Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )

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Sr No : 1005855
Scripture Name( English ): Jivajivabhigam Translated Scripture Name : जीवाभिगम उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

त्रिविध जीव प्रतिपत्ति

Translated Chapter :

त्रिविध जीव प्रतिपत्ति

Section : Translated Section :
Sutra Number : 55 Category : Upang-03
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तिरिक्खजोणित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं। जलयरतिरिक्खजोणित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी। चउप्पयथलयरतिरिक्खजोणित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहा तिरिक्खजोणित्थीओ। उरपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी। एवं भुयपरिसप्पतिरिक्खजोणित्थीओ। एवं खहयरतिरिक्खत्थीणं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागो। मनुस्सित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! खेत्तं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं। धम्मचरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी। कम्मभूमयमनुस्सित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! खेत्तं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं। धम्मचरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी। भरहेरवयकम्मभूमगमनुस्सित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! खेत्तं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं। धम्मचरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्को-सेणं देसूणा पुव्वकोडी। पुव्वविदेहअवरविदेहकम्मभूमगमनुस्सित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! खेत्तं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी। धम्मचरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी। अकम्मभूमगमनुस्सित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणं पलिओवमं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओ-वमाइं। संहरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी। हेमवएरण्णवए जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणं पलिओवमं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगं, उक्कोसेणं पलिओवमं। संहरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी। हरिवासरम्मगवासअकम्मभूमगमनुस्सित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणाइं दो पलिओवमाइं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेण ऊणयाइं, उक्कोसेणं दो पलिओवमाइं। संहरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी। देवकुरुउत्तरकुरुअकम्मभूमगमनुस्सित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणाइं तिन्नि पलिओवमाइं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेण ऊणयाइं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं। संहरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी। अंतरदीवगअकम्मभूमगमनुस्सित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जम्मणं पडुच्च जहन्नेणं देसूणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेण ऊणयं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं। संहरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी। देवित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं दसवाससहस्साइं, उक्कोसेणं पणपन्नं पलिओवमाइं। भवनवासिदेवित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं दसवाससहस्साइं, उक्कोसेणं अद्धपंचमाइं पलिओवमाइं। एवं असुरकुमारभवनवासिदेवित्थियाए, नागकुमारभवनवासिदेवित्थियाए जहन्नेणं दसवास सहस्साइं, उक्कोसेणं देसूणाइं पलिओवमाइं। एवं सेसाणवि जाव थणियकुमारीणं। वाणमंतरीणं जहन्नेणं दसवाससहस्साइं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं। जोइसियदेवित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं अट्ठभाग-पलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं। चंदविमानजोइसियदेवित्थीणं जहन्नेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं तं चेव। सूरविमानजोइसियदेवित्थीणं जहन्नेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससएहिमब्भहियं गहविमानजोइसियदेवित्थीणं जहन्नेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं। नक्खत्तविमानजोइसियदेवित्थीणं जहन्नेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं चउभाग-पलिओवमं सातिरेगं। ताराविमानजोइसियदेवित्थीणं जहन्नेणं अट्ठभागपलिओवमं, उक्कोसेणं सातिरेगं अट्ठभाग-पलिओवमं। वेमानियदेवित्थीणं जहन्नेणं पलिओवमं, उक्कोसेणं पणपन्नं पलिओवमाइं। सोहम्मकप्पवेमानियदेवित्थीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं पलिओवमं, उक्कोसेणं सत्त पलिओवमाइं। ईसानदेवित्थीणं जहन्नेणं सातिरेगं पलिओवमं, उक्कोसेणं नव पलिओवमाइं।
