Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005987 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | जंबुद्वीप वर्णन | Translated Section : | जंबुद्वीप वर्णन |
Sutra Number : | 187 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! उत्तरकुराए कुराए नीलवंतद्दंहे नामं दहे पन्नत्ते? गोयमा! जमगपव्वयाणं दाहिणिल्लाओ चरिमंताओ अट्ठचोत्तीसे जोयणसते चत्तारि सत्तभागा जोयणस्स अबाहाए सीताए महानईए बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं उत्तरकुराए कुराए नीलवंतद्दहे नामं दहे पन्नत्ते–उत्तरदक्खिणायते पाईणपडीणविच्छिण्णे एगं जोयणसहस्सं आयामेणं, पंच जोयणसत्ताइं विक्खंभेणं, दस जोयणाइं उव्वेहेणं, अच्छे सण्हे रययामयकूले जाव अनेगसउणगणमिथुणपविचरियसद्दुण्णइयमहुरसरणाइयए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे, उभओ पासिं दोहि य पउमवरवेइयाहिं वनसंडेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते, दोण्हवि वण्णओ। नीलवंतद्दहस्स णं दहस्स तत्थतत्थ देसे तहिंतहिं बहवे तिसोमाणपडिरूवगा पन्नत्ता, वण्णओ। तेसि णं तिसोमानपडिरूवगाणं पुरतो पत्तेयंपत्तेयं तोरणे पन्नत्ते, वण्णओ। तस्स णं नीलवंतद्दहस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे पउमे पन्नत्ते–जोयणं आयाम-विक्खंभेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं, दस जोयणाइं उव्वेहेणं, दो कोसे ऊसिते जलंतातो, सातिरेगाइं दसजोयणाइं सव्वग्गेणं पन्नत्ते। तस्स णं पउमस्स अयमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा–वइरामए मूले रिट्ठामए कंदे वेरुलियामए नाले वेरुलियामया बाहिरपत्ता जंबूणयमया अब्भिंतरपत्ता तवणिज्जमया केसरा कनगमई कण्णिया नानामणिमया पुक्खरत्थिभुया। सा णं कण्णिया अद्धजोयणं आयामविक्खंभेणं, कोसं बाहल्लेणं, सव्वप्पणा कनगमई अच्छा जाव पडिरूवा। तीसे णं कण्णियाए उवरिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव मणीणं वण्णो गंधो फासो। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे भवणे पन्नत्ते–कोसं आयामेणं, अद्धकोसं विक्खंभेणं, देसूणं कोसं उड्ढं उच्चत्तेणं, अनेगखंभसतसंनिविट्ठं वण्णओ जाव दिव्वतुडियसद्दसंपणाइए अच्छे जाव पडिरूवे। तस्स णं भवनस्स तिदिसिं ततो दारा पन्नत्ता, तं जहा–पुरत्थिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं। ते णं दारा पंचधनुसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अड्ढाइज्जाइं धनुसताइं विक्खंभेणं, तावतियं चेव पवेसेणं, सेया वरकनगथूभियागा दारवण्णओ जाव वणमालाओ। तस्स णं भवनस्स उल्लीओ अंतो बहुसमरमणिज्जो भूमिभागो जाव मणीणं वण्णो गंधो फासो। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं मणिपेढिया पन्नत्ता–पंचधनुसयाइं आयामविक्खंभेणं, अड्ढाइज्जाइं धनुसताइं बाहल्लेणं, सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा। तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं, एत्थ णं महं एगे देवसयणिज्जे पन्नत्ते, सयणिज्जवण्णओ। तस्स णं भवनस्स उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा जाव सहस्सपत्तहत्थगा। से णं पउमे अन्नेणं अट्ठसतेणं तदद्धुच्चत्तप्पमाणमेत्ताणं पउमाणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते। ते णं पउमा अद्धजोयणं आयामविक्खंभेणं, कोसं बाहल्लेणं, दस जोयणाइं उव्वेहेणं, कोसं ऊसिया जलंताओ, साइरेगाइं दस जोयणाइं सव्वग्गेणं पन्नत्ताइं। तेसि णं पउमाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा–वइरामया मूला जाव कणगामईओ कण्णियाओ नानामणिमया पुक्खरत्थिभुगा। ताओ णं कण्णियाओ कोसं आयामविक्खंभेणं, अद्धकोसं बाहल्लेणं, सव्वकनगामईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तासि