[सूत्र] से तणेसु वा तणपुंजेसु वा पलालेसु वा पलालपुंजेसु वा अप्पंडेसु अप्पपानेसु अप्पबीएसु अप्पहरिएसु अप्पुस्सेसु अप्पुत्तिंग-पणग-दगमट्टिय-मक्कडा-संताणएसु अहेसवणमायाए नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तहप्पगारे उवस्सए हेमंत-गिम्हासु वत्थए।
Sutra Meaning :
जो उपाश्रय सूखा घास और घास के ढ़ग, चावल आदि का भूँसा और उसके ढ़ग, पाँच वर्णीय लील – फूल, अंड़, बीज, कीचड़, मकड़ी की जाल रहित हो लेकिन उपाश्रय की छत की ऊंचाई कान से भी नीची हो तो ऐसे उपाश्रय में साधु – साध्वी को शर्दी – गर्मी में रहना न कल्पे, लेकिन कान से ऊंची छत हो तो कल्पे, यदि खड़ी हुई व्यक्ति सीधे दो हाथ ऊपर करे तब उस हाथ की ऊंचाई से ज्यादा छत नीची हो तो उस उपाश्रय में वर्षा में रहना न कल्पे, यदि छत ऊंची हो तो कल्पे।
सूत्र – १३९–१४२
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] se tanesu va tanapumjesu va palalesu va palalapumjesu va appamdesu appapanesu appabiesu appahariesu appussesu apputtimga-panaga-dagamattiya-makkada-samtanaesu ahesavanamayae no kappai niggamthana va niggamthina va tahappagare uvassae hemamta-gimhasu vatthae.
Sutra Meaning Transliteration :
Jo upashraya sukha ghasa aura ghasa ke rhaga, chavala adi ka bhumsa aura usake rhaga, pamcha varniya lila – phula, amra, bija, kichara, makari ki jala rahita ho lekina upashraya ki chhata ki umchai kana se bhi nichi ho to aise upashraya mem sadhu – sadhvi ko shardi – garmi mem rahana na kalpe, lekina kana se umchi chhata ho to kalpe, yadi khari hui vyakti sidhe do hatha upara kare taba usa hatha ki umchai se jyada chhata nichi ho to usa upashraya mem varsha mem rahana na kalpe, yadi chhata umchi ho to kalpe.
Sutra – 139–142