Sutra Meaning : हे भगवन्‌ ! तिर्यक्‌योनि स्त्रियों की स्थिति कितने समय की है ? गौतम ! जघन्य से अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट से तीन पल्योपम की। भगवन्‌ ! जलचर तिर्यक्‌ योनि स्त्रियों की स्थिति ? गौतम ! जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटी की है। भगवन्‌ ! चतुष्पद स्थलचरतिर्यक्‌स्त्रियों की स्थिति क्या है ? गौतम ! जैसे तिर्यंचयोनिक स्त्रियों की स्थिति कही है वैसी जानना। भन्ते ! उरपरिसर्प स्थलचर तिर्यक्‌स्त्रियों की स्थिति कितने समय की है ? गौतम! जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटी। इसी तरह भुजपरिसर्प स्त्रियों की स्थिति भी समझना। इसी तरह खेचर – तिर्यक्‌स्त्रियों की स्थिति जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग है। हे भगवन्‌ ! मनुष्यस्त्रियों की कितने समय की स्थिति है ? गौतम ! क्षेत्र की अपेक्षा से जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की। चारित्रधर्म की अपेक्षा जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट कुछ कम पूर्वकोटी। भगवन्! कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियों की स्थिति कितनी है ? गौतम ! क्षेत्र को लेकर जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की स्थिति है और चारित्रधर्म को लेकर जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी। भगवन्‌ ! भरत और एरवत क्षेत्र की कर्मभूमि की मनुष्य स्त्रियों की स्थिति ? गौतम ! क्षेत्र की अपेक्षा से जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की स्थिति है। चारित्रधर्म की अपेक्षा से जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी। भन्ते ! पूर्वविदेह और पश्चिमविदेह की कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियों की स्थिति ? गौतम ! क्षेत्र की अपेक्षा से जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटी। चारित्रधर्म की अपेक्षा से जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी। भन्ते ! अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियों की स्थिति कितनी है ? गौतम ! जन्म की अपेक्षा से जघन्य कुछ कम पल्योपम। कुछ कम से तात्पर्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग से कम समझना चाहिए। उत्कृष्ट से तीन पल्योपम की स्थिति है। संहरण की अपेक्षा जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी है। हेमवत – ऐरण्यवत क्षेत्र की मनुष्यस्त्रियों की स्थिति जन्म की अपेक्षा जघन्य से देशोन पल्योपम और संहरण की अपेक्षा जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी है। भन्ते ! हरिवर्ष – रम्यकवर्ष की अकर्मभूमिक मनुष्य – स्त्रियों की स्थिति ? गौतम ! जन्म की अपेक्षा जघन्य से देशोन दो पल्योपम और उत्कृष्ट से दो पल्योपम की है। संहरण की अपेक्षा जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी है। भन्ते ! देवकुरु – उत्तरकुरु की अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियों की स्थिति ? गौतम ! जन्म की अपेक्षा जघन्य से देशोन तीन पल्योपम की अर्थात्‌ पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग कम तीन पल्योपम की है और उत्कृष्ट से तीन पल्योपम की है। संहरण की अपेक्षा से जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी है। भन्ते ! अन्तरद्वीपों की अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियों की स्थिति कितनी है ? गौतम ! जन्म की अपेक्षा देशोन पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग। अर्थात्‌ पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग उनकी जघन्य स्थिति है, उत्कृष्ट पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग है। संहरण की अपेक्षा जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटी है। हे भगवन्‌ ! देवस्त्रियों की कितने