[सूत्र] निग्गंथस्स य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अनुप्पविट्ठस्स अंतोपडिग्गहंसि पाणे वा बीए वा रए वा परियावज्जेज्जा, तं च संचाएइ विगिंचित्तए वा विसोहेत्तए वा तं पुव्वामेव लाइया विसोहिया-विसोहिया ततो संजयामेव भुंजेज्ज वा पिबेज्ज वा।
तं च नो संचाएइ विगिंचित्तए वा विसोहेत्तए वा, तं नो अप्पणा भुंजेज्जा नो अन्नेसिं दावए एगंते बहुफासुए पएसे पडिलेहित्ता पमज्जित्ता परिट्ठवेयव्वे सिया।
Sutra Meaning :
कोई साधु – साध्वी आहार के लिए गृहस्थ के घर में प्रवेश करे और पात्र में दो इन्द्रिय आदि जीव या सचित्त रज हुई देखे तो यदि उसे नीकालना या शोधना मुमकीन हो तो नीकाले या शोधन करे, यदि नीकालना या शोधन करना मुमकीन न हो तो वो आहार खुद न खाए, दूसरों को न दे, लेकिन किसी एकान्त अचित्त पृथ्वी का पड़िलेहण या प्रमार्जन करके वहाँ परठवे, उसी तरह पात्र में उष्ण आहार हो और उसके ऊपर पानी, पानी के कण या बूँद गिरे तो उस आहार का उपभोग करे लेकिन पूर्वगृहीत आहार ठंड़ा हो और उस पर पानी, पानी के कण बूँद गिरे तो वो आहार खुद न खाए, दूसरों को न दे लेकिन एकान्त अचित्त पृथ्वी का पड़िलेहण प्रमार्जन करके वहाँ परठवे।
सूत्र – १५३, १५४
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] niggamthassa ya gahavaikulam pimdavayapadiyae anuppavitthassa amtopadiggahamsi pane va bie va rae va pariyavajjejja, tam cha samchaei vigimchittae va visohettae va tam puvvameva laiya visohiya-visohiya tato samjayameva bhumjejja va pibejja va.
Tam cha no samchaei vigimchittae va visohettae va, tam no appana bhumjejja no annesim davae egamte bahuphasue paese padilehitta pamajjitta paritthaveyavve siya.
Sutra Meaning Transliteration :
Koi sadhu – sadhvi ahara ke lie grihastha ke ghara mem pravesha kare aura patra mem do indriya adi jiva ya sachitta raja hui dekhe to yadi use nikalana ya shodhana mumakina ho to nikale ya shodhana kare, yadi nikalana ya shodhana karana mumakina na ho to vo ahara khuda na khae, dusarom ko na de, lekina kisi ekanta achitta prithvi ka parilehana ya pramarjana karake vaham parathave, usi taraha patra mem ushna ahara ho aura usake upara pani, pani ke kana ya bumda gire to usa ahara ka upabhoga kare lekina purvagrihita ahara thamra ho aura usa para pani, pani ke kana bumda gire to vo ahara khuda na khae, dusarom ko na de lekina ekanta achitta prithvi ka parilehana pramarjana karake vaham parathave.
Sutra – 153, 154