Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Sr No : | 1006115 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | ज्योतिष्क उद्देशक | Translated Section : | ज्योतिष्क उद्देशक |
Sutra Number : | 315 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] चंदविमाने णं भंते कति देवसाहस्सीओ परिवहंति गोयमा चंदविमाणस्स णं पुरच्छिमेणं सेयाणं सुभ-गाणं सुप्पभाणं संखतलविमलनिम्मलदधिघणगोखीरफेणरययणिगरप्पगासाणं थिरलट्ठपउवट्टपीवर-सुसिलिट्ठविसिट्ठ-तिक्खदाढा-विडंबितमुहाणं रत्तुप्पलपत्त-मउयसुमालालु-जीहाणं मधुगुलियपिंग-लक्खाणं पसत्थसत्थवेरुलियभिसंतकक्कडनहाणं विसालपीवरोरुपडिपुन्नविउलखंधाणं मिउविसय पसत्थसुहुमलक्खण-विच्छिण्णकेसरसडोवसोभिताणं चंकमितललिय-पुलितथवलगव्वित-गतीणं उस्सियसुणिम्मि-यसुजायअप्फोडियणंगूलाणं वइरामयनक्खाणं वइरामयदंताणं पीतिगमाणं मनोगमाणं मनोरमाणं मनोहराणं अमीयगतीणं अमियबलवीरियपुरिसकारपरक्कमाणं महता अप्फोडियसीहनाइबोलकलय-लवरेणं महुरेण मनहरेण य पूरेंता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ सीहरूवधारीणं देवाणं पुरच्छिमिल्लं वाहं परिवहंति चंदविमाणस्स णं दक्खिणेणं सेयाणं सुभगाणं सुप्पभाणं संखतलविमलनिम्मलदधिनगोखीरफेणरययणियरप्पभासाणं वइरामय-कुंभजुयलसुट्ठितपीवर-वरवइरसोंड-विवदित्त-सुरत्तपउमप्पकासाणं अब्भुण्णवमुहाणं तवणिज्ज-विसालचंचलचलंतचवलकण्ण-विमुलज्जलाणं मधुवण्णभिसंतनिद्धपिंगलपत्तलतिवण्णमनिरयण-लोयणाणं अब्भुग्गतमउलमल्लियाणं धवलसरिस-संठितनिव्वणदढमसिण फालियामयसुजायदंत-मुसलोवसोभिताणं कंचनकोसीपविट्ठदंतग्गविमलमनिरयणरुइरपेरंतचितरूवविरायिताणं तवणिज्ज विसालतिलगपमुहपरिमंडिताणं नानामनिरयणगुलियगेवेज्जबद्धगलववरभूसणाणं वेरुलियविचित्त-दंडनिम्मलवइरामय-तिक्खलट्ठ-अंकुसकुंभजुयलंतरोडियाणं तवणिज्जसुबद्धकच्छदप्पियलुद्धुराणं जंबूमयविमलधणमंडलवइरामयलालाललियतालनानामणिरयणघंटपासगरयतामयरज्जूवद्धंवित-घंटाजुयल-महुरसरमनहराणं अल्लीणपमाण-जुत्तवट्टिय-सुजातलक्खण-पसत्थरमणिज्जवालगत्त-परिपुंछणाणं ओयवियपडिपुन्नकुम्मचलणलहुविक्कमाणं अंकामयनक्खाणं मनोगमाणं मनोरमाणं मनोहराणं अमियगतीणं अमियबलवीरियपुरिसकारपरक्कमाणं महया गंभीरगुलगुलाइयरवेणं महुरेणं मनहरेणं पूरेंता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ गयरूवधारीणं देवाणं दक्खिणिल्लं बाहं परिवहंति। चंदविमानस्स णं पच्चत्थिमेणं सेताणं सुभगाणं सुप्पभाणं चंकमियललियपुलितचल-चवलककुदसालीणं सण्णयपासाणं संगयपासाणं सुजायपासाणं मियमाइतपीणरइतपासाणं झस-विहगजुजातकुच्छीणं पसत्थणिद्धमधुगुलितभिसंतपिंगलक्खाणं विलासपीवरोरुपडिपुन्नविपुल- खंधाणंवट्टपडिपुन्नविपुलकवो ककिताणं इसिं आणय वसणोवट्ठाणं घननिचित सुबद्ध लक्खणुण्णत चंकमितल लितपुलियचक्कवालचवलगव्वितगतीणं पीवरोरुवट्टिय सुसंठितकडीणं ओलंबपलंब-लक्खणपसत्थरमणिज्जवालगंडाणं समखुरवालघाणाणं समलिहिततिक्खग्ग सिंगाणं तणुसुहुम-सुजातणिद्धलोमच्छविधराणं उलवचितमंसलविसालपडिपुन्नखंधपमुहपुंडराणं वेरुलियभिसंत-कडक्खसुणिरिक्खाणाणं जुत्तप्पमाणप्पघाणलक्खणपसत्थरमणिज्जगग्गरगलसोभिताणं घग्घरग-सुबद्धकण्ठपरिमंडियाणं नानामणिकनगरयणघण्टेवेयच्छगसुकयरतियमालियाणं वरघंटागलग-लियसोभंतसस्सिरीयाणं पउमुप्पलसगलसुरभिमालाविभूसिताणं वइरखुराणं दिविधखुराणं फालियानयदंताणं तवणिज्जजीहाणं तवणिज्जतालुयाणंतणिज्जजोत्तगसुजोत्तियाणं कामकमाणं पीतिकमाणं मनोगमाणं मनोरमाणं मनोहराणं अमितगतीणं अमियबलवीरियपुरिसयारपरक्कमाणं महया गंभीरगज्जियरवेणं मधुरेणं मनहरेण य पूरेंता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ वसभरूवाधारीणं देवाणं पच्चत्थिमिल्लं बाहं परिवहंति। चंदविमानस्स णं उत्तरेणं सेयाणं सुभगाणं सुप्फभाणं जच्चानंतरमल्लिहायणाणं हरिमेलामउलमल्लियच्छाणं धननिचित-सुबद्धलक्खणुण्णता-चंकमिय-ललियपुलिय-चवलचंचल-गतीणं लंघनवग्गधावण धारणतिवइजइणसिक्खितगईणं पीनपीवरवट्टितसुसंठितकडीणं ओलंब-पलंबलक्खणपसत्थरमणिज्ज वालगंडाणं तणुसुहुमसुजायणिद्धलोमच्छविधराणं मिउविसय-पसत्थसुहुमलक्खणविकिण्णकेसरवालिधराणं ललियसविलासगतिलाडवरभूसणाणं मुहमंडगोचूल चमरथासगपरिमंडियकडीणं तवणिज्जखुराणं तवणिज्जजीहाणं तवणिज्जतालुयाणं तवणिज्ज-जोत्तगसुजोतियाणं कामकमाणं जाव चत्तारि देवसाहस्सीओ हयरूवधारीणं देवाणं उत्तरिल्लं बाहं परिवहंति एवं सूरविमानस्सवि पुच्छा गोयमा सोलस देवसाहस्सीओ परिवहंति पुव्वकमेणं एवं गहविमाणस्सवि पुच्छा गोयमा अट्ठ देवसाहस्सीओ परिवहंति तं जहा– सीहरूवधारीणं दो देवाणं साहस्सीओ पुरत्थिमिल्लं वाहं परिवहंति गयरूवधारीणं दो देवाणं साहस्सीओ दक्खिणिल्लं दो देवाणं साहस्सीओ उसभरूवधारीणं पच्चत्थिमं दो देवसाहस्सीओ तुरगरूवधारीणं उत्तरिल्लं बाहं परिवहंति एवं नक्खत्तविमाणस्सवि पुच्छा गोयमा चत्तारि देवसाहस्सीओ परिवहंति तं जहा–सीहरूवधारीणं देवाणं एग्गा देवसाहस्सी पुरत्थिमिल्लं बाहं एवं चउद्दिसिंपि एवं तारगाणवि नवरिं दो देवसाहस्सीओ परिवहंति तं जहा सीहरूवधारीणं देवाणं पंचदेवसता पुरत्थिमिल्लं बाहं परिवहंति एवं चउद्दिसिंपि। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! चन्द्रविमान को कितने हजार देव वहन करते हैं ? गौतम ! १६००० देव, उनमें से ४००० देव सिंह का रूप धारण कर पूर्वदिशा से उठाते हैं। वे सिंह श्वेत हैं, सुन्दर हैं, श्रेष्ठ कांति वाले हैं, शंख के तल के समान विमल और निर्मल तथा जमे हुए दहीं, गाय का दूध, फेन चाँदी के नीकर के समान श्वेत प्रभावाले हैं, उनकी आँखें शहद की गोली के समान पीली है, मुख में स्थित सुन्दर प्रकोष्ठों से युक्त गोल, मोटी, परस्पर जुड़ी हुई विशिष्ट और तीखी दाढ़ाएं हैं, तालु और जीभ लाल कमल के पत्ते के समान मृदु एवं सुकोमल हैं, नख प्रशस्त और शुभ वैडूर्य – मणि की तरह चमकते हुए और कर्कश हैं, उनके उरु विशाल और मोटे हैं, कंधे पूर्ण और विपुल हैं, गले की केसर – सटा मृदु विशद, प्रशस्त, सूक्ष्म, लक्षणयुक्त और विस्तीर्ण है, गति लीलाओं और उछलने से गर्वभरी और साफ – सुथरी होती है, पूँछे ऊंची उठी हुई, सुनिर्मित – सुजात और फठकारयुक्त होती हैं। नख वज्र के समान कठोर हैं, दाँत वज्र के समान मजबूत हैं, दाढ़ाएं वज्र के समान सुदृढ़ हैं, तपे हुए सोने के समान उनकी जीभ है, तपनीय सोने की तरह उनके तालू हैं। ये ईच्छानुसार चलने वाले हैं, इनकी गति प्रीतिपूर्वक होती है, ये मन को रुचिकर लगने वाले हैं, मनोरम हैं, मनोहर हैं, इनकी गति अमित है, बल – वीर्य – पुरुषकारपराक्रम अपरिमित है। ये जोर – जोर से सिंहनाद करते हुए से आकाश और दिशाओं को गुंजाते हुए और सुशोभित करत हुए चलते रहते हैं। उस चन्द्रविमान को दक्षिण की तरफ से ४००० देव हाथी का रूप धारण कर उठाते वहन करते हैं। वे हाथी श्वेत हैं, सुन्दर हैं, सुप्रभा वाले हैं। उनकी कांति शंकतल के समान विमल – निर्मल है, जमे हुए दहीं की तरह, गाय के दूध, फेन और चाँदी के नीकर की तरह श्वेत है। वज्रमय कुम्भ – युगल के नीचे रही हुई सुन्दर मोटी सूँड़ में जिन्होंने क्रीडार्थ रक्तपद्मों के प्रकाश को ग्रहण किया हुआ है। मुख ऊंचे उठे हुए हैं, वे तपनीय स्वर्ण के विशाल, चंचल और चपल हिलते हुए विमल कानों से सुशोभित हैं, शहद वर्ण के चमकते हुए स्निग्ध पीले और