Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011291 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
12. द्रव्याधिकार - (विश्व-दर्शन योग) |
Translated Chapter : |
12. द्रव्याधिकार - (विश्व-दर्शन योग) |
Section : | 1. लोक सूत्र | Translated Section : | 1. लोक सूत्र |
Sutra Number : | 288 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | पंचास्तिककाय । २२ | ||
Mool Sutra : | जीवा पुग्गलकाया, आयासं अत्थिकाइया सेसा। अमया अत्थित्तमया, कारणभूदा हि लोगस्स ।। | ||
Sutra Meaning : | इन छह द्रव्यों में से जीव, पुद्गल, आकाश, धर्म व अधर्म इन पाँच को सिद्धान्त में `अस्तिकाय' संज्ञा प्रदान की गयी है। काल द्रव्य अस्तित्व स्वरूप तो है, पर अणु-परिमाण होने से कायवान नहीं है। ये सब अस्तित्वमयी हैं, अर्थात् स्वतः सिद्ध हैं। इसलिए इस लोक के मूल उपादान कारण हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Jiva puggalakaya, ayasam atthikaiya sesa. Amaya atthittamaya, karanabhuda hi logassa\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Ina chhaha dravyom mem se jiva, pudgala, akasha, dharma va adharma ina pamcha ko siddhanta mem `astikaya samjnya pradana ki gayi hai. Kala dravya astitva svarupa to hai, para anu-parimana hone se kayavana nahim hai. Ye saba astitvamayi haim, arthat svatah siddha haim. Isalie isa loka ke mula upadana karana haim. |