काल की स्थिति है ? गौतम ! जघन्य से दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट से पचपन पल्योपम की। भगवन्‌ ! भवनवासी देवस्त्रियों की कितनी स्थिति है ? गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट साढ़े चार पल्योपम। इसी प्रकार असुरकुमार भवनवासी देवस्त्रियों की, नागकुमार भवनवासी देवस्त्रियों की जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट देशोनपल्योपम की स्थिति जानना। इसी प्रकार सुपर्णकुमार यावत्‌ स्तनित – कुमार देवस्त्रियों की स्थिति जानना। वानव्यन्तर देवस्त्रियों की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष उत्कृष्ट स्थिति आधा पल्योपम की है। भन्ते ! ज्योतिष्क देवस्त्रियों की स्थिति कितने समय की है ? गौतम ! जघन्य से पल्योपम का आठवा भाग और उत्कृष्ट से पचास हजार वर्ष अधिक आधा पल्योपम है। चन्द्रविमान – ज्योतिष्क देवस्त्रियों की जघन्य स्थिति पल्योपम का चौथा भाग और उत्कृष्ट स्थिति वही पचास हजार वर्ष अधिक आधे पल्योपम की है। सूर्यविमान – ज्योतिष्क देवस्त्रियों की स्थिति जघन्य से पल्योपम का चौथा भाग और उत्कृष्ट से पाँच सौ वर्ष अधिक आधा पल्योपम है। ग्रहविमान – ज्योतिष्क देवस्त्रियों की स्थिति जघन्य से पल्योपम का चौथा भाग, उत्कृष्ट से आधा पल्योपम। नक्षत्रविमान – ज्योतिष्क देवस्त्रियों की स्थिति जघन्य से पल्योपम का चौथा भाग और उत्कृष्ट पाव पल्योपम से कुछ अधिक। ताराविमान – ज्योतिष्क देवस्त्रियों की जघन्य स्थिति पल्योपम का आठवा भाग और उत्कृष्ट स्थिति कुछ अधिक पल्योपम का आठवा भाग है। वैमानिक देवस्त्रियों की जघन्य स्थिति एक पल्योपम है और उत्कृष्ट स्थिति पचपन पल्योपम की है। भगवन्‌ ! सौधर्मकल्प की वैमानिक देवस्त्रियों की स्थिति कितनी है ? गौतम ! जघन्य से एक पल्योपम और उत्कृष्ट सात पल्योपम की स्थिति है। ईशानकल्प की वैमानिक देवस्त्रियों की स्थिति जघन्य से एक पल्योपम से कुछ अधिक और उत्कृष्ट नौ पल्योपम की है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tirikkhajonitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tinni paliovamaim. Jalayaratirikkhajonitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam puvvakodi. Chauppayathalayaratirikkhajonitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jaha tirikkhajonitthio. Uraparisappathalayaratirikkhajonitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam puvvakodi. Evam bhuyaparisappatirikkhajonitthio. Evam khahayaratirikkhatthinam jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam paliovamassa asamkhejjaibhago. Manussitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Khettam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tinni paliovamaim. Dhammacharanam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam desuna puvvakodi. Kammabhumayamanussitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Khettam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tinni paliovamaim. Dhammacharanam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam desuna puvvakodi. Bharaheravayakammabhumagamanussitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Khettam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tinni paliovamaim. Dhammacharanam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukko-senam desuna puvvakodi. Puvvavidehaavaravidehakammabhumagamanussitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Khettam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam puvvakodi. Dhammacharanam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam desuna puvvakodi. Akammabhumagamanussitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jammanam paduchcha jahannenam desunam paliovamam paliovamassa asamkhejjaibhagenam unagam, ukkosenam tinni palio-vamaim. Samharanam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam desuna puvvakodi. Hemavaerannavae jammanam paduchcha jahannenam desunam paliovamam paliovamassa asamkhejjaibhagenam unagam, ukkosenam paliovamam. Samharanam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam desuna