Sutra Navigation: Upasakdashang ( उपासक दशांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005108 | ||
Scripture Name( English ): | Upasakdashang | Translated Scripture Name : | उपासक दशांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-१ आनंद |
Translated Chapter : |
अध्ययन-१ आनंद |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 8 | Category : | Ang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं से आनंदे गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए तप्पढमयाए थूलयं पाणाइवायं पच्चक्खाइ जावज्जीवाए दुविहं तिविहेणं–न करेमि न कारवेमि, मनसा वयसा कायसा। तयानंतरं च णं थूलयं मुसावायं पच्चक्खाइ जावज्जीवाए दुविहं तिविहेणं–न करेमि न कारवेमि, मनसा वयसा कायसा। तयानंतरं च णं थूलयं अदिण्णादाणं पच्चक्खाइ जावज्जीवाए दुविहं तिविहेणं–न करेमि न कारवेमि, मनसा वयसा कायसा। तयानंतरं च णं सदारसंतोसीए परिमाणं करेइ–नन्नत्थ एक्काए सिवनंदाए भारियाए, अवसेसं सव्वं मेहुणविहिं पच्चक्खाइ। तयानंतरं च णं इच्छापरिमाणं करेमाणे– (१) हिरण्ण-सुवण्णविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ चउहिं हिरण्णकोडीहिं निहाणपउत्ताहिं, चउहिं वड्ढिपउत्ताहिं, चउहिं पवित्थर-पउत्ताहिं, अवसेसं सव्वं हिरण्ण-सुवण्णविहिं पच्चक्खाइ। (२) तयानंतरं च णं चउप्पयविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ चउहिं वएहिं दसगोसाहस्सिएणं वएणं, अवसेसं सव्वं चउप्पयविहिं पच्चक्खाइ। (३) तयानंतरं च णं खेत्त-वत्थुविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ पंचहिं एलसएहिं नियत्तणसतिएणं हलेणं, अवसेसं सव्वं खेत्त-वत्थु विहिं पच्चक्खाइ। (४) तयानंतरं च णं सगडविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ पंचहिं सगडसएहिं दिसायत्तिएहिं, पंचहिं सगडसएहिं संवहणिएहिं, अवसेसं सव्वं सगडविहिं पच्चक्खाइ। (५) तयानंतरं च णं वाहणविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ चउहिं वाहणेहिं दिसायत्तिएहिं, चउहिं वाहणेहिं संवहणिएहिं, अवसेसं सव्वं वाहनविहिं पच्चक्खाइ। तयानंतरं च णं उवभोग-परिभोगविहिं पच्चक्खायमाणे– (१) उल्लणियाविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ एगाए गंधकासाईए, अवसेसं सव्वं उल्लणियाविहिं पच्चक्खाइ। (२) तयानंतरं च णं दंतवणविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ एगेणं अल्ललट्ठीमहुएणं, अवसेसं सव्वं दंतवणविहिं पच्चक्खाइ। (३) तयानंतरं च णं फलविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ एगेणं खीरामलएणं, अवसेसं सव्वं फलविहिं पच्चक्खाइ। (४) तयानंतरं च णं अब्भंगणविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ सयपागसहस्सपागेहिं तेल्लेहिं, अवसेसं सव्वं अब्भंगणविहिं पच्चक्खाइ। (५) तयानंतरं च णं उव्वट्टणाविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ एगेणं सुरभिणा गंधट्टएणं, अवसेसं सव्वं उव्वट्टणाविहिं पच्चक्खाइ। (६) तयानंतरं च णं मज्जणविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ अट्ठहिं उट्टिएहिं उदगस्स घडेहिं, अवसेसं सव्वं मज्जनविहिं पच्चक्खाइ। (७) तयानंतरं च णं वत्थविहिपरिमाणं करेइ– नन्नत्थ एगेणं खोमजुयलेणं, अवसेसं सव्वं वत्थविहिं पच्चक्खाइ। (८) तयानंतरं च णं विलेवणविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ अगरु-कुंकुम-चंदनमादिएहिं, अवसेसं सव्वं विलेवनविहिं पच्चक्खाइ। (९) तयानंतरं च णं पुप्फविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ एगेणं सुद्धपउमेणं मालइकुसुमदामेण वा, अवसेसं सव्वं पुप्फविहिं पच्चक्खाइ। (१०) तयानंतरं च णं आभरणविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ मट्ठकण्णेज्जएहिं नाममुद्दाए य, अवसेसं सव्वं आभरणविहिं पच्चक्खाइ। (११) तयानंतरं च णं धूवणविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ अगरु-तुरुक्क-धूवमादिएहिं, अवसेसं सव्वं धूवणविहिं पच्चक्खाइ। (१२) तयानंतरं च णं भोयणविहिपरिमाणं करेमाणे– (क) पेज्ज-विहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ एगाए कट्ठपेज्जाए, अवसेसं सव्वं पेज्जविहिं पच्चक्खाइ। (ख) तयानंतरं च णं भक्खविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ एगेहिं घयपुण्णेहिं खंडखज्जएहिं वा, अवसेसं सव्वं भक्खविहिं पच्चक्खाइ। (ग) तयानंतरं च णं ओदनविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ कलमसालिओदणेणं, अवसेसं सव्वं ओदनविहिं पच्चक्खाइ। (घ) तयानंतरं च सूवविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ कलायसूवेण वा मुग्गसूवेण वा माससूवेण वा अवसेसं सव्वं सूवविहिं पच्चक्खाइ। (ङ) तयानंतरं च णं घयविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ सारदिएणं गोघयमंडेणं, अवसेसं सव्वं घयविहिं पच्चक्खाइ। (च) तयानंतरं च णं सागविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ वत्थुसाएण वा तुंबसाएण वा सुत्थिसाएण वा मंडुक्कियसाएण वा, अव-सेसं सव्वं सोगविहिं पच्चक्खाइ। (छ) तयानंतरं च णं माहुरयविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ एगेणं पालंकामाहुरएणं, अवसेसं सव्वं माहुरयविहिं पच्चक्खाइ। (ज) तयानंतरं च णं तेमणविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ सेहंबदालियंबेहिं, अवसेसं सव्वं तेमणविहिं पच्चक्खाइ। (झ) तयानंतरं च णं पाणियविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ एगेणं अंतलिक्खोदएणं, अवसेसं सव्वं पाणियविहिं पच्चक्खाइ। (ञ) तयानंतरं च णं मुहवासविहिपरिमाणं करेइ–नन्नत्थ पंचसोगंधिएणं तंबोलेणं, अवसेसं सव्वं मुहवासविहिं पच्चक्खाइ। तयानंतरं च णं चउव्विहं अनट्ठादंडं पच्चक्खाइ, तं जहा–१. अवज्झाणाचरित्तं, २. पमायाचरित्तं, ३. हिंसप्पयाणं, ४. पावकम्मोवदेसे। | ||
Sutra Meaning : | तब आनन्द गाथापति ने श्रमण भगवान महावीर के पास प्रथम स्थूल प्राणातिपात – परित्याग किया। मैं जीवन पर्यन्त दो करण – करना, कराना तथा तीन योग – मन, वचन एवं काया से स्थूल हिंसा का परित्याग करता हूँ, तदनन्तर उसने स्थूल मृषावाद – का परित्याग किया, मैं जीवन भर के लिए दो कारण और तीन योग से स्थूल मृषावाद का परित्याग किया, मैं जीवनभर के लिए दो कारण और तीन योग से स्थूल मृषावाद का परित्याग करता हूँ। उसके बाद उसने स्थूल अदत्तादान का परित्याग किया। मैं जीवनभर के लिए दो करण और तीन योग से स्थूल चोरी का परित्याग करता हूँ। फिर उसने स्वदारसंतोष व्रत के अन्तर्गत मैथुन का परिमाण किया। अपनी एकमात्र पत्नी शिवनंदा के अतिरिक्त अवशेष समग्र मैथुनविधि का परित्याग करता हूँ। तब उसने – परिग्रह का परिमाण करते हुए – निधान चार करोड़ स्वर्ण – मुद्राओं, व्यापार – प्रयुक्त चार करोड़ स्वर्ण – मुद्राओं तथा घर व घर के उपकरणों में प्रयुक्त चार करोड़ स्वर्ण – मुद्राओं के अतिरिक्त मैं समस्त स्वर्ण – मुद्राओं का परित्याग करता हूँ। फिर उसने चतुष्पद – विधि परिमाण किया। दस – दस हजार के चार गोकुलों के अतिरिक्त मैं बाकी सभी चौपाए पशुओं के परिग्रह का परित्याग करता हूँ। फिर उसने क्षेत्र – वास्तु – विधि का परिमाण किया – सौ निवर्तन के एक हल के हिसाब से पाँच सौ हलों के अतिरिक्त मैं समस्त क्षेत्र – का परित्याग करता हूँ। तत्पश्चात् उसने शकटविधि का परिमाण किया। पाँच सौ गाड़ियाँ बाहर यात्रा में तथा पाँच सौ गाड़ियाँ माल ढ़ोने आदि में प्रयुक्त – के सिवाय मैं सब गाड़ियों के परिग्रह का