Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007637 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार २ काळ |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार २ काळ |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 37 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे बासे गेहाइ वा गेहावनाइय वा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे, रुक्खगेहालया णं ते मनुया पन्नत्ता समणाउसो!। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे गामाइ वा नगराइ वा निगमाइ वा रायहानीइ वा खेडाइ वा कब्बडाइ वा मडंबाइ वा दोणमुहाइ वा पट्टणाइ वा आगराइ वा आसमाइ वा संबाहाइ वा सन्निवेसाइ वा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे, जहिच्छियकामगामिणो णं ते मनुया पन्नत्ता। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे असीइ वा मसीइ वा किसीइ वा वणिएत्ती वा पणिएत्ति वा वाणिज्जेइ वा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे, ववगयअसिमसि किसि वणिय पणिय वाणिज्जा णं ते मनुया पन्नत्ता समणाउसो!। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे हिरण्णेइ वा सुवण्णेइ वा कंसेइ वा दूसेइ वा मणि मोतिय संख सिल प्पवाल रत्तरयण सावज्जेइ वा? हंता अत्थि, नो चेव णं तेसिं मनुयाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छइ। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे रायाइ वा जुवराया इ वा ईसर तलवर माडंबिय कोडुंबिय इब्भ सेट्ठि सेनावइ सत्थवाहाइ वा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे, ववगयइड्ढिसक्कारा णं ते मनुया पन्नत्ता समणाउसो!। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे दासेइ वा पेसेइ वा सिस्सेइ वा भयगेइ वा भाइल्लएइ वा कम्मारएइ वा? नो इणट्ठे समट्ठे, ववगयआभिओगा णं ते मनुया पन्नत्ता समणाउसो!। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे मायाइ वा पियाइ वा भाया-भगिनि-भज्जा-पुत्त-धूया-सुण्हाइ वा? हंता अत्थि, नो चेव णं तिव्वे पेम्मबंधणे समुप्पज्जइ। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे अरीइ वा वेरिएइ वा घायएइ वा वहएइ वा पडिणीयइ वा पच्चामित्तेइ वा? नो इणट्ठे समट्ठे, ववगयवेराणुसया णं ते मनुया पन्नत्ता समणाउसो!। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे मित्ताइ वा वयंसाइ वा नायएइ वा घाडिएइ वा सहाइ वा सुहीइ वा संगइएति वा? हंता अत्थि, नो चेव णं तेसिं मनुयाणं तिव्वे रागबंधणे समुप्पज्जइ। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे आवाहाइ वा वीवाहाइ वा जण्णाइ वा सद्धाइ वा थालीपागाइ वा पितिपिंडनिवेदणाइ वा? नो इणट्ठे समट्ठे, ववगयआवाह वीवहि जण्ण सद्ध थालीपाग पितिपिंडनिवेदणा णं ते मनुया पन्नत्ता समणाउसो!। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे इंदमहाति वा खंद णाग जक्ख भूय अगड तलाग दह नदि रुक्ख पव्वय थूभ चेइयमहाइ वा? नो इणट्ठे समट्ठे, ववगयमहिमा णं ते मनुया पन्नत्ता समणाउसो!। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे णडपेच्छाइ वा नट्ट जल्ल मल्ल मुट्ठिय वेलंबग कहग पवग लासगपेच्छाइ वा? नो इणट्ठे समट्ठे, ववगयकोउहल्ला णं ते मनुया पन्नत्ता समणाउसो!। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे सगडाइ वा रहाइ वा जाणाइ वा जुग्ग गिल्लि थिल्लि सीअ संदमाणिआइ वा? नो इणट्ठे समट्ठे, पायचारविहारा णं ते मनुया पन्नत्ता समणाउसो!। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे गावीइ वा महिसीइ वा अयाइ वा एलगाइ वा? हंता अत्थि, नो चेव णं तेसिं मनुसाणं परिभोगत्ताए हव्वामागच्छति। