[सूत्र] निग्गंथीए राओ वा वियाले वा उच्चारं वा पासवणं वा विगिंचमाणीए वा विसोहेमाणीए वा अन्नयरे पसुजातीए वा पक्खिजातीए वा अन्नयरं इंदियजायं परामुसेज्जा, तं च निग्गंथी साइज्जेज्जा, हत्थकम्मपडिसेवणपत्ता आवज्जइ मासियं अनुग्घाइयं।
Sutra Meaning :
कोई साध्वी रात के या सन्ध्या के वक्त मल – मूत्र का परित्याग करे या शुद्धि करे उस वक्त किसी पशु के पंख के द्वारा साध्वी की किसी एक इन्द्रिय को छू ले, या साध्वी के किसी छिद्र में प्रवेश पा ले और वो स्पर्श या प्रवेश सुखद है (आनन्ददायक है) ऐसी प्रशंसा करे तो उसे हस्तकर्म का दोष लगता है और वो अनुद्घातिक मासिक प्रायश्चित्त की हिस्सेदार होती है।
सूत्र – १५५, १५६
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] niggamthie rao va viyale va uchcharam va pasavanam va vigimchamanie va visohemanie va annayare pasujatie va pakkhijatie va annayaram imdiyajayam paramusejja, tam cha niggamthi saijjejja, hatthakammapadisevanapatta avajjai masiyam anugghaiyam.
Sutra Meaning Transliteration :
Koi sadhvi rata ke ya sandhya ke vakta mala – mutra ka parityaga kare ya shuddhi kare usa vakta kisi pashu ke pamkha ke dvara sadhvi ki kisi eka indriya ko chhu le, ya sadhvi ke kisi chhidra mem pravesha pa le aura vo sparsha ya pravesha sukhada hai (anandadayaka hai) aisi prashamsa kare to use hastakarma ka dosha lagata hai aura vo anudghatika masika prayashchitta ki hissedara hoti hai.
Sutra – 155, 156