Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005856 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
त्रिविध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
त्रिविध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 56 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] इत्थी णं भंते! इत्थित्ति कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! एक्केणादेसेण–जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं दसुत्तरं पलिओवमसयं पुव्वकोडिपुहत्तमब्भहियं। एक्केणादेसेण–जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अट्ठारस पलिओवमाइं पुव्वकोडीपुहत्तमब्भहियाइं। एक्केणादेसेण–जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं चउद्दस पलिओवमाइं पुव्वकोडिपुहत्तमब्भहियाइं। एक्केणादेसेण–जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं पलिओवमसयं पुव्वकोडीपुहत्तमब्भहियं। एक्केणादेसेण–जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं पलिओवमपुहत्तं पुव्वकोडीपुहत्तमब्भहियं। तिरिक्खजोणित्थी णं भंते! तिरिक्खजोणित्थित्ति कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमाइं पुव्वकोडीपुहत्तमब्भहियाइं। जलयरीए जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडीपुहत्तं। चउप्पयथलयरीए जहा ओहियाए। उरपरिसप्पि भुयपरिसप्पित्थीणं जहा जलयरीणं। खहयरीए जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं पुव्वकोडि-पुहत्तमब्भहियं। मनुस्सित्थी णं भंते! कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! खेत्तं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं पुव्वकोडीपुहत्तमब्भहियाइं। धम्मचरणं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी। एवं कम्मभूमियावि भरहेरवयावि, नवरं–खेत्तं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं देसूणपुव्वकोडिमब्भहियाइं। धम्मचरणं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी। पुव्वविदेहअवरविदेहित्थीणं खेत्तं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडीपुहत्तं। धम्मचरणं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी। अकम्मभूमिकमनुस्सित्थी णं भंते! अकम्मभूमिकमनुस्सित्थित्ति कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणं पलिओवमं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं। संहरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतो मुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं देसूणाए पुव्वकोडीए अब्भहियाइं। हेमवएरण्णवए अकम्मभूमिकमनुस्सित्थी णं भंते! हेमवएरण्णवए अकम्मभूमिक-मनुस्सित्थित्ति कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणं पलिओवमं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊनगं, उक्कोसेणं पलिओवमं। संहरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतो-मुहुत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमं देसूणाए पुव्वकोडीए अब्भहियं। हरिवासरम्मगवासअकम्मभूमिगमनुस्सित्थी णं भंते! हरिवासरम्मगवासअकम्मभूमिग- मनुस्सित्थित्ति कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणाइं दो पलिओवमाइं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगाइं, उक्कोसेणं दो पलिओवमाइं। संहरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दो पलिओवमाइं देसूणपुव्वकोडिमब्भहियाइं। उत्तरकुरुदेवकुरुअकम्मभूमिगमनुस्सित्थी णं भंते! उत्तरकुरुदेवकुरुअकम्मभूमिगमनुस्सि-त्थित्ति कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणाइं तिन्नि पलिओवमाइं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगाइं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं। संहरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं देसूणाए पुव्वकोडीए अब्भहियाइं। अंतरदीवाकम्मभूमिगमनुस्सित्थी णं भंते! अंतरदीवाकम्मभूमिगमनुस्सित्थित्ति कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेण ऊणं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं। संहरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं देसूणाए पुव्वकोडीए अब्भहियं। देवित्थी णं भंते! देवित्थित्ति कालओ, जच्चेव संचिट्ठणा। | ||
