Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1003567 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१ |
Translated Chapter : |
शतक-१ |
Section : | उद्देशक-५ पृथ्वी | Translated Section : | उद्देशक-५ पृथ्वी |
Sutra Number : | 67 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | असंखेज्जेसु णं भंते! पुढविक्काइयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि पुढविक्काइयावासंसि पुढविक्का-इयाणं केवइया ठितिट्ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! असंखेज्जा ठितिट्ठाणा पन्नत्ता, तं जहा–जहन्निया ठिई जाव तप्पाउग्गुक्कोसिया ठिई असंखेज्जेसु णं भंते! पुढविक्काइयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि पुढविक्काइयावासंसि जह-न्नियाए ठितीए वट्टमाणा पुढविक्काइया किं कोहोवउत्ता? मानोवउत्ता? मायोवउत्ता? लोभोवउत्ता? गोयमा! कोहोवउत्ता वि, मानोवउत्ता वि, मायोवउत्ता वि, लोभोवउत्ता वि। एवं पुढविक्काइयाणं सव्वेसु वि ठाणेसु अभंगयं, नवरं–तेउलेस्साए असीतिभंगा। एवं आउक्काइया वि। तेउक्काइय-वाउक्काइयाणं सव्वेसु वि ठाणेसु अभंगयं। वणप्फइकाइया जहा पुढविक्काइया। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीवों के असंख्यात लाख आवासों में से एक – एक आवास में बसने वाले पृथ्वी – कायिकों के कितने स्थिति – स्थान कहे गए हैं ? गौतम ! उनके असंख्येय स्थिति – स्थान हैं। वे इस प्रकार हैं – उनकी जघन्य स्थिति, एक समय अधिक जघन्यस्थिति, दो समय अधिक जघन्यस्थिति, यावत् उनके योग्य उत्कृष्ट स्थिति। भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीवों के असंख्यात लाख आवासों में से एक – एक आवास में बसने वाले और जघन्य स्थितिवाले पृथ्वीकायिक क्या क्रोधोपयुक्त हैं, मानोपयुक्त हैं, मायोपयुक्त हैं या लोभोपयुक्त हैं ? गौतम ! वे क्रोधोप – युक्त भी हैं, यावत् लोभोपयुक्त भी हैं। इस प्रकार पृथ्वीकायिकों के सब स्थानोंमें अभंगक है विशेष यह कि तेजोलेश्या में अस्सी भंग कहने चाहिए। इसी प्रकार अप्काय के सम्बन्ध में भी जानना चाहिए। तेजस्काय और वायुकाय के सब स्थानों में अभंगक हैं। वनस्पतिकायिक जीवों के सम्बन्ध में पृथ्वीकायिकों के समान समझना चाहिए। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Asamkhejjesu nam bhamte! Pudhavikkaiyavasasayasahassesu egamegamsi pudhavikkaiyavasamsi pudhavikka-iyanam kevaiya thititthana pannatta? Goyama! Asamkhejja thititthana pannatta, tam jaha–jahanniya thii java tappauggukkosiya thii Asamkhejjesu nam bhamte! Pudhavikkaiyavasasayasahassesu egamegamsi pudhavikkaiyavasamsi jaha-nniyae thitie vattamana pudhavikkaiya kim kohovautta? Manovautta? Mayovautta? Lobhovautta? Goyama! Kohovautta vi, manovautta vi, mayovautta vi, lobhovautta vi. Evam pudhavikkaiyanam savvesu vi thanesu abhamgayam, navaram–teulessae asitibhamga. Evam aukkaiya vi. Teukkaiya-vaukkaiyanam savvesu vi thanesu abhamgayam. Vanapphaikaiya jaha pudhavikkaiya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Prithvikayika jivom ke asamkhyata lakha avasom mem se eka – eka avasa mem basane vale prithvi – kayikom ke kitane sthiti – sthana kahe gae haim\? Gautama ! Unake asamkhyeya sthiti – sthana haim. Ve isa prakara haim – unaki jaghanya sthiti, eka samaya adhika jaghanyasthiti, do samaya adhika jaghanyasthiti, yavat unake yogya utkrishta sthiti. Bhagavan ! Prithvikayika jivom ke asamkhyata lakha avasom mem se eka – eka avasa mem basane vale aura jaghanya sthitivale prithvikayika kya krodhopayukta haim, manopayukta haim, mayopayukta haim ya lobhopayukta haim\? Gautama ! Ve krodhopa – yukta bhi haim, yavat lobhopayukta bhi haim. Isa prakara prithvikayikom ke saba sthanommem abhamgaka hai vishesha yaha ki tejoleshya mem assi bhamga kahane chahie. Isi prakara apkaya ke sambandha mem bhi janana chahie. Tejaskaya aura vayukaya ke saba sthanom mem abhamgaka haim. Vanaspatikayika jivom ke sambandha mem prithvikayikom ke samana samajhana chahie. |