Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1004499
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-३० समवसरण लेश्यादि

Translated Chapter :

शतक-३० समवसरण लेश्यादि

Section : उद्देशक-१ थी ११ Translated Section : उद्देशक-१ थी ११
Sutra Number : 999 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] किरियावादी णं भंते! नेरइया किं नेरइयाउयं–पुच्छा। गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मनुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति। अकिरियावादी णं भंते! नेरइया–पुच्छा। गोयमा! नो नेरइयाउयं, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मनुस्साउयं पि पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति। एवं अन्नाणियवादी वि, वेणइयवादी वि। सलेस्सा णं भंते! नेरइया किरियावादी किं नेरइयाउयं? एवं सव्वे वि नेरइया जे किरियावादी जे मनुस्साउयं एगं पकरेंति, जे अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवादी ते सव्वट्ठाणेसु वि नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मनुस्साउयं पि पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति, नवरं–सम्मामिच्छत्ते उवरिल्लेहिं दोहिं वि समोसरणेहिं न किंचि वि पकरेंति जहेव जीवपदे। एवं जाव थणियकुमारा जहेव नेरइया। अकिरियावादी णं भंते! पुढविक्काइया–पुच्छा। गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मनुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति। एवं अन्नाणिय-वादी वि। सलेस्सा णं भंते! एवं जं जं पदं अत्थि पुढविकाइयाणं तहिं तहिं मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु एवं चेव दुविहं आउयं पकरेंति, नवरं–तेउलेस्साए न किं पि पकरेंति। एवं आउक्काइयाण वि, वणस्सइ-काइयाण वि। तेउकाइआ वाउकाइआ सव्वट्ठाणेसु मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, नो मनुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति। बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदियाणं जहा पुढविकाइयाणं, नवरं–सम्मत्त-नाणेसु न एक्कं पि आउयं पकरेंति। किरियावादी णं भंते! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया किं नेरइयाउयं पकरेंति–पुच्छा। गोयमा! जहा मनपज्जवनाणी। अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवादी य चउव्विहं पि पकरेंति। जहा ओहिया तहा सलेस्सा वि। कण्हलेस्सा णं भंते! किरियावादी पंचिंदियतिरिक्खजोणिया किं नेरइयाणं–पुच्छा। गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं, नो मनुस्साउयं नो देवाउयं पकरेंति। अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवादी चउव्विहं पि पकरेंति। जहा कण्हलेस्सा एवं नीललेस्सा वि, काउलेस्सा वि। तेउलेस्सा जहा सलेस्सा, नवरं–अकिरियावादी, अन्नाणियवादी, वेणइयवादी य नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मनुस्साउयं पि पकरेंति देवाउयं पि पकरेंति। एवं पम्हलेस्सा वि। एवं सुक्कलेस्सा वि भाणियव्वा। कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउव्विहं पि आउयं पकरेंति। सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा। सम्मदिट्ठी जहा मनपज्जवनाणी तहेव वेमाणियाउय पकरेंति। मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया। सम्मामिच्छादिट्ठी ण य एक्कं पि पकरेंति जहेव