Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )

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Sr No : 1002368
Scripture Name( English ): Sthanang Translated Scripture Name : स्थानांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

स्थान-४

Translated Chapter :

स्थान-४

Section : उद्देशक-४ Translated Section : उद्देशक-४
Sutra Number : 368 Category : Ang-03
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] चत्तारि मेहा पन्नत्ता, तं जहा– गज्जित्ता नाममेगे नो वासित्ता, वासित्ता नाममेगे नो गज्जित्ता, एगे गज्जित्तावि वासित्तावि, एगे नो गज्जित्ता नो वासित्ता। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा– गज्जित्ता नाममेगे नो वासित्ता, वासित्ता नाममेगे नो गज्जित्ता, एगे गज्जित्तावि वासित्तावि, एगे नो गज्जित्ता, नो वासित्ता। चत्तारि मेहा पन्नत्ता, तं जहा–गज्जित्ता नाममेगे नो विज्जुयाइत्ता, विज्जुयाइत्ता नाममेगे नो गज्जित्ता, एगे गज्जि त्तावि विज्जुयाइत्तावि, एगे नो गज्जित्ता नो विज्जुयाइत्ता। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–गज्जित्ता नाममेगे नो विज्जुयाइत्ता, विज्जुयाइत्ता नाममेगे नो गज्जित्ता, एगे गज्जित्तावि विज्जुयाइत्तावि, एगे नो गज्जित्ता नो विज्जुयाइत्ता। चत्तारि मेहा पन्नत्ता, तं जहा–वासित्ता नाममेगे नो विज्जुयाइत्ता, विज्जुयाइत्ता नाममेगे नो वासित्ता, एगे वासित्तावि विज्जुयाइत्तावि, एगे नो वासित्ता नो विज्जुयाइत्ता। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा– वासित्ता नाममेगे नो विज्जुयाइत्ता, विज्जुयाइत्ता नाममेगे नो वासित्ता, एगे वासित्तावि विज्जुयाइत्तावि, एगे नो वासित्ता नो विज्जुयाइत्ता। चत्तारि मेहा पन्नत्ता, तं जहा–कालवासी नाममेगे नो अकालवासी, अकालवासी नाममेगे नो कालवासी, एगे कालवासीवि अकालवासीवि, एगे नो कालवासी नो अकालवासी। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–कालवासी नाममेगे नो अकालवासी, अकालवासी नाममेगे नो कालवासी, एगे कालवासीवि अकालवासीवि, एगे नो कालवासी नो अकालवासी। चत्तारि मेहा पन्नत्ता, तं जहा–खेत्तवासी नाममेगे नो अखेत्तवासी, अखेत्तवासी नाममेगे नो खेत्तवासी, एगे खेत्तवासीवि अखेत्तवासीवि, एगे नो खेत्तवासी नो अखेत्तवासी। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–खेत्तवासी नाममेगे नो अखेत्तवासी, अखेत्तवासी नाममेगे नो खेत्तवासी, एगे खेत्तवासीवि अखेत्तवासीवि, एगे नो खेत्तवासी नो अखेत्तवासी। चत्तारि मेहा पन्नत्ता, तं जहा–जणइत्ता नाममेगे नो निम्मवइत्ता, निम्मवइत्ता नाममेगे नो जणइत्ता, एगे जणइत्तावि निम्मवइत्तावि, एगे नो जणइत्ता नो निम्मवइत्ता। एवामेव चत्तारि अम्मपियरो पन्नत्ता, तं जहा–जणइत्ता नाममेगे नो निम्मवइत्ता, निम्मवइत्ता नाममेगे नो जणइत्ता, एगे जणइत्तावि निम्मवइत्तावि, एगे नो जणइत्ता नो निम्मवइत्ता। चत्तारि मेहा पन्नत्ता, तं जहा–देसवासी नाममेगे नो सव्ववासी, सव्ववासी नाममेगे नो देसवासी, एगे देसवासीवि सव्ववासीवि, एगे नो देसवासी नो सव्ववासी। एवामेव चत्तारि रायाणो पन्नत्ता, तं जहा–देसाधिवती नाममेगे नो सव्वाधिवती, सव्वाधिवती नाममेगे नो देसाधिवती, एगे देसाधिवतीवि सव्वाधिवतीवि, एगे नो देसाधिवती नो सव्वाधिवती।
Sutra Meaning : मेघ चार प्रकार के हैं। यथा – एक मेघ गरजता है किन्तु बरसता नहीं है। एक मेघ बरसता है किन्तु गरजता नहीं है। एक मेघ गरजता भी है और बरसता भी है। एक मेघ गरजता भी नहीं है और बरसता भी नहीं है। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष बोलता बहुत है किन्तु देता कुछ भी नहीं है। एक पुरुष देता है किन्तु बोलता कुछ भी नहीं है। एक पुरुष बोलता भी है और देता भी है। एक पुरुष बोलता भी नहीं है और देता भी नहीं है। मेघ चार प्रकार के हैं। यथा – एक मेघ गरजता है किन्तु उसमें बिजलियाँ नहीं चमकती है। एक मेघ में बिजलियाँ चमकती है किन्तु गरजता नहीं है। एक मेघ गरजता है और उसमें बिजलियाँ भी चमकती है। एक मेघ गरजता भी नहीं है और उसमें बिजलियाँ भी चमकती नहीं है। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष प्रतिज्ञा करता है किन्तु अपनी बड़ाई नहीं हाँकता। एक पुरुष अपनी बड़ाई हाँकता है किन्तु प्रतिज्ञा नहीं करता है। एक पुरुष प्रतिज्ञा भी करता है और अपनी बड़ाई भी हाँकता है। एक पुरुष प्रतिज्ञा भी नहीं करता है और अपनी बड़ाई भी नहीं हाँकता है। मेघ चार प्रकार के हैं। यथा – एक मेघ बरसता है किन्तु उसमें बिजलियाँ नहीं चमकती हैं। एक मेघ में बिजलियाँ हैं किन्तु बरसता नहीं है। एक मेघ बरसता भी है और उसमें बिजलियाँ भी चमकती हैं। एक मेघ बरसता भी नहीं है और उसमें बिजलियाँ भी चमकती नहीं हैं। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष दानादि सत्कार्य करता है किन्तु अपनी बड़ाई नहीं करता है। एक पुरुष अपनी बड़ाई करता है किन्तु दानादि सत्कार्य नहीं करता है। एक पुरुष दानादि सत्कार्य भी करता है और अपनी बड़ाई भी करता है। एक पुरुष दानादि सत्कार्य भी नहीं करता और अपनी बड़ाई भी नहीं करता है। मेघ चार प्रकार के हैं। एक मेघ समय पर बरसता है किन्तु असमय नहीं बरसता। एक मेघ असमय बरसता है किन्तु समय पर नहीं बरसता। एक मेघ समय पर भी बरसता है और असमय पर भी बरसता है। एक मेघ समय पर भी नहीं बरसता और असमय भी नहीं बरसता। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं। एक पुरुष समय पर दानादि सत्कार्य करता है, किन्तु असमय नहीं करता। एक पुरुष असमय दानादि सत्कार्य करता है किन्तु समय पर नहीं करता। एक पुरुष समय पर भी दानादि सत्कार्य करता है और असमय भी। एक पुरुष समय पर भी दानादि सत्कार्य नहीं करता और असमय भी नहीं करता। मेघ चार प्रकार के हैं। एक मेघ क्षेत्र में बरसता है किन्तु अक्षेत्र में नहीं बरसता। एक मेघ अक्षेत्र में बरसता है किन्तु क्षेत्र में नहीं बरसता। एक मेघ क्षेत्र में भी बरसता है और अक्षेत्र में भी बरसता है। एक मेघ क्षेत्र में भी नहीं बरसता और अक्षेत्र में भी नहीं बरसता। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष पात्र को दान देता है किन्तु अपात्र को नहीं। एक पुरुष अपात्र को दान देता है किन्तु पात्र को नहीं। एक पुरुष पात्र को भी दान देता है और अपात्र को भी। एक पुरुष पात्र को भी दान नहीं देता और अपात्र को भी नहीं देता। मेघ चार प्रकार के हैं। यथा – एक मेघ धान्य के अंकुर उत्पन्न करता है किन्तु धान्य को पूर्ण नहीं पकाता। एक मेघ धान्य को पूर्ण पकाता है किन्तु धान्य के अंकुर उत्पन्न नहीं करता। एक मेघ धान्य के अंकुर भी उत्पन्न करता है और धान्य को पूर्ण भी पकाता है। एक मेघ धान्य के अंकुर भी उत्पन्न नहीं करता है और धान्य को पूर्ण भी नहीं पकाता है। इसी प्रकार माता – पिता भी चार प्रकार के हैं। यथा – एक माता – पिता पुत्र को जन्म देते हैं किन्तु उसका पालन नहीं करते। एक माता – पिता पुत्र का पालन करते हैं किन्तु पुत्र को जन्म नहीं देते हैं। एक माता – पिता पुत्र को जन्म भी देते हैं और उसका पालन भी करते हैं। एक माता – पिता पुत्र को जन्म भी नहीं देते और उसका पालन भी नहीं करते हैं। मेघ चार प्रकार के हैं। यथा – एक मेघ एक देश में बरसता है किन्तु सर्वत्र नहीं बरसता है। एक मेघ सर्वत्र बरसता है किन्तु एक देश में नहीं बरसता। एक मेघ एक देश में भी बरसता है और सर्वत्र भी बरसता है। एक मेघ न एक देश में बरसता है और न सर्वत्र बरसता है। इसी प्रकार राजा भी चार प्रकार के हैं। यथा – एक राजा एक देश का अधिपति है किन्तु सब देशों का नहीं। एक राजा सब देशों का स्वामी है किन्तु एक देश का नहीं। एक राजा एक देश का अधिपति भी है और सब देशों का अधिपति भी है। एक राजा न एक देश का अधिपति है और न सब देशों का अधिपति है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] chattari meha pannatta, tam jaha– gajjitta namamege no vasitta, vasitta namamege no gajjitta, ege gajjittavi vasittavi, ege no gajjitta no vasitta. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha– gajjitta namamege no vasitta, vasitta namamege no gajjitta, ege gajjittavi vasittavi, ege no gajjitta, no vasitta. Chattari meha pannatta, tam jaha–gajjitta namamege no vijjuyaitta, vijjuyaitta namamege no gajjitta, ege gajji ttavi vijjuyaittavi, ege no gajjitta no vijjuyaitta. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha–gajjitta namamege no vijjuyaitta, vijjuyaitta namamege no gajjitta, ege gajjittavi vijjuyaittavi, ege no gajjitta no vijjuyaitta. Chattari meha pannatta, tam jaha–vasitta namamege no vijjuyaitta, vijjuyaitta namamege no vasitta, ege vasittavi vijjuyaittavi, ege no vasitta no vijjuyaitta. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha– vasitta namamege no vijjuyaitta, vijjuyaitta namamege no vasitta, ege vasittavi vijjuyaittavi, ege no vasitta no vijjuyaitta. Chattari meha pannatta, tam jaha–kalavasi namamege no akalavasi, akalavasi namamege no kalavasi, ege kalavasivi akalavasivi, ege no kalavasi no akalavasi. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha–kalavasi namamege no akalavasi, akalavasi namamege no kalavasi, ege kalavasivi akalavasivi, ege no kalavasi no akalavasi. Chattari meha pannatta, tam jaha–khettavasi namamege no akhettavasi, akhettavasi namamege no khettavasi, ege khettavasivi akhettavasivi, ege no khettavasi no akhettavasi. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha–khettavasi namamege no akhettavasi, akhettavasi namamege no khettavasi, ege khettavasivi akhettavasivi, ege no khettavasi no akhettavasi. Chattari meha pannatta, tam jaha–janaitta namamege no nimmavaitta, nimmavaitta namamege no janaitta, ege janaittavi nimmavaittavi, ege no janaitta no nimmavaitta. Evameva chattari ammapiyaro pannatta, tam jaha–janaitta namamege no nimmavaitta, nimmavaitta namamege no janaitta, ege janaittavi nimmavaittavi, ege no janaitta no nimmavaitta. Chattari meha pannatta, tam jaha–desavasi namamege no savvavasi, savvavasi namamege no desavasi, ege desavasivi savvavasivi, ege no desavasi no savvavasi. Evameva chattari rayano pannatta, tam jaha–desadhivati namamege no savvadhivati, savvadhivati namamege no desadhivati, ege desadhivativi savvadhivativi, ege no desadhivati no savvadhivati.
Sutra Meaning Transliteration : Megha chara prakara ke haim. Yatha – eka megha garajata hai kintu barasata nahim hai. Eka megha barasata hai kintu garajata nahim hai. Eka megha garajata bhi hai aura barasata bhi hai. Eka megha garajata bhi nahim hai aura barasata bhi nahim hai. Isi prakara purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha bolata bahuta hai kintu deta kuchha bhi nahim hai. Eka purusha deta hai kintu bolata kuchha bhi nahim hai. Eka purusha bolata bhi hai aura deta bhi hai. Eka purusha bolata bhi nahim hai aura deta bhi nahim hai. Megha chara prakara ke haim. Yatha – eka megha garajata hai kintu usamem bijaliyam nahim chamakati hai. Eka megha mem bijaliyam chamakati hai kintu garajata nahim hai. Eka megha garajata hai aura usamem bijaliyam bhi chamakati hai. Eka megha garajata bhi nahim hai aura usamem bijaliyam bhi chamakati nahim hai. Isi prakara purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha pratijnya karata hai kintu apani barai nahim hamkata. Eka purusha apani barai hamkata hai kintu pratijnya nahim karata hai. Eka purusha pratijnya bhi karata hai aura apani barai bhi hamkata hai. Eka purusha pratijnya bhi nahim karata hai aura apani barai bhi nahim hamkata hai. Megha chara prakara ke haim. Yatha – eka megha barasata hai kintu usamem bijaliyam nahim chamakati haim. Eka megha mem bijaliyam haim kintu barasata nahim hai. Eka megha barasata bhi hai aura usamem bijaliyam bhi chamakati haim. Eka megha barasata bhi nahim hai aura usamem bijaliyam bhi chamakati nahim haim. Isi prakara purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha danadi satkarya karata hai kintu apani barai nahim karata hai. