Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004115 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१४ |
Translated Chapter : |
शतक-१४ |
Section : | उद्देशक-६ आहार | Translated Section : | उद्देशक-६ आहार |
Sutra Number : | 615 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] रायगिहे जाव एवं वयासी–नेरइया णं भंते! किमाहारा, किंपरिणामा, किंजोणिया, किंठितीया पन्नत्ता? गोयमा! नेरइया णं पोग्गलाहारा, पोग्गलपरिणामा, पोग्गलजोणिया, पोग्गलट्ठितीया, कम्मोवगा, कम्मनियाणा, कम्मट्ठितीया कम्मुणामेव विप्परियासमेंति। एवं जाव वेमाणिया। | ||
Sutra Meaning : | राजगृह नगर में यावत् पूछा – भगवन् ! नैरयिक जीव किन द्रव्यों का आहार करते हैं ? किस तरह परिणमाते हैं? उनकी योनि क्या है ? उनकी स्थिति का क्या कारण है ? गौतम ! नैरयिक जीव पुद्गलों का आहार करते हैं और उसका पुद्गल – रूप परिणाम होता है। उनकी योनि शीतादि स्पर्शमय पुद्गलों वाली है। आयुष्य कर्म के पुद्गल उनकी स्थिति के कारण हैं। बन्ध द्वारा वे ज्ञानावरणीयादि कर्म के पुद्गलों को प्राप्त हैं। उनके नारक – त्वनिमित्तभूत कर्म निमित्तरूप हैं। कर्मपुद्गलों के कारण उनकी स्थिति है। कर्मों के कारण ही वे विपर्यास को प्राप्त होते हैं। इसी प्रकार वैमानिकों तक कहना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] rayagihe java evam vayasi–neraiya nam bhamte! Kimahara, kimparinama, kimjoniya, kimthitiya pannatta? Goyama! Neraiya nam poggalahara, poggalaparinama, poggalajoniya, poggalatthitiya, kammovaga, kammaniyana, kammatthitiya kammunameva vippariyasamemti. Evam java vemaniya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Rajagriha nagara mem yavat puchha – bhagavan ! Nairayika jiva kina dravyom ka ahara karate haim\? Kisa taraha parinamate haim? Unaki yoni kya hai\? Unaki sthiti ka kya karana hai\? Gautama ! Nairayika jiva pudgalom ka ahara karate haim aura usaka pudgala – rupa parinama hota hai. Unaki yoni shitadi sparshamaya pudgalom vali hai. Ayushya karma ke pudgala unaki sthiti ke karana haim. Bandha dvara ve jnyanavaraniyadi karma ke pudgalom ko prapta haim. Unake naraka – tvanimittabhuta karma nimittarupa haim. Karmapudgalom ke karana unaki sthiti hai. Karmom ke karana hi ve viparyasa ko prapta hote haim. Isi prakara vaimanikom taka kahana. |