Sutra Navigation: Samavayang ( समवयांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003162 | ||
Scripture Name( English ): | Samavayang | Translated Scripture Name : | समवयांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
समवाय-२८ |
Translated Chapter : |
समवाय-२८ |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 62 | Category : | Ang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अट्ठावीसविहे आयारपकप्पे पन्नत्ते, तं जहा– मासियाआरोवणा, सपंचरायमासिया आरोवणा, सदसरायमासिया आरोवणा, सपन्नरस-रायमासिया आरोवणा, सवीसइरायमासिया आरोवणा, सपंचवीसरायमासिया आरोवणा। दोमासिया आरोवणा, सपंचरायदोमासिया आरोवणा, सदसरायदोमासिया आरोवणा, सपन्नरसरायदोमासिया आरोवणा, सवीसइरायदोमासिया आरोवणा, सपंचवीसरायदोमासिया आरोवणा। तेमासिया आरोवणा, सपंचरायतेमासिया आरोवणा, सदसरायतेमासिया आरोवणा, सपन्नरसरायतेमासिया आरोवणा, सवीसइरायतेमासिया आरोवणा, सपंचवीसरायतेमासिया आरोवणा। चउमासियाआरोवणा, सपंचरायचउमासियाआरोवणा, सदसरायचउमासियाआरोवणा, सपन्नरसरायचउमासिया आरोवणा सवीसइरायचउमासिया आरोवणा, सपंचवीसरायचउमासिया आरोवणा। उग्घातिया आरोवणा, अनुग्घातिया आरोवणा, कसिणा आरोवणा, अकसिणा आरोवणा। एत्ताव ताव आयारपकप्पे एत्ताव ताव आयरियव्वे। भवसिद्धियाणं जीवाणं अत्थेगइयाणं मोहणिज्जस्स कम्मस्स अट्ठावीसं कम्मंसा संतकम्मा पन्नत्ता, तं० सम्मत्तवेअणिज्जं मिच्छत्तवेयणिज्जं सम्ममिच्छत्तवेयणिज्जं सोलस कसाया नव नोकसाया। आभिनिबोहियनाणे अट्ठावीसइविहे पन्नत्ते, तं जहा– सोइंदियत्थोग्गहे चक्खिंदियत्थोग्गहे घाणिंदियत्थोग्गहे जिब्भिंदियत्थोग्गहे फासिंदियत्थो-ग्गहे णोइंदियत्थोग्गहे। सोइंदियवंजणोग्गहे घाणिंदियवंजणोग्गहे जिब्भिंदियवंजणोग्गहे फासिंदियवंजणोग्गहे। सोतिंदियईहा चक्खिंदियईहा घाणिंदियईहा जिब्भिंदियईहा फासिंदियईहा णोइंदियईहा। सोतिंदियावाते चक्खिंदियावाते घाणिंदियावाते जिब्भिंदियावाते फासिंदियावाते णोइंदियावाते। सोइंदियधारणा चक्खिंदियधारणा घाणिंदियधारणा जिब्भिंदियधारणा फासिंदियधारणा णोइंदियधारणा। ईसाणे णं कप्पे अट्ठावीसं विमानावाससयसहस्सा पन्नत्ता। जीवे णं देवगतिं निबंधमाणे नामस्स कम्मस्स अट्ठावीसं उत्तरपगडीओ निबंधति, तं जहा– देवगतिनामं पंचिंदियजातिनामं वेउव्वियसरीरनामं तेययसरीरनामं कम्मगसरीरनामं समचउरंस-संठाणनामं वेउव्वियसरीरंगोवंगनामं वण्णनामं गंधनामं रसनामं फासनामं देवाणुपुव्विनामं अगरुयलहुयनामं उवघायनामं पराघायनामं ऊसासनामं पसत्थविहायगइनामं तसनामं बायरनामं पज्जत्तनामं पत्तेयसरीरनामं थिरथिराणं दोण्हमण्णयरं एगं नामं निबंधइ, सुभासुभाणं दोण्हमन्नयरं एगं नामं निबंधइ, सुभगनामं सुस्सरनामं, आएज्ज-अणाएज्जाणं दोण्हं अन्नयरं एगं नामं निबंधइ, जसोकित्तिनामं निम्माणनामं। एवं चेव नेरइयेवि, नाणत्तं अप्पसत्थविहायगइनामं हुडसंठाणनामं अथिरनामं दुब्भगनामं असुभनामं दुस्सरनामं अणादेज्जनामं अजसोकित्तीनामं। इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं अट्ठावीसं पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। अहेसत्तमाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं