Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )

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Sr No : 1006619
Scripture Name( English ): Pragnapana Translated Scripture Name : प्रज्ञापना उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

पद-५ विशेष

Translated Chapter :

पद-५ विशेष

Section : Translated Section :
Sutra Number : 319 Category : Upang-04
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] जहन्नोगाहणगाणं भंते! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं केवइया पज्जवा पन्नत्ता? गोयमा! अनंता पज्जवा पन्नत्ता से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति–जहन्नोगाहणगाणं पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं अनंता पज्जवा पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नोगाहणए पंचेंदियतिरिक्खजोणिए जहन्नोगाहणयस्स पंचेंदियतिरिक्ख-जोणियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले। पदेसट्ठयाए तुल्ले। ओगाहणट्ठयाए तुल्ले। ठितीए तिट्ठाणवडिते। वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं दोहिं नाणेहिं दोहिं अन्नाणेहिं दोहिं दंसणेहि छट्ठाणवडिते। उक्कोसोगाहणए वि एवं चेव, नवरं–तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाण-वडिते। जहा उक्कोसोगाहणए तहा अजहन्नमणुक्कोसोगाहणए वि, नवरं– ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाण-वडिए। ठिईए चउट्ठाणवडिए। जहन्नट्ठितीयाणं भंते! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं केवतिया पज्जवा पन्नत्ता? गोयमा! अनंता पज्जवा पन्नत्ता से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति? गोयमा! जहन्नट्ठितीए पंचेंदियतिरिक्खजोणिए जहन्न-ट्ठितीयस्स पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले। पदेसट्ठयाए तुल्ले। ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाण -वडिते। ठितीए तुल्ले। वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं दोहिं अन्नाणेहिं दोहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिते। उक्कोसट्ठितीए वि एवं चेव, नवरं–दो नाणा दो अन्नाणा दो दंसणा। अजहन्नमनुक्कोस-ट्ठितीए वि एवं चेव, नवरं –ठितीए चउट्ठाणवडिते। तिन्निना, तिन्नि अन्नाणा, तिन्नि दंसणा। जहन्नगुणकालगाणं भंते! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा! अनंता पज्जवा पन्नत्ता। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति? गोयमा! जहन्नगुणकालए पंचेंदियतिरिक्खजोणिए जहन्न-गुणकालगस्स पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले। पएसट्ठयाए तुल्ले। ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते। ठितीए चउट्ठाणवडिते। कालवण्णपज्जवेहिं तुल्ले। अवसेसेहिं वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिते। एवं उक्कोसगुणकालए वि। अजहन्नमनुक्कोसगुणकालए वि एवं चेव, नवरं– सट्ठाणे छट्ठाणवडिते। एवं पंच वण्णा दो गंधा पंच रसा अट्ठ फासा भाणियव्वा। जहन्नाभिनिबोहियनाणीणं भंते! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं केवतिया पज्जवा पन्नत्ता? गोयमा! अनंता पज्जवा पन्नत्ता। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति? गोयमा! जहन्नाभिनिबोहियनाणी पंचेंदियतिरिक्खजोणिए जहन्नाभिनिबोहियनाणिस्स पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले। पदेसट्ठयाए तुल्ले। ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते। ठितीए चउट्ठाणवडिते वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिते। आभिनिबोहियनाणपज्जवेहिं तुल्ले। सुयनाणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिते। चक्खुदंसणपज्जवेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते। एवं उक्कोसाभिनिबोहियनाणी वि, नवरं–ठितीए तिट्ठाणवडिते, तिन्नि नाणा, तिन्नि दंसणा, सट्ठाणे तुल्ले, सेसेसु छट्ठाणवडिते। अजहन्नुक्कोसाभिनिबोहियनाणी जहा उक्कोसाभिनिबोहिय-नाणी, नवरं–ठितीए चउट्ठाणवडिते। सट्ठाणे छट्ठाणवडिते। एवं सुतनाणी वि। जहन्नोहिनाणीणं भंते! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा! अनंता पज्जवा पन्नत्ता। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति? गोयमा! जहन्नोहिनाणी पंचेंदियतिरिक्खजोणिए जहन्नोहि-नाणिस्स पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले। पदेसट्ठयाए तुल्ले। ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाण-वडिते। ठितीए तिट्ठाणवडिते। वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं आभिनिबोहियनाण-सुतनाण-पज्ज-वेहि य छट्ठाणवडिते। ओहिनाणपज्जवेहिं तुल्ले। अन्नाणा नत्थि। चक्खुदंसणपज्जवेहिं अचक्खु-दंसणपज्जवेहिं ओहिदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते। एवं उक्कोसोहिनाणी वि। अजहन्नुक्कोसोहिनाणी वि एवं चेव, नवरं–सट्ठाणे छट्ठाणवडिते। जहा आभिनिबोहियनाणी तहा मतिअन्नाणी सुयअन्नाणी य। जहा ओहिनाणी तहा विभंग-नाणी वि। चक्खुदंसणी अचक्खुदंसणी य जहा आभिनिबोहियनाणी। ओहिदंसणी जहा ओहिनाणी। जत्थ नाणा तत्थ अन्नाणा नत्थि, जत्थ अन्नाणा तत्थ नाणा नत्थि, जत्थ दंसणा तत्थ नाणा वि अन्नाणा वि अत्थि त्ति भाणितव्वं।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! जघन्य अवगाहना वाले पंचेन्द्रियतिर्यंचों के कितने पर्याय हैं ? गौतम ! अनन्त। क्योंकि – जघन्य अवगाहना वाले पंचेन्द्रियतिर्यंच द्रव्य, प्रदेशों, और अवगाहना से तुल्य है, स्थिति से त्रिस्थानपतित है, तथा वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श, दो ज्ञानों, अज्ञानों और दो दर्शनों से षट्‌स्थानपतित है। उत्कृष्ट अवगाहना वाले पंचेन्द्रिय – तिर्यंचों को भी ऐसे ही कहना, विशेषता इतनी कि तीन ज्ञानों, तीन अज्ञानों और तीन दर्शनों की अपेक्षा से षट्‌स्थान पतित हैं। इसी प्रकार अजघन्य – अनुत्कृष्ट अवगाहना वाले पंचेन्द्रियतिर्यंचो को कहना। विशेष यह कि ये अवगाहना तथा स्थिति से चतुःस्थानपतित हैं। जघन्य स्थिति वाले पंचेन्द्रिय तिर्यंचों के अनन्त पर्याय हैं। क्योंकि – जघन्यस्थिति वाले पंचेन्द्रिय तिर्यंच द्रव्य और प्रदेशों से तुल्य हैं, अवगाहना से चतुःस्थानपतित है, स्थिति से तुल्य हैं, तथा वर्ण आदि दो अज्ञान एवं दर्शनों से षट्‌स्थानपतित हैं। उत्कृष्टस्थिति वाले पंचेन्द्रियतिर्यंचों का कथन भी ऐसे ही करना। विशेष यह है कि इनमें दो ज्ञान, दो अज्ञान और दो दर्शनों को जानना। अजघन्य – अनुत्कृष्ट स्थिति वाले को भी ऐसा ही जानना। विशेष यह कि स्थिति से (यह) चतुःस्थानपतित हैं, तथा इनमें तीन ज्ञान, तीन अज्ञान और तीन दर्शनों की भी प्ररूपणा करना। जघन्यगुणकृष्ण पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों के अनन्त पर्याय हैं। क्योंकि – जघन्यगुण काले पंचेन्द्रियतिर्यंच द्रव्य और प्रदेशों से तुल्य हैं, अवगाहना और वर्णादि स्थिति से चतुःस्थानपतित है, कृष्णवर्ण के पर्यायों की अपेक्षा तुल्य हैं, शेष वर्ण तथा तीन ज्ञान, तीन अज्ञान एवं तीन दर्शनों से षट्‌स्थानपतित है। इसी प्रकार उत्कृष्टगुण काले में भी समझना। अजघन्य – अनुत्कृष्टगुण काले में भी इसी प्रकार कहना विशेष यह है कि वे स्वस्थान में भी षट्‌स्थान – पतित हैं। इस प्रकार शेष वर्णादि (युक्त तिर्यंच में कहना)। जघन्य आभिनिबोधिकज्ञानी पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों के अनन्त पर्याय कहे हैं। क्योंकि – जघन्य आभिनिबोधिकज्ञानी पंचेन्द्रियतिर्यंच द्रव्य और प्रदेशों से तुल्य हैं, अवगाहना और स्थिति से चतुःस्थानपतित हैं, तथा वर्णादि से षट्‌स्थानपतित है, आभिनिबोधिक ज्ञान के पर्यायों से तुल्य है, श्रुतज्ञान तथा चक्षुदर्शन और अचक्षु – दर्शन से षट्‌स्थानपतित है। इसी प्रकार उत्कृष्ट आभिनिबोधिक ज्ञानी पंचेन्द्रिय – तिर्यंचों को भी कहना। विशेष यह कि स्थिति से त्रिस्थानपतित है, तीन ज्ञान, तीन दर्शन तथा स्वस्थान में तुल्य हैं, शेष सब में षट्‌स्थानपतित है। मध्यम आभिनिबोधिक ज्ञानी तिर्यंचपंचेन्द्रियों को ऐसे ही समझना। विशेष यह कि स्थिति से चतुःस्थानपतित है; तथा स्वस्थान में षट्‌स्थानपतित है। इसी प्रकार श्रुतज्ञानी तिर्यंचपंचेन्द्रिय में भी कहना। जघन्य अवधिज्ञानी पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों के अनन्त पर्याय हैं। क्योंकि – जघन्य अवधिज्ञानी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक द्रव्य और प्रदेशों से तुल्य हैं, अवगाहना से चतुःस्थानपतित हैं; स्थिति से त्रिस्थानपतित है तथा वर्णादि और आभिनिबोधिक तथा श्रुतज्ञान से षट्‌स्थानपतित है। अवधिज्ञान से तुल्य है। (इसमें) अज्ञान नहीं कहना। चक्षुदर्शनपर्यायों और अचक्षुदर्शन से षट्‌स्थानपतित है। इसी प्रकार उत्कृष्ट अवधिज्ञानी पंचेन्द्रियतिर्यंच – योनिक को पर्याय भी कहना। मध्यम अवधिज्ञानी को भी ऐसे ही जानना। विशेष यह कि स्वस्थान में षट्‌स्थान – पतित है। आभिनिबोधिकज्ञानी तिर्यंचपंचेन्द्रिय के समान मति और श्रुत – अज्ञानी जानना, अवधिज्ञानी पंचेन्द्रिय – तिर्यंच के समान विभंगज्ञानी को जानना। चक्षुदर्शनी और अचक्षुदर्शनी भी आभिनिबोधिकज्ञानी की तरह हैं। अवधिदर्शनी अवधिज्ञानी की तरह हैं। (विशेष यह कि) ज्ञान और अज्ञान साथ नहीं होते।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] jahannogahanaganam bhamte! Pamchemdiyatirikkhajoniyanam kevaiya pajjava pannatta? Goyama! Anamta pajjava pannatta Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchati–jahannogahanaganam pamchemdiyatirikkhajoniyanam anamta pajjava pannatta? Goyama! Jahannogahanae pamchemdiyatirikkhajonie jahannogahanayassa pamchemdiyatirikkha-joniyassa davvatthayae tulle. Padesatthayae tulle. Ogahanatthayae tulle. Thitie titthanavadite. Vanna-gamdha-rasa-phasapajjavehim dohim nanehim dohim annanehim dohim damsanehi chhatthanavadite. Ukkosogahanae vi evam cheva, navaram–tihim nanehim tihim annanehim tihim damsanehim chhatthana-vadite. Jaha ukkosogahanae taha ajahannamanukkosogahanae vi, navaram– ogahanatthayae chautthana-vadie. Thiie chautthanavadie. Jahannatthitiyanam bhamte! Pamchemdiyatirikkhajoniyanam kevatiya pajjava pannatta? Goyama! Anamta pajjava pannatta Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchati? Goyama! Jahannatthitie pamchemdiyatirikkhajonie jahanna-tthitiyassa pamchemdiyatirikkhajoniyassa davvatthayae tulle. Padesatthayae tulle. Ogahanatthayae chautthana -vadite. Thitie tulle. Vanna-gamdha-rasa-phasapajjavehim dohim annanehim dohim damsanehim chhatthanavadite. Ukkosatthitie vi evam cheva, navaram–do nana do annana do damsana. Ajahannamanukkosa-tthitie vi evam cheva, navaram –thitie chautthanavadite. Tinnina, tinni annana, tinni damsana. Jahannagunakalaganam bhamte! Pamchemdiyatirikkhajoniyanam puchchha. Goyama! Anamta pajjava pannatta. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchati? Goyama! Jahannagunakalae pamchemdiyatirikkhajonie jahanna-gunakalagassa pamchemdiyatirikkhajoniyassa davvatthayae tulle. Paesatthayae tulle. Ogahanatthayae chautthanavadite. Thitie chautthanavadite. Kalavannapajjavehim tulle. Avasesehim vanna-gamdha-rasa-phasapajjavehim tihim nanehim tihim annanehim tihim damsanehim chhatthanavadite. Evam ukkosagunakalae vi. Ajahannamanukkosagunakalae vi evam cheva, navaram– satthane chhatthanavadite. Evam pamcha vanna do gamdha pamcha rasa attha phasa bhaniyavva. Jahannabhinibohiyananinam bhamte! Pamchemdiyatirikkhajoniyanam kevatiya pajjava pannatta? Goyama! Anamta pajjava pannatta. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchati? Goyama! Jahannabhinibohiyanani pamchemdiyatirikkhajonie jahannabhinibohiyananissa pamchemdiyatirikkhajoniyassa davvatthayae tulle. Padesatthayae tulle. Ogahanatthayae chautthanavadite. Thitie chautthanavadite vanna-gamdha-rasa-phasapajjavehim chhatthanavadite. Abhinibohiyananapajjavehim tulle. Suyananapajjavehim chhatthanavadite. Chakkhudamsanapajjavehim achakkhudamsanapajjavehi ya chhatthanavadite. Evam ukkosabhinibohiyanani vi, navaram–thitie titthanavadite, tinni nana, tinni damsana, satthane tulle, sesesu chhatthanavadite. Ajahannukkosabhinibohiyanani jaha ukkosabhinibohiya-nani, navaram–thitie chautthanavadite. Satthane chhatthanavadite. Evam sutanani vi. Jahannohinaninam bhamte! Pamchemdiyatirikkhajoniyanam puchchha. Goyama! Anamta pajjava pannatta. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchati? Goyama! Jahannohinani pamchemdiyatirikkhajonie jahannohi-nanissa pamchemdiyatirikkhajoniyassa davvatthayae tulle. Padesatthayae tulle. Ogahanatthayae chautthana-vadite. Thitie titthanavadite. Vanna-gamdha-rasa-phasapajjavehim abhinibohiyanana-sutanana-pajja-vehi ya chhatthanavadite. Ohinanapajjavehim tulle. Annana natthi. Chakkhudamsanapajjavehim achakkhu-damsanapajjavehim ohidamsanapajjavehi ya chhatthanavadite. Evam ukkosohinani vi. Ajahannukkosohinani vi evam cheva, navaram–satthane chhatthanavadite. Jaha abhinibohiyanani taha matiannani suyaannani ya. Jaha ohinani taha vibhamga-nani vi. Chakkhudamsani achakkhudamsani ya jaha abhinibohiyanani. Ohidamsani jaha ohinani. Jattha nana tattha annana natthi, jattha annana tattha nana natthi, jattha damsana tattha nana vi annana vi atthi tti bhanitavvam.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Jaghanya avagahana vale pamchendriyatiryamchom ke kitane paryaya haim\? Gautama ! Ananta. Kyomki – jaghanya avagahana vale pamchendriyatiryamcha dravya, pradeshom, aura avagahana se tulya hai, sthiti se tristhanapatita hai, tatha varna, gandha, rasa aura sparsha, do jnyanom, ajnyanom aura do darshanom se shatsthanapatita hai. Utkrishta avagahana vale pamchendriya – tiryamchom ko bhi aise hi kahana, visheshata itani ki tina jnyanom, tina ajnyanom aura tina darshanom ki apeksha se shatsthana patita haim. Isi prakara ajaghanya – anutkrishta avagahana vale pamchendriyatiryamcho ko kahana. Vishesha yaha ki ye avagahana tatha sthiti se chatuhsthanapatita