Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004495 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-२९ समवसरण लेश्यादि |
Translated Chapter : |
शतक-२९ समवसरण लेश्यादि |
Section : | उद्देशक-१ थी ११ | Translated Section : | उद्देशक-१ थी ११ |
Sutra Number : | 995 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जीवा णं भंते! पावं कम्मं किं समायं पट्ठविंसु समाय निट्ठविंसु? समायं पट्ठविंसु विसमायं निट्ठविंसु? विसमायं पट्ठविंसु समायं निट्ठविंसु? विसमायं पट्ठविंसु विसमायं निट्ठविंसु? गोयमा! अत्थेगतिया समायं पट्ठविंसु समायं निट्ठविंसु जाव अत्थेगतिया विसमायं पट्ठविंसु विसमाय निट्ठविंसु। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–अत्थेगतिया समायं पट्ठविंसु समायं निट्ठविंसु, तं चेव? गोयमा! जीवा चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–अत्थेगतिया समाउया समोववन्नगा, अत्थेगतिया समाउया विसमोववन्नगा, अत्थे गतिया विसमाउया समोववन्नगा, अत्थेगतिया विसमाउया विसमोववन्नगा। तत्थ णं जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं पावं कम्मं समायं पट्ठविंसु समायं निट्ठविंसु। तत्थ णं जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते णं पावं कम्मं समायं पट्ठविंसु विसमायं निट्ठविंसु। तत्थ णं जे ते विसमाउया समोववन्नगा ते णं पावं कम्मं विसमायं पट्ठविंसु समायं निट्ठविंसु। तत्थ णं जे ते विसमाउया विसमोववन्नगा ते णं पावं कम्मं विसमायं पट्ठविंसु विसमायं निट्ठविंसु। से तेणट्ठेण गोयमा! तं चेव। सलेस्सा णं भंते! जीवा पावं कम्मं? एवं चेव, एवं सव्वट्ठाणेसु वि जाव अनागारोवउत्ता। एए सव्वे वि पया एयाए वत्तव्वयाए भाणियव्वा। नेरइया णं भंते! पावं कम्मं किं समायं पट्ठविंसु समायं निट्ठविंसु–पुच्छा। गोयमा! अत्थेगतिया समायं पट्ठविंसु, एवं जहेव जीवाणं तहेव भाणियव्वं जाव अनागारोवउत्ता। एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जं अत्थि तं एएणं चेव कमेणं भाणियव्वं। जहा पावेण दंडओ। एएणं कमेणं अट्ठसु वि कम्मप्पगडीसु अट्ठ दंडगा भाणियव्वा जीवादीया वेमानिय-पज्जवसाणा। एसो नवदंडग-संगहिओ पढमो उद्देसो भाणियव्वो। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! जीव पापकर्म का वेदन एकसाथ प्रारम्भ करते हैं और एक साथ ही समाप्त करते हैं ? अथवा एक साथ प्रारम्भ करते हैं और भिन्न – भिन्न समय में समाप्त करते हैं ? या भिन्न – भिन्न समय में प्रारम्भ करते हैं और एक साथ समाप्त करते हैं ? अथवा भिन्न – भिन्न समय में प्रारम्भ करते हैं और भिन्न – भिन्न समय में समाप्त करते हैं? गौतम ! कितने ही जीव (पापकर्मवेदन) एक साथ करते हैं और एक साथ ही समाप्त करते हैं यावत् कितने ही जीव विभिन्न समय में प्रारम्भ करते और विभिन्न समय में समाप्त करते हैं। भगवन् ! ऐसा क्यों कहा कि कितने ही जीव ? गौतम ! जीव चार प्रकार के कहे हैं। यथा – कईं जीव समान आयु वाले हैं और समान उत्पन्न होते हैं, कईं जीव समान आयु वाले हैं, किन्तु विषम समय में उत्पन्न होते हैं, कितने ही जीव विषम आयु वाले हैं और सम उत्पन्न होते हैं और कितने ही जीव विषम आयु वाले हैं और विषम समय में उत्पन्न होते हैं। इनमें से जो समान आयु वाले और समान उत्पन्न होते हैं, वे पापकर्म का वेदन एक साथ प्रारम्भ करते हैं और एक साथ ही समाप्त करते हैं, जो समान आयु वाले हैं, किन्तु विषम समय में उत्पन्न होते हैं, वे पापकर्म का वेदन एक साथ प्रारम्भ करते हैं किन्तु भिन्न – भिन्न समय में समाप्त करते हैं, जो विषम आयु वाले हैं और समान समय में उत्पन्न होते हैं, वे पापकर्म का भोग भिन्न – भिन्न समय में प्रारम्भ करते हैं और एक साथ अन्त करते हैं और जो विषय आयु वाले हैं और विषम समय में उत्पन्न होते हैं, वे पापकर्म का वेदन भी भिन्न – भिन्न समय में प्रारम्भ करते हैं और अन्त भी विभिन्न समय में करते हैं, इस कारण से हे गौतम ! पूर्वोक्त प्रकार का कथन किया है। भगवन् ! सलेश्यी जीव पापकर्म का वेदन एक काल में करते हैं ? इत्यादि प्रश्न। गौतम ! पूर्ववत् समझना। इसी प्रकार सभी स्थानों में अनाकारोपयुक्त पर्यन्त जानना। इन सभी पदों में यही वक्तव्यता कहना। भगवन् ! क्या नैरयिक पापकर्म भोगने का प्रारम्भ एक साथ करते हैं और उसका अन्त भी एक साथ करते हैं ? गौतम ! (पूर्वोक्त चतुर्भंगी का) कथन सामान्य जीवों के समान अनाकारोपयुक्त तक नैरयिकों के सम्बन्ध में जानना। इसी प्रकार वैमानिकों तक जिसमें जो बोल हों, उन्हें इसी क्रम से कहना चाहिए। पापकर्म के दण्डक समान इसी क्रम से सामान्य जीव से लेकर वैमानिकों तक आठों कर्म – प्रकृतियों के सम्बन्ध में आठ दण्डक कहने चाहिए। इस रीति से नौ दण्डकसहित यह प्रथम उद्देशक कहना चाहिए। ‘हे भगवन् यह इसी प्रकार है।’ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jiva nam bhamte! Pavam kammam kim samayam patthavimsu samaya nitthavimsu? Samayam patthavimsu visamayam nitthavimsu? Visamayam patthavimsu samayam nitthavimsu? Visamayam patthavimsu visamayam nitthavimsu? Goyama! Atthegatiya samayam patthavimsu samayam nitthavimsu java atthegatiya visamayam patthavimsu visamaya nitthavimsu. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–atthegatiya samayam patthavimsu samayam nitthavimsu, tam cheva? Goyama! Jiva chauvviha pannatta, tam jaha–atthegatiya samauya samovavannaga, atthegatiya samauya visamovavannaga, atthe gatiya visamauya samovavannaga, atthegatiya visamauya visamovavannaga. Tattha nam je te samauya samovavannaga te nam pavam kammam samayam patthavimsu samayam nitthavimsu. Tattha nam je te samauya visamovavannaga te nam pavam kammam samayam patthavimsu visamayam nitthavimsu. Tattha nam je te visamauya samovavannaga te nam pavam kammam visamayam patthavimsu samayam nitthavimsu. Tattha nam je te visamauya visamovavannaga te nam pavam kammam visamayam patthavimsu visamayam nitthavimsu. Se tenatthena goyama! Tam cheva. Salessa nam bhamte! Jiva pavam kammam? Evam cheva, evam savvatthanesu vi java anagarovautta. Ee savve vi paya eyae vattavvayae bhaniyavva. Neraiya nam bhamte! Pavam kammam kim samayam patthavimsu samayam nitthavimsu–puchchha. Goyama! Atthegatiya samayam patthavimsu, evam jaheva jivanam taheva bhaniyavvam java anagarovautta. Evam java vemaniyanam jassa jam atthi tam eenam cheva kamenam bhaniyavvam. Jaha pavena damdao. Eenam kamenam atthasu vi kammappagadisu attha damdaga bhaniyavva jivadiya vemaniya-pajjavasana. Eso navadamdaga-samgahio padhamo uddeso bhaniyavvo. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Jiva papakarma ka vedana ekasatha prarambha karate haim aura eka satha hi samapta karate haim\? Athava eka satha prarambha karate haim aura bhinna – bhinna samaya mem samapta karate haim\? Ya bhinna – bhinna samaya mem prarambha karate haim aura eka satha samapta karate haim\? Athava bhinna – bhinna samaya mem prarambha karate haim aura bhinna – bhinna samaya mem samapta karate haim? Gautama ! Kitane hi jiva (papakarmavedana) eka satha karate haim aura eka satha hi samapta karate haim yavat kitane hi jiva vibhinna samaya mem prarambha karate aura vibhinna samaya mem samapta karate haim. Bhagavan ! Aisa kyom kaha ki kitane hi jiva\? Gautama ! Jiva chara prakara ke kahe haim. Yatha – kaim jiva samana ayu vale haim aura samana utpanna hote haim, kaim jiva samana ayu vale haim, kintu vishama samaya mem utpanna hote haim, kitane hi jiva vishama ayu vale haim aura sama utpanna hote haim aura kitane hi jiva vishama ayu vale haim aura vishama samaya mem utpanna hote haim. Inamem se jo samana ayu vale aura samana utpanna hote haim, ve papakarma ka vedana eka satha prarambha karate haim aura eka satha hi samapta karate haim, jo samana ayu vale haim, kintu vishama samaya mem utpanna hote haim, ve papakarma ka vedana eka satha prarambha karate haim kintu bhinna – bhinna samaya mem samapta karate haim, jo vishama ayu vale haim aura samana samaya mem utpanna hote haim, ve papakarma ka bhoga bhinna – bhinna samaya mem prarambha karate haim aura eka satha anta karate haim aura jo vishaya ayu vale haim aura vishama samaya mem utpanna hote haim, ve papakarma ka vedana bhi bhinna – bhinna samaya mem prarambha karate haim aura anta bhi vibhinna samaya mem karate haim, isa karana se he gautama ! Purvokta prakara ka kathana kiya hai. Bhagavan ! Saleshyi jiva papakarma ka vedana eka kala mem karate haim\? Ityadi prashna. Gautama ! Purvavat samajhana. Isi prakara sabhi sthanom mem anakaropayukta paryanta janana. Ina sabhi padom mem yahi vaktavyata kahana. Bhagavan ! Kya nairayika papakarma bhogane ka prarambha eka satha karate haim aura usaka anta bhi eka satha karate haim\? Gautama ! (purvokta chaturbhamgi ka) kathana samanya jivom ke samana anakaropayukta taka nairayikom ke sambandha mem janana. Isi prakara vaimanikom taka jisamem jo bola hom, unhem isi krama se kahana chahie. Papakarma ke dandaka samana isi krama se samanya jiva se lekara vaimanikom taka athom karma – prakritiyom ke sambandha mem atha dandaka kahane chahie. Isa riti se nau dandakasahita yaha prathama uddeshaka kahana chahie. ‘he bhagavan yaha isi prakara hai.’ |