नेरइया। नाणी जाव ओहिनाणी जहा सम्मद्दिट्ठी। अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया। सेसा जाव अनागारोवउत्ता सव्वे जहा सलेस्सा तहा चेव भाणियव्वा। जहा पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं वत्तव्वया भणिया एवं मनुस्साण वि भाणियव्वा, नवरं–मनपज्जवनाणी नोसण्णोवउत्ता य जहा सम्मद्दिट्ठी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणियव्वा। अलेस्सा केवलनाणी अवेदगा अकसायी अजोगी य एए न एगं पि आउयं पकरेंति। जहा ओहिया जीवा सेसं तहेव। वाणमंतर-जोइसिय वेमाणिया जहा असुरकुमारा। किरियावादी णं भंते! जीवा किं भवसिद्धीया? अभवसिद्धीया? गोयमा! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया। अकिरियावादी णं भंते! जीवा किं भवसिद्धीया–पुच्छा। गोयमा! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि। एवं अन्नाणियवादी वि, वेणइयवादी वि। सलेस्सा णं भंते! जीवा किरियावादी किं भवसिद्धीया–पुच्छा। गोयमा! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया। सलेस्सा णं भंते! जीवा अकिरियावादी किं भवसिद्धीया–पुच्छा। गोयमा! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि। एवं अन्नाणियवादी वि, वेणइयवादी वि जहा सलेस्सा। एवं जाव सुक्कलेस्सा। अलेस्सा णं भंते! जीवा किरियावादी किं भवसिद्धीया–पुच्छा। गोयमा! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया। एवं एएणं अभिलावेणं कण्हपक्खिया तिसु वि समोसरणेसु भयणाए। सुक्कपक्खिया चउसु वि समोसरणेसु भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया। सम्मदिट्ठी जहा अलेस्सा। मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया। सम्मा मिच्छादिट्ठी दोसु वि समोसरणेसु जहा अलेस्सा। नाणी जाव केवलनाणी भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया। अन्नाणी जाव विभंग-नाणी जहा कण्हपक्खिया। सण्णासु चउसु वि जहा सलेस्सा। नोसण्णोवउत्ता जहा सम्मदिट्ठी। सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा। अवेदगा जहा सम्मदिट्ठी। सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा। अकसायी जहा सम्मदिट्ठी। सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा। अजोगी जहा सम्मदिट्ठी। सागारोवउत्ता अनागारोवउत्ता जहा सलेस्सा। एवं नेरइया वि भाणियव्वा, नवरं–नायव्वं जं अत्थि। एवं असुरकुमारा वि जाव थणियकुमारा। पुढविक्काइया सव्वट्ठाणेसु वि मज्झिल्लेसु दोसु वि समोसरणेसु भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि। एवं जाव वणस्सइकाइया। बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदिया एवं चेव, नवरं–सम्मत्ते ओहिनाणे आभिनिबोहियनाणे सुयनाणे–एएसु चेव दोसु मज्झिमेसु समोसरणेसु भवसिद्धिया, नो अभवसिद्धिया, सेसं तं चेव। पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया, नवरं–नायव्वं जं अत्थि। मनुस्सा जहा ओहिया जीवा। वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! क्या क्रियावादी नैरयिक जीव नैरयिकायुष्य बाँधते हैं ? गौतम ! वे नारक, तिर्यञ्च और देव का आयुष्य नहीं बाँधते, किन्तु मनुष्य का आयुष्य बाँधते हैं। भगवन्‌ ! अक्रियावादी नैरयिक जीव नैरयिक का आयुष्य बाँधते हैं ? गौतम ! वे नैरयिक और देव का आयुष्य नहीं बाँधते, किन्तु तिर्यञ्च और मनुष्य का आयुष्य बाँधते हैं। इसी प्रकार अज्ञानवादी और विनयवादी नैरयिक के