पक्ष्मयुक्त तथा मणिरत्न की तरह त्रिवर्ण श्वेत कृष्ण पीत वर्ण वाले उनके नेत्र हैं, अत एव वे नेत्र उन्नत मृदुल मल्लिका के कोरक जैसे प्रतीत होते हैं, दाँत सफेद, एक सरीखे, मजबूत, परिणत अवस्था वाले, सुदृढ़, सम्पूर्ण एवं स्फटिकमय होने से सुजात हैं और मूसल की उपमा से शोभित हैं, दाँतों के अग्रभाग पर स्वर्ण के वलय पहनाये गये हैं। इनके मस्तक पर तपनीय स्वर्ण के विशाल तिलक आदि आभूषण पहनाये हुए हैं, नाना मणियों से निर्मित ऊर्ध्व ग्रैवेयक आदि कंठे के आभरण गले में पहनाये हुए हैं। जिनके गण्डस्थलों के मध्य में वैडूर्यरत्न के विचित्र दण्ड वाले निर्मल वज्रमय तीक्ष्ण एवं सुन्दर अंकुश स्थापित किये हुए हैं। तपनीय स्वर्ण की रस्सी से पीठ का आस्तरण बहुत ही अच्छी तरह सजाकर एवं कसकर बाँधा गया है अत एव वे दर्प से युक्त और बल से उद्धत बने हुए हैं, जम्बूनद स्वर्ण के बने घनमंडलवाले और वज्रमय लाला से ताडित तथा आसपास नाना मणिरत्नों की छोटी – छोटी घंटिकाओं से युक्त रत्नमयी रज्जु में लटके दो बड़े घंटों के मधुर स्वर से वे मनोहर लगते हैं। उनकी पूँछें चरणों तक लटकती हुई हैं, गोल हैं तथा उनमें सुजात और प्रशस्त लक्षण वाले बाल हैं जिनसे वे हाथी अपने शरीर को पोंछते रहते हैं। मांसल अवयवों के कारण परिपूर्ण कच्छप की तरह उनके पाँव होते हुए भी वे शीघ्र गति वाले हैं। अंकरत्न के उनके नख हैं, तपनीय स्वर्ण के जोतों द्वारा वे जोते हुए हैं। वे ईच्छानुसार गति करने वाले हैं यावत् अपने बहुत गंभीर एवं मनोहर गुलगुलाने की ध्वनि से आकाश को पूरित करते हैं और दिशाओं को सुशोभित करते हैं। उस चन्द्रविमान को पश्चिमदिशा की ओर से ४००० बैलरूपधारी देव उठाते हैं। वे श्वेत हैं, सुन्दर लगते हैं, उनकी कांति अच्छी है, उनके ककुद कुछ कुछ कुटिल हैं, ललित और पुष्ट हैं तथा दोलायमान हैं, दोनों पार्श्वभाग सम्यग् नीचे की ओर झुके हुए हैं, सुजात हैं, श्रेष्ठ हैं, प्रमाणोपेत हैं, परिमित मात्रा में ही मोटे होने से सुहावने लगने वाले हैं, मछली और पक्षी के समान पतली कुक्षिवाले हैं, नेत्र प्रशस्त, स्निग्ध, शहद की गोली के समान चमकते पीले वर्ण के हैं, जंघाएं विशाल, मोटी और मांसल हैं, स्कंध विपुल और परिपूर्ण हैं, कपोल गोल और विपुल है, ओष्ठ घन के समान निचित और जबड़ों से अच्छी तरह संबद्ध हैं, लक्षणोपेत उन्नत एवं अल्प झुके हुए हैं। वे चंक्रमति, ललित, पुलित और चक्रवाल की तरह चपल गति से गर्वित हैं, मोटी स्थूल वर्तित और सुसंस्थित उनकी कटि है। दोनों कपोलों के बाल ऊपर से नीचे तक अच्छी तरह लटकते हुए हैं, लक्षण और प्रमाणयुक्त, प्रशस्त और रमणीय हैं। खुर और पूँछ एक समान है, सींग एक समान पतले और तीक्ष्ण अग्रभाग वाले हैं। रोमराशि पतली सूक्ष्म सुन्दर और स्निग्ध है। स्कंधप्रदेश उपचित परिपुष्ट मांसल और विशाल होने से सुन्दर हैं, इनकी चितवन वैडूर्यमणि जैसे चमकीले कटाक्षों से युक्त अत एव प्रशस्त और रमणीय गर्गर नामक आभूषणों से शोभित हैं, घग्घर नामक आभूषण से उनका कंठ परिमंडित है, अनेक मणियों स्वर्ण और रत्नों से निर्मित छोटी – छोटी घंटियों की मालाएं उनके पर तिरछे रूप में पहनायी गई हैं। गले में श्रेष्ठ घंटियों की मालाएं हैं। ये पद्मकमल की परिपूर्ण सुगंधियुक्त मालाओं से सुगन्धित हैं। इनके खुर वज्र जैसे और विविध प्रकार के हैं। दाँत स्फटिक रत्नमय हैं, तपनीय स्वर्ण जैसी उनकी जिह्वा और तालु हैं, तपनीय स्वर्ण के जोतों से वे जुते हुए हैं। वे ईच्छानुसार चलने वाले हैं, यावत् वे जोरदार गंभीर गर्जना के मधुर एवं मनोहर स्वर से आकाश को गुंजाते हुए