Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )

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Sr No : 1006638
Scripture Name( English ): Pragnapana Translated Scripture Name : प्रज्ञापना उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

पद-६ व्युत्क्रान्ति

Translated Chapter :

पद-६ व्युत्क्रान्ति

Section : Translated Section :
Sutra Number : 338 Category : Upang-04
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] पुढविकाइया णं भंते! कओहिंतो उववज्जंति? किं नेरइएहिंतो जाव देवेहिंतो उववज्जंति? गोयमा! नो नेरइएहिंतो उववज्जंति, तिरिक्खजोणिएहिंतो मनुस्सेहिंतो देवेहिंतो वि उववज्जंति। जदि तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति किं एगिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति? गोयमा! एगिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो वि जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो वि उववज्जंति। जदि एगिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति किं पुढविकाइएहिंतो जाव वणप्फइ-काइएहिंतो उववज्जंति? गोयमा! पुढविकाइएहिंतो वि जाव वणप्फइकाइएहिंतो वि उववज्जंति। जदि पुढविकाइएहिंतो उववज्जंति किं सुहुमपुढविकाइएहिंतो उववज्जंति? बादर-पुढविकाइएहिंतो उववज्जंति? गोयमा! दोहिंतो वि उववज्जंति। जदि सुहुमपुढविकाइएहिंतो उववज्जंति किं पज्जत्तयपुढविकाइएहिंतो उववज्जंति? अपज्जत्तयपुढविकाइएहिंतो उववज्जंति? गोयमा! दोहिंतो वि उववज्जंति। जदि बादरपुढविकाइएहिंतो उववज्जंति किं पज्जत्तएहिंतो उववज्जंति? अपज्जत्तएहिंतो उववज्जंति? गोयमा! दोहिंतो वि उववज्जंति। एवं जाव वणस्सतिकाइया चउक्कएणं भेदेणं उववाएयव्वा। जदि बेइंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति किं पज्जत्तयबेइंदिएहिंतो उववज्जंति? अपज्जत्तयबेइंदिएहिंतो उववज्जंति? गोयमा! दोहिंतो वि उववज्जंति। एवं तेइंदियचउरिंदिएहिंतो वि उववज्जंति। जदि पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति किं जलयरपंचेंदिएहिंतो उववज्जंति? एवं जेहिंतो नेरइयाणं उववाओ भणितो तेहिंतो एतेसिं पि भाणितव्वो, नवरं–पज्जत्तग-अपज्जत्तगेहिंतो वि उववज्जंति। सेसं तं चेव। जदि मनुस्सेहिंतो उववज्जंति किं सम्मुच्छिममनुस्सेहिंतो उववज्जंति? गब्भवक्कंतिय-मनुस्सेहिंतो उववज्जंति? गोयमा! दोहिंतो वि उववज्जंति। जदि गब्भवक्कंतियमनुस्सेहिंतो उववज्जंति किं कम्मभूमगगब्भवक्कंतियमनुस्सेहिंतो उववज्जंति? अकम्मभूमगगब्भवक्कंतियम-णुस्सेहिंतो उववज्जंति? सेसं जहा नेरइयाणं, नवरं–अपज्जत्तएहिंतो वि उववज्जंति। जदि देवेहिंतो उववज्जंति किं भवनवासि-वाणमंतर-जोइसिय-वेमानियदेवेहिंतो उववज्जंति? गोयमा! भवनवासि देवेहिंतो वि उववज्जंति जाव वेमानियदेवेहिंतो वि उववज्जंति। जदि भवनवासिदेवेहिंतो उववज्जंति किं असुरकुमारदेवेहिंतो जाव थणियकुमारदेवेहिंतो उववज्जंति? गोयमा! असुरकुमारदेवेहिंतो वि जाव थणियकुमारदेवेहिंतो वि उववज्जंति। जदि वाणमंतरदेवेहिंतो उववज्जंति किं पिसाएहिंतो जाव गंधव्वेहिंतो उववज्जंति? गोयमा! पिसाएहिंतो वि जाव गंधव्वेहिंतो वि उववज्जंति। जदि जोइसियदेवेहिंतो उववज्जंति किं चंदविमानेहिंतो जाव ताराविमानेहिंतो उववज्जंति? गोयमा! चंदविमान-जोइसियदेवेहिंतो वि जाव ताराविमानजोइसियदेवेहिंतो वि उववज्जंति। जदि वेमानियदेवेहिंतो उववज्जंति किं कप्पोवगवेमानियदेवेहिंतो उववज्जंति? कप्पातीतग वेमानियदेवेहिंतो उववज्जंति? गोयमा! कप्पोवगवेमानियदेवेहिंतो उववज्जंति, नो कप्पातीतग-वेमानियदेवेहिंतो उववज्जंति। जदि कप्पोवगवेमानियदेवेहिंतो उववज्जंति किं सोहम्मेहिंतो जाव अच्चुएहिंतो उववज्जंति? गोयमा! सोहम्मीसाणेहिंतो उववज्जंति, नो सणंकुमार जाव अच्चुएहिंतो उववज्जंति। एवं आउक्काइया वि। एवं तेउ-वाऊ वि, नवरं–देववज्जेहिंतो उववज्जंति। वणस्सइकाइया जहा पुढविकाइया।