आयुष्यबन्ध के विषय में समझना चाहिए। भगवन्‌ ! क्या सलेश्य क्रियावादी नैरयिक, नैरयिकायुष्य बाँधते हैं ? गौतम ! सभी नैरयिक, जो क्रियावादी हैं, वे एकमात्र मनुष्या – युष्य ही बाँधते हैं तथा जो अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी नैरयिक हैं, वे सभी स्थानों में तिर्यञ्च और मनुष्य का आयुष्य बाँधते हैं। विशेष यह है कि सम्यग्‌मिथ्यादृष्टि अज्ञानवादी और विनयवादी इन दो समवसरणों में जीवपद के समान किसी भी प्रकार के आयुष्य का बन्ध नहीं करते। इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक नैरयिकों के समान जानना। भगवन्‌ ! अक्रियावादी पृथ्वीकायिक जीव नैरयिक का आयुष्य बाँधते हैं ? गौतम ! वे तिर्यञ्च और मनुष्य का आयुष्यबन्ध करते हैं। इसी प्रकार अज्ञानवादी (पृथ्वीकायिक) जीवों का आयुष्यबन्ध समझना। भगवन्‌ ! सलेश्य अक्रियावादी पृथ्वीकायिक जीव नैरयिक का आयुष्य बाँधते हैं ? गौतम ! जो – जो पद पृथ्वी – कायिक जीवों के होते हैं, उन – उन में अक्रियावादी और अज्ञानवादी, इन दो समवसरणों में इसी प्रकार मनुष्य और तिर्यञ्च आयुष्य बाँधते हैं। किन्तु तेजोलेश्या में तो किसी भी प्रकार का आयुष्यबन्ध नहीं होता। इसी प्रकार अप्कायिक और वनस्पतिकायिक जीवों का आयुष्य – बन्ध जानना। तेजस्कायिक और वायुकायिक जीव, सभी स्थानों में अक्रियावादी और अज्ञानवादी में, एकमात्र तिर्यञ्च का आयुष्य बाँधते हैं। द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतु – रिन्द्रिय जीवों का आयुष्यबन्ध पृथ्वीकायिक जीवों के तुल्य है। परन्तु सम्यक्त्व और ज्ञान में वे किसी भी आयुष्य का बन्ध नहीं करते। भगवन्‌ ! क्या क्रियावादी पंचेन्द्रियतिर्यञ्च नैरयिक का आयुष्य बाँधते हैं ? गौतम ! इनका आयुष्यबन्ध मनःपर्यवज्ञानी के समान है। अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी चारों प्रकार का आयुष्य बाँधते हैं। सलेश्य जीवों का निरूपण औघिक जीव के सदृश है। भगवन्‌ ! क्या कृष्णलेश्यी क्रियावादी पंचेन्द्रियतिर्यञ्च नैरयिक का आयुष्य बाँधते हैं ? गौतम ! वे नैरयिक यावत्‌ देव किसी का भी आयुष्य नहीं बाँधते। अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी चारों प्रकार का आयुष्यबन्ध करते हैं। नीललेश्यी और कापोतलेश्यी का आयुष्यबन्ध भी कृष्ण – लेश्यी के समान है। तेजोलेश्यी का आयुष्यबन्ध सलेश्य के समान है। परन्तु अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी जीव तिर्यञ्च, मनुष्य और देव का आयुष्य बाँधते हैं। इसी प्रकार पद्मलेश्यी और शुक्ललेश्यी जीवों को कहना। कृष्णपाक्षिक अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी चारों ही प्रकार का आयुष्यबन्ध करते हैं। शुक्ल – पाक्षिकों का कथन सलेश्य के समान है। सम्यग्दृष्टि जीव मनःपर्यवज्ञानी के सदृश वैमानिक देवों का आयुष्यबन्ध करते हैं। मिथ्यादृष्टि का आयुष्यबन्ध कृष्णपाक्षिक के समान है। सम्यग्‌मिथ्यादृष्टि जीव एक भी प्रकार का आयुष्यबन्ध नहीं करते। उनमें नैरयिकों के समान दो समवसरण होते हैं। ज्ञानी से लेकर अवधिज्ञानी तक के जीवों को सम्यग्दृष्टि जीवों के समान जानना। अज्ञानी से लेकर विभंगज्ञानी तक के जीवों को कृष्णपाक्षिकों के समान हैं। शेष सभी अनाकारोपयुक्त पर्यन्त जीवों को सलेश्य जीवों के समान कहना। पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक जीवों के समान मनुष्यों