Sutra Navigation: Upasakdashang ( उपासक दशांग सूत्र )

Search Details

Mool File Details

Anuvad File Details

Sr No : 1005109
Scripture Name( English ): Upasakdashang Translated Scripture Name : उपासक दशांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

अध्ययन-१ आनंद

Translated Chapter :

अध्ययन-१ आनंद

Section : Translated Section :
Sutra Number : 9 Category : Ang-07
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] इहखलु आनंदाइ! समणे भगवं महावीरे आनंदं समणोवासगं एवं वयासी–एवं खलु आनंदा! समणोवासएणं अभिगयजीवाजीवेणं उवलद्धपुण्णपावेणं आसव-संवर-निज्जर-किरिया-अहिगरण-बंधमोक्खकुसलेणं असहेज्जेणं, देवासुर-नाग-सुवण्ण-जक्ख-रक्खस-किन्नर-किंपुरिस-गरुल-गंधव्व-महोरगाइएहिं देवगणेहिं निग्गंथाओ पावयणाओ अनइक्कमणिज्जेणं सम्मत्तस्स पंच अति-यारा पेयाला जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा–१. संका, २. कंखा, ३. वितिगिच्छा, ४. परपासंडपसंसा, ५. परपासंडसंथवो। तयानंतरं च णं थूलयस्स पाणाइवायवेरमणस्स समणोवासएणं पंच अतियारा पेयाला जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा–१. बंधे २. वहे ३. छविच्छेदे ४. अतिभारे ५. भत्तपानवोच्छेदे। तयानंतरं च णं थूलयस्स मुसावायवेरमणस्स समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा न समायरियव्वा, तं जहा–१. सहसाभक्खाणे २. रहस्सब्भक्खाणे ३. सदारमंतभेए ४. मोसोवएसे ५. कूडलेहकरणे। तयानंतरं च णं थूलयस्स अदिन्नादानवेरमणस्स समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा–१. तेणाहडे २. तक्करप्पओगे ३. विरुद्धरज्जातिक्कमे ४. कूडतुल-कूडमाणे ५. तप्पडिरूवगववहारे। तयानंतरं च णं सदारसंतोसीए समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा–१. इत्तरियपरिग्गहियागमणं २. अपरिग्गहियागमणे ३. अनंगकिड्डा ४. परवीवाहकरणे ५. कामभोगे तिव्वाभिलासे। तयानंतरं च णं इच्छापरिमाणस्स समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा–१. खेत्तवत्थुपमाणातिक्कमे २. हिरण्णसुवण्णपमाणातिक्कमे ३. धणधन्न- पमाणातिक्कमे ४. दुपयचउप्पयपमाणातिक्कमे ५. कुवियपमाणातिक्कमे। तयानंतरं च णं दिसिवयस्स समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा १. उड्ढदिसिपमाणातिक्कमे २. अहोदिसिपमाणातिक्कमे ३. तिरियदिसिपमाणातिक्कमे ४. खेत्तवुड्ढी ५. सतिअंतरद्धा। तयानंतरं च णं उवभोगपरिभोगे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–भोयणओ कम्मओ य। भोयणओ समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा–१. सचित्ताहारे २. सचित्तपडिबद्धाहारे ३. अप्पउलिओसहिभक्खणया ४. दुप्पउलिओसहिभक्खणया ५. तुच्छोसहि-भक्खणया। कम्मओ णं समणोवासएणं पण्णरस कम्मादाणाइं जाणियव्वाइं, न समायरियव्वाइं, तं जहा–१. इंगालकम्मे २. वनकम्मे ३. साडीकम्मे ४. भाडीकम्मे ५. फोडीकम्मे ६. दंतवाणिज्जे ७. लक्खवाणिज्जे ८. रसवाणिज्जे ९. विसवाणिज्जे १०. केसवाणिज्जे ११. जंतपीलणकम्मे १२. निल्लंछणकम्मे १३. दवग्गिदावणया १४. सरदहतलागपरिसोसणया १५. असतीजणपोसणया। तयानंतरं च णं अणट्ठादंडवेरमणस्स समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा–१. कंदप्पे २. कुक्कुइए ३. मोहरिए ४. संजुत्ताहिकरणे ५. उवभोगपरिभोगा-तिरित्ते। तयानंतरं च णं सामाइयस्स समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा–१. मनदुप्पणिहाणे २. वइदुप्पणिहाणे ३. कायदुप्पणिहाणे ४. सामाइयस्स सतिअकरणया ५. सामाइयस्स अणवट्ठियस्स करणया। तयानंतरं च णं देसावगासियस्स समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा–१. आणवणप्पओगे २. पेसणवणप्पओगे ३. सद्दाणुवाए ४. रूवाणुवाए ५. बहियापोग्ग-लपक्खेवे। तयानंतरं च णं पोसहोववासस्स समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा–१. अप्पडिलेहिय-दुप्पडिलेहिय-सिज्जासंथारे २. अप्पमज्जिय-दुप्पमज्जिय-सिज्जासंथारे ३. अप्पडिलेहिय-दुप्पडिलेहिय-उच्चारपासवणभूमी ४. अप्पमज्जिय-उच्चारपासवणभूमी ५. पोसहोववासस्स सम्मं अननुपालणया। तयानंतरं च णं अहासंविभागस्स समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा–१. सचित्त निक्खेवणया २. सचित्तपिहणया ३. कालातिक्कमे ४. परववदेसे ५. मच्छरियया। तयानंतरं च णं अपच्छिममारणंतियसंलेहणाज्झूसणाराहणाए पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा –१. इहलोगासंसप्पओगे २. परलोगासंसप्पओगे ३. जीवियासंसप्पओगे ४. मरणासंसप्पओगे ५. कामभोगासंसप्पओगे।
Sutra Meaning : भगवान महावीर ने श्रमणोपासक आनन्द से कहा – आनन्द ! जिसने जीव, अजीव आदि पदार्थों के स्वरूप को यथावत्‌ रूप में जाना है, उसको सम्यक्त्व के पाँच प्रधान अतिचार जानने चाहिए और उनका आचरण नहीं करना चाहिए। यथा – शंका, कांक्षा, विचिकित्सा, पर – पाषंड – प्रशंसा तथा पर – पाषंड – संस्तव। इसके बाद श्रमणोपासक को स्थूल – प्राणातिपातविरमण व्रत के पाँच अतिचारों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। बन्ध, वध, छविच्छेद, अतिभार, भक्त – पान – व्यवच्छेद। तत्पश्चात्‌ स्थूल मृषावाद – विरमण व्रत के पाँच अतिचारों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। सहसा – अभ्याख्यान, रहस्य – अभ्याख्यान, स्वादरमंत्रभेद, मृषोपदेश, कूटलेखकरण। तदनन्तर स्थूल अदत्तादानविरमण – व्रत के पाँच अतिचारों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। स्नेहाहृत, तस्करप्रयोग, विरुद्धराज्यातिक्रम, कूटतुला – कूटमान, तत्प्रतिरूपकव्यवहार। तदनन्तर स्वदारसंतोष – व्रत के पाँच अतिचारों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। इत्वरिकपरिगृहीतागमन, अपरिगृहीतागमन, अनंगक्रीड़ा, पर – विवाहकरण तथा कामभोग – तीव्राभिलाष। श्रमणोपासक को ईच्छा – परिमाण – व्रत के पाँच अतिचारों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। क्षेत्रवास्तु – प्रमाणतिक्रम, हिरण्यस्वर्ण – प्रमाणातिक्रम, द्विपदचतुष्पद – प्रमाणातिक्रम, धनधान्य – प्रमाणातिक्रम, कुप्य – प्रमाणातिक्रम। तदनन्तर दिग्व्रत के पाँच अतिचारों को जानना चाहिए। उनका आचरण नहीं करना चाहिए। ऊर्ध्व – दिक्‌ – प्रमाणातिक्रम, अधोदिक – प्रमाणातिक्रम, तिर्यक्‌ – दिक – प्रमाणातिक्रम, क्षेत्र – वृद्धि, स्मृत्यन्तर्धान। उपभोग – परिभोग दो प्रकार का कहा गया है – भोजन की अपेक्षा से तथा कर्म की अपेक्षा से। भोजन की अपेक्षा से श्रमणोपासक को उपभोग – परिभोग व्रत के पाँच अतिचारों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। सचित्त आहार, सचित्त प्रतिबद्ध आहार, अपक्व औषधि – भक्षणता, दुष्पक्व औषधि – भक्षणता तथा तुच्छ औषधि – भक्षणता। कर्म की अपेक्षा से श्रमणोपासक को पन्द्रह कर्मादानों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। वे अंगारकर्म, वनकर्म, शकटकर्म, भाटीकर्म, स्फोटनकर्म, दन्तवाणिज्य, लाक्षावाणिज्य, रसवाणिज्य, रसवाणिज्य, विषवाणिज्य, केशवाणिज्य, यन्त्रपीडनकर्म, निर्लांछन – कर्म, दवाग्निदापन, सर – ह्रद – तडागशोषण तथा असती – जन – पोषण। उसके बाद श्रमणोपासक को अनर्थ – दंड – विरमण व्रत के पाँच अतिचारों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। कन्दर्प, कौत्कुच्य, मौखर्य, संयुक्ताधिकरण तथा उपभोग परिभोगातिरेक। तत्पश्चात्‌ श्रमणोपासक को सामायिक व्रत के पाँच अतिचारों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। मन – दुष्प्रणिधान, वचन – दुष्प्रणिधान, काय – दुष्प्रणिधान, सामायिक – स्मृति – अकरणता, सामायिक – अनवस्थित – करणता। तदनन्तर श्रमणोपासक को देशावकाशिक व्रत के पाँच अतिचारों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना। आनयन – प्रयोग, प्रेष्य – प्रयोग, शब्दानुपात, रूपानुपात तथा बहिःपुद्‌गल – प्रक्षेप। तदनन्तर श्रमणोपासक को पोषधोपवास व्रत के पाँच अतिचारों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। अप्रतिलेखितदुष्प्रतिलेखित – शय्या – संस्तारक, अप्रमार्जितदुष्प्रमार्जित – शय्यासंस्तारक, अप्रतिलेखितदुष्प्रतिलेखित उच्चारप्रस्रवण – भूमि, अप्रमार्जितदुष्प्रमार्जित – उच्चारप्रस्रवणभूमि तथा पोषधोपवास – सम्यक्‌ – अननुपालन। तत्पश्चात्‌ श्रमणोपासक को यथा – संविभाग व्रत के पाँच अतिचारों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। सचित्तनिक्षेपणता, सचित्तपिधान, कालातिक्रम, परव्यपदेश तथा मत्सरिता। तदनन्तर अपश्चिम – मरणांतिक – संलेषणा – जोषणाआराधना के पाँच अतिचारों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। इहलोक – आशंसाप्रयोग, परलोक – आशंसाप्रयोग, जीवित – आशंसाप्र०, मरण – आशंसाप्रo,काम – भोग – आशंसाप्र०
Mool Sutra Transliteration : [sutra] ihakhalu anamdai! Samane bhagavam mahavire anamdam samanovasagam evam vayasi–evam khalu anamda! Samanovasaenam abhigayajivajivenam uvaladdhapunnapavenam asava-samvara-nijjara-kiriya-ahigarana-bamdhamokkhakusalenam asahejjenam, devasura-naga-suvanna-jakkha-rakkhasa-kinnara-kimpurisa-garula-gamdhavva-mahoragaiehim devaganehim niggamthao pavayanao anaikkamanijjenam sammattassa pamcha ati-yara peyala janiyavva, na samayariyavva, tam jaha–1. Samka, 2. Kamkha, 3. Vitigichchha, 4. Parapasamdapasamsa, 5. Parapasamdasamthavo. Tayanamtaram cha nam thulayassa panaivayaveramanassa samanovasaenam pamcha atiyara peyala janiyavva, na samayariyavva, tam jaha–1. Bamdhe 2. Vahe 3. Chhavichchhede 4. Atibhare 5. Bhattapanavochchhede. Tayanamtaram cha nam thulayassa musavayaveramanassa samanovasaenam pamcha atiyara janiyavva na samayariyavva, tam jaha–1. Sahasabhakkhane 2. Rahassabbhakkhane 3. Sadaramamtabhee 4. Mosovaese 5. Kudalehakarane. Tayanamtaram cha nam thulayassa adinnadanaveramanassa samanovasaenam pamcha atiyara janiyavva, na samayariyavva, tam jaha–1. Tenahade 2. Takkarappaoge 3. Viruddharajjatikkame 4. Kudatula-kudamane 5. Tappadiruvagavavahare. Tayanamtaram cha nam sadarasamtosie samanovasaenam pamcha atiyara janiyavva, na samayariyavva, tam jaha–1. Ittariyapariggahiyagamanam 2. Apariggahiyagamane 3. Anamgakidda 4. Paravivahakarane 5. Kamabhoge tivvabhilase. Tayanamtaram cha nam ichchhaparimanassa samanovasaenam pamcha atiyara janiyavva, na samayariyavva, tam jaha–1. Khettavatthupamanatikkame 2. Hirannasuvannapamanatikkame 3. Dhanadhanna- pamanatikkame 4. Dupayachauppayapamanatikkame 5. Kuviyapamanatikkame. Tayanamtaram cha nam disivayassa samanovasaenam pamcha atiyara janiyavva, na samayariyavva, tam jaha 1. Uddhadisipamanatikkame 2. Ahodisipamanatikkame 3. Tiriyadisipamanatikkame 4. Khettavuddhi 5. Satiamtaraddha. Tayanamtaram