Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004199 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | १६. मोक्षमार्गसूत्र | Translated Section : | १६. मोक्षमार्गसूत्र |
Sutra Number : | 199 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | कार्तिकेयानुप्रेक्षा 410/409 | ||
Mool Sutra : | पुण्यमपि यः समिच्छति, संसारः तेन ईहितः भवति। पुण्यं सुगतिहेतुः, पुण्यक्षयेण एव निर्वाणम्।।८।। | ||
Sutra Meaning : | जो पुण्य की इच्छा करता है, वह संसार की ही इच्छा करता है। पुण्य सुगति का हेतु (अवश्य) है, किन्तु निर्वाण तो पुण्य के क्षय से ही होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Punyamapi yah samichchhati, samsarah tena ihitah bhavati. Punyam sugatihetuh, punyakshayena eva nirvanam..8.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo punya ki ichchha karata hai, vaha samsara ki hi ichchha karata hai. Punya sugati ka hetu (avashya) hai, kintu nirvana to punya ke kshaya se hi hota hai. |