परित्याग करता हूँ। फिर उसने वाहनविधि – का परिमाण किया। पाँच सौ वाहन दिग् – यात्रिक तथा पाँच सौ गृह – उपकरण के सन्दर्भ में प्रयुक्त – के सिवाय मैं सब प्रकार के वाहन रूप परिग्रह का परित्याग करता हूँ। फिर उसने उपभोग – परिभोग – विधि का प्रत्याख्यान करते हुए भीगे हुए शरीर को पोंछने के तौलिए आदि परिमाण किया। मैं सुगन्धित और लाल – एक प्रकार के अंगोछे के अतिरिक्त सभी अंगोछे रूप परिग्रह का परित्याग करता हूँ। तत्पश्चात् उसने दतौन के संबंध में परिमाण किया – हरि मुलहठी के अतिरिक्त मैं सब प्रकार के दतौनों का परित्याग करता हूँ। तदनन्तर उसने फलविधि का परिमाण किया – मैं क्षीर आमलक – के सिवाय शेष फल – विधि का परित्याग करता हूँ। उसके बाद उसने अभ्यंगन – विधि का परिमाण किया – शतपाक तथा सहस्रपाक तैलों के अतिरिक्त और सभी मालिश के तैलों का परित्याग करता हूँ। इसके बाद उसने उबटन – विधि का परित्याग किया। एक मात्र सुगन्धित गंधाटक – अतिरिक्त अन्य सभी उबटनों का मैं परित्याग करता हूँ। उसके बाद उसने स्नान – विधि का परिमाण किया। पानी के आठ औष्ट्रिक – (घड़े) के अतिरिक्त स्नानार्थ जल का परित्याग करता हूँ। उसने वस्त्रविधि का परिमाण किया – सूती दो वस्त्रों के सिवाय मैं अन्य वस्त्रों का परित्याग करता हूँ। उसने विलेपन विधि का परिमाण किया – अगर, कुंकुम तथा चन्दन के अतिरिक्त मैं सभी विलेपन – द्रव्यों का परित्याग करता हूँ। इसके पश्चात् उसने पुष्प – विधि का परिमाण किया – मैं श्वेत कमल तथा मालती के फूलों की माला के सिवाय सभी फूलों का परित्याग करता हूँ। तब उसने आभरण – विधि का परिमाण किया – मैं शुद्ध सोने सादे कुंडल और नामांकित मुद्रिका के सिवाय सब प्रकार के गहनों का परित्याग करता हूँ। तदनन्तर उसने धूपनविधि का परिमाण किया। अगर, लोबान तथा धूप के सिवाय मैं सभी धूपनीय वस्तुओं का परित्याग करता हूँ उसने भोजन – विधि का परिमाण किया। मैं एकमात्र काष्ठ पेय अतिरिक्त सभी पेय पदार्थों का परित्याग करता हूँ। उसने भक्ष्य – विधि का परिमाण किया। मैं – घेवर और खाजे के सिवाय और सभी पकवानों का परित्याग करता हूँ। उसने ओदनविधि का परिमाण किया – कलम जाति के धान चावलों के सिवाय मैं और सभी प्रकार के चावलों का परित्याग करता हूँ। उसने सूपविधि का परिमाण किया। मटर, मूँग और उरद की दाल के सिवाय मैं सभी दालों का परित्याग करता हूँ। घृतविधि का परिमाण किया। शरद ऋतु के उत्तम गो – घृत के सिवाय में सभी प्रकार के घृत का परित्याग करता हूँ। उसने शाकविधि का परिमाण किया। बथुआ, लौकी, सुआपालक तथा भिंड़ी – इन सागों के सिवाय और सब प्रकार के सागों का परित्याग करता हूँ। माधुरकविधि का परिमाण किया। मैं पालंग माधुरक के गोंद से बनाए मधुर पेय के सिवाय अन्य सभी पेयों का परित्याग करता हूँ। व्यंजनविधि का परिमाण किया। मैं कांजी बड़े तथा खटाई बड़े मूँग आदि की दाल के पकौड़ों के सिवाय सब प्रकार के पदार्थों का परित्याग करता हूँ। पीने के पानी का परिमाण किया। मैं एकमात्र आकाश से गिरे – पानी के सिवाय अन्य सब प्रकार के पानी का परित्याग करता हूँ। मुखवासविधि का परिमाण किया। पाँच सुगन्धित वस्तुओ से युक्त पान के सिवाय मैं सभी पदार्थों का परित्याग करता हूँ।तत्पश्चात् उसने चार प्रकार के अनर्थदण्ड – अपध्यानाचरित, प्रमादाचरित, हिंस्र – प्रदान तथा पापकर्मोपदेश का प्रत्याख्यान किया। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam se anamde gahavai samanassa bhagavao mahavirassa amtie tappadhamayae thulayam panaivayam pachchakkhai javajjivae duviham tivihenam–na karemi na karavemi, manasa vayasa kayasa. Tayanamtaram cha nam thulayam musavayam pachchakkhai javajjivae duviham tivihenam–na karemi na karavemi, manasa vayasa kayasa. Tayanamtaram cha nam thulayam adinnadanam pachchakkhai javajjivae duviham tivihenam–na karemi na karavemi, manasa vayasa kayasa. Tayanamtaram cha nam sadarasamtosie parimanam karei–nannattha ekkae sivanamdae bhariyae, avasesam savvam mehunavihim pachchakkhai. Tayanamtaram cha nam ichchhaparimanam karemane– (1) hiranna-suvannavihiparimanam karei–nannattha chauhim hirannakodihim nihanapauttahim, chauhim vaddhipauttahim, chauhim pavitthara-pauttahim, avasesam savvam hiranna-suvannavihim pachchakkhai. (2) tayanamtaram cha nam chauppayavihiparimanam karei–nannattha chauhim vaehim dasagosahassienam vaenam, avasesam savvam chauppayavihim pachchakkhai. (3) tayanamtaram cha nam khetta-vatthuvihiparimanam karei–nannattha pamchahim elasaehim niyattanasatienam halenam, avasesam savvam khetta-vatthu vihim pachchakkhai. (4) tayanamtaram cha nam sagadavihiparimanam karei–nannattha pamchahim sagadasaehim disayattiehim, pamchahim sagadasaehim samvahaniehim, avasesam savvam sagadavihim pachchakkhai. (5) tayanamtaram cha nam vahanavihiparimanam karei–nannattha chauhim vahanehim disayattiehim, chauhim vahanehim samvahaniehim, avasesam savvam vahanavihim pachchakkhai. Tayanamtaram cha nam uvabhoga-paribhogavihim pachchakkhayamane– (1) ullaniyavihiparimanam karei–nannattha egae gamdhakasaie, avasesam savvam ullaniyavihim pachchakkhai. (2) tayanamtaram cha nam damtavanavihiparimanam karei–nannattha egenam allalatthimahuenam, avasesam savvam damtavanavihim pachchakkhai. (3) tayanamtaram cha nam phalavihiparimanam karei–nannattha egenam khiramalaenam, avasesam savvam phalavihim pachchakkhai. (4) tayanamtaram cha nam abbhamganavihiparimanam karei–nannattha sayapagasahassapagehim tellehim, avasesam savvam abbhamganavihim pachchakkhai. (5) tayanamtaram cha nam uvvattanavihiparimanam karei–nannattha egenam surabhina gamdhattaenam, avasesam savvam uvvattanavihim pachchakkhai. (6) tayanamtaram cha nam majjanavihiparimanam karei–nannattha atthahim uttiehim udagassa ghadehim, avasesam savvam majjanavihim pachchakkhai. (7) tayanamtaram cha nam vatthavihiparimanam karei– nannattha egenam khomajuyalenam, avasesam savvam vatthavihim pachchakkhai. (8) tayanamtaram cha nam vilevanavihiparimanam karei–nannattha agaru-kumkuma-chamdanamadiehim, avasesam savvam vilevanavihim pachchakkhai. (9) tayanamtaram cha nam pupphavihiparimanam karei–nannattha egenam suddhapaumenam malaikusumadamena va, avasesam savvam pupphavihim pachchakkhai. (10) tayanamtaram cha nam abharanavihiparimanam karei–nannattha matthakannejjaehim namamuddae ya, avasesam savvam abharanavihim pachchakkhai. (11) tayanamtaram cha nam dhuvanavihiparimanam karei–nannattha agaru-turukka-dhuvamadiehim, avasesam savvam dhuvanavihim pachchakkhai. (12) tayanamtaram cha nam bhoyanavihiparimanam karemane– (ka) pejja-vihiparimanam karei–nannattha egae katthapejjae, avasesam savvam pejjavihim pachchakkhai. (kha) tayanamtaram cha nam bhakkhavihiparimanam karei–nannattha egehim ghayapunnehim khamdakhajjaehim va, avasesam savvam bhakkhavihim pachchakkhai. (ga) tayanamtaram cha nam