Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011253 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
11. धर्म अधिकार - (मोक्ष संन्यास योग) |
Translated Chapter : |
11. धर्म अधिकार - (मोक्ष संन्यास योग) |
Section : | 3. अनगरासूत्र (संन्यास योग) | Translated Section : | 3. अनगरासूत्र (संन्यास योग) |
Sutra Number : | 250 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | ध. १। गाथा ३३; तुलना: प्रश्न व्याकरण । २.५-१२ | ||
Mool Sutra : | सीह-गय-वसह-मिय-पसु, मारुद-सुरूवहि-मंदरिंदु-मणी। खिदि-उरगंबर सरिसां, परम-पय-विमग्गया साहू ।। | ||
Sutra Meaning : | सदा काल परमपद का अन्वेषण करनेवाले अनगार साधु ऐसे होते हैं-१. सिंहवत् पराक्रमी, २. गजवत् रणविजयी-कर्म विजयी, ३. वृषभवत् संयम-वाहक, ४. मृगवत् यथालाभ सन्तुष्ट, ५. पशुवत् निरीह भिक्षाचारी, ६. पवनवत् निर्लेप, ७. सूर्यवत् तपस्वी, ८. सागरवत् गम्भीर, ९. मेरुवत् अकम्प, १०. चन्द्रवत् सौम्य, ११. मणिवत् प्रभापुँज, १२. क्षितिवत् तितिक्षु, १३. सर्पवत् अनिश्चित स्थानवासी, तथा १४. आकाशवत् निरालम्ब। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Siha-gaya-vasaha-miya-pasu, maruda-suruvahi-mamdarimdu-mani. Khidi-uragambara sarisam, parama-paya-vimaggaya sahu\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Sada kala paramapada ka anveshana karanevale anagara sadhu aise hote haim-1. Simhavat parakrami, 2. Gajavat ranavijayi-karma vijayi, 3. Vrishabhavat samyama-vahaka, 4. Mrigavat yathalabha santushta, 5. Pashuvat niriha bhikshachari, 6. Pavanavat nirlepa, 7. Suryavat tapasvi, 8. Sagaravat gambhira, 9. Meruvat akampa, 10. Chandravat saumya, 11. Manivat prabhapumja, 12. Kshitivat titikshu, 13. Sarpavat anishchita sthanavasi, tatha 14. Akashavat niralamba. |