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे आसाइ वा हत्थि उट्ट गोण गवय अय एलग पसय मिय वराह रुरु सरभ चमर कुरंग गोकण्णमाइया? हंता अत्थि, नो चेव णं तेसिं मनुयाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे सीहाइ वा वग्घाइ वा विग दीविग अच्छ तरच्छ सियाल बिडाल सुणग कोकंतिय कोलसुणगाइ वा? हंता अत्थि, नो चेव णं ते अन्नमन्नस्स तेसिं वा मनुयाणं आबाहं वा वाबाहं वा छविच्छेयं वा उप्पाएंति, पगइभद्दया णं ते सावयगणा पन्नत्ता समणाउसो! । अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे सालीति वा वीहि-गोहूम जव जवजवाइ वा कल मसूर मुग्ग मास तिल कुलत्थ निप्फावग आलिसंदग अयसि कुसुंभ कोद्दव कंगु वरग रालग सण सरिसव मूलाबीआइ वा? हंता अत्थि, नो चेव णं तेसिं मनुयाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे गड्ढाइ वा दरी ओवाय पवाय विसम विज्जलाइ वा? नो इणट्ठे समट्ठे, भरहे वासे बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते, से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे खाणूइ वा कंटग तणय कयवराइ वा पत्तकयवराइ वा? नो इणट्ठे समट्ठे, ववगयखाणुकंटगतणकयवर-पत्तकयवरा णं सा समा पन्नत्ता समणाउसो!। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे डंसाइ वा मसगाइ वा जूआइ वा लिक्खाइ वा ढिंकुणाइ वा? नो इणट्ठे समट्ठे, ववगय डंस मसग जूअ लिक्ख ढिंकुण पिसुआ उवद्दवविरहिया णं सा समा पन्नत्ता समणाउसो!। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे अहीइ वा अयगराइ वा? हंता अत्थि, नो चेव णं ते अन्नमन्नस्स तेसिं वा मनुयाणं आबाहं वा वाबाहं वा छविच्छयं वा उप्पाएंतिव, पगइभद्दया णं ते वालगगणा पन्नत्ता समणाउसो! । अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे डिंबाइ वा डमराइ वा कलह बोल खार वेर महाजुद्धाइ वा महासंगामाइ वा महासत्थपडणाइ वा महापुरिसपडणाइ वा महारुधिरपडनाति वा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे, ववगयवेराणुबंधा णं ते मनुया पन्नत्ता समणाउसो!। अत्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे दुब्भूयाति वा कुलरोगाइ वा गामरोगाइ वा मंडलरोगाइ वा पोट्ट सीसवेयणाइ वा कण्णोट्ठ अच्छि नह दंतवेयणाइ वा कासाइ वा सासाइ वा सोसाइ वा जराइ वा दाहाइ वा अरिसाइ वा अजीरगाइ वा दओदराइ वा पंडुरोगाइ वा भगंदराइ वा एगाहियाइ वा बेयाहियाइ वा तेयाहियाइ वा चउत्थाहियाइ वा धनुग्गहाइ वा इंदग्गहाइ वा खंदग्गहाइ वा कुमारग्गहाइ वा जक्खग्गहाइ वा भूयग्गहाइ वा मत्थगसूलाइ वा हिययसूलाइ वा पोट्ट कुच्छि जोणिसूलाइ वा गाममारीइ वा जाव सन्निवेसमारीइ वा पाणक्खया जणक्खया कुलक्खया वसनब्भूयमनारिआ? नो इणट्ठे समट्ठे, ववगयरोगायंका णं ते मनुया पन्नत्ता समणाउसो!। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! उस समय भरतक्षेत्र में क्या घर होते हैं ? क्या गेहापण – बाजार होते हैं ? गौतम ! ऐसा नहीं होता। उन मनुष्यों के वृक्ष ही घर होते हैं। क्या उस समय भरतक्षेत्र में ग्राम यावत् सन्निवेश होते हैं ? गौतम ! ऐसा नहीं होता। वे मनुष्य स्वभावतः यथेच्छ – विचरणशील होते हैं। क्या उस समय भरतक्षेत्र में असि, मषि, कृषि, वणिक् – कला, पण्य अथवा व्यापार – कला होती है ? गौतम ! ऐसा नहीं होता। वे मनुष्य असि आदि जीविका से विरहित होते हैं। भगवन् ! क्या उस समय भरतक्षेत्र में चाँदी, सोना, कांसी, वस्त्र, मणियाँ, मोती, शंख, शिला, रक्तरत्न, ये सब होते हैं ? हाँ गौतम ! ये सब होते हैं, किन्तु उन मनुष्यों के परिभोग में नहीं आते। क्या उस समय भरतक्षेत्र में राजा, युवराज, ईश्वर, तलवर, माडंबिक, कौटुम्बिक, इभ्य, श्रेष्ठी, सेनापति