Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006901 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-३६ समुद्घात |
Translated Chapter : |
पद-३६ समुद्घात |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 601 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स केवतिया वेदनासमुग्घाया अतीता? गोयमा! अनंता। केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा! कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्सत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा। एवं असुरकुमारस्स वि, निरंतरं जाव वेमानियस्स। एवं जाव तेयगसमुग्घाए। एवं एते पंच चउवीसा दंडगा। एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स केवतिया आहारगसमुग्घाया अतीता? गोयमा! कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्सत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा, उक्कोसेणं तिन्नि। केवतिया पुरेक्खडा? कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्सत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं चत्तारि। एवं निरंतरं जाव वेमानियस्स, नवरं– एगमेगस्स णं भंते! मनूसस्स केवतिया आहारगसमुग्घाया अतीता? गोयमा! कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्स त्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं चत्तारि। केवतिया पुरेक्खडा? कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्सत्थि जहन्ने-णं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं चत्तारि। एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स केवतिया केवलिसमुग्घाया अतीता? गोयमा! नत्थि। केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा! कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्सत्थि एक्को। एवं जाव वेमानियस्स, नवरं–मनूसस्स अतीता कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्सत्थि एक्को। एवं पुरेक्खडा वि। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! एक – एक नारक के कितने वेदनासमुद्घात अतीत हुए हैं ? हे गौतम ! अनन्त। भगवन् भविष्य में कितने होने वाले हैं ? गौतम ! किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते। जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो या तीन होते हैं और उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात या अनन्त होते हैं। इसी प्रकार असुरकुमार से वैमानिक तक जानना। इसी प्रकार तैजससमुद्घात तक जानना। इसी प्रकार ये पाँचों समुद्घात भी समझना। भगवन् ! एक – एक नारक के अतीत आहारकसमुद्घात कितने हैं ? गौतम ! वे किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते। जिसके होते हैं, उसके भी जघन्य एक या दो होते हैं और उत्कृष्ट तीन होते हैं। एक – एक नारक के भावी समुद्घात कितने हैं ? गौतम ! किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते। जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट चार समुद्घात होते हैं। इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त कहना। विशेष यह कि मनुष्य के अतीत और अनागत नारक के आहारकसमुद्घात के समान हैं। एक – एक नारक के अतीत केवलिसमुद्घात कितने हुए हैं ? गौतम! नहीं है। भगवन् ! भावी कितने होते हैं ? गौतम ! किसी के होता है, किसी के नहीं होता। जिसके होता है, उसके एक ही होता है। इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त कहना। विशेष यह कि किसी मनुष्य के अतीत केवलिसमुद्घात किसी को होता है, किसी को नहीं होता। जिसके होता है, उसके एक ही होता है। इसी प्रकार भावी (केवलिसमुद्घात) को भी जानना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] egamegassa nam bhamte! Neraiyassa kevatiya vedanasamugghaya atita? Goyama! Anamta. Kevatiya purekkhada? Goyama! Kassai atthi kassai natthi. Jassatthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja va asamkhejja va anamta va. Evam asurakumarassa vi, niramtaram java vemaniyassa. Evam java teyagasamugghae. Evam ete pamcha chauvisa damdaga. Egamegassa nam bhamte! Neraiyassa kevatiya aharagasamugghaya atita? Goyama! Kassai atthi kassai natthi. Jassatthi jahannenam ekko va do va, ukkosenam tinni. Kevatiya purekkhada? Kassai atthi kassai natthi. Jassatthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam chattari. Evam niramtaram java vemaniyassa, navaram– Egamegassa nam bhamte! Manusassa kevatiya aharagasamugghaya atita? Goyama! Kassai atthi kassai natthi. Jassa tthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam chattari. Kevatiya purekkhada? Kassai atthi kassai natthi. Jassatthi jahanne-nam ekko va do va tinni va, ukkosenam chattari. Egamegassa nam bhamte! Neraiyassa kevatiya kevalisamugghaya atita? Goyama! Natthi. Kevatiya purekkhada? Goyama! Kassai atthi kassai natthi. Jassatthi ekko. Evam java vemaniyassa, navaram–manusassa atita kassai atthi kassai natthi. Jassatthi ekko. Evam purekkhada vi. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Eka – eka naraka ke kitane vedanasamudghata atita hue haim\? He gautama ! Ananta. Bhagavan bhavishya mem kitane hone vale haim\? Gautama ! Kisi ke hote haim aura kisi ke nahim hote. Jisake hote haim, usake jaghanya eka, do ya tina hote haim aura utkrishta samkhyata, asamkhyata ya ananta hote haim. Isi prakara asurakumara se vaimanika taka janana. Isi prakara taijasasamudghata taka janana. Isi prakara ye pamchom samudghata bhi samajhana. Bhagavan ! Eka – eka naraka ke atita aharakasamudghata kitane haim\? Gautama ! Ve kisi ke hote haim aura kisi ke nahim hote. Jisake hote haim, usake bhi jaghanya eka ya do hote haim aura utkrishta tina hote haim. Eka – eka naraka ke bhavi samudghata kitane haim\? Gautama ! Kisi ke hote haim aura kisi ke nahim hote. Jisake hote haim, usake jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta chara samudghata hote haim. Isi prakara vaimanika paryanta kahana. Vishesha yaha ki manushya ke atita aura anagata naraka ke aharakasamudghata ke samana haim. Eka – eka naraka ke atita kevalisamudghata kitane hue haim\? Gautama! Nahim hai. Bhagavan ! Bhavi kitane hote haim\? Gautama ! Kisi ke hota hai, kisi ke nahim hota. Jisake hota hai, usake eka hi hota hai. Isi prakara vaimanika paryanta kahana. Vishesha yaha ki kisi manushya ke atita kevalisamudghata kisi ko hota hai, kisi ko nahim hota. Jisake hota hai, usake eka hi hota hai. Isi prakara bhavi (kevalisamudghata) ko bhi janana. |