Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004196 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | १६. मोक्षमार्गसूत्र | Translated Section : | १६. मोक्षमार्गसूत्र |
Sutra Number : | 196 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | रयणसार 123 | ||
Mool Sutra : | निश्चयव्यवहारस्वरूपं, यो रत्नत्रयं न जानाति सः। यत् करोति तन्मिथ्या-रूपं सर्वं जिनोद्दिष्टम्।।५।। | ||
Sutra Meaning : | जो निश्चय और व्यवहारस्वरूप रत्नत्रय (दर्शन, ज्ञान, चारित्र) को नहीं जानता, उसका सब-कुछ करना मिथ्यारूप है, यह जिनदेव का उपदेश है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Nishchayavyavaharasvarupam, yo ratnatrayam na janati sah. Yat karoti tanmithya-rupam sarvam jinoddishtam..5.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo nishchaya aura vyavaharasvarupa ratnatraya (darshana, jnyana, charitra) ko nahim janata, usaka saba-kuchha karana mithyarupa hai, yaha jinadeva ka upadesha hai. |