और सार्थवाह होते हैं ? गौतम ! ऐसा नहीं होता। वे मनुष्य ऋद्धि – वैभव तथा सत्कार आदि से निरपेक्ष होते हैं। भगवन्! क्या उस समय भरतक्षेत्र में दास, प्रेष्य, शिष्य, भृतक, भागिक, हिस्सेदार तथा कर्मकर होते हैं ? गौतम ! ऐसा नहीं होता। वे मनुष्य स्वामी – सेवक भाव से अतीत होते हैं। क्या उस समय भरतक्षेत्र में माता, पिता, भाई, बहिन, पत्नी, पुत्र, पुत्री तथा पुत्र – वधू ये सब होते हैं ? गौतम ! ये सब वहाँ होते हैं, परन्तु उन मनुष्यों का उनमें तीव्र प्रेम – बन्ध उत्पन्न नहीं होता। क्या उस समय भरतक्षेत्र में अरि, वैरिक, घातक, वधक, प्रत्यनीक अथवा प्रत्यमित्र होते हैं ? गौतम ! ऐसा नहीं होता। वे मनुष्य वैरानुबन्ध – रहित होते हैं – क्या उस समय भरतक्षेत्र में मित्र, वयस्य, साथी, ज्ञातक, संघाटिक, मित्र, सुहृद् अथवा सांगतिक होते हैं ? गौतम ! ये सब वहाँ होते हैं, परन्तु उन मनुष्यों का उनमें तीव्र राग – बन्धन उत्पन्न नहीं होता। भगवन् ! क्या उस समय भरतक्षेत्र में आवाह, विवाह, श्राद्ध – लोकानुगत मृतक – क्रिया तथा मृत – पिण्ड – निवेदन होते हैं ? आयुष्मन् श्रमण गौतम ! ये सब नहीं होते। वे मनुष्य आवाह, विवाह, यज्ञ, श्राद्ध, स्थालीपाक तथा मृत – पिंड – निवेदन से निरपेक्ष होते हैं ? क्या उस समय भरतक्षेत्र में इन्द्रोत्सव, स्कन्दोत्सव, नागोत्सव, यक्षोत्सव, कूपोत्सव, तडागोत्सव, द्रहोत्सव, नद्युत्सव, वृक्षोत्सव, पर्वतोत्सव, स्तूपोत्सव तथा चैत्योत्सव होते हैं ? गौतम ! ये नहीं होते। वे मनुष्य उत्सवों से निरपेक्ष होते हैं। क्या उस समय भरतक्षेत्र में नट, नर्तक, जल्ल, मल्ल, मौष्टिक, विडंबक, कथक, प्लवक अथवा लासक हेतु लोग एकत्र होते हैं ? गौतम ! ऐसा नहीं होता। क्योंकि उन मनुष्यों के मन में कौतूहल देखने की उत्सुकता नहीं होती। भगवन् ! क्या उस समय भरतक्षेत्र में शकट, रथ, यान, युग्य, गिल्लि, थिल्लि, शिबिका तथा स्यन्दमानिका होते हैं ? गौतम ! ऐसा नहीं होता, क्योंकि वे मनुष्य पादचार – विहारी होते हैं। क्या उस समय भरतक्षेत्र में गाय, भैंस, बकरी, भेड़ होते हैं ? गौतम ! ये पशु होते हैं किन्तु उन मनुष्यों के उपयोग में नहीं आते। क्या उस समय भरतक्षेत्र में घोड़े, ऊंट, हाथी, गाय, गवय, बकरी, भेड़, प्रश्रय, पशु, मृग, वराह, रुरु, शरभ, चँवर, शबर, कुरंग तथा गोकर्ण होते हैं ? गौतम ! ये होते हैं, किन्तु उन मनुष्यों के उपयोग में नहीं आते। क्या उस समय भरतक्षेत्र में सिंह, व्याघ्र, वृक, द्वीपिक, ऋच्छ, तरक्ष, व्याघ्र, शृगाल, बिडाल, शुनक, कोकन्तिक, कोलशुनक ये सब होते हैं ? गौतम ! ये सब होते हैं, पर वे उन मनुष्यों को आबाधा, व्याबाधा नहीं पहुँचाते और न उनका छविच्छेद करते हैं। क्योंकि वे श्वापद प्रकृति से भद्र होते हैं। क्या उस समय भरतक्षेत्र में शाली, व्रीहि, गेहूँ, जी, यवयव, कलाय, मसूर, मूँग, उड़द, तिल, कुलथी, निष्पाव, चौला, अलसी, कुसुम्भ, कोद्रव, वरक, रालक, सण, सरसों, मूलक ये सब होते हैं ? गौतम ! ये होते हैं, पर उन मनुष्यों के उपयोग में नहीं आते। क्या उस समय भरतक्षेत्र में गर्त, दरी, अवपात, प्रपात, विषम, कर्दममय स्थान – ये सब होते हैं ? गौतम ! ऐसा नहीं होता। उस समय भरतक्षेत्र में बहुत समतल तथा रमणीय भूमि होती है। वह मुरज के ऊपरी भाग आदि की ज्यों एक समान होती है। क्या उस समय भरतक्षेत्र में स्थाणु, शाखा, ठूंठ, काँटे, तृणों का कचरा – ये होते हैं। गौतम ! ऐसा नहीं होता। वह इन सबसे रहित होती है। क्या उस समय भरतक्षेत्र में डांस, मच्छर, जूंयें, लीखें, खटमल तथा पिस्सू होते हैं ? भगवन् ! ऐसा नहीं होता। वह भूमि डांस आदि उपद्रव – विरहित