puvvakodi. Harivasarammagavasaakammabhumagamanussitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jammanam paduchcha jahannenam desunaim do paliovamaim paliovamassa asamkhejjaibhagena unayaim, ukkosenam do paliovamaim. Samharanam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam desuna puvvakodi. Devakuruuttarakuruakammabhumagamanussitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jammanam paduchcha jahannenam desunaim tinni paliovamaim paliovamassa asamkhejjaibhagena unayaim, ukkosenam tinni paliovamaim. Samharanam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam desuna puvvakodi. Amtaradivagaakammabhumagamanussitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jammanam paduchcha jahannenam desunam paliovamassa asamkhejjaibhagam paliovamassa asamkhejjaibhagena unayam, ukkosenam paliovamassa asamkhejjaibhagam. Samharanam paduchcha jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam desuna puvvakodi. Devitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jahannenam dasavasasahassaim, ukkosenam panapannam paliovamaim. Bhavanavasidevitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jahannenam dasavasasahassaim, ukkosenam addhapamchamaim paliovamaim. Evam asurakumarabhavanavasidevitthiyae, nagakumarabhavanavasidevitthiyae jahannenam dasavasa sahassaim, ukkosenam desunaim paliovamaim. Evam sesanavi java thaniyakumarinam. Vanamamtarinam jahannenam dasavasasahassaim, ukkosenam addhapaliovamam. Joisiyadevitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jahannenam atthabhaga-paliovamam, ukkosenam addhapaliovamam pannasae vasasahassehim abbhahiyam. Chamdavimanajoisiyadevitthinam jahannenam chaubhagapaliovamam, ukkosenam tam cheva. Suravimanajoisiyadevitthinam jahannenam chaubhagapaliovamam, ukkosenam addhapaliovamam pamchahim vasasaehimabbhahiyam Gahavimanajoisiyadevitthinam jahannenam chaubhagapaliovamam, ukkosenam addhapaliovamam. Nakkhattavimanajoisiyadevitthinam jahannenam chaubhagapaliovamam, ukkosenam chaubhaga-paliovamam satiregam. Taravimanajoisiyadevitthinam jahannenam atthabhagapaliovamam, ukkosenam satiregam atthabhaga-paliovamam. Vemaniyadevitthinam jahannenam paliovamam, ukkosenam panapannam paliovamaim. Sohammakappavemaniyadevitthinam bhamte! Kevatiyam kalam thiti pannatta? Goyama! Jahannenam paliovamam, ukkosenam satta paliovamaim. Isanadevitthinam jahannenam satiregam paliovamam, ukkosenam nava paliovamaim.
Sutra Meaning Transliteration : He bhagavan ! Tiryakyoni striyom ki sthiti kitane samaya ki hai\? Gautama ! Jaghanya se antamuhurtta aura utkrishta se tina palyopama ki. Bhagavan ! Jalachara tiryak yoni striyom ki sthiti\? Gautama ! Jaghanya antamuhurtta aura utkrishta purvakoti ki hai. Bhagavan ! Chatushpada sthalacharatiryakstriyom ki sthiti kya hai\? Gautama ! Jaise tiryamchayonika striyom ki sthiti kahi hai vaisi janana. Bhante ! Uraparisarpa sthalachara tiryakstriyom ki sthiti kitane samaya ki hai\? Gautama! Jaghanya antamuhurtta aura utkrishta purvakoti. Isi taraha bhujaparisarpa striyom ki sthiti bhi samajhana. Isi taraha khechara – tiryakstriyom ki sthiti jaghanya antamuhurtta aura utkrishta palyopama ka asamkhyatavam bhaga hai. He bhagavan ! Manushyastriyom ki kitane samaya ki sthiti hai\? Gautama ! Kshetra ki apeksha se jaghanya antamuhurtta aura utkrishta tina palyopama ki. Charitradharma ki apeksha jaghanya antamuhurtta aura utkrishta kuchha kama purvakoti. Bhagavan! Karmabhumi ki manushyastriyom ki sthiti kitani hai\? Gautama ! Kshetra ko lekara jaghanya antamuhurtta aura utkrishta tina palyopama ki sthiti hai aura charitradharma ko lekara jaghanya antamuhurtta aura utkrishta deshonapurvakoti. Bhagavan ! Bharata aura eravata kshetra ki karmabhumi ki manushya striyom ki sthiti\? Gautama ! Kshetra ki apeksha se jaghanya antamuhurtta aura utkrishta tina palyopama