Sutra Navigation: Mahanishith ( महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1018224 | ||
Scripture Name( English ): | Mahanishith | Translated Scripture Name : | महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-८ चूलिका-२ सुषाढ अनगारकथा |
Translated Chapter : |
अध्ययन-८ चूलिका-२ सुषाढ अनगारकथा |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 1524 | Category : | Chheda-06 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से भयवं सा सुज्जसिरी कहिं समुववन्ना गोयमा छट्ठीए नरय पुढवीए। से भयवं केणं अट्ठेणं गोयमा तीए पडिपुण्णाणं साइरेगाणं णवण्हं मासाणं गयाणं इणमो विचिंतियं जहा णं पच्चूसे गब्भं पडावेमि, त्ति एवमज्झवसमाणी चेव बालयं पसूया। पसूयमेत्ता य तक्खणं निहणं गया। एतेणं अट्ठेणं गोयमा सा सुज्जसिरी छट्ठियं गयं त्ति। से भयवं जं तं बालगं पसविऊणं मया सा सुज्जसिरी तं जीवियं किं वा न व त्ति गोयमा जीवियं। से भयवं कहं गोयमा पसूयमेत्तं तं बालगं तारिसेहिं जरा जर जलुस जंबाल पूइ रुहिर खार दुगंधासुईहिं विलत्तमणाहं विलवमाणं दट्ठूणं कुलाल चक्कस्सोवरिं काऊणं साणेणं समुद्दिसिउमारद्धं ताव णं दिट्ठं कुलालेणं। ताहे धाइओ सघरणिओ कुलालो। अविनासिय बाल तणू पणट्ठो साणो। तओ कारुन्न हियएणं अपुत्तस्स णं पुत्तो एस मज्झ होहिइ त्ति वियप्पिऊणं कुलालेणं समप्पिओ से बालगो गोयमा स दईयाए। तीए य सब्भाव णेहेणं परिवालिऊणं माणुसी कए से बालगे। कयं च नामं कुलालेणं लोगाणुवित्तीए सजणगाहिहाणेणं। जहा णं सुसढो। अन्नया कालक्कमेणं गोयमा सुसाहु संजोग देसणापुव्वेणं पडिबुद्धे णं सुसढे पव्वइए य। जाव णं परम सद्धा संवेग वेरग्ग गए। अच्चंत घोर वीरूग्ग कट्ठसुदुक्करं महाकायकेसं करेइ। संजमं जयणं न याणइ। अजयणा दोसेणं तु सव्वत्थ असंजम पएसु णं अवरज्झे। तओ तस्स गुरुहिं भणियं जहा भो भो महासत्त तए अन्नाण दोसओ संजम जयणं अयाणमाणेणं महंते कायकेसे समाढत्ते। नवरं जइ निच्चालोयणं दाऊणं पायच्छित्तं न काहिसि ता सव्वमेयं निप्फलं होही। ता जाव णं गुरुहिं चोइए ताव णं से अनवरयालोयणं पयच्छे। से वि णं गुरू तस्स तहा पायच्छित्ते पयाइ। जहा णं संजम जयणं णणू एगंतेणेव अहन्निसाणुसमयं रोद्दट्ट ज्झाणाइविप्पमुक्के सुहज्झवसाय निरंतरे पविहरेज्जा अहन्नया णं गोयमा से पावमती जे केइ छट्ठ ट्ठम दसम दुवालसद्धमास मास जाव णं छम्मास खवणाइए अन्नयरे वा सुमहं काय केसाणुगए पच्छित्ते से णं तह त्ति समनुट्ठे। जे य उणं एगंत संजम किरियाणं जयणाणुगए मणोवइ काय जोगे सयलासव निरोहे सज्झाय ज्झाणावस्सगाईए असेस पाव कम्म रासि निद्दहणे पायच्छित्ते से णं पमाए अवमन्ने अवहेले असद्दहे सिढिले जाव णं किल किमित्थ दुक्करं ति काऊणं न तहा समनुट्ठे। अन्नया णं गोयमा अहाउयं परिवालिऊणं से सुसढे मरिऊणं सोहम्मे कप्पे इंदसामाणिए महिड्ढी देवे समुप्पन्ने। तओ वि चविऊणं इहइं वासुदेवो होऊणं सत्तम पुढवीए समुप्पन्ने। तओ उव्वट्टे समाणे महा काए हत्थी होऊणं मेहुणा सत्त माणसे मरि-ऊणं अनंत वणस्सतीए गय त्ति। एस णं गोयमा से सुसढे जे णं | ||
