Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005982 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | द्वीप समुद्र | Translated Section : | द्वीप समुद्र |
Sutra Number : | 182 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! जंबुद्दीवस्स दीवस्स वेजयंते नामं दारे पन्नत्ते? गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दक्खिणेणं पणयालीसं जोयणसहस्साइं अबाधाए जंबुद्दीवे दीवे दाहिणपेरंते लवणसमुद्ददाहिणद्धस्स उत्तरेणं, एत्थ णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स वेजयंते नामं दारे पन्नत्ते–अट्ठ जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, सच्चेव सव्वा वत्तव्वता जाव दारे। कहि णं भंते! रायहाणी दाहिणे णं जाव वेजयंते देवे वेजयंते देवे। कहि णं भंते! जंबुद्दीवस्स दीवस्स जयंते नामं दारे पन्नत्ते? गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं पणयालीसं जोयणसहस्साइं जंबुद्दीवे दीवे पच्चत्थिमपेरंते लवणसमुद्द-पच्चत्थिमद्धस्स पुरत्थिमेणं सीओदाए महानदीए उप्पिं एत्थ णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स जयंते नामं दारे पन्नत्ते। तं चेव से पमाणं जयंते देवे पच्चत्थिमेणं से रायहाणी जाव एमहिड्ढीए। कहि णं भंते! जंबुद्दीवस्स दीवस्स अपराइए नामं दारे पन्नत्ते? गोयमा! मंदरस्स उत्तरेणं पणयालीसं जोयणसहस्साइं अबाहाए जंबुद्दीवे दीवे उत्तरपेरंते लवणसमुद्दस्स उत्तरद्धस्स दाहिणेणं, एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे अपराइए नामं दारे पन्नत्ते तं चेव पमाणं। रायहाणी उत्तरेणं जाव अपराइए देवे। चउण्हवि अन्नंमि जंबुद्दीवे। | ||
Sutra Meaning : | हे भगवन् ! जम्बूद्वीप का वैजयन्त का द्वार कहाँ है ? हे गौतम ! जम्बूद्वीप में मेरुपर्वत के दक्षिण में पैंतालीस हजार योजन जाने पर उस द्वीप की दक्षिण दिशा के अन्त में तथा दक्षिण दिशा के लवणसमुद्र से उत्तर में हैं। यह आठ योजन ऊंचा और चार योजन चौड़ा है – यावत् यह वैजयन्त द्वार नित्य है। भगवन् ! वैजयन्त देव की वैजयन्ती नामक राजधानी कहाँ है ? गौतम ! वैजयन्त द्वार की दक्षिण दिशा में तिर्यक् असंख्येय द्वीपसमुद्रों को पार करने पर आदि वर्णन विजयद्वार के तुल्य कहना यावत् वहाँ वैजयन्त नामका महर्द्धिक देव है। हे भगवन् ! जम्बूद्वीप का जयन्त नामका द्वार कहाँ है ? गौतम ! जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत के पश्चिम में पैंतालीस हजार योजन आगे जाने पर जम्बूद्वीप की पश्चिम दिशा के अन्त में तथा लवणसमुद्र के पश्चिमार्ध के पूर्व में शीतोदा महानदी के आगे हैं। यावत् वहाँ जयन्त नामका महर्द्धिक देव है और उसकी राजधानी जयन्त द्वार के पश्चिम में तिर्यक् असंख्य द्वीप – समुद्रों को पार करने पर आदि जानना। हे भगवन् ! जम्बूद्वीप का अपराजित नाम का द्वार कहाँ है ? गौतम! मेरुपर्वत के उत्तर में पैंतालीस हजार योजन आगे जाने पर जम्बूद्वीप की उत्तर दिशा के अन्त में तथा लवणसमुद्र के उत्तरार्ध के दक्षिण में है। उसका प्रमाण विजयद्वार के समान है। उसकी राजधानी अपराजित द्वार के उत्तर में तिर्यक् असंख्यात द्वीप – समुद्रों को लाँघने के बाद आदि यावत् वहाँ अपराजित नामका महर्द्धिक देव है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Jambuddivassa divassa vejayamte namam dare pannatte? Goyama! Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa dakkhinenam panayalisam joyanasahassaim abadhae jambuddive dive dahinaperamte lavanasamuddadahinaddhassa uttarenam, ettha nam jambuddivassa divassa vejayamte namam dare pannatte–attha joyanaim uddham uchchattenam, sachcheva savva vattavvata java dare. Kahi nam bhamte! Rayahani dahine nam java vejayamte deve vejayamte deve. Kahi nam bhamte! Jambuddivassa divassa jayamte namam dare pannatte? Goyama! Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa pachchatthimenam panayalisam joyanasahassaim jambuddive dive pachchatthimaperamte lavanasamudda-pachchatthimaddhassa puratthimenam siodae mahanadie uppim ettha nam jambuddivassa divassa jayamte namam dare pannatte. Tam cheva se pamanam jayamte deve pachchatthimenam se rayahani java emahiddhie. Kahi nam bhamte! Jambuddivassa divassa aparaie namam dare pannatte? Goyama! Mamdarassa uttarenam panayalisam joyanasahassaim abahae jambuddive dive uttaraperamte lavanasamuddassa uttaraddhassa dahinenam, ettha nam jambuddive dive aparaie namam dare pannatte tam cheva pamanam. Rayahani uttarenam java aparaie deve. Chaunhavi annammi jambuddive. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavan ! Jambudvipa ka vaijayanta ka dvara kaham hai\? He gautama ! Jambudvipa mem meruparvata ke dakshina mem paimtalisa hajara yojana jane para usa dvipa ki dakshina disha ke anta mem tatha dakshina disha ke lavanasamudra se uttara mem haim. Yaha atha yojana umcha aura chara yojana chaura hai – yavat yaha vaijayanta dvara nitya hai. Bhagavan ! Vaijayanta deva ki vaijayanti namaka rajadhani kaham hai\? Gautama ! Vaijayanta dvara ki dakshina disha mem tiryak asamkhyeya dvipasamudrom ko para karane para adi varnana vijayadvara ke tulya kahana yavat vaham vaijayanta namaka maharddhika deva hai. He bhagavan ! Jambudvipa ka jayanta namaka dvara kaham hai\? Gautama ! Jambudvipa ke meruparvata ke pashchima mem paimtalisa hajara yojana age jane para jambudvipa ki pashchima disha ke anta mem tatha lavanasamudra ke pashchimardha ke purva mem shitoda mahanadi ke age haim. Yavat vaham jayanta namaka maharddhika deva hai aura usaki rajadhani jayanta dvara ke pashchima mem tiryak asamkhya dvipa – samudrom ko para karane para adi janana. He bhagavan ! Jambudvipa ka aparajita nama ka dvara kaham hai\? Gautama! Meruparvata ke uttara mem paimtalisa hajara yojana age jane para jambudvipa ki uttara disha ke anta mem tatha lavanasamudra ke uttarardha ke dakshina mem hai. Usaka pramana vijayadvara ke samana hai. Usaki rajadhani aparajita dvara ke uttara mem tiryak asamkhyata dvipa – samudrom ko lamghane ke bada adi yavat vaham aparajita namaka maharddhika deva hai. |