Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011317 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
13. तत्त्वार्थ अधिकार |
Translated Chapter : |
13. तत्त्वार्थ अधिकार |
Section : | 2. जीव-अजीव तत्त्व | Translated Section : | 2. जीव-अजीव तत्त्व |
Sutra Number : | 314 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | का. अ.। २०४ | ||
Mool Sutra : | उत्तमगुणाण धामं, सव्वदव्वाण उत्तमं दव्वं। तच्चाण परं तच्चं, जीवं जाणेहि णिच्छयदो ।। | ||
Sutra Meaning : | ज्ञान दर्शन आनन्द आदि उत्तमोत्तम गुणों का धाम होने से `जीव' छहों द्रव्यों में उत्तम द्रव्य है और नौ तत्त्वों में सर्वोत्तम या सर्वप्रधान है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Uttamagunana dhamam, savvadavvana uttamam davvam. Tachchana param tachcham, jivam janehi nichchhayado\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jnyana darshana ananda adi uttamottama gunom ka dhama hone se `jiva chhahom dravyom mem uttama dravya hai aura nau tattvom mem sarvottama ya sarvapradhana hai. |