और दिशाओं को शोभित करते हुए गति करते हैं। उस चन्द्रविमान को उत्तर की ओर से ४००० अश्वरूपधारी देव उठाते हैं। वे श्वेत हैं, सुन्दर हैं, सुप्रभावाले हैं, उत्तम जाति के हैं, पूर्ण बल और वेग प्रकट होने की वय वाले हैं, हरिमेलकवृक्ष की कोमल कली के समान धवल आँख वाले हैं, वे अयोधन की तरह दृढीकृत, सुबद्ध, लक्षणोन्नत कुटिल ललित उछलती चंचल और चपल चाल वाले हैं, लांघना, उछलना, दौड़ना, स्वामी को धारण किये रखना त्रिपदी के चलाने के अनुसार चलना, इन सब बातों की शिक्षा के अनुसार ही वे गति करने वाले हैं। हिलते हुए रमणीय आभूषण उनके गले में धारण किये हुए हैं, उनके पार्श्वभाग सम्यक् प्रकार से झुके हुए हैं, संगत – प्रमाणापेत हैं, सुन्दर हैं, यथोचित मात्रा में मोटे और रति पैदा करने वाले हैं, मछली और पक्षी के समान उनकी कुक्षि है, पीन – पीवर और गोल सुन्दर आकार वाली कटि है, दोनों कपोलों के बाल ऊपर से नीचे तक अच्छी तरह से लटकते हुए हैं, लक्षण और प्रमाण से युक्त हैं, प्रशस्त हैं, रमणीय हैं। रोमराशि पतली, सूक्ष्म, सुजात और स्निग्ध है। गर्दन के बाल मृदु, विशद, प्रशस्त, सूक्ष्म और सुलक्षणोपेत हैं और सुलझे हुए हैं। सुन्दर और विलासपूर्ण गति से हिलते हुए दर्पणाकार स्थासक – आभूषणों से उनके ललाट भूषित हैं, मुखमण्डप, अवचूल, चमर आदि आभूषणों से उनकी कटि परिमंडित है, तपनीय स्वर्ण के खुर, जिह्वा और तालु हैं, तपनीय स्वर्ण के जोतों से वे भलीभाँति जुते हुए हैं। वे ईच्छापूर्वक गमन करने वाले हैं यावत् वे जोरदार हिनहिनाने की मधुर ध्वनि और मनोहर ध्वनि से आकाश को गुंजाते हुए, दिशाओं को शोभित करते हैं। १६००० देव पूर्वक्रम के अनुसार सूर्यविमान को वहन करते हैं। ८००० देव ग्रहविमान को वहन करते हैं। २००० देव पूर्व की तरफ से, यावत् २००० देव उत्तर की दिशा से हैं। चार हजार देव नक्षत्रविमान को वहन करते हैं। एक हजार देव सिंह का रूप धारण कर पूर्वदिशा की ओर से वहन करते हैं। इसी तरह चारों दिशाओं से जानना। ताराविमान को दो हजार देव वहन करते हैं। पाँच सौ – पाँच सौ देव चारों दिशाओं से जानना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] chamdavimane nam bhamte kati devasahassio parivahamti goyama chamdavimanassa nam purachchhimenam seyanam subha-ganam suppabhanam samkhatalavimalanimmaladadhighanagokhiraphenarayayanigarappagasanam thiralatthapauvattapivara-susilitthavisittha-tikkhadadha-vidambitamuhanam rattuppalapatta-mauyasumalalu-jihanam madhuguliyapimga-lakkhanam pasatthasatthaveruliyabhisamtakakkadanahanam visalapivarorupadipunnaviulakhamdhanam miuvisaya pasatthasuhumalakkhana-vichchhinnakesarasadovasobhitanam chamkamitalaliya-pulitathavalagavvita-gatinam ussiyasunimmi-yasujayaapphodiyanamgulanam vairamayanakkhanam vairamayadamtanam pitigamanam manogamanam manoramanam manoharanam amiyagatinam amiyabalaviriyapurisakaraparakkamanam mahata apphodiyasihanaibolakalaya-lavarenam mahurena manaharena ya puremta ambaram disao ya sobhayamta chattari devasahassio siharuvadharinam devanam purachchhimillam vaham parivahamti chamdavimanassa nam dakkhinenam seyanam subhaganam suppabhanam samkhatalavimalanimmaladadhinagokhiraphenarayayaniyarappabhasanam vairamaya-kumbhajuyalasutthitapivara-varavairasomda-vivaditta-surattapaumappakasanam abbhunnavamuhanam tavanijja-visalachamchalachalamtachavalakanna-vimulajjalanam