को कहना। विशेष यह है कि मनःपर्यवज्ञानी और नोसंज्ञोपयुक्त मनुष्यों का आयुष्यबन्ध – कथन सम्यग्दृष्टि तिर्यञ्चयोनिक के समान है। अलेश्यी, केवलज्ञानी, अवेदी, अकषायी और अयोगी, ये औघिक जीवों के समान किसी भी प्रकार का आयुष्यबन्ध नहीं करते। शेष पूर्ववत्‌। वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक जीवों को असुरकुमारों के समान जानना। भगवन्‌ ! क्रियावादी जीव भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक हैं ? गौतम ! वे अभवसिद्धिक नहीं, भव – सिद्धिक हैं। भगवन्‌ ! अक्रियावादी जीव भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक हैं ? गौतम ! वे भवसिद्धिक भी हैं और अभवसिद्धिक भी। इसी प्रकार अज्ञानवादी और विनयवादी जीवों को समझना। भगवन्‌ ! सलेश्य क्रियावादी जीव भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक हैं ? गौतम ! वे भवसिद्धिक हैं। भगवन्‌ ! सलेश्य अक्रियावादी जीव भव – सिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक ? गौतम ! वे भवसिद्धिक भी हैं और अभवसिद्धिक भी हैं। इसी प्रकार अज्ञानवादी और विनयवादी भी जानना। शुक्ललेश्यी पर्यन्त सलेश्य के समान जानना। भगवन्‌ ! अलेश्यी क्रियावादी जीव भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक हैं ? गौतम ! वे भवसिद्धिक हैं। इस अभिलाप से कृष्णपाक्षिक तीनों समवसरणों में भजना से भवसिद्धिक हैं। शुक्लपाक्षिक जीव चारों समवसरणों में भवसिद्धिक हैं। सम्यग्दृष्टि अलेश्यी जीवों के समान हैं। मिथ्यादृष्टि जीव कृष्णमाभिक के सदृश हैं। सम्यग्‌मिथ्या – दृष्टि जीव अज्ञानवादी और विनयवादी में अलेश्यी जीवों के समान भवसिद्धिक हैं। ज्ञानी से लेकर केवलज्ञानी तक भवसिद्धिक हैं। अज्ञानी से लेकर विभंगज्ञानी तक कृष्णपाक्षिकों के सदृश हैं। चारों संज्ञाओं से युक्त जीवों सलेश्य जीवों के समान हैं। नोसंज्ञोपयुक्त जीवों सम्यग्दृष्टि के समान हैं। सवेदी से लेकर नपुंसकवेदी जीवों सलेश्य जीवों के सदृश हैं। अवेदी जीवों सम्यग्दृष्टि के समान हैं। सकषायी यावत्‌ लोभकषायी, सलेश्य जीवों के समान जानना। अकषायी जीव सम्यग्दृष्टि के समान जानना। सयोगी यावत्‌ काययोगी जीव सलेश्यी के समान हैं। अयोगी जीव सम्यग्दृष्टि के सदृश हैं। साकारोपयुक्त और अनाकारोपयुक्त जीव सलेश्य जीवों के सदृश जानना। इसी प्रकार नैरयिकों के विषय में कहना, किन्तु उनमें जो बोल हों, वह कहना। इसी प्रकार असुरकुमारों से लेकर स्तनितकुमारों तक जानना। पृथ्वीकायिक जीव सभी स्थानों में मध्य के दोनों समवसरणों में भवसिद्धिक भी होते हैं और अभवसिद्धिक भी होते हैं। इसी प्रकार वनस्पतिकायिक पर्यन्त जानना चाहिए। द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों के विषय में भी इसी प्रकार जानना चाहिए। विशेष यह है कि सम्यक्त्व, औघिक ज्ञान, आभिनिबोधिकज्ञान और श्रुतज्ञान, इनके मध्य के दोनों समवसरणों में भवसिद्धिक हैं। शेष पूर्ववत्‌। पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक जीव नैरयिकों के सदृश जानना, किन्तु उनमें जो बोल पाये जाते हों, (वे सब कहने चाहिए)। मनुष्यों का कथन औघिक जीवों के समान है। वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिकों का निरूपण असुरकुमारों के समान जानना। ‘हे भगवन्‌ ! यह इसी प्रकार है