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! पृथ्वीकायिक जीव कहाँ से उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! तिर्यंचयोनिकों, मनुष्ययोनिकों तथा देवों से उत्पन्न होते हैं। यदि (वे) तिर्यंचयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, तो एकेन्द्रिय यावत्‌ पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों से उत्पन्न होते हैं। यदि एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों से (वे) उत्पन्न होते हैं तो पृथ्वीकायिकों यावत्‌ वनस्पतिकायिकों से भी उत्पन्न होते हैं। यदि पृथ्वीकायिकों से उत्पन्न होते हैं तो सूक्ष्म और बादर पृथ्वीकायिकों से उत्पन्न होते हैं ? यदि सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों से वे उत्पन्न होते हैं तो पर्याप्त अथवा अपर्याप्त दोनों से ही उत्पन्न होते हैं। यदि बादर पृथ्वीकायिकों से वे उत्पन्न होते हैं तो पर्याप्त या अपर्याप्त बादर पृथ्वीकायिकों से उत्पन्न होते हैं। इसी प्रकार वनस्पतिकायिकों तक कहना। यदि द्वीन्द्रिय से वे (एकेन्द्रिय जीव) उत्पन्न होते हैं तो क्या पर्याप्त द्वीन्द्रिय से उत्पन्न होते हैं या अपर्याप्त से? गौतम ! दोनों से। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय से भी (वे) उत्पन्न होते हैं। यदि (वे) पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते हैं, तो क्या जलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचों से उत्पन्न होते हैं इत्यादि प्रश्न। जिन – जिन से नैरयिकों का उपपात कहा है, उन – उन से पृथ्वीकायिकोंका उपपात कहना। विशेष यह कि पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों से भी उत्पन्न होते हैं यदि (वे) मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं तो क्या सम्मूर्च्छिम मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं या गर्भज से ? गौतम ! पृथ्वीकायिक दोनों से उत्पन्न होते हैं। यदि गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं तो क्या कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं अथवा अकर्मभूमिज० से ? (गौतम !) नैरयिकों के उपपात समान वही (पृथ्वीकायिक आदि में समझना) विशेष यह कि अपर्याप्तक मनुष्यों से भी उत्पन्न होते हैं। (भगवन्‌ !) यदि देवों से उत्पन्न होते हैं, तो कौन से देवों से उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! भवनवासी यावत्‌ वैमानिक देवों से। यदि भवनवासी देवों से उत्पन्न होते हैं तो असुरकुमार से लेकर स्तनितकुमार तक से उत्पन्न होते हैं०। यदि वाणव्यन्तर देवों से उत्पन्न होते हैं, तो पिशाचों यावत्‌ गन्धर्वों से उत्पन्न होते हैं। यदि ज्योतिष्क देवों से उत्पन्न होते हैं तो चन्द्र यावत्‌ ताराविमान के देवों से उत्पन्न होते हैं। यदि वैमानिक देवों से उत्पन्न होते हैं तो कल्पो – पपन्न वैमानिक देवों से ही उत्पन्न होते हैं। यदि कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से उत्पन्न होते हैं तो सौधर्म और ईशान कल्प के देवों से ही उत्पन्न होते हैं। इसी प्रकार अप्कायिकों की उत्पत्ति में कहना। इसी प्रकार तेजस्कायिकों एवं वायुकायिकों की उत्पत्ति में समझना। विशेष यह है कि यहाँ देवों का निषेध करना। वनस्पतिकायिकों की उत्पत्ति के विषय में, पृथ्वीकायिकों के समान जानना। द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति तेजस्कायिकों और वायुकायिकों के समान समझना। सूत्र – ३३८, ३३९