madhuvannabhisamtaniddhapimgalapattalativannamanirayana-loyananam abbhuggatamaulamalliyanam dhavalasarisa-samthitanivvanadadhamasina phaliyamayasujayadamta-musalovasobhitanam kamchanakosipavitthadamtaggavimalamanirayanaruiraperamtachitaruvavirayitanam tavanijja visalatilagapamuhaparimamditanam nanamanirayanaguliyagevejjabaddhagalavavarabhusananam veruliyavichitta-damdanimmalavairamaya-tikkhalattha-amkusakumbhajuyalamtarodiyanam tavanijjasubaddhakachchhadappiyaluddhuranam jambumayavimaladhanamamdalavairamayalalalaliyatalananamanirayanaghamtapasagarayatamayarajjuvaddhamvita-ghamtajuyala-mahurasaramanaharanam allinapamana-juttavattiya-sujatalakkhana-pasattharamanijjavalagatta-paripumchhananam oyaviyapadipunnakummachalanalahuvikkamanam amkamayanakkhanam manogamanam manoramanam manoharanam amiyagatinam amiyabalaviriyapurisakaraparakkamanam mahaya gambhiragulagulaiyaravenam mahurenam manaharenam puremta ambaram disao ya sobhayamta chattari devasahassio gayaruvadharinam devanam dakkhinillam baham parivahamti. Chamdavimanassa nam pachchatthimenam setanam subhaganam suppabhanam chamkamiyalaliyapulitachala-chavalakakudasalinam sannayapasanam samgayapasanam sujayapasanam miyamaitapinaraitapasanam jhasa-vihagajujatakuchchhinam pasatthaniddhamadhugulitabhisamtapimgalakkhanam vilasapivarorupadipunnavipula- khamdhanamvattapadipunnavipulakavo kakitanam isim anaya vasanovatthanam ghananichita subaddha lakkhanunnata chamkamitala litapuliyachakkavalachavalagavvitagatinam pivaroruvattiya susamthitakadinam olambapalamba-lakkhanapasattharamanijjavalagamdanam samakhuravalaghananam samalihitatikkhagga simganam tanusuhuma-sujataniddhalomachchhavidharanam ulavachitamamsalavisalapadipunnakhamdhapamuhapumdaranam veruliyabhisamta-kadakkhasunirikkhananam juttappamanappaghanalakkhanapasattharamanijjagaggaragalasobhitanam ghaggharaga-subaddhakanthaparimamdiyanam nanamanikanagarayanaghanteveyachchhagasukayaratiyamaliyanam varaghamtagalaga-liyasobhamtasassiriyanam paumuppalasagalasurabhimalavibhusitanam vairakhuranam dividhakhuranam phaliyanayadamtanam tavanijjajihanam tavanijjataluyanamtanijjajottagasujottiyanam kamakamanam pitikamanam manogamanam manoramanam manoharanam amitagatinam amiyabalaviriyapurisayaraparakkamanam mahaya gambhiragajjiyaravenam madhurenam manaharena ya puremta ambaram disao ya sobhayamta chattari devasahassio vasabharuvadharinam devanam pachchatthimillam baham parivahamti. Chamdavimanassa nam uttarenam seyanam subhaganam supphabhanam jachchanamtaramallihayananam harimelamaulamalliyachchhanam dhananichita-subaddhalakkhanunnata-chamkamiya-laliyapuliya-chavalachamchala-gatinam lamghanavaggadhavana dharanativaijainasikkhitagainam pinapivaravattitasusamthitakadinam olamba-palambalakkhanapasattharamanijja valagamdanam tanusuhumasujayaniddhalomachchhavidharanam miuvisaya-pasatthasuhumalakkhanavikinnakesaravalidharanam laliyasavilasagatiladavarabhusananam muhamamdagochula chamarathasagaparimamdiyakadinam