cha nam uvabhogaparibhoge duvihe pannatte, tam jaha–bhoyanao kammao ya. Bhoyanao samanovasaenam pamcha atiyara janiyavva, na samayariyavva, tam jaha–1. Sachittahare 2. Sachittapadibaddhahare 3. Appauliosahibhakkhanaya 4. Duppauliosahibhakkhanaya 5. Tuchchhosahi-bhakkhanaya. Kammao nam samanovasaenam pannarasa kammadanaim janiyavvaim, na samayariyavvaim, tam jaha–1. Imgalakamme 2. Vanakamme 3. Sadikamme 4. Bhadikamme 5. Phodikamme 6. Damtavanijje 7. Lakkhavanijje 8. Rasavanijje 9. Visavanijje 10. Kesavanijje 11. Jamtapilanakamme 12. Nillamchhanakamme 13. Davaggidavanaya 14. Saradahatalagaparisosanaya 15. Asatijanaposanaya. Tayanamtaram cha nam anatthadamdaveramanassa samanovasaenam pamcha atiyara janiyavva, na samayariyavva, tam jaha–1. Kamdappe 2. Kukkuie 3. Moharie 4. Samjuttahikarane 5. Uvabhogaparibhoga-tiritte. Tayanamtaram cha nam samaiyassa samanovasaenam pamcha atiyara janiyavva, na samayariyavva, tam jaha–1. Manaduppanihane 2. Vaiduppanihane 3. Kayaduppanihane 4. Samaiyassa satiakaranaya 5. Samaiyassa anavatthiyassa karanaya. Tayanamtaram cha nam desavagasiyassa samanovasaenam pamcha atiyara janiyavva, na samayariyavva, tam jaha–1. Anavanappaoge 2. Pesanavanappaoge 3. Saddanuvae 4. Ruvanuvae 5. Bahiyapogga-lapakkheve. Tayanamtaram cha nam posahovavasassa samanovasaenam pamcha atiyara janiyavva, na samayariyavva, tam jaha–1. Appadilehiya-duppadilehiya-sijjasamthare 2. Appamajjiya-duppamajjiya-sijjasamthare 3. Appadilehiya-duppadilehiya-uchcharapasavanabhumi 4. Appamajjiya-uchcharapasavanabhumi 5. Posahovavasassa sammam ananupalanaya. Tayanamtaram cha nam ahasamvibhagassa samanovasaenam pamcha atiyara janiyavva, na samayariyavva, tam jaha–1. Sachitta nikkhevanaya 2. Sachittapihanaya 3. Kalatikkame 4. Paravavadese 5. Machchhariyaya. Tayanamtaram cha nam apachchhimamaranamtiyasamlehanajjhusanarahanae pamcha atiyara janiyavva, na samayariyavva, tam jaha –1. Ihalogasamsappaoge 2. Paralogasamsappaoge 3. Jiviyasamsappaoge 4. Maranasamsappaoge 5. Kamabhogasamsappaoge.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavana mahavira ne shramanopasaka ananda se kaha – ananda ! Jisane jiva, ajiva adi padarthom ke svarupa ko yathavat rupa mem jana hai, usako samyaktva ke pamcha pradhana atichara janane chahie aura unaka acharana nahim karana chahie. Yatha – shamka, kamksha, vichikitsa, para – pashamda – prashamsa tatha para – pashamda – samstava. Isake bada shramanopasaka ko sthula – pranatipataviramana vrata ke pamcha aticharom ko janana chahie, unaka acharana nahim karana chahie. Bandha, vadha, chhavichchheda, atibhara, bhakta – pana – vyavachchheda. Tatpashchat sthula mrishavada – viramana vrata ke pamcha aticharom ko janana chahie, unaka acharana nahim karana chahie. Sahasa – abhyakhyana, rahasya – abhyakhyana, svadaramamtrabheda, mrishopadesha, kutalekhakarana. Tadanantara sthula adattadanaviramana – vrata ke pamcha aticharom ko janana chahie, unaka acharana nahim karana chahie. Snehahrita, taskaraprayoga, viruddharajyatikrama, kutatula – kutamana, tatpratirupakavyavahara. Tadanantara