Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006009 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | चंद्र सूर्य अने तेना द्वीप | Translated Section : | चंद्र सूर्य अने तेना द्वीप |
Sutra Number : | 209 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! जंबुद्दीवगाणं चंदाणं चंददीवा नामं दीवा पन्नत्ता? गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं लवणसमुद्दं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता, एत्थ णं जंबुद्दीवगाणं चंदाणं चंददीवा नामं दीवा पन्नत्ता–बारस जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं, सेसं तं चेव जहा गोत्तमदीवस्स परिक्खेवो। जंबुद्दीवंतेणं अद्धेकोणनउइं जोयणाइं चत्तालीसं पंचानउतिं भागे जोयणस्स ऊसिया जलंताओ, लवणसमुद्दंतेणं दो कोसे ऊसिता जलंताओ। पउमवरवेइया, पत्तेयंपत्तेयं वनसंडपरिक्खित्ते, दोण्हवि वण्णओ। भूमिभागा तस्स बहुमज्झदेसभागे पासादवडेंसगा विजयमूलपासादसरिसया जाव सीहासना सपरिवारा। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–चंददीवा? चंददीवा? गोयमा! बहुसु खुड्डाखुड्डियासु जाव बिलपंतियासु बहूइं उप्पलाइं जाव सहस्सपत्ताइं चंदप्पभाइं चंदागाराइं चंदवण्णाइं चंदवण्णाभाइं, चंदा य एत्थ देवा महिड्ढीया जाव पलिओवमट्ठितीया परिवसंति। ते णं तत्थ पत्तेयंपत्तेयं चउण्हं सामानियसाहस्सीणं जाव चंददीवाणं चंदाण य रायहाणीणं अन्नेसिं च बहूणं जोतिसियाणं देवाणं देवीण य आहेवच्चं जाव विहरंति। से तेणट्ठेणं गोयमा! चंदद्दीवा जाव निच्चा। कहि णं भंते! जंबुद्दीवगाणं चंदाणं चंदाओ नाम रायहाणीओ पन्नत्ताओ? गोयमा! चंददीवाणं पुरत्थिमेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवइत्ता अन्नंमि जंबुद्दीवे दीवे बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता, तं चेव पमाणं जाव एमहिड्ढीया चंदा देवा चंदा देवा। कहि णं भंते! जंबुद्दीवगाणं सूराणं सूरदीवा नामं दीवा पन्नत्ता? गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं लवणसमुद्दं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता, तं चेव उच्चत्तं आयाम-विक्खंभेणं परिक्खेवो वेदिया वनसंडा भूमिभागा जाव आसयंति, पासायवडेंसगाणं तं चेव पमाणं, मणिपेढिया सीहासना सपरिवारा, अट्ठो उप्पलाइं सूरप्पभाइं सूरा एत्थ देवा जाव रायहाणीओ सकाणं दीवाणं पच्चत्थिमेणं अन्नंमि जंबूद्दीवे दीवे सेसं तं चेव जाव सूरा देवा। | ||
Sutra Meaning : | हे भगवन् ! जम्बूद्वीपगत दो चन्द्रमाओं के दो चन्द्रद्वीप कहाँ पर हैं ? गौतम ! जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत के पूर्व में लवणसमुद्र में १२००० योजन आगे जाने पर हैं। ये द्वीप जम्बूद्वीप की दिशा में ८८१ योजन और ४०/९५ योजन पानी से ऊपर उठे हुए हैं और लवणसमुद्र की दिशा में दो कोस पानी से ऊपर उठे हुए हैं। ये १२००० योजन लम्बे – चौड़े हैं; शेष गौतमद्वीप की तरह जानना। ये उन द्वीपों में बहुसमरमणीय भूमिभाग कहे गये हैं यावत् वहाँ बहुत से ज्योतिष्क देव उठते – बैठते हैं। उन बहुसमरमणीय भागों में प्रासादावतंसक हैं, जो ६२॥ योजन ऊंचे हैं, मध्यभाग में दो योजन की लम्बी – चौड़ी, एक योजन मोटी मणिपीठिकाएं हैं, इत्यादि। हे भगवन् ! ये चन्द्रद्वीप क्यों कहलाते हैं ? हे गौतम ! उन द्वीपों की बहुत – सी छोटी – छोटी बावड़ियों आदि में बहुत से उत्पलादि कमल हैं, जो चन्द्रमा के समान आकृति और आभा वाले हैं और वहाँ चन्द्र नामक महर्द्धिक देव, जो पल्योपम की स्थिति वाले हैं, रहते हैं। वे वहाँ अलग – अलग चार हजार सामानिक देवों यावत् चन्द्रद्वीपों और चन्द्रा राजधानीयों और अन्य बहुत से ज्योतिष्क देवों और देवियों का आधिपत्य करते हुए अपने पुण्यकर्मों का विपाकानुभव करते हुए विचरते हैं। इस कारण हे गौतम ! वे चन्द्रद्वीप द्रव्यापेक्षया नित्य हैं अत एव उनके नाम भी शाश्वत हैं। हे भगवन् ! जम्बूद्वीप के चन्द्रों की चन्द्रा नामक राजधानीयाँ कहाँ है ? गौतम ! चन्द्रद्वीपों के पूर्व में तिर्यक् असंख्य द्वीप – समुद्रों को पार करने पर अन्य जम्बूद्वीप में १२००० योजन आगे जाने पर है। यावत् वहाँ चन्द्र नामक महर्द्धिक देव हैं। हे भगवन् ! जम्बूद्वीप के दो सूर्यों के दो सूर्यद्वीप कहाँ हैं ? गौतम ! जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत के पश्चिम में लवणसमुद्र में १२००० योजन जाने पर हैं। शेष वर्णन चन्द्रद्वीप समान है। हे भगवन् ! सूर्यद्वीप, सूर्यद्वीप क्यों कहलाते हैं ? हे गौतम ! उन द्वीपों की बावड़ियों आदि में सूर्य के समान वर्ण और आकृति वाले बहुत सारे उत्पल आदि कमल हैं, इसलिए वे सूर्यद्वीप कहलाते हैं। ये सूर्यद्वीप द्रव्यापेक्षया नित्य है। इनमें सूर्यदेव, सामानिक देव आदि का यावत् ज्योतिष्क देव – देवियों का आधिपत्य करते हुए विचरते हैं यावत् इनकी राजधानीयाँ अपने – अपने द्वीपों से पश्चिम में असंख्यात द्वीप – समुद्रों को पार करने के बाद अन्य जम्बूद्वीप में १२००० योजन आगे जाने पर स्थित हैं। उनका प्रमाण आदि पूर्वोक्त चन्द्रादि राजधानीयों की तरह जानना यावत् वहाँ सूर्य नामक महर्द्धिक देव हैं | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Jambuddivaganam chamdanam chamdadiva namam diva pannatta? Goyama! Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthimenam lavanasamuddam barasa joyanasahassaim ogahitta, ettha nam jambuddivaganam chamdanam chamdadiva namam diva pannatta–barasa joyanasahassaim ayamavikkhambhenam, sesam tam cheva jaha gottamadivassa parikkhevo. Jambuddivamtenam addhekonanauim joyanaim chattalisam pamchanautim bhage joyanassa usiya jalamtao, lavanasamuddamtenam do kose usita jalamtao. Paumavaraveiya, patteyampatteyam vanasamdaparikkhitte, donhavi vannao. Bhumibhaga tassa bahumajjhadesabhage pasadavademsaga vijayamulapasadasarisaya java sihasana saparivara. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–chamdadiva? Chamdadiva? Goyama! Bahusu khuddakhuddiyasu java bilapamtiyasu bahuim uppalaim java sahassapattaim chamdappabhaim chamdagaraim chamdavannaim chamdavannabhaim, chamda ya ettha deva mahiddhiya java paliovamatthitiya parivasamti. Te nam tattha patteyampatteyam chaunham samaniyasahassinam java chamdadivanam chamdana ya rayahaninam annesim cha bahunam jotisiyanam devanam devina ya ahevachcham java viharamti. Se tenatthenam goyama! Chamdaddiva java nichcha. Kahi nam bhamte! Jambuddivaganam chamdanam chamdao nama rayahanio pannattao? Goyama! Chamdadivanam puratthimenam tiriyamasamkhejje divasamudde viivaitta annammi jambuddive dive barasa joyanasahassaim ogahitta, tam cheva pamanam java emahiddhiya chamda deva chamda deva. Kahi nam bhamte! Jambuddivaganam suranam suradiva namam diva pannatta? Goyama! Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa pachchatthimenam lavanasamuddam barasa joyanasahassaim ogahitta, tam cheva uchchattam ayama-vikkhambhenam parikkhevo vediya vanasamda bhumibhaga java asayamti, pasayavademsaganam tam cheva pamanam, manipedhiya sihasana saparivara, attho uppalaim surappabhaim sura ettha deva java rayahanio sakanam divanam pachchatthimenam annammi jambuddive dive sesam tam cheva java sura deva. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavan ! Jambudvipagata do chandramaom ke do chandradvipa kaham para haim\? Gautama ! Jambudvipa ke meruparvata ke purva mem lavanasamudra mem 12000 yojana age jane para haim. Ye dvipa jambudvipa ki disha mem 881 yojana aura 40/95 yojana pani se upara uthe hue haim aura lavanasamudra ki disha mem do kosa pani se upara uthe hue haim. Ye 12000 yojana lambe – chaure haim; shesha gautamadvipa ki taraha janana. Ye una dvipom mem bahusamaramaniya bhumibhaga kahe gaye haim yavat vaham bahuta se jyotishka deva uthate – baithate haim. Una bahusamaramaniya bhagom mem prasadavatamsaka haim, jo 62.. Yojana umche haim, madhyabhaga mem do yojana ki lambi – chauri, eka yojana moti manipithikaem haim, ityadi. He bhagavan ! Ye chandradvipa kyom kahalate haim\? He gautama ! Una dvipom ki bahuta – si chhoti – chhoti bavariyom adi mem bahuta se utpaladi kamala haim, jo chandrama ke samana akriti aura abha vale haim aura vaham chandra namaka maharddhika deva, jo palyopama ki sthiti vale haim, rahate haim. Ve vaham alaga – alaga chara hajara samanika devom yavat chandradvipom aura chandra rajadhaniyom aura anya bahuta se jyotishka devom aura deviyom ka adhipatya karate hue apane punyakarmom ka vipakanubhava karate hue vicharate haim. Isa karana he gautama ! Ve chandradvipa dravyapekshaya nitya haim ata eva unake nama bhi shashvata haim. He bhagavan ! Jambudvipa ke chandrom ki chandra namaka rajadhaniyam kaham hai\? Gautama ! Chandradvipom ke purva mem tiryak asamkhya dvipa – samudrom ko para karane para anya jambudvipa mem 12000 yojana age jane para hai. Yavat vaham chandra namaka maharddhika deva haim. He bhagavan ! Jambudvipa ke do suryom ke do suryadvipa kaham haim\? Gautama ! Jambudvipa ke meruparvata ke pashchima mem lavanasamudra mem 12000 yojana jane para haim. Shesha varnana chandradvipa samana hai. He bhagavan ! Suryadvipa, suryadvipa kyom kahalate haim\? He gautama ! Una dvipom ki bavariyom adi mem surya ke samana varna aura akriti vale bahuta sare utpala adi kamala haim, isalie ve suryadvipa kahalate haim. Ye suryadvipa dravyapekshaya nitya hai. Inamem suryadeva, samanika deva adi ka yavat jyotishka deva – deviyom ka adhipatya karate hue vicharate haim yavat inaki rajadhaniyam apane – apane dvipom se pashchima mem asamkhyata dvipa – samudrom ko para karane ke bada anya jambudvipa mem 12000 yojana age jane para sthita haim. Unaka pramana adi purvokta chandradi rajadhaniyom ki taraha janana yavat vaham surya namaka maharddhika deva haim |