[सूत्र] निग्गंथं च णं गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अनुप्पविट्ठं केइ वत्थेण वा पडिग्गहेण वा कंबलेण वा पाय-पुंछणेण वा उवनिमंतेज्जा, कप्पइ से सागारकडं गहाय आयरियपायमूले ठवेत्ता दोच्चं पि ओग्गहं अणुन्नवेत्ता परिहारं परिहरित्तए।
Sutra Meaning :
गृहस्थ के घर में आहार के लिए आए या विचार (स्थंड़िल) भूमि या स्वाध्यायभूमि जाने के लिए बाहर नीकलनेवाले साधु को कोई वस्त्र, पात्र, कम्बल या रजोहरण के लिए पूछे तब वस्त्र आदि को आगार के साथ ग्रहण करे, लाए गए वस्त्र आदि को आचार्य के चरणों में रखकर दूसरी बार आज्ञा लेकर अपने पास रखना या उसका इस्तमाल करना कल्पे।
सूत्र – ३८, ३९
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] niggamtham cha nam gahavaikulam pimdavayapadiyae anuppavittham kei vatthena va padiggahena va kambalena va paya-pumchhanena va uvanimamtejja, kappai se sagarakadam gahaya ayariyapayamule thavetta dochcham pi oggaham anunnavetta pariharam pariharittae.
Sutra Meaning Transliteration :
Grihastha ke ghara mem ahara ke lie ae ya vichara (sthamrila) bhumi ya svadhyayabhumi jane ke lie bahara nikalanevale sadhu ko koi vastra, patra, kambala ya rajoharana ke lie puchhe taba vastra adi ko agara ke satha grahana kare, lae gae vastra adi ko acharya ke charanom mem rakhakara dusari bara ajnya lekara apane pasa rakhana ya usaka istamala karana kalpe.
Sutra – 38, 39