Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004405 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-२५ |
Translated Chapter : |
शतक-२५ |
Section : | उद्देशक-६ निर्ग्रन्थ | Translated Section : | उद्देशक-६ निर्ग्रन्थ |
Sutra Number : | 905 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] पुलाए णं भंते! किं पडिसेवए होज्जा? अपडिसेवए होज्जा? गोयमा! पडिसेवए होज्जा, नो अपडिसेवए होज्जा। जइ पडिसेवए होज्जा किं मूलगुणपडिसेवए होज्जा? उत्तरगुणपडिसेवए होज्जा? गोयमा! मूलगुणपडिसेवए वा होज्जा, उत्तरगुणपडिसेवए वा होज्जा। मूलगुणे पडिसेवमाणे पंचण्हं आसवाणं अन्नयरं पडिसेवेज्जा, उत्तरगुणे पडिसेवमाणे दसविहस्स पच्चक्खाणस्स अन्नयरं पडिसेवेज्जा। बउसे णं–पुच्छा। गोयमा! पडिसेवए होज्जा, नो अपडिसेवए होज्जा। जइ पडिसेवए होज्जा किं मूलगुणपडिसेवए होज्जा? उत्तरगुणपडिसेवए होज्जा? गोयमा! नो मूलगुणपडिसेवए होज्जा, उत्तरगुणपडिसेवए होज्जा। उत्तरगुणे पडिसेवमाणे दस-विहस्स पच्चक्खाणस्स अन्नयरं पडिसेवेज्जा। पडिसेवणाकुसीले जहा पुलाए। कसायकुसीले णं–पुच्छा। गोयमा! नो पडिसेवए होज्जा, अपडिसेवए होज्जा। एवं नियंठे वि। एवं सिणाए वि। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! पुलाक प्रतिसेवी होता है या अप्रतिसेवी होता है ? गौतम ! पुलाक प्रतिसेवी होता है, अप्रतिसेवी नहीं होता है। भगवन् ! यदि वह प्रतिसेवी होता है, तो क्या वह मूलगुण – प्रतिसेवी होता है, या उत्तरगुण – प्रतिसेवी होता है ? गौतम ! दोनो। यदि वह मूलगुणों का प्रतिसेवी होता है तो पाँच प्रकार के आश्रवों में से किसी एक आश्रव का प्रतिसेवन करता है और उत्तरगुणों का प्रतिसेवी होता है तो दस प्रकार के प्रत्याख्यानों में से किसी एक प्रख्याख्यान का प्रतिसेवन करता है। भगवन् ! बकुश प्रतिसेवी होता है या अप्रतिसेवी होता है ? गौतम ! वह प्रतिसेवी होता है। भगवन् ! यदि वह प्रतिसेवी होता है, तो क्या मूलगुण प्रतिसेवी होता है या उत्तरगुण – प्रतिसेवी होता है ? गौतम ! वह उत्तरगुण – प्रतिसेवी होता है। और दस में से किसी एक प्रत्याख्यान का प्रतिसेवी होता है। प्रतिसेवनाकुशील का कथन पुलाक के समान जानना। भगवन् ! कषायकुशील प्रतिसेवी होता है या अप्रतिसेवी होता है ? गौतम ! वह अप्रतिसेवी होता है। इसी प्रकार निर्ग्रन्थ और स्नातक में जानना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] pulae nam bhamte! Kim padisevae hojja? Apadisevae hojja? Goyama! Padisevae hojja, no apadisevae hojja. Jai padisevae hojja kim mulagunapadisevae hojja? Uttaragunapadisevae hojja? Goyama! Mulagunapadisevae va hojja, uttaragunapadisevae va hojja. Mulagune padisevamane pamchanham asavanam annayaram padisevejja, uttaragune padisevamane dasavihassa pachchakkhanassa annayaram padisevejja. Bause nam–puchchha. Goyama! Padisevae hojja, no apadisevae hojja. Jai padisevae hojja kim mulagunapadisevae hojja? Uttaragunapadisevae hojja? Goyama! No mulagunapadisevae hojja, uttaragunapadisevae hojja. Uttaragune padisevamane dasa-vihassa pachchakkhanassa annayaram padisevejja. Padisevanakusile jaha pulae. Kasayakusile nam–puchchha. Goyama! No padisevae hojja, apadisevae hojja. Evam niyamthe vi. Evam sinae vi. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Pulaka pratisevi hota hai ya apratisevi hota hai\? Gautama ! Pulaka pratisevi hota hai, apratisevi nahim hota hai. Bhagavan ! Yadi vaha pratisevi hota hai, to kya vaha mulaguna – pratisevi hota hai, ya uttaraguna – pratisevi hota hai\? Gautama ! Dono. Yadi vaha mulagunom ka pratisevi hota hai to pamcha prakara ke ashravom mem se kisi eka ashrava ka pratisevana karata hai aura uttaragunom ka pratisevi hota hai to dasa prakara ke pratyakhyanom mem se kisi eka prakhyakhyana ka pratisevana karata hai. Bhagavan ! Bakusha pratisevi hota hai ya apratisevi hota hai\? Gautama ! Vaha pratisevi hota hai. Bhagavan ! Yadi vaha pratisevi hota hai, to kya mulaguna pratisevi hota hai ya uttaraguna – pratisevi hota hai\? Gautama ! Vaha uttaraguna – pratisevi hota hai. Aura dasa mem se kisi eka pratyakhyana ka pratisevi hota hai. Pratisevanakushila ka kathana pulaka ke samana janana. Bhagavan ! Kashayakushila pratisevi hota hai ya apratisevi hota hai\? Gautama ! Vaha apratisevi hota hai. Isi prakara nirgrantha aura snataka mem janana. |