणाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–जइत्ता नाममेगा नो पराजिणित्ता, पराजिणित्ता नाममेगा नो जइत्ता, एगा जइत्तावि पराजिणित्तावि, एगा नो जइत्ता नो पराजिणित्ता। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–जइत्ता नाममेगे नो पराजिणित्ता, पराजिणित्ता नाममेगे नो जइत्ता, एगे जइत्तावि पराजिणित्तावि, एगे नो जइत्ता नो पराजिणित्ता। चत्तारि सेणाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–जइत्ता नाममेगा जयइ, जइत्ता नाममेगा पराजिणति, पराजिणित्ता नाममेगा जयइ, पराजिणित्ता नाममेगा पराजिणति। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–जइत्ता नाममेगे जयइ, जइत्ता नाममेगे पराजिणति, पराजिणित्ता नाममेगे जयइ, पराजिणित्ता नाममेगे पराजिणति। | ||
Sutra Meaning : | पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – संप्रगट प्रतिसेवी – साधु समुदाय में रहने वाला एक साधु अगीतार्थ के समक्ष दोष सेवन करते हैं। प्रच्छन्नप्रतिसेवी – एक साधु प्रच्छन्न दोष सेवन करता है। प्रत्युत्पन्न नंदी – एक साधु वस्त्र या शिष्य के लाभ से आनन्द मनाता है। निःसरण नंदी – एक साधु गच्छ में से स्वयं के या शिष्य के नीकलने से आनन्द मनाता है। सेनाएं चार प्रकार की हैं। यथा – एक सेना शत्रु को जीतने वाली है किन्तु हराने वाली नहीं है। एक सेना हराने वाली है किन्तु जीतने वाली नहीं है। एक सेना शत्रुओं को जीतने वाली भी है और हराने वाली भी है। एक सेना शत्रुओं को न जीतने वाली है और न हराने वाली। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के हैं। यथा – एक साधु परीषहों को जीतने वाला है किन्तु परीषहों को सर्वथा परास्त करने वाला नहीं है। एक साधु परीषहों से हारने वाला है किन्तु उन्हें जीतने वाला नहीं है। एक साधु शैलक राजर्षि के समान परीषहों से हारने वाला भी है और उन्हें जीतने वाला भी है। एक साधु न परीषहों से हारने वाला है और न उन्हें जीतने वाला है। क्योंकि साधनाकाल में उसे परीषह आये ही नहीं। सेनाएं चार प्रकार की हैं। यथा – एक सेना युद्ध के आरम्भ में भी शत्रु सेना को जीतती है और युद्ध के अन्त में भी शत्रु सेना को जीतती है। एक सेना युद्ध के आरम्भ में शत्रु सेना को जीतती है किन्तु युद्ध के अन्त में पराजित हो जाती है। एक सेना युद्ध के आरम्भ में पराजित होती है किन्तु युद्ध के अन्त में विजय प्राप्त करती है। एक सेना युद्ध के आरम्भ में भी और अन्त में भी पराजित होती है। इसी प्रकार परीषहों से विजय और पराजय प्रकार करने वाले पुरुष वर्ग के चार भांगे हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] chattari purisajaya pannatta, tam jaha–sampagadapadisevi namamege, pachchhannapadisevi namamege, paduppannanamdi namamege, nissarananamdi namamege. Chattari senao pannattao, tam jaha–jaitta namamega no parajinitta, parajinitta namamega no jaitta, ega jaittavi parajinittavi, ega no jaitta no parajinitta. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha–jaitta namamege no parajinitta, parajinitta namamege no jaitta, ege jaittavi parajinittavi, ege no jaitta no parajinitta. Chattari senao pannattao, tam jaha–jaitta namamega jayai, jaitta namamega parajinati, parajinitta namamega jayai, parajinitta namamega parajinati. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha–jaitta namamege jayai, jaitta namamege parajinati, parajinitta namamege jayai, parajinitta namamege parajinati. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Purusha chara prakara ke haim. Yatha – sampragata pratisevi – sadhu samudaya mem rahane vala eka sadhu agitartha ke samaksha dosha sevana karate haim. Prachchhannapratisevi – eka sadhu prachchhanna dosha sevana karata hai. Pratyutpanna namdi – eka sadhu vastra ya shishya ke labha se ananda manata hai. Nihsarana namdi – eka sadhu gachchha mem se svayam ke ya shishya ke nikalane se ananda manata hai. Senaem chara prakara ki haim. Yatha – eka sena shatru ko jitane vali hai kintu harane vali nahim hai. Eka sena harane vali hai kintu jitane vali nahim hai. Eka sena shatruom ko jitane vali bhi hai aura harane vali bhi hai. Eka sena shatruom ko na jitane vali hai aura na harane vali. Isi prakara purusha bhi chara prakara ke haim. Yatha – eka sadhu parishahom ko jitane vala hai kintu parishahom ko sarvatha parasta karane vala nahim hai. Eka sadhu parishahom se harane vala hai kintu unhem jitane vala nahim hai. Eka sadhu shailaka rajarshi ke samana parishahom se harane vala bhi hai aura unhem jitane vala bhi hai. Eka sadhu na parishahom se harane vala hai aura na unhem jitane vala hai. Kyomki sadhanakala mem use parishaha aye hi nahim. Senaem chara prakara ki haim. Yatha – eka sena yuddha ke arambha mem bhi shatru sena ko jitati hai aura yuddha ke anta mem bhi shatru sena ko jitati hai. Eka sena yuddha ke arambha mem shatru sena ko jitati hai kintu yuddha ke anta mem parajita ho jati hai. Eka sena yuddha ke arambha mem parajita hoti hai kintu yuddha ke anta mem vijaya prapta karati hai. Eka sena yuddha ke arambha mem bhi aura anta mem bhi parajita hoti hai. Isi prakara parishahom se vijaya aura parajaya prakara karane vale purusha varga ke chara bhamge haim. |