ki sthiti hai. Charitradharma ki apeksha se jaghanya antamuhurtta aura utkrishta deshonapurvakoti. Bhante ! Purvavideha aura pashchimavideha ki karmabhumi ki manushyastriyom ki sthiti\? Gautama ! Kshetra ki apeksha se jaghanya antamuhurtta aura utkrishta purvakoti. Charitradharma ki apeksha se jaghanya antamuhurtta aura utkrishta deshonapurvakoti. Bhante ! Akarmabhumi ki manushyastriyom ki sthiti kitani hai\? Gautama ! Janma ki apeksha se jaghanya kuchha kama palyopama. Kuchha kama se tatparya palyopama ke asamkhyatavem bhaga se kama samajhana chahie. Utkrishta se tina palyopama ki sthiti hai. Samharana ki apeksha jaghanya antamuhurtta aura utkrishta deshonapurvakoti hai. Hemavata – airanyavata kshetra ki manushyastriyom ki sthiti janma ki apeksha jaghanya se deshona palyopama aura samharana ki apeksha jaghanya antamuhurtta aura utkrishta deshonapurvakoti hai. Bhante ! Harivarsha – ramyakavarsha ki akarmabhumika manushya – striyom ki sthiti\? Gautama ! Janma ki apeksha jaghanya se deshona do palyopama aura utkrishta se do palyopama ki hai. Samharana ki apeksha jaghanya antamuhurtta aura utkrishta deshonapurvakoti hai. Bhante ! Devakuru – uttarakuru ki akarmabhumi ki manushyastriyom ki sthiti\? Gautama ! Janma ki apeksha jaghanya se deshona tina palyopama ki arthat palyopama ka asamkhyatavam bhaga kama tina palyopama ki hai aura utkrishta se tina palyopama ki hai. Samharana ki apeksha se jaghanya antamuhurtta aura utkrishta deshonapurvakoti hai. Bhante ! Antaradvipom ki akarmabhumi ki manushyastriyom ki sthiti kitani hai\? Gautama ! Janma ki apeksha deshona palyopama ka asamkhyatavam bhaga. Arthat palyopama ke asamkhyatavem bhaga kama palyopama ka asamkhyatavam bhaga unaki jaghanya sthiti hai, utkrishta palyopama ka asamkhyatavam bhaga hai. Samharana ki apeksha jaghanya antamuhurtta aura utkrishta deshonapurvakoti hai. He bhagavan ! Devastriyom ki kitane kala ki sthiti hai\? Gautama ! Jaghanya se dasa hajara varsha aura utkrishta se pachapana palyopama ki. Bhagavan ! Bhavanavasi devastriyom ki kitani sthiti hai\? Gautama ! Jaghanya dasa hajara varsha aura utkrishta sarhe chara palyopama. Isi prakara asurakumara bhavanavasi devastriyom ki, nagakumara bhavanavasi devastriyom ki jaghanya dasa hajara varsha aura utkrishta deshonapalyopama ki sthiti janana. Isi prakara suparnakumara yavat stanita – kumara devastriyom ki sthiti janana. Vanavyantara devastriyom ki jaghanya sthiti dasa hajara varsha utkrishta sthiti adha palyopama ki hai. Bhante ! Jyotishka devastriyom ki sthiti kitane samaya ki hai\? Gautama ! Jaghanya se palyopama ka athava bhaga aura utkrishta se pachasa hajara varsha adhika adha palyopama hai. Chandravimana – jyotishka devastriyom ki jaghanya sthiti palyopama ka chautha bhaga aura utkrishta sthiti vahi pachasa hajara varsha adhika adhe palyopama ki hai. Suryavimana – jyotishka devastriyom ki sthiti jaghanya se palyopama ka chautha bhaga aura utkrishta se pamcha sau varsha adhika adha palyopama hai. Grahavimana – jyotishka devastriyom ki sthiti jaghanya se palyopama ka chautha bhaga, utkrishta se adha palyopama. Nakshatravimana – jyotishka devastriyom ki sthiti jaghanya se palyopama ka chautha bhaga aura utkrishta pava palyopama se kuchha adhika. Taravimana – jyotishka devastriyom ki jaghanya sthiti palyopama ka athava bhaga aura utkrishta sthiti kuchha adhika palyopama ka athava bhaga hai. Vaimanika devastriyom ki jaghanya sthiti eka palyopama hai aura utkrishta sthiti pachapana palyopama ki hai. Bhagavan ! Saudharmakalpa ki vaimanika devastriyom ki sthiti kitani hai\? Gautama ! Jaghanya se eka palyopama aura utkrishta sata palyopama ki sthiti hai. Ishanakalpa ki vaimanika devastriyom ki sthiti jaghanya se eka palyopama se kuchha adhika aura utkrishta nau palyopama ki hai.