Sutra Meaning : | हे भगवंत ! वो सुज्ञश्री कहाँ उत्पन्न हुई ? हे गौतम ! छठ्ठी नरक पृथ्वी में, हे भगवंत ! किस कारण से ? उसके गर्भ का नौ मास से ज्यादा समय पूर्ण हुआ तब सोचा कि कल सुबह गर्भ गिरा दूँगी। इस प्रकार का अध्य – वसाय करते हुए उसने बच्चे को जन्म दिया। जन्म देने के बाद तुरन्त उसी पल में मर गई। इस कारण से सुज्ञश्री छठ्ठी नरक में गई। हे भगवंत ! जिस बच्चे को उसने जन्म दिया फिर मर गई वो बच्चा जिन्दा रहा कि नहीं ? हे गौतम ! जीवित रहा है। हे भगवंत ! किस तरह ? हे गौतम ! जन्म देने के साथ ही वो बच्चा उस प्रकार की ओर चरबी लहूँ गर्भ को लिपटकर रहे, बदबूवाले पदार्थ, परू, खारी बदबूवाली अशुचि चीजों से लीपटा अनाथ विलाप करनेवाले उस बच्चे को एक श्वानने कुम्हार के चक्र पर स्थापना करके भक्षण करने लगा। इसलिए कुम्हार ने उस बच्चे को देखा, तब उसकी पत्नी सहित कुम्हार बच्चे की और दोड़ा। बच्चे के शरीर को नष्ट किए बिना श्वान भाग गया। तब करुणापूर्वक हृदयवाले कुम्हार को लड़का न होने से यह मेरा पुत्र होगा – ऐसा सोचकर कुम्हार ने उस बच्चे को अपनी बीबी को समर्पण किया। उसने भी सच्चे स्नेह से उसकी देख – भाल करके उस बच्चे को मानव के रूप में तैयार किया। उस कुम्हारने लोकानुवृत्ति से अपने पिता होने के अभिमान से उसका सुसढ़ नाम रखा। हे गौतम ! कालक्रम से सुसाधु का समागम हुआ। देशना सुनकर प्रतिबोध पाया। और उस सुसढ़ने दीक्षा अंगीकार की। यावत् परमश्रद्धा संवेग और वैराग पाया। काफी घोर वीर उग्र कष्ट करके दुष्कर महाकाय क्लेश करते हैं। लेकिन संयम में यतना किस प्रकार करना वो नहीं जानता। अजयणा के दोष से सर्वत्र असंयम के स्थान में अपराध करनेवाला होता है। तब उसे गुरु ने कहा कि – अरे ! महासत्त्वशाली ! तुम अज्ञान दोष के कारण से संयम में जयणा कैसे करनी वो मालूम न होने से महान कायक्लेश करनेवाला होता है। हंमेशा आलोयणा देकर प्रायश्चित्त नहीं करता। तो तुम्हारा यह किया हुआ सर्व तप – संयम निष्फल होता है। जब इस प्रकार गुरु ने उसको प्रेरणा दी तब हंमेशा आलोचना देते हैं, वो गुरु भी उसे उस तरह का प्रायश्चित्त देते हैं कि जिस प्रकार से संयम में जयणा करनेवाला बने। उसी के अनुसार रात – दिन हरएक समय आर्तध्यान, रौद्रध्यान से मुक्त शुभ अध्यवसाय में हंमेशा विचरण करता था। हे गौतम ! किसी समय वो पापमतिवाला जो किसी छठ्ठ, अठ्ठम, चार, पाँच, अर्धमास मास यावत् छ मास के उपवास या दूसरे बड़े कायक्लेश हो वैसे प्रायश्चित्त उसके अनुसार अच्छी तरह से सेवन करे लेकिन जो कुछ भी संयम क्रिया में जयणावाले मन, वचन, काया के योग, समग्र आश्रव का रोध, स्वाध्याय, ध्यान आवश्यक आदि से समग्र पापकर्म की राशि को जलाकर भस्म करने के लिए समर्थ प्रायश्चित्त है, उसमें प्रमाद करे, उसकी अवहेलना करे, अश्रद्धा करे, शिथिलता करे, यावत् अरे इसमें क्या दुष्कर है ? ऐसा करके उस प्रकार से यथार्थ प्रायश्चित्त सेवन न करे। हे गोतम ! वो सुसढ़ अपना यथायोग्य आयु भुगतकर मरकर सौधर्मकल्प में इन्द्र महाराजा के महर्द्धिक सामानिक देव के रूप में उत्पन्न हुए। वहाँ से च्यवकर यहाँ वासुदेव बनकर सातवीं नरक पृथ्वी में उत्पन्न हुआ। वहाँ से नीकलकर महाकायवाला हाथी होकर मैथुनासक्त मानसवाला मरकर अनन्तकाय वनस्पति में गया। हे गौतम ! यह वो सुसढ़ कि जिसने – | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se bhayavam sa sujjasiri kahim samuvavanna goyama chhatthie naraya pudhavie. Se bhayavam kenam atthenam goyama tie padipunnanam saireganam navanham masanam gayanam inamo vichimtiyam jaha nam pachchuse gabbham padavemi, tti evamajjhavasamani cheva balayam pasuya. Pasuyametta