Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006905 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-३६ समुद्घात |
Translated Chapter : |
पद-३६ समुद्घात |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 605 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] मारणंतियसमुग्घाओ सट्ठाणे वि परट्ठाणे वि एगुत्तरियाए नेयव्वो जाव वेमानियस्स वेमानियत्ते। एवमेते चउवीसं चउवीसा दंडगा भाणियव्वा। वेउव्वियसमुग्घाओ जहा कसायसमुग्घाओ तहा निरवसेसो भाणियव्वो, नवरं–जस्स नत्थि तस्स न वुच्चति। एत्थ वि चउवीसं चउवीसा दंडगा भाणियव्वा। तेयगसमुग्घाओ जहा मारणंतियसमुग्घाओ, नवरं–जस्स अत्थि। एवं एते वि चउवीसं चउवीसा दंडगा भाणियव्वा एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवतिया आहारगसमुग्घाया अतीता? गोयमा! नत्थि। केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा! नत्थि। एवं जाव वेमानियत्ते, नवरं–मनूसत्ते अतीता कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्सत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा, उक्कोसेणं तिन्नि। केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा! कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्सत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं चत्तारि। एवं सव्वजीवाणं मनूसेसु भाणियव्वं। मनूसस्स मनूसत्ते अतीता कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्सत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं चत्तारि। एवं पुरेक्खडा वि। एवमेते चउवीसं चउवीसा दंडगा जाव वेमानियस्स वेमानियत्ते। एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवतिया केवलिसमुग्घाया अतीता? गोयमा! नत्थि। केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा! नत्थि। एवं जाव वेमानियत्ते, नवरं–मनूसत्ते अतीता नत्थि, पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्सत्थि एक्को। मनूसस्स मनूसत्ते अतीता कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्सत्थि एक्को। एवं पुरेक्खडा वि। एवमेते चउवीसं चउवीसा दंडगा। | ||
Sutra Meaning : | मारणान्तिकसमुद्घात स्वस्थान में भी और परस्थान में भी पूर्वोक्त एकोत्तरिका से समझ लेना, यावत् वैमानिक का वैमानिकपर्याय में कहना। इसी प्रकार ये चौबीस दण्डक चौबीसों दण्डकों में कहना। वैक्रियस – मुद्घात की समग्र वक्तव्यता कषायसमुद्घात के समान कहना। विशेष यह कि जिसके (वैक्रियसमुद्घात) नहीं होता, उसके विषय में नहीं कहना। यहाँ भी चौबीस दण्डक चौबीस दण्डकों में कहना। तैजससमुद्घात का कथन मारणान्तिकसमुद्घात के समान कहना। विशेष यह कि जिसके वह होता है, उसी के कहना। इस प्रकार ये भी चौबीसों दण्डकों में कहना। एक – एक नारक के नारक – अवस्था में कितने आहारकसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! नहीं होते। भावी आहारकसमुद्घात भी नहीं होते। इसी प्रकार यावत् वैमानिक – अवस्था में समझना। विशेष यह कि मनुष्यपर्याय में अतीत (आहारकसमुद्घात) किसी के होता है, किसी के नहीं होता। जिसके होता है, उसके जघन्य एक अथवा दो और उत्कृष्ट तीन होते हैं। भावी आहारकसमुद्घात किसी के होते हैं, किसी के नहीं होते। जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट चार होते हैं। इसी प्रकार समस्त जीवों और मनुष्यों में जानना। मनुष्य के मनुष्यपर्याय में अतीत आहारकसमुद्घात किसी के हुए हैं, किसी के नहीं हुए। जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो या तीन,उत्कृष्ट चार होते हैं। इसी प्रकार भावी भी जानना। इसी प्रकार ये २४ दण्डक चौबीसों दण्डकों में यावत् वैमानिकपर्याय में कहना। एक – एक नैरयिक के नारकत्वपर्याय में कितने केवलिसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! नहीं हुए हैं। और भावि में भी नहीं होते। इसी प्रकार वैमानिकपर्याय तक कहना। विशेष यह कि मनुष्यपर्याय में अतीत केवलिसमुद्घात नहीं होता। भावी किसी के होता है, किसी के नहीं होता है। जिसके होता है, उसके एक होता है। मनुष्य के मनुष्यपर्यायमें अतीत केवलिसमुद्घात किसी के होता है, किसी के नहीं होता। जिसके होता है, उसके एक होता है। इसी प्रकार भावी में भी कहना। इस प्रकार ये २४ दण्डक चौबीसों