tavanijjakhuranam tavanijjajihanam tavanijjataluyanam tavanijja-jottagasujotiyanam kamakamanam java chattari devasahassio hayaruvadharinam devanam uttarillam baham parivahamti evam suravimanassavi puchchha goyama solasa devasahassio parivahamti puvvakamenam evam gahavimanassavi puchchha goyama attha devasahassio parivahamti tam jaha– siharuvadharinam do devanam sahassio puratthimillam vaham parivahamti gayaruvadharinam do devanam sahassio dakkhinillam do devanam sahassio usabharuvadharinam pachchatthimam do devasahassio turagaruvadharinam uttarillam baham parivahamti evam nakkhattavimanassavi puchchha goyama chattari devasahassio parivahamti tam jaha–siharuvadharinam devanam egga devasahassi puratthimillam baham evam chauddisimpi evam taraganavi navarim do devasahassio parivahamti tam jaha siharuvadharinam devanam pamchadevasata puratthimillam baham parivahamti evam chauddisimpi. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Chandravimana ko kitane hajara deva vahana karate haim\? Gautama ! 16000 deva, unamem se 4000 deva simha ka rupa dharana kara purvadisha se uthate haim. Ve simha shveta haim, sundara haim, shreshtha kamti vale haim, shamkha ke tala ke samana vimala aura nirmala tatha jame hue dahim, gaya ka dudha, phena chamdi ke nikara ke samana shveta prabhavale haim, unaki amkhem shahada ki goli ke samana pili hai, mukha mem sthita sundara prakoshthom se yukta gola, moti, paraspara juri hui vishishta aura tikhi darhaem haim, talu aura jibha lala kamala ke patte ke samana mridu evam sukomala haim, nakha prashasta aura shubha vaidurya – mani ki taraha chamakate hue aura karkasha haim, unake uru vishala aura mote haim, kamdhe purna aura vipula haim, gale ki kesara – sata mridu vishada, prashasta, sukshma, lakshanayukta aura vistirna hai, gati lilaom aura uchhalane se garvabhari aura sapha – suthari hoti hai, pumchhe umchi uthi hui, sunirmita – sujata aura phathakarayukta hoti haim. Nakha vajra ke samana kathora haim, damta vajra ke samana majabuta haim, darhaem vajra ke samana sudrirha haim, tape hue sone ke samana unaki jibha hai, tapaniya sone ki taraha unake talu haim. Ye ichchhanusara chalane vale haim, inaki gati pritipurvaka hoti hai, ye mana ko ruchikara lagane vale haim, manorama haim, manohara haim, inaki gati amita hai, bala – virya – purushakaraparakrama aparimita hai. Ye jora – jora se simhanada karate hue se akasha aura dishaom ko gumjate hue aura sushobhita karata hue chalate rahate haim. Usa chandravimana ko dakshina ki tarapha se 4000 deva hathi ka rupa dharana kara uthate vahana karate haim. Ve hathi shveta haim, sundara haim, suprabha vale haim. Unaki kamti shamkatala ke samana vimala – nirmala hai, jame hue dahim ki taraha, gaya ke dudha, phena aura chamdi ke nikara ki taraha shveta hai. Vajramaya kumbha – yugala ke niche rahi hui sundara moti sumra mem jinhomne kridartha raktapadmom ke prakasha ko grahana kiya hua hai. Mukha umche uthe hue haim, ve tapaniya svarna ke vishala, chamchala aura chapala hilate hue vimala kanom se sushobhita haim, shahada varna ke chamakate hue snigdha pile aura pakshmayukta tatha maniratna ki taraha trivarna shveta krishna pita varna vale unake netra haim, ata eva ve netra unnata mridula mallika ke koraka jaise pratita hote haim, damta sapheda, eka sarikhe, majabuta, parinata avastha vale, sudrirha, sampurna evam sphatikamaya hone se sujata haim aura musala ki upama se shobhita haim, damtom ke agrabhaga para svarna ke valaya pahanaye gaye haim. Inake mastaka para tapaniya svarna ke vishala tilaka adi abhushana pahanaye hue haim, nana maniyom se nirmita urdhva graiveyaka adi kamthe ke abharana gale mem pahanaye hue haim. Jinake gandasthalom ke madhya mem vaiduryaratna ke vichitra danda vale nirmala vajramaya tikshna evam sundara amkusha sthapita kiye hue haim. Tapaniya svarna ki rassi se pitha ka astarana bahuta hi achchhi taraha sajakara evam kasakara bamdha gaya hai ata eva ve darpa se yukta aura bala se uddhata bane hue haim, jambunada svarna ke bane ghanamamdalavale aura vajramaya lala se tadita tatha asapasa nana maniratnom ki chhoti – chhoti ghamtikaom se yukta ratnamayi rajju mem latake do bare ghamtom ke madhura svara se ve manohara lagate haim. Unaki pumchhem charanom taka latakati hui haim, gola haim tatha unamem sujata aura prashasta lakshana vale bala haim jinase ve hathi apane sharira ko pomchhate rahate haim. Mamsala avayavom ke karana paripurna kachchhapa ki taraha unake pamva hote hue bhi ve shighra gati vale haim. Amkaratna ke unake nakha haim, tapaniya svarna ke jotom dvara ve jote hue haim. Ve ichchhanusara gati karane vale haim yavat apane bahuta gambhira evam manohara gulagulane ki dhvani se akasha ko purita karate haim aura dishaom ko sushobhita karate haim. Usa chandravimana ko pashchimadisha ki ora se 4000 bailarupadhari deva uthate haim. Ve shveta haim, sundara lagate haim, unaki kamti achchhi hai, unake kakuda kuchha kuchha kutila haim, lalita aura pushta haim tatha dolayamana haim, donom parshvabhaga samyag niche ki ora jhuke hue haim, sujata haim, shreshtha haim, pramanopeta haim, parimita matra mem hi mote hone se suhavane lagane vale haim, machhali aura pakshi ke samana patali kukshivale haim, netra prashasta, snigdha, shahada ki goli ke samana chamakate pile varna ke haim, jamghaem vishala, moti aura mamsala haim, skamdha vipula aura paripurna haim, kapola gola aura vipula hai, oshtha ghana ke samana nichita aura jabarom se achchhi taraha sambaddha haim, lakshanopeta unnata evam alpa jhuke hue haim. Ve chamkramati, lalita, pulita aura chakravala ki taraha chapala gati se garvita haim, moti sthula vartita aura susamsthita unaki kati hai. Donom kapolom ke bala upara se niche taka achchhi taraha latakate hue haim, lakshana aura pramanayukta, prashasta aura ramaniya haim. Khura aura pumchha eka samana hai, simga eka samana patale aura tikshna agrabhaga vale haim. Romarashi patali sukshma sundara aura snigdha hai. Skamdhapradesha upachita