Sutra Navigation: Tandulvaicharika ( तंदुल वैचारिक )

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Mool File Details

Anuvad File Details

Sr No : 1009302
Scripture Name( English ): Tandulvaicharika Translated Scripture Name : तंदुल वैचारिक
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

अनित्य, अशुचित्वादि

Translated Chapter :

अनित्य, अशुचित्वादि

Section : Translated Section :
Sutra Number : 102 Category : Painna-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] आउसो! जं पि य इमं सरीरं इट्ठं पियं कंतं मणुन्नं मणामं मणाभिरामं थेज्जं वेसासियं सम्मयं बहुमयं अणुमयं भंडकरंडगसमाणं, रयणकरंडओ विव सुसंगोवियं, चेलपेडा विव सुसंपरिवुडं, तेल्लपेडा विव सुसंगोवियं ‘मा णं उण्हं मा णं सीयं मा णं पिवासा मा णं चोरा मा णं वाला मा णं दंसा मा णं मसगा मा णं वाइय-पित्तिय-सिंभिय-सन्निवाइया विविहा रोगायंका फुसंतु’ त्ति कट्टु। एवं पि याइं अधुवं अनिययं असासयं चओवचइयं विप्पणासधम्मं, पच्छा व पुरा व अवस्स विप्पचइयव्वं। एयस्स वि याइं आउसो! अणुपुव्वेणं अट्ठारस य पिट्ठकरंडगसंधीओ, बारस पंसुलिकरंडया, छप्पंसुलिए कडाहे, बिहत्थिया कुच्छी, चउरंगुलिआ गीवा, चउपलिया जिब्भा, दुपलियाणि अच्छीणी, चउकवालं सिरं, बत्तीसं दंता, सत्तंगुलिया जीहा अद्धुट्ठपलियं हिययं, पणुवीसं पलाइं कालेज्जं। दो अंता पंचवामा पण्णत्ता, तं जहा–थुल्लंते य तणुअंते य। तत्थ णं जे से थुल्लंते तेणं उच्चारे परिणमइ, तत्थ णं जे से तणुयंते तेणं पासवणे परिणमइ। दो पासा पन्नत्ता, तं जहा–वामे पासे दाहिणे पासे य। तत्थ णं से वामे पासे से सुहपरिणामे, तत्थ णं जे से दाहिणे पासे से दुहपरिणामे। आउसो! इमम्मि सरीरए सट्ठं संधिसयं, सत्तुत्तरं मम्मसयं, तिन्नि अट्ठिदामसयाइं, नव ण्हारुयसयाइं, सत्त सिरासयाइं, पंच पेसीसयाइं, नव धमणीओ, नवनउइं च रोमकूवसयसह-स्साइं विणा केस-मंसुणा, सह केस-मंसुणा अद्धुट्ठाओ रोमकूवकोडीओ। आउसो! इमम्मि सरीरए सट्ठं सिरासयं नाभिप्पभवाणं उड्ढगामिणीणं सिरमुवागयाणं जाओ रसहरणीओ त्ति वुच्चंति जाणं सि निरुवघातेणं चक्खु सोय घाण जीहाबलं भवइ, जाणं सि उवघाएणं चक्खु सोय घाण जीहाबलं उवहम्मइ। आउसो! इमम्मि सरीरए सट्ठं सिरासयं नाभिप्पभवाणं अहोगामिणीणं पायतलमुवगयाणं, जाणं सि निरुवघाएणं जंघाबलं हवइ, जाणं चेव से उवघाएणं सीसवेयणा अद्धसीसवेयणा मत्थयसूले अच्छीणि अंधिज्जंति। आउसो! इमम्मि सरीरए सट्ठं सिरासयं नाभिप्पभवाणं तिरियगामिणीणं हत्थतलमुवगयाणं, जाणं सि निरुवघाएणं बाहुबलं हवइ, ताणं चेव से उवघाएणं पासवेयणा पोट्टवेयणा कुच्छिवेयणा कुच्छिसूले भवइ। आउसो! इमस्स जंतुस्स सट्ठं सिरासयं नाभिप्पभवाणं अहोगामिणीणं गुदपविट्ठाणं, जाणं सि निरुवघाएणं मुत्त पुरीस वाउकम्मं पवत्तइ, ताणं चेव उवघाएणं मुत्त पुरीस वाउनिरोहेणं अरिसाओ खुब्भंति पंडुरोगो भवइ। आउसो! इमस्स जंतुस्स पणवीसं सिराओ सिंभधारिणीओ, पणवीसं सिराओ पित्त-धारिणीओ, दस सिराओ सुक्कधारिणीओ, सत्त सिरासयाइं पुरिसस्स, तीसूणाइं इत्थीयाए, वीसूणाइं पंडगस्स। आउसो! इमस्स जंतुस्स रुहिरस्स आढयं, वसाए अद्धाढयं, मत्थुलिंगस्स पत्थो, मुत्तस्स आढयं, पुरीसस्स पत्थो, पित्तस्स कुलवो, सिंभस्स कुलवो, सुक्कस्स अद्धकुलवो। जं जाहे दुट्ठं भवइ तं ताहे अइप्पमाणं भवइ। पंचकोट्ठे पुरिसे, छक्कोट्ठा इत्थिया। नवसोए पुरिसे, इक्कारससोया इत्थिया। पंच पेसीसयाइं पुरिसस्स, तीसूणाइं इत्थियाए, वीसूणाइं पंडगस्स।