णं कण्णियाणं उप्पिं बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा जाव मणीणं वण्णो गंधो फासो। तस्स णं पउमस्स अवरुत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरत्थिमेणं नीलवंतस्स नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो चउण्हं सामानियसाहस्सीणं चत्तारि पउमसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। एतेणं सव्वो परिवारो पउमाणं भाणितव्वो। से णं पउमे अन्नेहिं तिहि पउमपरिक्खेवेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते, तं जहा–अब्भिंतरेणं मज्झिमेणं बाहिरएणं। अब्भिंतरए पउमपरिक्खेवे बत्तीसं पउमसयसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। मज्झिमए पउमपरिक्खेवे चत्तालीसं पउमसयसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। बाहिरए पउमपरिक्खेवे अडयालीसं पउमसयसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। एवमेव सपुव्वावरेणं एगा पउमकोडी वीसं च पउमसत्तसहस्सा भवंतीति मक्खायं। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति–नीलवंतद्दहे? नीलवंतद्दहे? गोयमा! नीलवंतद्दहे णं तत्थतत्थ देसे तहिंतहिं बहूइं उप्पलाइं जाव सहस्सपत्ताइं नीलवंतप्पभाइं नीलवंतागाराइं नीलवंतवण्णाइं नीलवंतवण्णाभाइं नीलवंते एत्थ नागकुमारिंदे नागकुमारराया महिड्ढिए जाव पलिओवमट्ठितीए परिवसति। से णं तत्थ चउण्हं सामानियसाहस्सीणं जाव सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीणं जाव सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीणं नीलवंतद्दहस्स नीलवंताए य रायहाणीए अन्नेसिं च बहूणं वाणमंतराणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं जाव विहरति। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चति–नीलवंतद्दहे, नीलवंतद्दहे। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! उत्तरकुरु नामक क्षेत्र में नीलवंत द्रह कहाँ है ? गौतम ! यमक पर्वतों के दक्षिण में ८३४ – ४/७ योजन आगे जाने पर सीता महानदी के ठीक मध्य में है। एक हजार योजन इसकी लम्बाई है और पाँच सौ योजन की चौड़ाई है। यह दस योजन गहरा है, स्वच्छ है, श्लक्ष्ण है, रजतमय इसके किनारे हैं, यह चतुष्कोण और समतीर हैं यावत् प्रतिरूप हैं। यह दोनों ओर से पद्मवरवेदिकाओं और वनखण्डों से चौतरफ घिरा हुआ है। नीलवंतद्रह नामक द्रह में यहाँ – वहाँ बहुत से त्रिसोपानप्रतिरूपक हैं। उस नीलवंत नामक द्रह के मध्यभाग में एक बड़ा कमल है। वह कमल एक – एक योजन लम्बा चौड़ा है। उसकी परिधि इससे तिगुनी से कुछ अधिक है। इसकी मोटाई आधा योजन है। यह इस योजन जल के अन्दर है और दो कोस जल से ऊपर है। दोनों मिलाकर साढ़े दस योजन की इसकी ऊंचाई है। उस कमल का मूल वज्रमय है, कंद रिष्टरत्नों का है, नाल वैडूर्यरत्नों की है, बाहर के पत्ते वैडूर्यमय हैं, आभ्यन्तर पत्ते जंबूनद के हैं, उसके केसर तपनीय स्वर्ण के हैं, स्वर्ण की कर्णिका है और नानामणियों की पुष्कर – स्तिबुका है। वह कर्णिका आधा योजन की लम्बी – चौड़ी है, इससे तिगुनी से कुछ अधिक इसकी परिधि है, एक कोस की मोटाई है, यह पूर्णरूप से कनकमयी है, स्वच्छ है, श्लक्ष्ण है यावत् प्रतिरूप है। उस कर्णिका के ऊपर एक बहुसमरमणीय भूमिभाग है। उस के ठीक मध्य में एक विशाल भवन है जो एक कोस लम्बा, आधा कोस चौड़ा और एक कोस से कुछ कम ऊंचा है। वह अनेक सैकड़ों स्तम्भों पर आधारित है। उस भवन में तीन द्वार हैं – पूर्व, दक्षिण और उत्तर में। वे द्वार पाँच सौ धनुष ऊंचे हैं, ढ़ाई सौ धनुष चौड़े हैं और इतना ही इनका प्रवेश है। ये श्वेत हैं, श्रेष्ठ स्वर्ण की स्तूपिका से युक्त हैं यावत् उन पर वनमालाएं लटक रही हैं। उस भवन में बहुसमरमणीय भूमिभाग है। उस के