Sutra Meaning : | हे भगवन् ! स्त्री, स्त्रीरूप में लगातार कितने समय तक रह सकती है ? गौतम ! एक अपेक्षा से जघन्य एक समय और उत्कृष्ट पूर्वकोटी पृथक्त्व अधिक एक सौ दस पल्योपम तक, दूसरी अपेक्षा से जघन्य एक समय और उत्कृष्ट से पूर्वकोटी पृथक्त्व अधिक अठारह पल्योपम तक, तीसरी अपेक्षा से जघन्य एक समय और उत्कर्ष से पूर्वकोटीपृथक्त्व अधिक चौदह पल्योपम तक, चौथी अपेक्षा से जघन्य एक समय और उत्कर्ष से पूर्वकोटी पृथक्त्व अधिक एक सौ पल्योपम तक और पाँचवी अपेक्षा से जघन्य एक समय और उत्कर्ष से पूर्वकोटी पृथक्त्व अधिक पल्योपम पृथक्त्व तक स्त्री, स्त्रीरूप में रह सकती है। हे भगवन् ! तिर्यंचस्त्री, तिर्यंचस्त्री के रूप में कितने समय तक रह सकती है ? गौतम ! जघन्य से अन्तमुहूर्त्त और उत्कर्ष से पूर्वकोटी पृथक्त्व अधिक तीन पल्योपम तक। जलचरी जघन्य से अन्तमुहूर्त्त और उत्कर्ष से पूर्वकोटी पृथक्त्व तक। चतुष्पदस्थलचरी के सम्बन्ध में औघिक तिर्यंचस्त्री की तरह जानना। उरपरिसर्पस्त्री और भुजपरिसर्पस्त्री के संबंध में जलचरी की तरह कहना। खेचरी खेचरस्त्री के रूप में जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट से पूर्वकोटी पृथक्त्व अधिक पल्योपम के असंख्यातवें भाग प्रमाण काल तक रह सकती है। भन्ते ! मनुष्यस्त्री, मनुष्यस्त्री के रूप में कितने काल तक रहती है ? गौतम ! क्षेत्र की अपेक्षा जघन्य अन्त – मुहूर्त्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटी पृथक्त्व अधिक तीन पल्योपम, चारित्रधर्म की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी। इसी प्रकार कर्मभूमिक और भरत ऐरवत क्षेत्र की स्त्रियों के सम्बन्ध में जानना। विशेषता यह है कि क्षेत्र की अपेक्षा से जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी अधिक तीन पल्योपम तक और चारित्रधर्म की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी तक अवस्थानकाल है। पूर्वविदेह पश्चिमविदेह की स्त्रियों के सम्बन्ध में क्षेत्र की अपेक्षा जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटीपृथक्त्व और धर्माचरण की अपेक्षा जघन्य एक समय, उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी। भगवन् ! अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्री अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्री के रूप में कितने काल तक रह सकती है ? गौतम ! जन्म की अपेक्षा जघन्य से देशोन एक पल्योपम और उत्कृष्ट से तीन पल्योपम तक। संहरण की अपेक्षा जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट से देशोनपूर्वकोटी अधिक तीन पल्योपम। भगवन् ! हेमवत – एरण्यवत – अकर्मभूमिक मनुष्यस्त्री हेमवत – एरण्यवत – अकर्मभूमिक मनुष्यस्त्री के रूप में कितने काल तक रह सकती है ? गौतम ! जन्म की अपेक्षा जघन्य से देशोन एक पल्योपम और उत्कर्ष से एक पल्योपम तक। संहरण की अपेक्षा जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी अधिक एक पल्योपम तक। भगवन् ! हरिवास – रम्यकवास – अकर्मभूमिक – मनुष्यस्त्री हरिवास – रम्यकवास – अकर्मभूमिक – मनुष्यस्त्री के रूप में कितने काल तक रह सकती है ? गौतम ! जन्म की अपेक्षा से जघन्यतः देशोन दो पल्योपम तक और उत्कृष्ट से दो पल्योपम तक। संहरण की अपेक्षा से जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी अधिक दो पल्योपम तक। देवकुरु – उत्तरकुरु की स्त्रियों का अवस्थानकाल जन्म की अपेक्षा देशोन तीन पल्योपम और उत्कृष्ट से तीन पल्योपम है। संहरण की अपेक्षा जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी अधिक तीन पल्योपम। भगवन् ! अन्तरद्वीपों की अकर्मभूमि की मनुष्य स्त्रियों का उस रूप में अवस्थानकाल कितना है ? गौतम ! जन्म की अपेक्षा जघन्य से देशोनपल्योपम का असंख्यातवाँ भाग कम पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग है और उत्कृष्ट से पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग है। संहरण की अपेक्षा जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी अधिक पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग। भगवन् ! देवस्त्री देवस्त्री के रूप में कितने काल तक रह सकती है ? गौतम ! जो उसकी भवस्थिति है, वही उसका अवस्थानकाल है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] itthi nam bhamte! Itthitti kalao kevachchiram hoi? Goyama! Ekkenadesena–jahannenam ekkam samayam, ukkosenam dasuttaram paliovamasayam