haim. Jaghanya sthiti vale pamchendriya tiryamchom ke ananta paryaya haim. Kyomki – jaghanyasthiti vale pamchendriya tiryamcha dravya aura pradeshom se tulya haim, avagahana se chatuhsthanapatita hai, sthiti se tulya haim, tatha varna adi do ajnyana evam darshanom se shatsthanapatita haim. Utkrishtasthiti vale pamchendriyatiryamchom ka kathana bhi aise hi karana. Vishesha yaha hai ki inamem do jnyana, do ajnyana aura do darshanom ko janana. Ajaghanya – anutkrishta sthiti vale ko bhi aisa hi janana. Vishesha yaha ki sthiti se (yaha) chatuhsthanapatita haim, tatha inamem tina jnyana, tina ajnyana aura tina darshanom ki bhi prarupana karana. Jaghanyagunakrishna pamchendriyatiryamchayonikom ke ananta paryaya haim. Kyomki – jaghanyaguna kale pamchendriyatiryamcha dravya aura pradeshom se tulya haim, avagahana aura varnadi sthiti se chatuhsthanapatita hai, krishnavarna ke paryayom ki apeksha tulya haim, shesha varna tatha tina jnyana, tina ajnyana evam tina darshanom se shatsthanapatita hai. Isi prakara utkrishtaguna kale mem bhi samajhana. Ajaghanya – anutkrishtaguna kale mem bhi isi prakara kahana vishesha yaha hai ki ve svasthana mem bhi shatsthana – patita haim. Isa prakara shesha varnadi (yukta tiryamcha mem kahana). Jaghanya abhinibodhikajnyani pamchendriyatiryamchayonika jivom ke ananta paryaya kahe haim. Kyomki – jaghanya abhinibodhikajnyani pamchendriyatiryamcha dravya aura pradeshom se tulya haim, avagahana aura sthiti se chatuhsthanapatita haim, tatha varnadi se shatsthanapatita hai, abhinibodhika jnyana ke paryayom se tulya hai, shrutajnyana tatha chakshudarshana aura achakshu – darshana se shatsthanapatita hai. Isi prakara utkrishta abhinibodhika jnyani pamchendriya – tiryamchom ko bhi kahana. Vishesha yaha ki sthiti se tristhanapatita hai, tina jnyana, tina darshana tatha svasthana mem tulya haim, shesha saba mem shatsthanapatita hai. Madhyama abhinibodhika jnyani tiryamchapamchendriyom ko aise hi samajhana. Vishesha yaha ki sthiti se chatuhsthanapatita hai; tatha svasthana mem shatsthanapatita hai. Isi prakara shrutajnyani tiryamchapamchendriya mem bhi kahana. Jaghanya avadhijnyani pamchendriyatiryamchayonika jivom ke ananta paryaya haim. Kyomki – jaghanya avadhijnyani pamchendriya tiryamchayonika dravya aura pradeshom se tulya haim, avagahana se chatuhsthanapatita haim; sthiti se tristhanapatita hai tatha varnadi aura abhinibodhika tatha shrutajnyana se shatsthanapatita hai. Avadhijnyana se tulya hai. (isamem) ajnyana nahim kahana. Chakshudarshanaparyayom aura achakshudarshana se shatsthanapatita hai. Isi prakara utkrishta avadhijnyani pamchendriyatiryamcha – yonika ko paryaya bhi kahana. Madhyama avadhijnyani ko bhi aise hi janana. Vishesha yaha ki svasthana mem shatsthana – patita hai. Abhinibodhikajnyani tiryamchapamchendriya ke samana mati aura shruta – ajnyani janana, avadhijnyani pamchendriya – tiryamcha ke samana vibhamgajnyani ko janana. Chakshudarshani aura achakshudarshani bhi abhinibodhikajnyani ki taraha haim. Avadhidarshani avadhijnyani ki taraha haim. (vishesha yaha ki) jnyana aura ajnyana satha nahim hote.