svadarasamtosha – vrata ke pamcha aticharom ko janana chahie, unaka acharana nahim karana chahie. Itvarikaparigrihitagamana, aparigrihitagamana, anamgakrira, para – vivahakarana tatha kamabhoga – tivrabhilasha. Shramanopasaka ko ichchha – parimana – vrata ke pamcha aticharom ko janana chahie, unaka acharana nahim karana chahie. Kshetravastu – pramanatikrama, hiranyasvarna – pramanatikrama, dvipadachatushpada – pramanatikrama, dhanadhanya – pramanatikrama, kupya – pramanatikrama. Tadanantara digvrata ke pamcha aticharom ko janana chahie. Unaka acharana nahim karana chahie. Urdhva – dik – pramanatikrama, adhodika – pramanatikrama, tiryak – dika – pramanatikrama, kshetra – vriddhi, smrityantardhana. Upabhoga – paribhoga do prakara ka kaha gaya hai – bhojana ki apeksha se tatha karma ki apeksha se. Bhojana ki apeksha se shramanopasaka ko upabhoga – paribhoga vrata ke pamcha aticharom ko janana chahie, unaka acharana nahim karana chahie. Sachitta ahara, sachitta pratibaddha ahara, apakva aushadhi – bhakshanata, dushpakva aushadhi – bhakshanata tatha tuchchha aushadhi – bhakshanata. Karma ki apeksha se shramanopasaka ko pandraha karmadanom ko janana chahie, unaka acharana nahim karana chahie. Ve amgarakarma, vanakarma, shakatakarma, bhatikarma, sphotanakarma, dantavanijya, lakshavanijya, rasavanijya, rasavanijya, vishavanijya, keshavanijya, yantrapidanakarma, nirlamchhana – karma, davagnidapana, sara – hrada – tadagashoshana tatha asati – jana – poshana. Usake bada shramanopasaka ko anartha – damda – viramana vrata ke pamcha aticharom ko janana chahie, unaka acharana nahim karana chahie. Kandarpa, kautkuchya, maukharya, samyuktadhikarana tatha upabhoga paribhogatireka. Tatpashchat shramanopasaka ko samayika vrata ke pamcha aticharom ko janana chahie, unaka acharana nahim karana chahie. Mana – dushpranidhana, vachana – dushpranidhana, kaya – dushpranidhana, samayika – smriti – akaranata, samayika – anavasthita – karanata. Tadanantara shramanopasaka ko deshavakashika vrata ke pamcha aticharom ko janana chahie, unaka acharana nahim karana. Anayana – prayoga, preshya – prayoga, shabdanupata, rupanupata tatha bahihpudgala – prakshepa. Tadanantara shramanopasaka ko poshadhopavasa vrata ke pamcha aticharom ko janana chahie, unaka acharana nahim karana chahie. Apratilekhitadushpratilekhita – shayya – samstaraka, apramarjitadushpramarjita – shayyasamstaraka, apratilekhitadushpratilekhita uchcharaprasravana – bhumi, apramarjitadushpramarjita – uchcharaprasravanabhumi tatha poshadhopavasa – samyak – ananupalana. Tatpashchat shramanopasaka ko yatha – samvibhaga vrata ke pamcha aticharom ko janana chahie, unaka acharana nahim karana chahie. Sachittanikshepanata, sachittapidhana, kalatikrama, paravyapadesha tatha matsarita. Tadanantara apashchima – maranamtika – samleshana – joshanaaradhana ke pamcha aticharom ko janana chahie, unaka acharana nahim karana chahie. Ihaloka – ashamsaprayoga, paraloka – ashamsaprayoga, jivita – ashamsapra0, marana – ashamsapro,kama – bhoga – ashamsapra0