अट्ठावीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं अट्ठावीसं पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। सोहम्मीसानेसु कप्पेसु देवाणं अत्थेगइयाणं अट्ठावीसं पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। उवरिम-हेट्ठिम-गेवेज्जयाणं देवाणं जहन्नेणं अट्ठावीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। जे देवा मज्झिम-उवरिम-गेवेज्जएसु विमानेसु देवताए उववन्ना, तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं अट्ठावीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। ते णं देवा अट्ठावीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा। तेसि णं देवाणं अट्ठावीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ। संतेगइया भवसिद्धिया जीवा, जे अट्ठावीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति। | ||
Sutra Meaning : | आचारप्रकल्प अट्ठाईस प्रकार का है। मासिकी आरोपणा, सपंचरात्रिमासिकी आरोपणा, सदशरात्रि – मासिकी आरोपणा, सपंचदशरात्रिमासिकी आरोपणा, सविशतिरात्रिकोमासिकी आरोपणा, सपंचविशत्तिरात्रि – मासिकी आरोपणा। इसी प्रकार छ द्विमासिकी आरोपणा, ६ त्रिमासिकी आरोपणा, ६ चतुर्मासिकी आरोपणा, उपघातिका आरोपणा, अनुपघातिका आरोपणा, कृत्स्ना आरोपणा, अकृत्स्ना आरोपणा, यह अट्ठाईस प्रकार का आचारप्रकल्प है। आचरित दोष की शुद्धि न हो जावे तब तक यह – आचारणीय है। कितनेक भव्यसिद्धिक जीवों के मोहनीय कर्म की अट्ठाईस प्रकृतियों की सत्ता कही गई है। जैसे – सम्य – क्त्ववेदनीय, मिथ्यात्ववेदनीय, सम्यग्मिथ्यात्ववेदनीय, सोलहकषाय और नौ नोकषाय। आभिनिबोधिकज्ञान अट्ठाईस प्रकार का कहा गया है। जैसे – श्रोत्रेन्द्रिय – अर्थावग्रह, चक्षुरिन्द्रिय – अर्थावग्रह, घ्राणेन्द्रिय – अर्थावग्रह, जिह्वेन्द्रिय – अर्थावग्रह, स्पर्शनेन्द्रिय – अर्थावग्रह, नोइन्द्रिय – अर्थावग्रह, श्रोत्रेन्द्रिय – व्यंजनावग्रह, घ्राणेन्द्रिय – व्यंजनावग्रह, स्पर्शनेन्द्रिय – व्यंजनावग्रह, श्रोत्रेन्द्रिय – ईहा, चक्षुरिन्द्रिय – ईहा, घ्राणेन्द्रिय – ईहा, जिह्वेन्द्रिय – ईहा, स्पर्शनेन्द्रिय – ईहा, नोइन्द्रिय – ईहा, श्रोत्रेन्द्रिय – अवाय, चक्षुरिन्द्रिय – अवाय, घ्राणेन्द्रिय – अवाय, जिह्वेन्द्रिय – अवाय, स्पर्शनेन्द्रिय – अवाय, नोइन्द्रिय – अवाय, श्रोत्रेन्द्रिय – धारणा, चक्षुरिन्द्रिय – धारणा, घ्राणेन्द्रिय – धारणा, जिह्वेन्द्रिय – धारणा, स्पर्शनेन्द्रिय – धारणा और नोइन्द्रिय धारणा। ईशानकल्प में अट्ठाईस लाख विमानावास कहे गए हैं। देवगति को बाँधने वाला जीव नामकर्म की अट्ठाईस उत्तरप्रकृतियों को बाँधता है। वे इस प्रकार हैं – देव – गतिनाम, पंचेन्द्रियजातिनाम, वैक्रियशरीरनाम, तैजसशरीरनाम, कार्मरगशरीरनाम, समचतुरस्रसंस्थाननाम, वैक्रिय – शरीराङ्गोपाङ्गनाम, वर्णनाम, गन्धनाम, रसनाम, स्पर्शनाम, देवानुपूर्वीनाम, अगुरुलघुनाम, उपघातनाम, पराघात – नाम, उच्छ्वासनाम, प्रशस्त विहायोगतिनाम, त्रसनाम, बादरनाम, पर्याप्तनाम, प्रत्येकशरीरनाम, स्थिर – अस्थिर नामों में से कोई एक, शुभ – अशुभ नामों में से कोई एक, आदेय – अनादेय नामों में से कोई एक, सुभगनाम, सुस्वर – नाम, यशस्कीर्त्तिनाम और निर्माण नाम। इसी प्रकार नरकगति को बाँधने वाला जीव भी नामकर्म की अट्ठाईस प्रकृतियों को बाँधता है। किन्तु वह प्रशस्त प्रकृतियों के स्थान पर अप्रशस्त प्रकृतियों को बाँधता है। जैसे – अप्रशस्त विहायोगतिनाम, हुंडकसंस्थाननाम, अस्थिरनाम, दुर्भगनाम, अशुभनाम, दुःस्वरनाम, अनादेयनाम, अयशस्कीर्त्तिनाम और निर्माणनाम। इस रत्नप्रभा पृथ्वी में कितनेक नारकों की स्थिति अट्ठाईस पल्योपम कही गई है। अधस्तन सातवी पृथ्वी में कितनेक नारकों की स्थिति अट्ठाईस सागरोपम कही गई है। कितनेक असुरकुमारों की स्थिति अट्ठाईस पल्योपम कही गई है। सौधर्म – ईशान कल्पों में कितनेक देवों की स्थिति अट्ठाईस पल्योपम है। उपरितन – अधस्तन ग्रैवेयक विमानवासी देवों की जघन्य स्थिति अट्ठाईस सागरोपम है। जो देव मध्यम – उपरिम ग्रैवेयक विमानों में देवरूप से उत्पन्न होते हैं, उन देवों की उत्कृष्ट स्थिति अट्ठाईस सागरोपम है। वे देव चौदह मासों के बाद आन – प्राण या उच्छ्वास – निःश्वास लेते हैं। उन देवों को अट्ठाईस हजार वर्षों के बाद आहार की ईच्छा उत्पन्न होती है। कितनेक भव्यसिद्धिक जीव ऐसे हैं जो अट्ठाईस भव ग्रहण करके सिद्ध होंगे, बुद्ध होंगे, कर्मों से मुक्त होंगे, परिनिर्वाण को प्राप्त होंगे और सर्व दुःखों का अन्त करेंगे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] atthavisavihe ayarapakappe pannatte, tam jaha– Masiyaarovana, sapamcharayamasiya arovana, sadasarayamasiya arovana, sapannarasa-rayamasiya arovana, savisairayamasiya arovana, sapamchavisarayamasiya arovana. Domasiya arovana, sapamcharayadomasiya arovana, sadasarayadomasiya arovana, sapannarasarayadomasiya arovana, savisairayadomasiya arovana, sapamchavisarayadomasiya arovana. Temasiya arovana, sapamcharayatemasiya arovana, sadasarayatemasiya arovana, sapannarasarayatemasiya arovana, savisairayatemasiya arovana, sapamchavisarayatemasiya arovana. Chaumasiyaarovana, sapamcharayachaumasiyaarovana, sadasarayachaumasiyaarovana, sapannarasarayachaumasiya arovana savisairayachaumasiya arovana, sapamchavisarayachaumasiya arovana. Ugghatiya arovana, anugghatiya arovana, kasina arovana, akasina arovana. Ettava tava ayarapakappe ettava tava ayariyavve. Bhavasiddhiyanam jivanam atthegaiyanam mohanijjassa kammassa atthavisam kammamsa samtakamma pannatta, tam0 sammattaveanijjam michchhattaveyanijjam sammamichchhattaveyanijjam solasa kasaya nava nokasaya. Abhinibohiyanane atthavisaivihe pannatte, tam jaha– Soimdiyatthoggahe chakkhimdiyatthoggahe ghanimdiyatthoggahe jibbhimdiyatthoggahe phasimdiyattho-ggahe noimdiyatthoggahe. Soimdiyavamjanoggahe ghanimdiyavamjanoggahe jibbhimdiyavamjanoggahe phasimdiyavamjanoggahe. Sotimdiyaiha chakkhimdiyaiha ghanimdiyaiha jibbhimdiyaiha phasimdiyaiha noimdiyaiha. Sotimdiyavate chakkhimdiyavate ghanimdiyavate jibbhimdiyavate phasimdiyavate