Sutra Meaning : हे आयुष्मान्‌ ! यह शरीर इष्ट, प्रिय, कांत, मनोज्ञ, मनोहर, मनाभिराम, दृढ, विश्वासनीय, संमत, अभीष्ट, प्रशंसनीय, आभूषण और रत्न करंडक समान अच्छी तरह से गोपनीय, कपड़े की पेटी और तेलपात्र की तरह अच्छी तरह से रक्षित, शर्दी, गर्मी, भूख, प्यास, चोर, दंश, मशक, वात, पित्त, कफ, सन्निपात, आदि बीमारी के संस्पर्श से बचाने के योग्य माना जाता है। लेकिन वाकई में यह शरीर ? अध्रुव, अनित्य, अशाश्वत, वृद्धि और हानी पानेवाला, विनाशशील है। इसलिए पहले या बाद में उसका अवश्य परित्याग करना पड़ेगा। हे आयुष्मान्‌ ! इस शरीर में पृष्ठ हिस्से की हड्डी में क्रमशः १८ संधि होती है। उसमें करंड़क आकार की बारह पसली की हड्डियाँ होती है। छ हड्डी केवल बगल के हिस्से को घैरती है उसे कडाह कहते हैं। मानव की कुक्षि एक वितस्थि (१२ – अंगुल प्रमाण) परिमाण युक्त और गरदन चार अंगुल परिमाण की है। जीभ चार पल और आँख दो पल है। हड्डी के चार खंड़ से युक्त सिर का हिस्सा है। उसमें ३२ दाँत, सात अंगुल प्रमाण जीभ, साड़े तीन पल का हृदय, २५ पल का कलेजा होता है। दो आन्त होते हैं। जो पाँच वाम परिमाण को कहते हैं। दो आन्त इस तरह से है – स्थूल और पतली। उसमें जो स्थूल आन्त है उसमें से मल नीकलता है और जो सूक्ष्म आन्त है उसमें से मूत्र नीकलता है। दो पार्श्वभाग बताए हैं। एक बाँया दूसरा दाँया। जिसमें दाँया पार्श्वभाग है वो सुख परिणामवाला होता है। जो बाँया पार्श्वभाग है वो दुःख परिणामवाला होता है। हे आयुष्मान्‌ ! इस शरीर में १६० जोड़ है। १०७ मर्मस्थान है, एक दूसरे से जुड़ी ३०० हड्डियाँ है, ९०० स्नायु, ७०० शिरा, ५०० माँसपेशी, ९ धमनी, दाढ़ी – मूँछ के रोम के सिवा ९९ लाख रोमकूप, दाढ़ी – मूँछ सहित साड़े तीन करोड़ रोमकूप होते हैं। हे आयुष्मान्‌ ! इस शरीर में १६० शिरा नाभि से नीकलकर मस्तिष्क की ओर जाती है। उसे रसहरणी कहते हैं। ऊर्ध्वगमन करती हुई यह शिरा चक्षु, श्रोत्र, घ्राण और जिह्वा को क्रियाशीलता देती है। और उसके उपघात से चक्षु, नेत्र, घ्राण और जिह्वा की क्रियाशीलता नष्ट होती है। हे आयुष्मान्‌ ! इस शरीर में १६० शिरा नाभि से नीकलकर नीचे पाँव के तलवे तक पहुँचती है। उससे जंघा की क्रियाशीलता प्राप्त होती है। यह शिरा के उपघात से मस्तकपीड़ा, आधाशीशी, मस्तक शूल और आँख का अंधापन आता है। हे आयुष्मान्‌ ! इस शरीर में १६० शिरा नाभि से नीकलकर तिर्छी हाथ के तलवे तक पहुँचती है। उससे बाहु को क्रियाशीलता मिलती है। और उसके उपघात से बगल में दर्द, पृष्ठ दर्द, कुक्षिपिडा और कुक्षिशूल होता है हे आयुष्मान्‌ ! १६० शिरा नाभिसे नीकलकर नीचे की ओर जाकर गुंदा को मिलती है। और उस के निरुपघात से मल – मूत्र, वायु उचित मात्रा में होते हैं। और उपघात से मल, मूत्र, वायु का निरोध होने से मानव क्षुब्ध होता है और पंडु नाम की बीमारी होती है। हे आयुष्मान्‌ ! कफ धारक २५ शिरा पित्तधारक २५ शिरा और वीर्यधारक १० शिरा होती है। पुरुष को ७०० शिरा, स्त्री को ६७० शिरा और नपुंसक को ६८० शिरा होती है। हे आयुष्मान्‌ ! यह मानव शरीर में लहू का वजन एक आढक, वसा का आधा आढक, मस्तुलिंग का एक प्रस्थ, मूत्र का एक आढक, पुरीस का एक प्रस्त, पित्त का एक कुड़व, कफ का एक कुड़व, शुक्र का आधा कुड़व परिमाण होता है। उसमें जो दोषयुक्त होता है उसमें वो परिमाण अल्प होता है। पुरुष के शरीर में पाँच और स्त्री के शरीर में छ कोठे होते हैं। पुरुष को नौ स्रोत और स्त्री को ११ स्रोत होते हैं। पुरुष को ५०० पेशी, स्त्री को ४७० पेशी और नपुंसक को ४८० पेशी होती है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] auso! Jam pi ya imam sariram ittham piyam kamtam manunnam manamam manabhiramam thejjam vesasiyam sammayam bahumayam anumayam bhamdakaramdagasamanam, rayanakaramdao viva susamgoviyam, chelapeda viva susamparivudam, tellapeda viva susamgoviyam ‘ma nam