ठीक मध्य में एक मणिपीठिका हैं, जो पाँच सौ धनुष की लम्बी – चौड़ी है और ढ़ाई सौ योजन मोटी है और सर्वमणियों की बनी हुई है। उस मणिपीठिका के ऊपर एक विशाल देवशयनीय है। वह कमल दूसरे एक सौ आठ कमलों से सब ओर से घिरा हुआ है। वे कमल उस कमल से आधे ऊंचे प्रमाण वाले हैं। आधा योजन लम्बे – चौड़े और इससे तिगुने से कुछ अधिक परिधि वाले हैं। उनकी मोटाई एक कोस की है। वे दस योजन पानी में ऊंडे हैं और जलतल से एक कोस ऊंचे हैं। जलांत से लेकर ऊपर तक समग्र रूप में वे कुछ अधिक दस योजन के हैं। वज्ररत्नों के उनके मूल हैं, यावत् नानामणियों की पुष्करस्तिबुका है। कमल की कर्णिकाएं एक कोस लम्बी – चौड़ी हैं और उससे तिगुने अधिक उनकी परिधि है, आधा कोस की मोटाई है, सर्व कनकमयी हैं, स्वच्छ यावत् प्रतिरूप हैं। उस कमल के पश्चिमोत्तर में, उत्तर में और उत्तरपूर्व में नीलवंतद्रह के नागकुमारेन्द्र नागकुमार राज के चार हजार सामानिक देवों के चार हजार पद्म हैं। वह कमल अन्य तीन पद्मवर – विक्षेप से सब ओर से घिरा हुआ है। आभ्यन्तर पद्म परिवेशमें ३२ लाख पद्म हैं, मध्यम पद्मपरिवेश में ४० लाख पद्म हैं और बाह्य पद्मपरिवेश में अड़तालीस लाख पद्म हैं। इस प्रकार सब पद्मों की संख्या १ करोड़ २० लाख हैं। हे भगवन् ! नीलवंतद्रह, नीलवंतद्रह क्यों कहलाता है ? गौतम ! नीलवंतद्रह में यहाँ वहाँ स्थान स्थान पर नीलवर्ण के उत्पल कमल यावत् शतपत्र – सहस्रपत्र कमल खिले हुए हैं तथा वहाँ नीलवंत नामक नागकुमारेन्द्र नाग – कुमारराज महर्द्धिक देव रहता है, इस कारण नीलवंतद्रह, नीलवंतद्रह कहा जाता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Uttarakurae kurae nilavamtaddamhe namam dahe pannatte? Goyama! Jamagapavvayanam dahinillao charimamtao atthachottise joyanasate chattari sattabhaga joyanassa abahae sitae mahanaie bahumajjhadesabhae, ettha nam uttarakurae kurae nilavamtaddahe namam dahe pannatte–uttaradakkhinayate painapadinavichchhinne egam joyanasahassam ayamenam, pamcha joyanasattaim vikkhambhenam, dasa joyanaim uvvehenam, achchhe sanhe rayayamayakule java anegasaunaganamithunapavichariyasaddunnaiyamahurasaranaiyae pasadie darisanijje abhiruve padiruve, ubhao pasim dohi ya paumavaraveiyahim vanasamdehim savvato samamta samparikkhitte, donhavi vannao. Nilavamtaddahassa nam dahassa tatthatattha dese tahimtahim bahave tisomanapadiruvaga pannatta, vannao. Tesi nam tisomanapadiruvaganam purato patteyampatteyam torane pannatte, vannao. Tassa nam nilavamtaddahassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege paume pannatte–joyanam ayama-vikkhambhenam, addhajoyanam bahallenam, dasa joyanaim uvvehenam, do kose usite jalamtato, satiregaim dasajoyanaim savvaggenam pannatte. Tassa nam paumassa ayameyaruve vannavase pannatte, tam jaha–vairamae mule ritthamae kamde veruliyamae nale veruliyamaya bahirapatta jambunayamaya abbhimtarapatta tavanijjamaya kesara kanagamai kanniya nanamanimaya pukkharatthibhuya. Sa nam kanniya addhajoyanam ayamavikkhambhenam, kosam bahallenam, savvappana kanagamai achchha java padiruva. Tise nam kanniyae uvarim bahusamaramanijje bhumibhage java maninam vanno gamdho phaso. Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege bhavane pannatte–kosam ayamenam, addhakosam vikkhambhenam, desunam kosam uddham uchchattenam, anegakhambhasatasamnivittham vannao java divvatudiyasaddasampanaie achchhe java padiruve. Tassa nam bhavanassa tidisim tato dara pannatta, tam jaha–puratthimenam dahinenam uttarenam. Te nam dara pamchadhanusayaim uddham uchchattenam, addhaijjaim dhanusataim vikkhambhenam, tavatiyam cheva pavesenam, seya varakanagathubhiyaga daravannao java vanamalao. Tassa nam bhavanassa ullio amto bahusamaramanijjo bhumibhago java maninam vanno gamdho phaso. Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhae, ettha nam manipedhiya pannatta–pamchadhanusayaim ayamavikkhambhenam, addhaijjaim dhanusataim bahallenam, savvamanimai achchha java padiruva. Tise nam manipedhiyae uppim, ettha nam maham ege devasayanijje pannatte, sayanijjavannao. Tassa nam bhavanassa uppim atthatthamamgalaga java sahassapattahatthaga. Se nam paume annenam atthasatenam tadaddhuchchattappamanamettanam paumanam savvato samamta samparikkhitte. Te nam pauma addhajoyanam ayamavikkhambhenam, kosam bahallenam, dasa joyanaim uvvehenam, kosam usiya jalamtao, sairegaim dasa joyanaim savvaggenam pannattaim. Tesi nam paumanam ayameyaruve vannavase pannatte, tam jaha–vairamaya mula java kanagamaio kanniyao nanamanimaya pukkharatthibhuga. Tao nam kanniyao kosam ayamavikkhambhenam, addhakosam bahallenam, savvakanagamaio achchhao java padiruvao. Tasi nam kanniyanam uppim bahusamaramanijja bhumibhaga java maninam vanno gamdho phaso. Tassa nam paumassa avaruttarenam uttarenam uttarapuratthimenam nilavamtassa nagakumarimdassa nagakumararanno chaunham samaniyasahassinam chattari paumasahassio pannattao. Etenam savvo parivaro paumanam bhanitavvo. Se nam paume annehim tihi paumaparikkhevehim savvato samamta samparikkhitte, tam jaha–abbhimtarenam majjhimenam bahiraenam. Abbhimtarae paumaparikkheve battisam paumasayasahassio pannattao. Majjhimae paumaparikkheve chattalisam paumasayasahassio pannattao. Bahirae paumaparikkheve adayalisam paumasayasahassio pannattao. Evameva sapuvvavarenam ega paumakodi visam cha paumasattasahassa bhavamtiti makkhayam. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchati–nilavamtaddahe? Nilavamtaddahe? Goyama! Nilavamtaddahe nam tatthatattha dese tahimtahim bahuim uppalaim java sahassapattaim nilavamtappabhaim nilavamtagaraim nilavamtavannaim nilavamtavannabhaim nilavamte ettha nagakumarimde nagakumararaya mahiddhie java paliovamatthitie parivasati. Se nam tattha chaunham samaniyasahassinam java solasanham ayarakkhadevasahassinam java solasanham ayarakkhadevasahassinam nilavamtaddahassa nilavamtae ya rayahanie annesim cha bahunam vanamamtaranam devana ya devina ya ahevachcham java viharati. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchati–nilavamtaddahe, nilavamtaddahe. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Uttarakuru namaka kshetra mem nilavamta draha kaham hai\? Gautama ! Yamaka parvatom ke dakshina mem 834 – 4/7 yojana age jane para sita mahanadi ke thika madhya mem hai. Eka hajara yojana isaki lambai hai aura pamcha sau yojana ki chaurai hai. Yaha dasa yojana gahara hai, svachchha hai, shlakshna hai, rajatamaya isake kinare haim, yaha chatushkona aura samatira haim yavat pratirupa haim. Yaha donom ora se padmavaravedikaom aura vanakhandom se