Mool Sutra Transliteration : [sutra] pudhavikaiya nam bhamte! Kaohimto uvavajjamti? Kim neraiehimto java devehimto uvavajjamti? Goyama! No neraiehimto uvavajjamti, tirikkhajoniehimto manussehimto devehimto vi uvavajjamti. Jadi tirikkhajoniehimto uvavajjamti kim egimdiyatirikkhajoniehimto uvavajjamti java pamchemdiyatirikkhajoniehimto uvavajjamti? Goyama! Egimdiyatirikkhajoniehimto vi java pamchemdiyatirikkhajoniehimto vi uvavajjamti. Jadi egimdiyatirikkhajoniehimto uvavajjamti kim pudhavikaiehimto java vanapphai-kaiehimto uvavajjamti? Goyama! Pudhavikaiehimto vi java vanapphaikaiehimto vi uvavajjamti. Jadi pudhavikaiehimto uvavajjamti kim suhumapudhavikaiehimto uvavajjamti? Badara-pudhavikaiehimto uvavajjamti? Goyama! Dohimto vi uvavajjamti. Jadi suhumapudhavikaiehimto uvavajjamti kim pajjattayapudhavikaiehimto uvavajjamti? Apajjattayapudhavikaiehimto uvavajjamti? Goyama! Dohimto vi uvavajjamti. Jadi badarapudhavikaiehimto uvavajjamti kim pajjattaehimto uvavajjamti? Apajjattaehimto uvavajjamti? Goyama! Dohimto vi uvavajjamti. Evam java vanassatikaiya chaukkaenam bhedenam uvavaeyavva. Jadi beimdiyatirikkhajoniehimto uvavajjamti kim pajjattayabeimdiehimto uvavajjamti? Apajjattayabeimdiehimto uvavajjamti? Goyama! Dohimto vi uvavajjamti. Evam teimdiyachaurimdiehimto vi uvavajjamti. Jadi pamchemdiyatirikkhajoniehimto uvavajjamti kim jalayarapamchemdiehimto uvavajjamti? Evam jehimto neraiyanam uvavao bhanito tehimto etesim pi bhanitavvo, navaram–pajjattaga-apajjattagehimto vi uvavajjamti. Sesam tam cheva. Jadi manussehimto uvavajjamti kim sammuchchhimamanussehimto uvavajjamti? Gabbhavakkamtiya-manussehimto uvavajjamti? Goyama! Dohimto vi uvavajjamti. Jadi gabbhavakkamtiyamanussehimto uvavajjamti kim kammabhumagagabbhavakkamtiyamanussehimto uvavajjamti? Akammabhumagagabbhavakkamtiyama-nussehimto uvavajjamti? Sesam jaha neraiyanam, navaram–apajjattaehimto vi uvavajjamti. Jadi devehimto uvavajjamti kim bhavanavasi-vanamamtara-joisiya-vemaniyadevehimto uvavajjamti? Goyama! Bhavanavasi devehimto vi uvavajjamti java vemaniyadevehimto vi uvavajjamti. Jadi bhavanavasidevehimto uvavajjamti kim asurakumaradevehimto java thaniyakumaradevehimto uvavajjamti? Goyama! Asurakumaradevehimto vi java thaniyakumaradevehimto vi uvavajjamti. Jadi vanamamtaradevehimto uvavajjamti kim pisaehimto java gamdhavvehimto uvavajjamti? Goyama! Pisaehimto vi java gamdhavvehimto vi uvavajjamti. Jadi joisiyadevehimto uvavajjamti kim chamdavimanehimto java taravimanehimto uvavajjamti? Goyama! Chamdavimana-joisiyadevehimto vi java taravimanajoisiyadevehimto vi uvavajjamti. Jadi vemaniyadevehimto uvavajjamti kim kappovagavemaniyadevehimto uvavajjamti? Kappatitaga vemaniyadevehimto uvavajjamti? Goyama! Kappovagavemaniyadevehimto uvavajjamti, no kappatitaga-vemaniyadevehimto uvavajjamti. Jadi kappovagavemaniyadevehimto uvavajjamti kim sohammehimto java achchuehimto uvavajjamti? Goyama! Sohammisanehimto uvavajjamti, no sanamkumara java achchuehimto uvavajjamti. Evam aukkaiya vi. Evam teu-vau vi, navaram–devavajjehimto uvavajjamti. Vanassaikaiya jaha pudhavikaiya.