unham ma nam siyam ma nam pivasa ma nam chora ma nam vala ma nam damsa ma nam masaga ma nam vaiya-pittiya-simbhiya-sannivaiya viviha rogayamka phusamtu’ tti kattu. Evam pi yaim adhuvam aniyayam asasayam chaovachaiyam vippanasadhammam, pachchha va pura va avassa vippachaiyavvam. Eyassa vi yaim auso! Anupuvvenam attharasa ya pitthakaramdagasamdhio, barasa pamsulikaramdaya, chhappamsulie kadahe, bihatthiya kuchchhi, chauramgulia giva, chaupaliya jibbha, dupaliyani achchhini, chaukavalam siram, battisam damta, sattamguliya jiha addhutthapaliyam hiyayam, panuvisam palaim kalejjam. Do amta pamchavama pannatta, tam jaha–thullamte ya tanuamte ya. Tattha nam je se thullamte tenam uchchare parinamai, tattha nam je se tanuyamte tenam pasavane parinamai. Do pasa pannatta, tam jaha–vame pase dahine pase ya. Tattha nam se vame pase se suhapariname, tattha nam je se dahine pase se duhapariname. Auso! Imammi sarirae sattham samdhisayam, sattuttaram mammasayam, tinni atthidamasayaim, nava nharuyasayaim, satta sirasayaim, pamcha pesisayaim, nava dhamanio, navanauim cha romakuvasayasaha-ssaim vina kesa-mamsuna, saha kesa-mamsuna addhutthao romakuvakodio. Auso! Imammi sarirae sattham sirasayam nabhippabhavanam uddhagamininam siramuvagayanam jao rasaharanio tti vuchchamti janam si niruvaghatenam chakkhu soya ghana jihabalam bhavai, janam si uvaghaenam chakkhu soya ghana jihabalam uvahammai. Auso! Imammi sarirae sattham sirasayam nabhippabhavanam ahogamininam payatalamuvagayanam, janam si niruvaghaenam jamghabalam havai, janam cheva se uvaghaenam sisaveyana addhasisaveyana matthayasule achchhini amdhijjamti. Auso! Imammi sarirae sattham sirasayam nabhippabhavanam tiriyagamininam hatthatalamuvagayanam, janam si niruvaghaenam bahubalam havai, tanam cheva se uvaghaenam pasaveyana pottaveyana kuchchhiveyana kuchchhisule bhavai. Auso! Imassa jamtussa sattham sirasayam nabhippabhavanam ahogamininam gudapavitthanam, janam si niruvaghaenam mutta purisa vaukammam pavattai, tanam cheva uvaghaenam mutta purisa vaunirohenam arisao khubbhamti pamdurogo bhavai. Auso! Imassa jamtussa panavisam sirao simbhadharinio, panavisam sirao pitta-dharinio, dasa sirao sukkadharinio, satta sirasayaim purisassa, tisunaim itthiyae, visunaim pamdagassa. Auso! Imassa jamtussa ruhirassa adhayam, vasae addhadhayam, matthulimgassa pattho, muttassa adhayam, purisassa pattho, pittassa kulavo, simbhassa kulavo, sukkassa addhakulavo. Jam jahe duttham bhavai tam tahe aippamanam bhavai. Pamchakotthe purise, chhakkottha itthiya. Navasoe purise, ikkarasasoya itthiya. Pamcha pesisayaim purisassa, tisunaim itthiyae, visunaim pamdagassa.
Sutra Meaning Transliteration : He ayushman ! Yaha sharira ishta, priya, kamta, manojnya, manohara, manabhirama, dridha, vishvasaniya, sammata, abhishta, prashamsaniya, abhushana aura ratna karamdaka samana achchhi taraha se gopaniya, kapare ki peti aura telapatra ki taraha achchhi taraha se rakshita, shardi, garmi, bhukha, pyasa, chora, damsha, mashaka, vata, pitta, kapha, sannipata, adi bimari ke samsparsha se bachane ke yogya mana jata hai. Lekina vakai