Mool Sutra Transliteration : [sutra] kiriyavadi nam bhamte! Neraiya kim neraiyauyam–puchchha. Goyama! No neraiyauyam pakaremti, no tirikkhajoniyauyam pakaremti, manussauyam pakaremti, no devauyam pakaremti. Akiriyavadi nam bhamte! Neraiya–puchchha. Goyama! No neraiyauyam, tirikkhajoniyauyam pi pakaremti, manussauyam pi pakaremti, no devauyam pakaremti. Evam annaniyavadi vi, venaiyavadi vi. Salessa nam bhamte! Neraiya kiriyavadi kim neraiyauyam? Evam savve vi neraiya je kiriyavadi je manussauyam egam pakaremti, je akiriyavadi annaniyavadi venaiyavadi te savvatthanesu vi no neraiyauyam pakaremti, tirikkhajoniyauyam pi pakaremti, manussauyam pi pakaremti, no devauyam pakaremti, navaram–sammamichchhatte uvarillehim dohim vi samosaranehim na kimchi vi pakaremti jaheva jivapade. Evam java thaniyakumara jaheva neraiya. Akiriyavadi nam bhamte! Pudhavikkaiya–puchchha. Goyama! No neraiyauyam pakaremti, tirikkhajoniyauyam pakaremti, manussauyam pakaremti, no devauyam pakaremti. Evam annaniya-vadi vi. Salessa nam bhamte! Evam jam jam padam atthi pudhavikaiyanam tahim tahim majjhimesu dosu samosaranesu evam cheva duviham auyam pakaremti, navaram–teulessae na kim pi pakaremti. Evam aukkaiyana vi, vanassai-kaiyana vi. Teukaia vaukaia savvatthanesu majjhimesu dosu samosaranesu no neraiyauyam pakaremti, tirikkhajoniyauyam pakaremti, no manussauyam pakaremti, no devauyam pakaremti. Beimdiya-teimdiya-chaurimdiyanam jaha pudhavikaiyanam, navaram–sammatta-nanesu na ekkam pi auyam pakaremti. Kiriyavadi nam bhamte! Pamchimdiyatirikkhajoniya kim neraiyauyam pakaremti–puchchha. Goyama! Jaha manapajjavanani. Akiriyavadi annaniyavadi venaiyavadi ya chauvviham pi pakaremti. Jaha ohiya taha salessa vi. Kanhalessa nam bhamte! Kiriyavadi pamchimdiyatirikkhajoniya kim neraiyanam–puchchha. Goyama! No neraiyauyam pakaremti, no tirikkhajoniyauyam, no manussauyam no devauyam pakaremti. Akiriyavadi annaniyavadi venaiyavadi chauvviham pi pakaremti. Jaha kanhalessa evam nilalessa vi, kaulessa vi. Teulessa jaha salessa, navaram–akiriyavadi, annaniyavadi, venaiyavadi ya no neraiyauyam pakaremti, tirikkhajoniyauyam pi pakaremti, manussauyam pi pakaremti devauyam pi pakaremti. Evam pamhalessa vi. Evam sukkalessa vi bhaniyavva. Kanhapakkhiya tihim samosaranehim chauvviham pi auyam pakaremti. Sukkapakkhiya jaha salessa. Sammaditthi jaha manapajjavanani taheva vemaniyauya pakaremti. Michchhaditthi jaha kanhapakkhiya. Sammamichchhaditthi na ya ekkam pi pakaremti jaheva neraiya. Nani java ohinani jaha sammadditthi. Annani java vibhamganani jaha kanhapakkhiya. Sesa java anagarovautta savve jaha salessa taha cheva bhaniyavva. Jaha pamchimdiya-tirikkhajoniyanam vattavvaya bhaniya evam manussana vi bhaniyavva, navaram–manapajjavanani nosannovautta ya jaha sammadditthi tirikkhajoniya taheva bhaniyavva. Alessa kevalanani avedaga akasayi ajogi ya ee na egam pi auyam pakaremti. Jaha ohiya jiva sesam