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Prithvikayika jiva kaham se utpanna hote haim\? Gautama ! Tiryamchayonikom, manushyayonikom tatha devom se utpanna hote haim. Yadi (ve) tiryamchayonikom se utpanna hote haim, to ekendriya yavat pamchendriya tiryamchayonikom se utpanna hote haim. Yadi ekendriya tiryamchayonikom se (ve) utpanna hote haim to prithvikayikom yavat vanaspatikayikom se bhi utpanna hote haim. Yadi prithvikayikom se utpanna hote haim to sukshma aura badara prithvikayikom se utpanna hote haim\? Yadi sukshma prithvikayikom se ve utpanna hote haim to paryapta athava aparyapta donom se hi utpanna hote haim. Yadi badara prithvikayikom se ve utpanna hote haim to paryapta ya aparyapta badara prithvikayikom se utpanna hote haim. Isi prakara vanaspatikayikom taka kahana. Yadi dvindriya se ve (ekendriya jiva) utpanna hote haim to kya paryapta dvindriya se utpanna hote haim ya aparyapta se? Gautama ! Donom se. Isi prakara trindriya aura chaturindriya se bhi (ve) utpanna hote haim. Yadi (ve) pamchendriya tiryagyonikom se utpanna hote haim, to kya jalachara pamchendriyatiryamchom se utpanna hote haim ityadi prashna. Jina – jina se nairayikom ka upapata kaha hai, una – una se prithvikayikomka upapata kahana. Vishesha yaha ki paryaptakom aura aparyaptakom se bhi utpanna hote haim Yadi (ve) manushyom se utpanna hote haim to kya sammurchchhima manushyom se utpanna hote haim ya garbhaja se\? Gautama ! Prithvikayika donom se utpanna hote haim. Yadi garbhaja manushyom se utpanna hote haim to kya karmabhumija garbhaja manushyom se utpanna hote haim athava akarmabhumija0 se\? (gautama !) nairayikom ke upapata samana vahi (prithvikayika adi mem samajhana) vishesha yaha ki aparyaptaka manushyom se bhi utpanna hote haim. (bhagavan !) yadi devom se utpanna hote haim, to kauna se devom se utpanna hote haim\? Gautama ! Bhavanavasi yavat vaimanika devom se. Yadi bhavanavasi devom se utpanna hote haim to asurakumara se lekara stanitakumara taka se utpanna hote haim0. Yadi vanavyantara devom se utpanna hote haim, to pishachom yavat gandharvom se utpanna hote haim. Yadi jyotishka devom se utpanna hote haim to chandra yavat taravimana ke devom se utpanna hote haim. Yadi vaimanika devom se utpanna hote haim to kalpo – papanna vaimanika devom se hi utpanna hote haim. Yadi kalpopapanna vaimanika devom se utpanna hote haim to saudharma aura ishana kalpa ke devom se hi utpanna hote haim. Isi prakara apkayikom ki utpatti mem kahana. Isi prakara tejaskayikom evam vayukayikom ki utpatti mem samajhana. Vishesha yaha hai ki yaham devom ka nishedha karana. Vanaspatikayikom ki utpatti ke vishaya mem, prithvikayikom ke samana janana. Dvindriya, trindriya aura chaturindriya jivom ki utpatti tejaskayikom aura vayukayikom ke samana samajhana. Sutra – 338, 339