puvvakodipuhattamabbhahiyam. Ekkenadesena–jahannenam ekkam samayam, ukkosenam attharasa paliovamaim puvvakodipuhattamabbhahiyaim. Ekkenadesena–jahannenam ekkam samayam, ukkosenam chauddasa paliovamaim puvvakodipuhattamabbhahiyaim. Ekkenadesena–jahannenam ekkam samayam, ukkosenam paliovamasayam puvvakodipuhattamabbhahiyam. Ekkenadesena–jahannenam ekkam samayam, ukkosenam paliovamapuhattam puvvakodipuhattamabbhahiyam. Tirikkhajonitthi nam bhamte! Tirikkhajonitthitti kalao kevachchiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam paliovamaim puvvakodipuhattamabbhahiyaim. Jalayarie jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam puvvakodipuhattam. Chauppayathalayarie jaha ohiyae. Uraparisappi bhuyaparisappitthinam jaha jalayarinam. Khahayarie jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam paliovamassa asamkhejjaibhagam puvvakodi-puhattamabbhahiyam. Manussitthi nam bhamte! Kalao kevachchiram hoi? Goyama! Khettam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tinni paliovamaim puvvakodipuhattamabbhahiyaim. Dhammacharanam paduchcha jahannenam ekkam samayam, ukkosenam desuna puvvakodi. Evam kammabhumiyavi bharaheravayavi, navaram–khettam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tinni paliovamaim desunapuvvakodimabbhahiyaim. Dhammacharanam paduchcha jahannenam ekkam samayam, ukkosenam desuna puvvakodi. Puvvavidehaavaravidehitthinam khettam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam puvvakodipuhattam. Dhammacharanam paduchcha jahannenam ekkam samayam, ukkosenam desuna puvvakodi. Akammabhumikamanussitthi nam bhamte! Akammabhumikamanussitthitti kalao kevachchiram hoi? Goyama! Jammanam paduchcha jahannenam desunam paliovamam paliovamassa asamkhejjaibhagenam unam, ukkosenam tinni paliovamaim. Samharanam paduchcha jahannenam amto muhuttam, ukkosenam tinni paliovamaim desunae puvvakodie abbhahiyaim. Hemavaerannavae akammabhumikamanussitthi nam bhamte! Hemavaerannavae akammabhumika-manussitthitti kalao kevachchiram hoi? Goyama! Jammanam paduchcha jahannenam desunam paliovamam paliovamassa asamkhejjaibhagenam unagam, ukkosenam paliovamam. Samharanam paduchcha jahannenam amto-muhuttam, ukkosenam paliovamam desunae puvvakodie abbhahiyam. Harivasarammagavasaakammabhumigamanussitthi nam bhamte! Harivasarammagavasaakammabhumiga- manussitthitti kalao kevachchiram hoi? Goyama! Jammanam paduchcha jahannenam desunaim do paliovamaim paliovamassa asamkhejjaibhagenam unagaim, ukkosenam do paliovamaim. Samharanam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam do paliovamaim desunapuvvakodimabbhahiyaim. Uttarakurudevakuruakammabhumigamanussitthi nam bhamte! Uttarakurudevakuruakammabhumigamanussi-tthitti kalao kevachchiram hoi? Goyama! Jammanam paduchcha jahannenam desunaim tinni paliovamaim paliovamassa asamkhejjaibhagenam unagaim, ukkosenam tinni paliovamaim. Samharanam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tinni paliovamaim desunae puvvakodie abbhahiyaim. Amtaradivakammabhumigamanussitthi nam bhamte! Amtaradivakammabhumigamanussitthitti kalao kevachchiram hoi? Goyama! Jammanam paduchcha jahannenam desunam paliovamassa asamkhejjaibhagam paliovamassa asamkhejjaibhagena unam, ukkosenam paliovamassa asamkhejjaibhagam. Samharanam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam paliovamassa asamkhejjaibhagam desunae puvvakodie abbhahiyam. Devitthi nam bhamte! Devitthitti kalao, jachcheva samchitthana. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavan ! Stri, strirupa mem lagatara kitane samaya taka raha sakati hai\? Gautama ! Eka apeksha se jaghanya eka samaya aura utkrishta purvakoti prithaktva adhika eka sau dasa palyopama taka, dusari apeksha se jaghanya eka samaya aura utkrishta se purvakoti prithaktva adhika atharaha palyopama taka, tisari apeksha se jaghanya eka samaya aura utkarsha se purvakotiprithaktva adhika chaudaha palyopama taka, chauthi apeksha se jaghanya eka samaya aura utkarsha se purvakoti prithaktva adhika eka sau palyopama taka aura pamchavi apeksha se jaghanya eka samaya aura utkarsha se purvakoti prithaktva adhika palyopama prithaktva taka stri, strirupa mem raha sakati hai. He bhagavan ! Tiryamchastri, tiryamchastri ke rupa mem kitane samaya taka raha sakati hai\? Gautama ! Jaghanya se antamuhurtta aura utkarsha se purvakoti prithaktva adhika tina palyopama taka. Jalachari jaghanya se antamuhurtta aura utkarsha se purvakoti prithaktva taka. Chatushpadasthalachari ke sambandha mem aughika tiryamchastri ki taraha janana. Uraparisarpastri aura bhujaparisarpastri ke sambamdha mem jalachari ki taraha kahana. Khechari khecharastri ke rupa mem jaghanya antamuhurtta aura utkrishta se purvakoti prithaktva adhika palyopama ke asamkhyatavem bhaga pramana kala taka raha sakati hai. Bhante ! Manushyastri, manushyastri ke rupa mem kitane kala taka rahati hai\? Gautama ! Kshetra ki apeksha jaghanya anta – muhurtta aura utkrishta purvakoti prithaktva adhika tina palyopama, charitradharma ki apeksha jaghanya eka samaya aura utkrishta deshonapurvakoti. Isi prakara karmabhumika aura bharata airavata kshetra ki striyom ke sambandha mem janana. Visheshata yaha hai ki kshetra ki apeksha se jaghanya antamuhurtta aura utkrishta deshonapurvakoti adhika tina palyopama taka aura charitradharma ki apeksha jaghanya eka samaya aura utkrishta deshonapurvakoti taka avasthanakala hai. Purvavideha pashchimavideha ki striyom ke sambandha mem kshetra ki apeksha jaghanya antamuhurtta aura utkrishta purvakotiprithaktva aura dharmacharana ki apeksha jaghanya eka samaya, utkrishta deshonapurvakoti. Bhagavan ! Akarmabhumi ki manushyastri akarmabhumi ki manushyastri ke rupa mem kitane kala taka raha sakati hai\? Gautama ! Janma ki apeksha jaghanya se deshona eka palyopama aura utkrishta se tina palyopama taka. Samharana ki apeksha jaghanya antamuhurtta aura utkrishta se deshonapurvakoti adhika tina palyopama. Bhagavan ! Hemavata – eranyavata – akarmabhumika manushyastri hemavata – eranyavata – akarmabhumika manushyastri ke rupa mem kitane kala taka raha sakati hai\? Gautama ! Janma ki apeksha jaghanya se deshona eka palyopama aura utkarsha se eka palyopama taka. Samharana ki apeksha jaghanya antamuhurtta aura utkrishta deshonapurvakoti adhika eka palyopama taka. Bhagavan ! Harivasa – ramyakavasa – akarmabhumika – manushyastri harivasa – ramyakavasa – akarmabhumika – manushyastri ke rupa mem kitane kala taka raha sakati hai\? Gautama ! Janma ki apeksha se jaghanyatah deshona do palyopama taka aura utkrishta se do palyopama taka. Samharana ki apeksha se jaghanya antamuhurtta aura utkrishta deshonapurvakoti adhika do palyopama taka. Devakuru – uttarakuru ki striyom ka avasthanakala janma ki apeksha deshona tina palyopama aura utkrishta se tina palyopama hai. Samharana ki apeksha jaghanya antamuhurtta aura utkrishta deshonapurvakoti adhika tina palyopama. Bhagavan ! Antaradvipom ki akarmabhumi ki manushya striyom ka usa rupa mem avasthanakala kitana hai\? Gautama ! Janma ki apeksha jaghanya se deshonapalyopama ka asamkhyatavam bhaga kama palyopama ka asamkhyatavam bhaga hai aura utkrishta se palyopama ka asamkhyatavam bhaga hai. Samharana ki apeksha jaghanya antamuhurtta aura utkrishta deshonapurvakoti adhika palyopama ka asamkhyatavam bhaga. Bhagavan ! Devastri devastri ke rupa mem kitane kala taka raha sakati hai\? Gautama ! Jo usaki bhavasthiti hai, vahi usaka avasthanakala hai. |