taheva. Vanamamtara-joisiya vemaniya jaha asurakumara. Kiriyavadi nam bhamte! Jiva kim bhavasiddhiya? Abhavasiddhiya? Goyama! Bhavasiddhiya, no abhavasiddhiya. Akiriyavadi nam bhamte! Jiva kim bhavasiddhiya–puchchha. Goyama! Bhavasiddhiya vi, abhavasiddhiya vi. Evam annaniyavadi vi, venaiyavadi vi. Salessa nam bhamte! Jiva kiriyavadi kim bhavasiddhiya–puchchha. Goyama! Bhavasiddhiya, no abhavasiddhiya. Salessa nam bhamte! Jiva akiriyavadi kim bhavasiddhiya–puchchha. Goyama! Bhavasiddhiya vi, abhavasiddhiya vi. Evam annaniyavadi vi, venaiyavadi vi jaha salessa. Evam java sukkalessa. Alessa nam bhamte! Jiva kiriyavadi kim bhavasiddhiya–puchchha. Goyama! Bhavasiddhiya, no abhavasiddhiya. Evam eenam abhilavenam kanhapakkhiya tisu vi samosaranesu bhayanae. Sukkapakkhiya chausu vi samosaranesu bhavasiddhiya, no abhavasiddhiya. Sammaditthi jaha alessa. Michchhaditthi jaha kanhapakkhiya. Samma michchhaditthi dosu vi samosaranesu jaha alessa. Nani java kevalanani bhavasiddhiya, no abhavasiddhiya. Annani java vibhamga-nani jaha kanhapakkhiya. Sannasu chausu vi jaha salessa. Nosannovautta jaha sammaditthi. Savedaga java napumsagavedaga jaha salessa. Avedaga jaha sammaditthi. Sakasayi java lobhakasayi jaha salessa. Akasayi jaha sammaditthi. Sajogi java kayajogi jaha salessa. Ajogi jaha sammaditthi. Sagarovautta anagarovautta jaha salessa. Evam neraiya vi bhaniyavva, navaram–nayavvam jam atthi. Evam asurakumara vi java thaniyakumara. Pudhavikkaiya savvatthanesu vi majjhillesu dosu vi samosaranesu bhavasiddhiya vi, abhavasiddhiya vi. Evam java vanassaikaiya. Beimdiya-teimdiya-chaurimdiya evam cheva, navaram–sammatte ohinane abhinibohiyanane suyanane–eesu cheva dosu majjhimesu samosaranesu bhavasiddhiya, no abhavasiddhiya, sesam tam cheva. Pamchimdiyatirikkhajoniya jaha neraiya, navaram–nayavvam jam atthi. Manussa jaha ohiya jiva. Vanamamtara-joisiya-vemaniya jaha asurakumara Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Kya kriyavadi nairayika jiva nairayikayushya bamdhate haim\? Gautama ! Ve naraka, tiryancha aura deva ka ayushya nahim bamdhate, kintu manushya ka ayushya bamdhate haim. Bhagavan ! Akriyavadi nairayika jiva nairayika ka ayushya bamdhate haim\? Gautama ! Ve nairayika aura deva ka ayushya nahim bamdhate, kintu tiryancha aura manushya ka ayushya bamdhate haim. Isi prakara ajnyanavadi aura vinayavadi nairayika ke ayushyabandha ke vishaya mem samajhana chahie. Bhagavan ! Kya saleshya kriyavadi nairayika, nairayikayushya bamdhate haim\? Gautama ! Sabhi nairayika, jo kriyavadi haim, ve ekamatra manushya – yushya hi bamdhate haim tatha jo akriyavadi, ajnyanavadi aura vinayavadi nairayika haim, ve sabhi sthanom mem tiryancha aura manushya ka ayushya bamdhate haim. Vishesha yaha hai ki samyagmithyadrishti ajnyanavadi aura vinayavadi ina do samavasaranom mem jivapada ke samana kisi bhi prakara