दण्डकोंमें जानना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] maranamtiyasamugghao satthane vi paratthane vi eguttariyae neyavvo java vemaniyassa vemaniyatte. Evamete chauvisam chauvisa damdaga bhaniyavva. Veuvviyasamugghao jaha kasayasamugghao taha niravaseso bhaniyavvo, navaram–jassa natthi tassa na vuchchati. Ettha vi chauvisam chauvisa damdaga bhaniyavva. Teyagasamugghao jaha maranamtiyasamugghao, navaram–jassa atthi. Evam ete vi chauvisam chauvisa damdaga bhaniyavva Egamegassa nam bhamte! Neraiyassa neraiyatte kevatiya aharagasamugghaya atita? Goyama! Natthi. Kevatiya purekkhada? Goyama! Natthi. Evam java vemaniyatte, navaram–manusatte atita kassai atthi kassai natthi. Jassatthi jahannenam ekko va do va, ukkosenam tinni. Kevatiya purekkhada? Goyama! Kassai atthi kassai natthi. Jassatthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam chattari. Evam savvajivanam manusesu bhaniyavvam. Manusassa manusatte atita kassai atthi kassai natthi. Jassatthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam chattari. Evam purekkhada vi. Evamete chauvisam chauvisa damdaga java vemaniyassa vemaniyatte. Egamegassa nam bhamte! Neraiyassa neraiyatte kevatiya kevalisamugghaya atita? Goyama! Natthi. Kevatiya purekkhada? Goyama! Natthi. Evam java vemaniyatte, navaram–manusatte atita natthi, purekkhada kassai atthi kassai natthi. Jassatthi ekko. Manusassa manusatte atita kassai atthi kassai natthi. Jassatthi ekko. Evam purekkhada vi. Evamete chauvisam chauvisa damdaga. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Maranantikasamudghata svasthana mem bhi aura parasthana mem bhi purvokta ekottarika se samajha lena, yavat vaimanika ka vaimanikaparyaya mem kahana. Isi prakara ye chaubisa dandaka chaubisom dandakom mem kahana. Vaikriyasa – mudghata ki samagra vaktavyata kashayasamudghata ke samana kahana. Vishesha yaha ki jisake (vaikriyasamudghata) nahim hota, usake vishaya mem nahim kahana. Yaham bhi chaubisa dandaka chaubisa dandakom mem kahana. Taijasasamudghata ka kathana maranantikasamudghata ke samana kahana. Vishesha yaha ki jisake vaha hota hai, usi ke kahana. Isa prakara ye bhi chaubisom dandakom mem kahana. Eka – eka naraka ke naraka – avastha mem kitane aharakasamudghata atita hue haim\? Gautama ! Nahim hote. Bhavi aharakasamudghata bhi nahim hote. Isi prakara yavat vaimanika – avastha mem samajhana. Vishesha yaha ki manushyaparyaya mem atita (aharakasamudghata) kisi ke hota hai, kisi ke nahim hota. Jisake hota hai, usake jaghanya eka athava do aura utkrishta tina hote haim. Bhavi aharakasamudghata kisi ke hote haim, kisi ke nahim hote. Jisake hote haim, usake jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta chara hote haim. Isi prakara samasta jivom aura manushyom mem janana. Manushya ke manushyaparyaya mem atita aharakasamudghata kisi ke hue haim, kisi ke nahim hue. Jisake hote haim, usake jaghanya eka, do ya tina,utkrishta chara hote haim. Isi prakara bhavi bhi janana. Isi prakara ye 24 dandaka chaubisom dandakom mem yavat vaimanikaparyaya mem kahana. Eka – eka nairayika ke narakatvaparyaya mem kitane kevalisamudghata atita hue haim\? Gautama ! Nahim hue haim. Aura bhavi mem bhi nahim hote. Isi prakara vaimanikaparyaya taka kahana. Vishesha yaha ki manushyaparyaya mem atita kevalisamudghata nahim hota. Bhavi kisi ke hota hai, kisi ke nahim hota hai. Jisake hota hai, usake eka hota hai. Manushya ke manushyaparyayamem atita kevalisamudghata kisi ke hota hai, kisi ke nahim hota. Jisake hota hai, usake eka hota hai. Isi prakara bhavi mem bhi kahana. Isa prakara ye 24 dandaka chaubisom dandakommem janana. |