Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011251 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
11. धर्म अधिकार - (मोक्ष संन्यास योग) |
Translated Chapter : |
11. धर्म अधिकार - (मोक्ष संन्यास योग) |
Section : | 2. सागार (श्रावक) सूत्र | Translated Section : | 2. सागार (श्रावक) सूत्र |
Sutra Number : | 248 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | उपा. द.। १.१२; तुलना: सागार धर्मामृत। १.१६ | ||
Mool Sutra : | नो खलु अहं तहा संचाएमि मुंडे जाव पव्वइत्तए। अहं ण देवाणुप्पियाणं अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्त सिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्मं पडिवज्जिसामि ।। | ||
Sutra Meaning : | जो व्यक्ति मुण्डित यावत् प्रव्रजित होकर अपने को अनगार धर्म के लिए समर्थ नहीं समझता है, वह पाँच अणुव्रत और सात शिक्षाव्रत ऐसे द्वादश व्रतों वाले गृहस्थधर्म को अंगीकार करता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | No khalu aham taha samchaemi mumde java pavvaittae. Aham na devanuppiyanam amtie pamchanuvvaiyam satta Sikkhavaiyam duvalasaviham gihidhammam padivajjisami\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo vyakti mundita yavat pravrajita hokara apane ko anagara dharma ke lie samartha nahim samajhata hai, vaha pamcha anuvrata aura sata shikshavrata aise dvadasha vratom vale grihasthadharma ko amgikara karata hai. |