ke ayushya ka bandha nahim karate. Isi prakara stanitakumarom taka nairayikom ke samana janana. Bhagavan ! Akriyavadi prithvikayika jiva nairayika ka ayushya bamdhate haim\? Gautama ! Ve tiryancha aura manushya ka ayushyabandha karate haim. Isi prakara ajnyanavadi (prithvikayika) jivom ka ayushyabandha samajhana. Bhagavan ! Saleshya akriyavadi prithvikayika jiva nairayika ka ayushya bamdhate haim\? Gautama ! Jo – jo pada prithvi – kayika jivom ke hote haim, una – una mem akriyavadi aura ajnyanavadi, ina do samavasaranom mem isi prakara manushya aura tiryancha ayushya bamdhate haim. Kintu tejoleshya mem to kisi bhi prakara ka ayushyabandha nahim hota. Isi prakara apkayika aura vanaspatikayika jivom ka ayushya – bandha janana. Tejaskayika aura vayukayika jiva, sabhi sthanom mem akriyavadi aura ajnyanavadi mem, ekamatra tiryancha ka ayushya bamdhate haim. Dvindriya, trindriya aura chatu – rindriya jivom ka ayushyabandha prithvikayika jivom ke tulya hai. Parantu samyaktva aura jnyana mem ve kisi bhi ayushya ka bandha nahim karate. Bhagavan ! Kya kriyavadi pamchendriyatiryancha nairayika ka ayushya bamdhate haim\? Gautama ! Inaka ayushyabandha manahparyavajnyani ke samana hai. Akriyavadi, ajnyanavadi aura vinayavadi charom prakara ka ayushya bamdhate haim. Saleshya jivom ka nirupana aughika jiva ke sadrisha hai. Bhagavan ! Kya krishnaleshyi kriyavadi pamchendriyatiryancha nairayika ka ayushya bamdhate haim\? Gautama ! Ve nairayika yavat deva kisi ka bhi ayushya nahim bamdhate. Akriyavadi, ajnyanavadi aura vinayavadi charom prakara ka ayushyabandha karate haim. Nilaleshyi aura kapotaleshyi ka ayushyabandha bhi krishna – leshyi ke samana hai. Tejoleshyi ka ayushyabandha saleshya ke samana hai. Parantu akriyavadi, ajnyanavadi aura vinayavadi jiva tiryancha, manushya aura deva ka ayushya bamdhate haim. Isi prakara padmaleshyi aura shuklaleshyi jivom ko kahana. Krishnapakshika akriyavadi, ajnyanavadi aura vinayavadi charom hi prakara ka ayushyabandha karate haim. Shukla – pakshikom ka kathana saleshya ke samana hai. Samyagdrishti jiva manahparyavajnyani ke sadrisha vaimanika devom ka ayushyabandha karate haim. Mithyadrishti ka ayushyabandha krishnapakshika ke samana hai. Samyagmithyadrishti jiva eka bhi prakara ka ayushyabandha nahim karate. Unamem nairayikom ke samana do samavasarana hote haim. Jnyani se lekara avadhijnyani taka ke jivom ko samyagdrishti jivom ke samana janana. Ajnyani se lekara vibhamgajnyani taka ke jivom ko krishnapakshikom ke samana haim. Shesha sabhi anakaropayukta paryanta jivom ko saleshya jivom ke samana kahana. Pamchendriyatiryanchayonika jivom ke samana manushyom ko kahana. Vishesha yaha hai ki manahparyavajnyani aura nosamjnyopayukta manushyom ka ayushyabandha – kathana samyagdrishti tiryanchayonika ke samana hai. Aleshyi, kevalajnyani, avedi, akashayi aura