odanavihiparimanam karei–nannattha kalamasaliodanenam, avasesam savvam odanavihim pachchakkhai. (gha) tayanamtaram cha suvavihiparimanam karei–nannattha kalayasuvena va muggasuvena va masasuvena va avasesam savvam suvavihim pachchakkhai. (nga) tayanamtaram cha nam ghayavihiparimanam karei–nannattha saradienam goghayamamdenam, avasesam savvam ghayavihim pachchakkhai. (cha) tayanamtaram cha nam sagavihiparimanam karei–nannattha vatthusaena va tumbasaena va sutthisaena va mamdukkiyasaena va, ava-sesam savvam sogavihim pachchakkhai. (chha) tayanamtaram cha nam mahurayavihiparimanam karei–nannattha egenam palamkamahuraenam, avasesam savvam mahurayavihim pachchakkhai. (ja) tayanamtaram cha nam temanavihiparimanam karei–nannattha sehambadaliyambehim, avasesam savvam temanavihim pachchakkhai. (jha) tayanamtaram cha nam paniyavihiparimanam karei–nannattha egenam amtalikkhodaenam, avasesam savvam paniyavihim pachchakkhai. (nya) tayanamtaram cha nam muhavasavihiparimanam karei–nannattha pamchasogamdhienam tambolenam, avasesam savvam muhavasavihim pachchakkhai. Tayanamtaram cha nam chauvviham anatthadamdam pachchakkhai, tam jaha–1. Avajjhanacharittam, 2. Pamayacharittam, 3. Himsappayanam, 4. Pavakammovadese. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Taba ananda gathapati ne shramana bhagavana mahavira ke pasa prathama sthula pranatipata – parityaga kiya. Maim jivana paryanta do karana – karana, karana tatha tina yoga – mana, vachana evam kaya se sthula himsa ka parityaga karata hum, tadanantara usane sthula mrishavada – ka parityaga kiya, maim jivana bhara ke lie do karana aura tina yoga se sthula mrishavada ka parityaga kiya, maim jivanabhara ke lie do karana aura tina yoga se sthula mrishavada ka parityaga karata hum. Usake bada usane sthula adattadana ka parityaga kiya. Maim jivanabhara ke lie do karana aura tina yoga se sthula chori ka parityaga karata hum. Phira usane svadarasamtosha vrata ke antargata maithuna ka parimana kiya. Apani ekamatra patni shivanamda ke atirikta avashesha samagra maithunavidhi ka parityaga karata hum. Taba usane – parigraha ka parimana karate hue – nidhana chara karora svarna – mudraom, vyapara – prayukta chara karora svarna – mudraom tatha ghara va ghara ke upakaranom mem prayukta chara karora svarna – mudraom ke atirikta maim samasta svarna – mudraom ka parityaga karata hum. Phira usane chatushpada – vidhi parimana kiya. Dasa – dasa hajara ke chara gokulom ke atirikta maim baki sabhi chaupae pashuom ke parigraha ka parityaga karata hum. Phira usane kshetra – vastu – vidhi ka parimana kiya – sau nivartana ke eka hala ke hisaba se pamcha sau halom ke atirikta maim samasta kshetra – ka parityaga karata hum. Tatpashchat usane shakatavidhi ka parimana kiya. Pamcha sau gariyam bahara yatra mem tatha pamcha sau gariyam mala rhone adi mem prayukta – ke sivaya maim saba gariyom ke parigraha ka parityaga karata hum. Phira usane vahanavidhi – ka parimana kiya. Pamcha sau vahana dig – yatrika tatha pamcha sau griha – upakarana ke sandarbha mem prayukta – ke sivaya maim saba prakara ke vahana rupa parigraha ka parityaga karata hum. Phira