ya takkhanam nihanam gaya. Etenam atthenam goyama sa sujjasiri chhatthiyam gayam tti. Se bhayavam jam tam balagam pasaviunam maya sa sujjasiri tam jiviyam kim va na va tti goyama jiviyam. Se bhayavam kaham goyama pasuyamettam tam balagam tarisehim jara jara jalusa jambala pui ruhira khara dugamdhasuihim vilattamanaham vilavamanam datthunam kulala chakkassovarim kaunam sanenam samuddisiumaraddham tava nam dittham kulalenam. Tahe dhaio sagharanio kulalo. Avinasiya bala tanu panattho sano. Tao karunna hiyaenam aputtassa nam putto esa majjha hohii tti viyappiunam kulalenam samappio se balago goyama sa daiyae. Tie ya sabbhava nehenam parivaliunam manusi kae se balage. Kayam cha namam kulalenam loganuvittie sajanagahihanenam. Jaha nam susadho. Annaya kalakkamenam goyama susahu samjoga desanapuvvenam padibuddhe nam susadhe pavvaie ya. Java nam parama saddha samvega veragga gae. Achchamta ghora virugga katthasudukkaram mahakayakesam karei. Samjamam jayanam na yanai. Ajayana dosenam tu savvattha asamjama paesu nam avarajjhe. Tao tassa guruhim bhaniyam jaha bho bho mahasatta tae annana dosao samjama jayanam ayanamanenam mahamte kayakese samadhatte. Navaram jai nichchaloyanam daunam payachchhittam na kahisi ta savvameyam nipphalam hohi. Ta java nam guruhim choie tava nam se anavarayaloyanam payachchhe. Se vi nam guru tassa taha payachchhitte payai. Jaha nam samjama jayanam nanu egamteneva ahannisanusamayam roddatta jjhanaivippamukke suhajjhavasaya niramtare paviharejja Ahannaya nam goyama se pavamati je kei chhattha tthama dasama duvalasaddhamasa masa java nam chhammasa khavanaie annayare va sumaham kaya kesanugae pachchhitte se nam taha tti samanutthe. Je ya unam egamta samjama kiriyanam jayananugae manovai kaya joge sayalasava nirohe sajjhaya jjhanavassagaie asesa pava kamma rasi niddahane payachchhitte se nam pamae avamanne avahele asaddahe sidhile java nam kila kimittha dukkaram ti kaunam na taha samanutthe. Annaya nam goyama ahauyam parivaliunam se susadhe mariunam sohamme kappe imdasamanie mahiddhi deve samuppanne. Tao vi chaviunam ihaim vasudevo hounam sattama pudhavie samuppanne. Tao uvvatte samane maha kae hatthi hounam mehuna satta manase mari-unam anamta vanassatie gaya tti. Esa nam goyama se susadhe je nam | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavamta ! Vo sujnyashri kaham utpanna hui\? He gautama ! Chhaththi naraka prithvi mem, he bhagavamta ! Kisa karana se\? Usake garbha ka nau masa se jyada samaya purna hua taba socha ki kala subaha garbha gira dumgi. Isa prakara ka adhya – vasaya karate hue usane bachche ko janma diya. Janma dene ke bada turanta usi pala mem mara gai. Isa karana se sujnyashri chhaththi naraka mem gai. He bhagavamta ! Jisa bachche ko usane janma diya phira mara gai vo bachcha jinda raha ki nahim\? He gautama ! Jivita raha hai. He bhagavamta ! Kisa taraha\? He gautama ! Janma dene ke satha hi vo bachcha usa prakara ki ora charabi lahum garbha ko lipatakara rahe, badabuvale padartha, paru, khari badabuvali ashuchi chijom se lipata anatha vilapa karanevale usa bachche ko eka shvanane kumhara ke chakra para sthapana karake bhakshana karane laga. Isalie kumhara ne usa bachche ko dekha, taba usaki patni sahita kumhara bachche ki aura dora. Bachche ke sharira ko nashta kie bina shvana bhaga gaya. Taba karunapurvaka hridayavale kumhara ko laraka na hone se yaha mera putra hoga – aisa sochakara kumhara ne usa bachche ko apani bibi ko samarpana kiya. Usane bhi sachche sneha se usaki dekha – bhala karake usa bachche ko manava ke rupa mem taiyara kiya. Usa kumharane lokanuvritti se apane pita hone ke abhimana se usaka susarha nama rakha. He gautama ! Kalakrama se susadhu ka samagama hua. Deshana sunakara pratibodha paya. Aura usa susarhane diksha amgikara ki. Yavat paramashraddha samvega aura vairaga paya. Kaphi ghora vira ugra kashta karake dushkara mahakaya klesha karate haim. Lekina samyama mem yatana kisa prakara karana vo nahim janata. Ajayana ke dosha se sarvatra asamyama ke sthana mem aparadha karanevala hota hai. Taba use guru ne kaha ki – are ! Mahasattvashali ! Tuma ajnyana dosha ke karana se samyama mem jayana kaise karani vo maluma na hone se mahana kayaklesha karanevala hota hai. Hammesha aloyana dekara prayashchitta nahim karata. To tumhara yaha kiya hua sarva tapa – samyama nishphala hota hai. Jaba isa prakara guru ne usako prerana di taba hammesha alochana dete haim, vo guru bhi use usa taraha ka prayashchitta dete haim ki jisa prakara se samyama mem jayana karanevala bane. Usi ke anusara rata – dina haraeka samaya artadhyana, raudradhyana se mukta shubha adhyavasaya mem hammesha vicharana karata tha. He gautama ! Kisi samaya vo papamativala jo kisi chhaththa, aththama, chara, pamcha, ardhamasa masa yavat chha masa ke upavasa ya dusare bare kayaklesha ho vaise prayashchitta usake anusara achchhi taraha se sevana kare lekina jo kuchha bhi samyama kriya mem jayanavale mana, vachana, kaya ke yoga, samagra ashrava ka rodha, svadhyaya, dhyana avashyaka adi se samagra papakarma ki rashi ko jalakara bhasma karane ke lie samartha prayashchitta hai, usamem pramada kare, usaki avahelana kare, ashraddha kare, shithilata kare, yavat are isamem kya dushkara hai\? Aisa karake usa prakara se yathartha prayashchitta sevana na kare. He gotama ! Vo susarha apana yathayogya ayu bhugatakara marakara saudharmakalpa mem indra maharaja ke maharddhika samanika deva ke rupa mem utpanna hue. Vaham se chyavakara yaham vasudeva banakara satavim naraka prithvi mem utpanna hua. Vaham se nikalakara mahakayavala hathi hokara maithunasakta manasavala marakara anantakaya vanaspati mem gaya. He gautama ! Yaha vo susarha ki jisane – |