mem yaha sharira\? Adhruva, anitya, ashashvata, vriddhi aura hani panevala, vinashashila hai. Isalie pahale ya bada mem usaka avashya parityaga karana parega. He ayushman ! Isa sharira mem prishtha hisse ki haddi mem kramashah 18 samdhi hoti hai. Usamem karamraka akara ki baraha pasali ki haddiyam hoti hai. Chha haddi kevala bagala ke hisse ko ghairati hai use kadaha kahate haim. Manava ki kukshi eka vitasthi (12 – amgula pramana) parimana yukta aura garadana chara amgula parimana ki hai. Jibha chara pala aura amkha do pala hai. Haddi ke chara khamra se yukta sira ka hissa hai. Usamem 32 damta, sata amgula pramana jibha, sare tina pala ka hridaya, 25 pala ka kaleja hota hai. Do anta hote haim. Jo pamcha vama parimana ko kahate haim. Do anta isa taraha se hai – sthula aura patali. Usamem jo sthula anta hai usamem se mala nikalata hai aura jo sukshma anta hai usamem se mutra nikalata hai. Do parshvabhaga batae haim. Eka bamya dusara damya. Jisamem damya parshvabhaga hai vo sukha parinamavala hota hai. Jo bamya parshvabhaga hai vo duhkha parinamavala hota hai. He ayushman ! Isa sharira mem 160 jora hai. 107 marmasthana hai, eka dusare se juri 300 haddiyam hai, 900 snayu, 700 shira, 500 mamsapeshi, 9 dhamani, darhi – mumchha ke roma ke siva 99 lakha romakupa, darhi – mumchha sahita sare tina karora romakupa hote haim. He ayushman ! Isa sharira mem 160 shira nabhi se nikalakara mastishka ki ora jati hai. Use rasaharani kahate haim. Urdhvagamana karati hui yaha shira chakshu, shrotra, ghrana aura jihva ko kriyashilata deti hai. Aura usake upaghata se chakshu, netra, ghrana aura jihva ki kriyashilata nashta hoti hai. He ayushman ! Isa sharira mem 160 shira nabhi se nikalakara niche pamva ke talave taka pahumchati hai. Usase jamgha ki kriyashilata prapta hoti hai. Yaha shira ke upaghata se mastakapira, adhashishi, mastaka shula aura amkha ka amdhapana ata hai. He ayushman ! Isa sharira mem 160 shira nabhi se nikalakara tirchhi hatha ke talave taka pahumchati hai. Usase bahu ko kriyashilata milati hai. Aura usake upaghata se bagala mem darda, prishtha darda, kukshipida aura kukshishula hota hai he ayushman ! 160 shira nabhise nikalakara niche ki ora jakara gumda ko milati hai. Aura usa ke nirupaghata se mala – mutra, vayu uchita matra mem hote haim. Aura upaghata se mala, mutra, vayu ka nirodha hone se manava kshubdha hota hai aura pamdu nama ki bimari hoti hai. He ayushman ! Kapha dharaka 25 shira pittadharaka 25 shira aura viryadharaka 10 shira hoti hai. Purusha ko 700 shira, stri ko 670 shira aura napumsaka ko 680 shira hoti hai. He ayushman ! Yaha manava sharira mem lahu ka vajana eka adhaka, vasa ka adha adhaka, mastulimga ka eka prastha, mutra ka eka adhaka, purisa ka eka prasta, pitta ka eka kurava, kapha ka eka kurava, shukra ka adha kurava parimana hota hai. Usamem jo doshayukta hota hai usamem vo parimana alpa hota hai. Purusha ke sharira mem pamcha aura stri ke sharira mem chha kothe hote haim. Purusha ko nau srota aura stri ko 11 srota hote haim. Purusha ko 500 peshi, stri ko 470 peshi aura napumsaka ko 480 peshi hoti hai.