paripushta mamsala aura vishala hone se sundara haim, inaki chitavana vaiduryamani jaise chamakile katakshom se yukta ata eva prashasta aura ramaniya gargara namaka abhushanom se shobhita haim, ghagghara namaka abhushana se unaka kamtha parimamdita hai, aneka maniyom svarna aura ratnom se nirmita chhoti – chhoti ghamtiyom ki malaem unake para tirachhe rupa mem pahanayi gai haim. Gale mem shreshtha ghamtiyom ki malaem haim. Ye padmakamala ki paripurna sugamdhiyukta malaom se sugandhita haim. Inake khura vajra jaise aura vividha prakara ke haim. Damta sphatika ratnamaya haim, tapaniya svarna jaisi unaki jihva aura talu haim, tapaniya svarna ke jotom se ve jute hue haim. Ve ichchhanusara chalane vale haim, yavat ve joradara gambhira garjana ke madhura evam manohara svara se akasha ko gumjate hue aura dishaom ko shobhita karate hue gati karate haim. Usa chandravimana ko uttara ki ora se 4000 ashvarupadhari deva uthate haim. Ve shveta haim, sundara haim, suprabhavale haim, uttama jati ke haim, purna bala aura vega prakata hone ki vaya vale haim, harimelakavriksha ki komala kali ke samana dhavala amkha vale haim, ve ayodhana ki taraha dridhikrita, subaddha, lakshanonnata kutila lalita uchhalati chamchala aura chapala chala vale haim, lamghana, uchhalana, daurana, svami ko dharana kiye rakhana tripadi ke chalane ke anusara chalana, ina saba batom ki shiksha ke anusara hi ve gati karane vale haim. Hilate hue ramaniya abhushana unake gale mem dharana kiye hue haim, unake parshvabhaga samyak prakara se jhuke hue haim, samgata – pramanapeta haim, sundara haim, yathochita matra mem mote aura rati paida karane vale haim, machhali aura pakshi ke samana unaki kukshi hai, pina – pivara aura gola sundara akara vali kati hai, donom kapolom ke bala upara se niche taka achchhi taraha se latakate hue haim, lakshana aura pramana se yukta haim, prashasta haim, ramaniya haim. Romarashi patali, sukshma, sujata aura snigdha hai. Gardana ke bala mridu, vishada, prashasta, sukshma aura sulakshanopeta haim aura sulajhe hue haim. Sundara aura vilasapurna gati se hilate hue darpanakara sthasaka – abhushanom se unake lalata bhushita haim, mukhamandapa, avachula, chamara adi abhushanom se unaki kati parimamdita hai, tapaniya svarna ke khura, jihva aura talu haim, tapaniya svarna ke jotom se ve bhalibhamti jute hue haim. Ve ichchhapurvaka gamana karane vale haim yavat ve joradara hinahinane ki madhura dhvani aura manohara dhvani se akasha ko gumjate hue, dishaom ko shobhita karate haim. 16000 deva purvakrama ke anusara suryavimana ko vahana karate haim. 8000 deva grahavimana ko vahana karate haim. 2000 deva purva ki tarapha se, yavat 2000 deva uttara ki disha se haim. Chara hajara deva nakshatravimana ko vahana karate haim. Eka hajara deva simha ka rupa dharana kara purvadisha ki ora se vahana karate haim. Isi taraha charom dishaom se janana. Taravimana ko do hajara deva vahana karate haim. Pamcha sau – pamcha sau deva charom dishaom se janana. |