ayogi, ye aughika jivom ke samana kisi bhi prakara ka ayushyabandha nahim karate. Shesha purvavat. Vanavyantara, jyotishka aura vaimanika jivom ko asurakumarom ke samana janana. Bhagavan ! Kriyavadi jiva bhavasiddhika haim ya abhavasiddhika haim\? Gautama ! Ve abhavasiddhika nahim, bhava – siddhika haim. Bhagavan ! Akriyavadi jiva bhavasiddhika haim ya abhavasiddhika haim\? Gautama ! Ve bhavasiddhika bhi haim aura abhavasiddhika bhi. Isi prakara ajnyanavadi aura vinayavadi jivom ko samajhana. Bhagavan ! Saleshya kriyavadi jiva bhavasiddhika haim ya abhavasiddhika haim\? Gautama ! Ve bhavasiddhika haim. Bhagavan ! Saleshya akriyavadi jiva bhava – siddhika haim ya abhavasiddhika\? Gautama ! Ve bhavasiddhika bhi haim aura abhavasiddhika bhi haim. Isi prakara ajnyanavadi aura vinayavadi bhi janana. Shuklaleshyi paryanta saleshya ke samana janana. Bhagavan ! Aleshyi kriyavadi jiva bhavasiddhika haim ya abhavasiddhika haim\? Gautama ! Ve bhavasiddhika haim. Isa abhilapa se krishnapakshika tinom samavasaranom mem bhajana se bhavasiddhika haim. Shuklapakshika jiva charom samavasaranom mem bhavasiddhika haim. Samyagdrishti aleshyi jivom ke samana haim. Mithyadrishti jiva krishnamabhika ke sadrisha haim. Samyagmithya – drishti jiva ajnyanavadi aura vinayavadi mem aleshyi jivom ke samana bhavasiddhika haim. Jnyani se lekara kevalajnyani taka bhavasiddhika haim. Ajnyani se lekara vibhamgajnyani taka krishnapakshikom ke sadrisha haim. Charom samjnyaom se yukta jivom saleshya jivom ke samana haim. Nosamjnyopayukta jivom samyagdrishti ke samana haim. Savedi se lekara napumsakavedi jivom saleshya jivom ke sadrisha haim. Avedi jivom samyagdrishti ke samana haim. Sakashayi yavat lobhakashayi, saleshya jivom ke samana janana. Akashayi jiva samyagdrishti ke samana janana. Sayogi yavat kayayogi jiva saleshyi ke samana haim. Ayogi jiva samyagdrishti ke sadrisha haim. Sakaropayukta aura anakaropayukta jiva saleshya jivom ke sadrisha janana. Isi prakara nairayikom ke vishaya mem kahana, kintu unamem jo bola hom, vaha kahana. Isi prakara asurakumarom se lekara stanitakumarom taka janana. Prithvikayika jiva sabhi sthanom mem madhya ke donom samavasaranom mem bhavasiddhika bhi hote haim aura abhavasiddhika bhi hote haim. Isi prakara vanaspatikayika paryanta janana chahie. Dvindriya, trindriya aura chaturindriya jivom ke vishaya mem bhi isi prakara janana chahie. Vishesha yaha hai ki samyaktva, aughika jnyana, abhinibodhikajnyana aura shrutajnyana, inake madhya ke donom samavasaranom mem bhavasiddhika haim. Shesha purvavat. Pamchendriyatiryanchayonika jiva nairayikom ke sadrisha janana, kintu unamem jo bola paye jate hom, (ve saba kahane chahie). Manushyom ka kathana aughika jivom ke samana hai. Vanavyantara, jyotishka aura vaimanikom ka nirupana asurakumarom ke samana janana. ‘he bhagavan ! Yaha isi prakara hai