होती है। क्या उस समय भरतक्षेत्र में साँप और अजगर होते हैं ? गौतम ! होते हैं, पर वे मनुष्यों के लिए आबाधाजनक इत्यादि नहीं होते। आदि प्रकृति से भद्र होते हैं। भगवन् ! क्या उस समय भरतक्षेत्र में डिम्ब, डमर, कलह, बोल, क्षार, वैर, महायुद्ध, महासंग्राम, महाशस्त्र – पतन, महापुरुष – पतन तथा महारुधिर – निपतन ये सब होते हैं ? गौतम ! ऐसा नहीं होता। वे मनुष्य वैरानुबन्ध – से रहित होते हैं। क्या उस समय भरतक्षेत्र में दुर्भूत, कुल – रोग, ग्राम – रोग, मंडल – रोग, पोट्ट – रोग, शीर्ष – वेदना, कर्ण – वेदना, ओष्ठ – वेदना, नेत्र – वेदना, नख – वेदना, दंतवेदना, खांसी, श्वास, शोष, दाह, अर्श, अजीर्ण, जलोदर, पांडुरोग, भगन्दर, ज्वर, इन्द्रग्रह, धनुर्ग्रह, स्कन्धग्रह, कुमारग्रह, यक्षग्रह, भूतग्रह आदि उन्मत्तता हेतु व्यन्तरदेव कृत् उपद्रव, मस्तक – शूल, हृदय – शूल, कुक्षि – शूल, योनि – शूल, गाँव यावत् सन्निवेश में मारि, जन – जन के लिए व्यसनभूत, अनार्य, प्राणि – क्षय – आदि द्वारा गाय, बैल आदि प्राणियों का नाश, जन – क्षय, कुल – क्षय – ये सब होते हैं ? गौतम ! वे मनुष्य रोग तथा आतंक – से रहित होते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] atthi nam bhamte! Tise samae bharahe base gehai va gehavanaiya va? Goyama! No inatthe samatthe, rukkhagehalaya nam te manuya pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase gamai va nagarai va nigamai va rayahanii va khedai va kabbadai va madambai va donamuhai va pattanai va agarai va asamai va sambahai va sannivesai va? Goyama! No inatthe samatthe, jahichchhiyakamagamino nam te manuya pannatta. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase asii va masii va kisii va vanietti va panietti va vanijjei va? Goyama! No inatthe samatthe, vavagayaasimasi kisi vaniya paniya vanijja nam te manuya pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase hirannei va suvannei va kamsei va dusei va mani motiya samkha sila ppavala rattarayana savajjei va? Hamta atthi, no cheva nam tesim manuyanam paribhogattae havvamagachchhai. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase rayai va juvaraya i va isara talavara madambiya kodumbiya ibbha setthi senavai satthavahai va? Goyama! No inatthe samatthe, vavagayaiddhisakkara nam te manuya pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase dasei va pesei va sissei va bhayagei va bhaillaei va kammaraei va? No inatthe samatthe, vavagayaabhioga nam te manuya pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase mayai va piyai va bhaya-bhagini-bhajja-putta-dhuya-sunhai va? Hamta atthi, no cheva nam tivve pemmabamdhane samuppajjai. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase arii va veriei va ghayaei va vahaei va padiniyai va pachchamittei va? No inatthe samatthe, vavagayaveranusaya nam te manuya pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase mittai va vayamsai va nayaei va ghadiei va sahai va suhii va samgaieti va? Hamta atthi, no cheva nam tesim manuyanam tivve ragabamdhane samuppajjai. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase avahai va vivahai va jannai va saddhai va thalipagai va pitipimdanivedanai va? No inatthe samatthe, vavagayaavaha vivahi janna saddha thalipaga pitipimdanivedana nam te manuya pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase imdamahati va khamda naga jakkha bhuya agada talaga daha nadi rukkha pavvaya thubha cheiyamahai va? No inatthe samatthe, vavagayamahima nam te manuya pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase nadapechchhai va natta jalla malla mutthiya velambaga kahaga pavaga lasagapechchhai va? No inatthe samatthe, vavagayakouhalla nam te manuya pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase sagadai va rahai va janai va jugga gilli thilli sia samdamaniai va? No inatthe samatthe, payacharavihara nam te manuya pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase gavii va mahisii va ayai va elagai va? Hamta atthi, no cheva nam tesim manusanam paribhogattae havvamagachchhati. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase asai va hatthi utta gona gavaya aya elaga pasaya miya varaha ruru sarabha chamara kuramga gokannamaiya? Hamta atthi, no cheva nam tesim manuyanam paribhogattae havvamagachchhamti. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase sihai va vagghai va viga diviga achchha tarachchha siyala bidala sunaga kokamtiya kolasunagai va? Hamta atthi, no cheva nam te annamannassa tesim va manuyanam abaham va vabaham va chhavichchheyam va uppaemti, pagaibhaddaya nam te savayagana pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase saliti va vihi-gohuma java javajavai va kala masura mugga masa tila kulattha nipphavaga alisamdaga ayasi kusumbha koddava kamgu varaga ralaga sana sarisava mulabiai va? Hamta atthi, no cheva nam tesim manuyanam paribhogattae havvamagachchhamti. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase gaddhai va dari ovaya pavaya visama vijjalai va? No inatthe samatthe, bharahe vase bahusamaramanijje bhumibhage pannatte, se jahanamae alimgapukkharei va. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase khanui va kamtaga tanaya kayavarai va pattakayavarai va? No inatthe samatthe, vavagayakhanukamtagatanakayavara-pattakayavara nam sa sama pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase damsai va masagai va juai va likkhai va dhimkunai va? No inatthe samatthe, vavagaya damsa masaga jua likkha dhimkuna pisua uvaddavavirahiya nam sa sama pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase ahii va ayagarai va? Hamta atthi, no cheva nam te annamannassa tesim va manuyanam abaham va vabaham va chhavichchhayam va uppaemtiva, pagaibhaddaya nam te valagagana pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase dimbai va damarai va kalaha bola khara vera mahajuddhai va mahasamgamai va mahasatthapadanai va mahapurisapadanai va maharudhirapadanati va? Goyama! No inatthe samatthe, vavagayaveranubamdha nam te manuya pannatta samanauso!. Atthi nam bhamte! Tise samae bharahe vase dubbhuyati va kularogai va gamarogai va mamdalarogai va potta sisaveyanai va kannottha achchhi naha damtaveyanai va kasai va sasai va sosai va jarai va dahai va arisai va ajiragai va daodarai va pamdurogai va bhagamdarai va egahiyai va beyahiyai va teyahiyai va chautthahiyai va dhanuggahai va imdaggahai va khamdaggahai va kumaraggahai va jakkhaggahai va bhuyaggahai va matthagasulai va hiyayasulai va potta kuchchhi jonisulai va gamamarii va java sannivesamarii va panakkhaya janakkhaya kulakkhaya vasanabbhuyamanaria? No inatthe samatthe, vavagayarogayamka nam te manuya pannatta samanauso!. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Usa samaya bharatakshetra mem kya ghara hote haim\? Kya gehapana – bajara hote haim\? Gautama ! Aisa nahim hota. Una manushyom ke vriksha hi ghara hote haim. Kya usa samaya bharatakshetra mem grama yavat sannivesha hote haim\? Gautama ! Aisa nahim hota. Ve manushya svabhavatah yathechchha – vicharanashila hote haim. Kya usa samaya bharatakshetra mem asi, mashi, krishi, vanik – kala, panya athava vyapara – kala hoti hai\? Gautama ! Aisa nahim hota. Ve manushya asi adi jivika se virahita hote haim. Bhagavan ! Kya usa samaya bharatakshetra mem chamdi, sona, kamsi, vastra, maniyam, moti, shamkha, shila, raktaratna, ye saba hote haim\? Ham gautama ! Ye saba hote haim, kintu una manushyom ke paribhoga mem nahim ate. Kya usa samaya bharatakshetra mem raja, yuvaraja, ishvara, talavara, madambika, kautumbika, ibhya, shreshthi, senapati aura sarthavaha hote haim\? Gautama ! Aisa nahim hota. Ve manushya riddhi – vaibhava tatha satkara adi se nirapeksha hote haim. Bhagavan! Kya usa samaya bharatakshetra mem dasa, preshya, shishya, bhritaka, bhagika, hissedara tatha karmakara hote haim\? Gautama ! Aisa nahim hota. Ve manushya svami – sevaka bhava se atita hote haim. Kya usa samaya bharatakshetra mem mata, pita, bhai, bahina, patni, putra, putri tatha putra – vadhu ye saba hote haim\? Gautama ! Ye saba vaham hote haim, parantu una manushyom ka unamem tivra prema – bandha utpanna nahim hota. Kya usa samaya bharatakshetra mem ari, vairika, ghataka, vadhaka, pratyanika athava pratyamitra hote haim\? Gautama ! Aisa nahim hota. Ve manushya vairanubandha – rahita hote haim – kya usa samaya bharatakshetra mem mitra, vayasya, sathi, jnyataka, samghatika, mitra, suhrid athava samgatika hote haim\? Gautama ! Ye saba vaham hote haim, parantu una manushyom ka unamem tivra raga – bandhana utpanna nahim hota. Bhagavan ! Kya usa samaya bharatakshetra mem avaha, vivaha, shraddha – lokanugata mritaka – kriya tatha mrita – pinda – nivedana hote haim\? Ayushman shramana gautama ! Ye saba nahim hote. Ve manushya avaha, vivaha, yajnya, shraddha, sthalipaka tatha mrita – pimda – nivedana se nirapeksha hote haim\? Kya usa samaya bharatakshetra mem indrotsava, skandotsava, nagotsava, yakshotsava, kupotsava, tadagotsava, drahotsava, nadyutsava, vrikshotsava, parvatotsava, stupotsava tatha chaityotsava hote haim\? Gautama ! Ye nahim hote. Ve manushya utsavom se nirapeksha hote haim. Kya usa samaya bharatakshetra mem nata, nartaka, jalla, malla, maushtika, vidambaka, kathaka, plavaka athava lasaka hetu loga ekatra hote haim\? Gautama ! Aisa nahim hota. Kyomki una manushyom ke mana mem kautuhala dekhane ki utsukata nahim hoti. Bhagavan ! Kya usa samaya bharatakshetra mem shakata, ratha, yana, yugya, gilli, thilli, shibika tatha syandamanika hote haim\? Gautama ! Aisa nahim hota, kyomki ve manushya padachara – vihari hote haim. Kya usa samaya bharatakshetra mem gaya, bhaimsa, bakari, bhera hote haim\? Gautama ! Ye pashu hote haim kintu una manushyom ke upayoga mem nahim ate. Kya usa samaya bharatakshetra mem ghore, umta, hathi, gaya, gavaya, bakari, bhera, prashraya, pashu, mriga, varaha, ruru, sharabha, chamvara, shabara, kuramga tatha gokarna hote haim\? Gautama ! Ye hote haim, kintu una manushyom ke upayoga mem nahim ate. Kya usa samaya bharatakshetra mem simha, vyaghra, vrika, dvipika, richchha, taraksha, vyaghra, shrigala, bidala, shunaka, kokantika, kolashunaka ye saba hote haim\? Gautama ! Ye saba hote haim, para ve una manushyom ko abadha, vyabadha nahim pahumchate aura na unaka chhavichchheda karate haim. Kyomki ve shvapada prakriti se bhadra hote haim. Kya usa samaya bharatakshetra mem shali, vrihi, gehum, ji, yavayava, kalaya, masura, mumga, urada, tila, kulathi, nishpava, chaula, alasi, kusumbha, kodrava, varaka, ralaka, sana, sarasom, mulaka ye saba hote haim\? Gautama ! Ye hote haim, para una manushyom ke upayoga mem nahim ate. Kya usa samaya bharatakshetra mem garta, dari, avapata, prapata, vishama, kardamamaya sthana – ye saba hote haim\? Gautama ! Aisa nahim hota. Usa samaya bharatakshetra mem bahuta samatala tatha ramaniya bhumi hoti hai. Vaha muraja ke upari bhaga adi ki jyom eka samana hoti hai. Kya usa samaya bharatakshetra mem sthanu, shakha, thumtha, kamte, trinom ka kachara – ye hote haim. Gautama ! Aisa nahim hota. Vaha ina sabase rahita hoti hai. Kya usa samaya bharatakshetra mem damsa, machchhara, jumyem, likhem, khatamala tatha pissu hote haim\? Bhagavan ! Aisa nahim hota. Vaha bhumi damsa adi upadrava – virahita hoti hai. Kya usa samaya bharatakshetra mem sampa aura ajagara hote haim\? Gautama ! Hote haim, para ve manushyom ke lie abadhajanaka ityadi nahim hote. Adi prakriti se bhadra hote haim. Bhagavan ! Kya usa samaya bharatakshetra mem dimba, damara, kalaha, bola, kshara, vaira, mahayuddha, mahasamgrama, mahashastra – patana, mahapurusha – patana tatha maharudhira – nipatana ye saba hote haim\? Gautama ! Aisa nahim hota. Ve manushya vairanubandha – se rahita hote haim. Kya usa samaya bharatakshetra mem durbhuta, kula – roga, grama – roga, mamdala – roga, potta – roga, shirsha – vedana, karna – vedana, oshtha – vedana, netra – vedana, nakha – vedana, damtavedana, khamsi, shvasa, shosha, daha, arsha, ajirna, jalodara, pamduroga, bhagandara, jvara, indragraha, dhanurgraha, skandhagraha, kumaragraha, yakshagraha, bhutagraha adi unmattata hetu vyantaradeva krit upadrava, mastaka – shula, hridaya – shula, kukshi – shula, yoni – shula, gamva yavat sannivesha mem mari, jana – jana ke lie vyasanabhuta, anarya, prani – kshaya – adi dvara gaya, baila adi praniyom ka nasha, jana – kshaya, kula – kshaya – ye saba hote haim\? Gautama ! Ve manushya roga tatha atamka – se rahita hote haim. |