Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011289 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
12. द्रव्याधिकार - (विश्व-दर्शन योग) |
Translated Chapter : |
12. द्रव्याधिकार - (विश्व-दर्शन योग) |
Section : | 1. लोक सूत्र | Translated Section : | 1. लोक सूत्र |
Sutra Number : | 286 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | ति. प.। १.१३३; तुलना: भगवती सूत्र। २.१.९१ | ||
Mool Sutra : | आदिणिहणेण हीणो, पगदिसरूवेण एस संजादो। जीवाजीवसमिद्धो, सव्वण्हावलोइओ लोओ ।। | ||
Sutra Meaning : | सर्वज्ञ भगवान से अवलोकित यह लोक अनाद्यनन्त, स्वतः सिद्ध और जीव व अजीव द्रव्यों से व्याप्त है। (यह तीन भागों में विभाजित है-अधो, मध्य व ऊर्ध्व है। अधोलोक में नारकीयों का, मध्य में मनुष्य व तिर्यंचों का तथा ऊर्ध्वलोक में देवों का वास है।) | ||
Mool Sutra Transliteration : | Adinihanena hino, pagadisaruvena esa samjado. Jivajivasamiddho, savvanhavaloio loo\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Sarvajnya bhagavana se avalokita yaha loka anadyananta, svatah siddha aura jiva va ajiva dravyom se vyapta hai. (yaha tina bhagom mem vibhajita hai-adho, madhya va urdhva hai. Adholoka mem narakiyom ka, madhya mem manushya va tiryamchom ka tatha urdhvaloka mem devom ka vasa hai.) |