usane upabhoga – paribhoga – vidhi ka pratyakhyana karate hue bhige hue sharira ko pomchhane ke taulie adi parimana kiya. Maim sugandhita aura lala – eka prakara ke amgochhe ke atirikta sabhi amgochhe rupa parigraha ka parityaga karata hum. Tatpashchat usane datauna ke sambamdha mem parimana kiya – hari mulahathi ke atirikta maim saba prakara ke dataunom ka parityaga karata hum. Tadanantara usane phalavidhi ka parimana kiya – maim kshira amalaka – ke sivaya shesha phala – vidhi ka parityaga karata hum. Usake bada usane abhyamgana – vidhi ka parimana kiya – shatapaka tatha sahasrapaka tailom ke atirikta aura sabhi malisha ke tailom ka parityaga karata hum. Isake bada usane ubatana – vidhi ka parityaga kiya. Eka matra sugandhita gamdhataka – atirikta anya sabhi ubatanom ka maim parityaga karata hum. Usake bada usane snana – vidhi ka parimana kiya. Pani ke atha aushtrika – (ghare) ke atirikta snanartha jala ka parityaga karata hum. Usane vastravidhi ka parimana kiya – suti do vastrom ke sivaya maim anya vastrom ka parityaga karata hum. Usane vilepana vidhi ka parimana kiya – agara, kumkuma tatha chandana ke atirikta maim sabhi vilepana – dravyom ka parityaga karata hum. Isake pashchat usane pushpa – vidhi ka parimana kiya – maim shveta kamala tatha malati ke phulom ki mala ke sivaya sabhi phulom ka parityaga karata hum. Taba usane abharana – vidhi ka parimana kiya – maim shuddha sone sade kumdala aura namamkita mudrika ke sivaya saba prakara ke gahanom ka parityaga karata hum. Tadanantara usane dhupanavidhi ka parimana kiya. Agara, lobana tatha dhupa ke sivaya maim sabhi dhupaniya vastuom ka parityaga karata hum Usane bhojana – vidhi ka parimana kiya. Maim ekamatra kashtha peya atirikta sabhi peya padarthom ka parityaga karata hum. Usane bhakshya – vidhi ka parimana kiya. Maim – ghevara aura khaje ke sivaya aura sabhi pakavanom ka parityaga karata hum. Usane odanavidhi ka parimana kiya – kalama jati ke dhana chavalom ke sivaya maim aura sabhi prakara ke chavalom ka parityaga karata hum. Usane supavidhi ka parimana kiya. Matara, mumga aura urada ki dala ke sivaya maim sabhi dalom ka parityaga karata hum. Ghritavidhi ka parimana kiya. Sharada ritu ke uttama go – ghrita ke sivaya mem sabhi prakara ke ghrita ka parityaga karata hum. Usane shakavidhi ka parimana kiya. Bathua, lauki, suapalaka tatha bhimri – ina sagom ke sivaya aura saba prakara ke sagom ka parityaga karata hum. Madhurakavidhi ka parimana kiya. Maim palamga madhuraka ke gomda se banae madhura peya ke sivaya anya sabhi peyom ka parityaga karata hum. Vyamjanavidhi ka parimana kiya. Maim kamji bare tatha khatai bare mumga adi ki dala ke pakaurom ke sivaya saba prakara ke padarthom ka parityaga karata hum. Pine ke pani ka parimana kiya. Maim ekamatra akasha se gire – pani ke sivaya anya saba prakara ke pani ka parityaga karata hum. Mukhavasavidhi ka parimana kiya. Pamcha sugandhita vastuo se yukta pana ke sivaya maim sabhi padarthom ka parityaga karata huM.Tatpashchat usane chara prakara ke anarthadanda – apadhyanacharita, pramadacharita, himsra – pradana tatha papakarmopadesha ka pratyakhyana kiya. |