noimdiyavate. Soimdiyadharana chakkhimdiyadharana ghanimdiyadharana jibbhimdiyadharana phasimdiyadharana noimdiyadharana. Isane nam kappe atthavisam vimanavasasayasahassa pannatta. Jive nam devagatim nibamdhamane namassa kammassa atthavisam uttarapagadio nibamdhati, tam jaha– devagatinamam pamchimdiyajatinamam veuvviyasariranamam teyayasariranamam kammagasariranamam samachauramsa-samthananamam veuvviyasariramgovamganamam vannanamam gamdhanamam rasanamam phasanamam devanupuvvinamam agaruyalahuyanamam uvaghayanamam paraghayanamam usasanamam pasatthavihayagainamam tasanamam bayaranamam pajjattanamam patteyasariranamam thirathiranam donhamannayaram egam namam nibamdhai, subhasubhanam donhamannayaram egam namam nibamdhai, subhaganamam sussaranamam, aejja-anaejjanam donham annayaram egam namam nibamdhai, jasokittinamam nimmananamam. Evam cheva neraiyevi, nanattam appasatthavihayagainamam hudasamthananamam athiranamam dubbhaganamam asubhanamam dussaranamam anadejjanamam ajasokittinamam. Imise nam rayanappabhae pudhavie atthegaiyanam neraiyanam atthavisam paliovamaim thii pannatta. Ahesattamae pudhavie atthegaiyanam neraiyanam atthavisam sagarovamaim thii pannatta. Asurakumaranam devanam atthegaiyanam atthavisam paliovamaim thii pannatta. Sohammisanesu kappesu devanam atthegaiyanam atthavisam paliovamaim thii pannatta. Uvarima-hetthima-gevejjayanam devanam jahannenam atthavisam sagarovamaim thii pannatta. Je deva majjhima-uvarima-gevejjaesu vimanesu devatae uvavanna, tesi nam devanam ukkosenam atthavisam sagarovamaim thii pannatta. Te nam deva atthavisae addhamasehim anamamti va panamamti va usasamti va nisasamti va. Tesi nam devanam atthavisae vasasahassehim aharatthe samuppajjai. Samtegaiya bhavasiddhiya jiva, je atthavisae bhavaggahanehim sijjhissamti bujjhissamti muchchissamti parinivvaissamti savvadukkhanamamtam karissamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Acharaprakalpa atthaisa prakara ka hai. Masiki aropana, sapamcharatrimasiki aropana, sadasharatri – masiki aropana, sapamchadasharatrimasiki aropana, savishatiratrikomasiki aropana, sapamchavishattiratri – masiki aropana. Isi prakara chha dvimasiki aropana, 6 trimasiki aropana, 6 chaturmasiki aropana, upaghatika aropana, anupaghatika aropana, kritsna aropana, akritsna aropana, yaha atthaisa prakara ka acharaprakalpa hai. Acharita dosha ki shuddhi na ho jave taba taka yaha – acharaniya hai. Kitaneka bhavyasiddhika jivom ke mohaniya karma ki atthaisa prakritiyom ki satta kahi gai hai. Jaise – samya – ktvavedaniya, mithyatvavedaniya, samyagmithyatvavedaniya, solahakashaya aura nau nokashaya. Abhinibodhikajnyana atthaisa prakara ka kaha gaya hai. Jaise – shrotrendriya – arthavagraha, chakshurindriya – arthavagraha, ghranendriya – arthavagraha, jihvendriya – arthavagraha, sparshanendriya – arthavagraha, noindriya – arthavagraha, shrotrendriya – vyamjanavagraha, ghranendriya – vyamjanavagraha, sparshanendriya – vyamjanavagraha, shrotrendriya – iha, chakshurindriya – iha, ghranendriya – iha, jihvendriya – iha, sparshanendriya – iha, noindriya – iha, shrotrendriya – avaya, chakshurindriya – avaya, ghranendriya – avaya, jihvendriya – avaya, sparshanendriya – avaya, noindriya – avaya, shrotrendriya – dharana, chakshurindriya – dharana, ghranendriya – dharana, jihvendriya – dharana, sparshanendriya – dharana aura noindriya dharana. Ishanakalpa mem atthaisa lakha vimanavasa kahe gae haim. Devagati ko bamdhane vala jiva namakarma ki atthaisa uttaraprakritiyom ko bamdhata hai. Ve isa prakara haim – deva – gatinama, pamchendriyajatinama, vaikriyashariranama, taijasashariranama, karmaragashariranama, samachaturasrasamsthananama, vaikriya – sharirangopanganama, varnanama, gandhanama, rasanama, sparshanama, devanupurvinama, agurulaghunama, upaghatanama, paraghata – nama, uchchhvasanama, prashasta vihayogatinama, trasanama, badaranama, paryaptanama, pratyekashariranama, sthira – asthira namom mem se koi eka, shubha – ashubha namom mem se koi eka, adeya – anadeya namom mem se koi eka, subhaganama, susvara – nama, yashaskirttinama aura nirmana nama. Isi prakara narakagati ko bamdhane vala jiva bhi namakarma ki atthaisa prakritiyom ko bamdhata hai. Kintu vaha prashasta prakritiyom ke sthana para aprashasta prakritiyom ko bamdhata hai. Jaise – aprashasta vihayogatinama, humdakasamsthananama, asthiranama, durbhaganama, ashubhanama, duhsvaranama, anadeyanama, ayashaskirttinama aura nirmananama. Isa ratnaprabha prithvi mem kitaneka narakom ki sthiti atthaisa palyopama kahi gai hai. Adhastana satavi prithvi mem kitaneka narakom ki sthiti atthaisa sagaropama kahi gai hai. Kitaneka asurakumarom ki sthiti atthaisa palyopama kahi gai hai. Saudharma – ishana kalpom mem kitaneka devom ki sthiti atthaisa palyopama hai. Uparitana – adhastana graiveyaka vimanavasi devom ki jaghanya sthiti atthaisa sagaropama hai. Jo deva madhyama – uparima graiveyaka vimanom mem devarupa se utpanna hote haim, una devom ki utkrishta sthiti atthaisa sagaropama hai. Ve deva chaudaha masom ke bada ana – prana ya uchchhvasa – nihshvasa lete haim. Una devom ko atthaisa hajara varshom ke bada ahara ki ichchha utpanna hoti hai. Kitaneka bhavyasiddhika jiva aise haim jo atthaisa bhava grahana karake siddha homge, buddha homge, karmom se mukta homge, parinirvana ko prapta homge aura sarva duhkhom ka anta karemge. |