chautarapha ghira hua hai. Nilavamtadraha namaka draha mem yaham – vaham bahuta se trisopanapratirupaka haim. Usa nilavamta namaka draha ke madhyabhaga mem eka bara kamala hai. Vaha kamala eka – eka yojana lamba chaura hai. Usaki paridhi isase tiguni se kuchha adhika hai. Isaki motai adha yojana hai. Yaha isa yojana jala ke andara hai aura do kosa jala se upara hai. Donom milakara sarhe dasa yojana ki isaki umchai hai. Usa kamala ka mula vajramaya hai, kamda rishtaratnom ka hai, nala vaiduryaratnom ki hai, bahara ke patte vaiduryamaya haim, abhyantara patte jambunada ke haim, usake kesara tapaniya svarna ke haim, svarna ki karnika hai aura nanamaniyom ki pushkara – stibuka hai. Vaha karnika adha yojana ki lambi – chauri hai, isase tiguni se kuchha adhika isaki paridhi hai, eka kosa ki motai hai, yaha purnarupa se kanakamayi hai, svachchha hai, shlakshna hai yavat pratirupa hai. Usa karnika ke upara eka bahusamaramaniya bhumibhaga hai. Usa ke thika madhya mem eka vishala bhavana hai jo eka kosa lamba, adha kosa chaura aura eka kosa se kuchha kama umcha hai. Vaha aneka saikarom stambhom para adharita hai. Usa bhavana mem tina dvara haim – purva, dakshina aura uttara mem. Ve dvara pamcha sau dhanusha umche haim, rhai sau dhanusha chaure haim aura itana hi inaka pravesha hai. Ye shveta haim, shreshtha svarna ki stupika se yukta haim yavat una para vanamalaem lataka rahi haim. Usa bhavana mem bahusamaramaniya bhumibhaga hai. Usa ke thika madhya mem eka manipithika haim, jo pamcha sau dhanusha ki lambi – chauri hai aura rhai sau yojana moti hai aura sarvamaniyom ki bani hui hai. Usa manipithika ke upara eka vishala devashayaniya hai. Vaha kamala dusare eka sau atha kamalom se saba ora se ghira hua hai. Ve kamala usa kamala se adhe umche pramana vale haim. Adha yojana lambe – chaure aura isase tigune se kuchha adhika paridhi vale haim. Unaki motai eka kosa ki hai. Ve dasa yojana pani mem umde haim aura jalatala se eka kosa umche haim. Jalamta se lekara upara taka samagra rupa mem ve kuchha adhika dasa yojana ke haim. Vajraratnom ke unake mula haim, yavat nanamaniyom ki pushkarastibuka hai. Kamala ki karnikaem eka kosa lambi – chauri haim aura usase tigune adhika unaki paridhi hai, adha kosa ki motai hai, sarva kanakamayi haim, svachchha yavat pratirupa haim. Usa kamala ke pashchimottara mem, uttara mem aura uttarapurva mem nilavamtadraha ke nagakumarendra nagakumara raja ke chara hajara samanika devom ke chara hajara padma haim. Vaha kamala anya tina padmavara – vikshepa se saba ora se ghira hua hai. Abhyantara padma pariveshamem 32 lakha padma haim, madhyama padmaparivesha mem 40 lakha padma haim aura bahya padmaparivesha mem aratalisa lakha padma haim. Isa prakara saba padmom ki samkhya 1 karora 20 lakha haim. He bhagavan ! Nilavamtadraha, nilavamtadraha kyom kahalata hai\? Gautama ! Nilavamtadraha mem yaham vaham sthana sthana para nilavarna ke utpala kamala yavat shatapatra – sahasrapatra kamala khile hue haim tatha vaham nilavamta namaka nagakumarendra naga – kumararaja maharddhika deva rahata hai, isa karana nilavamtadraha, nilavamtadraha kaha jata hai. |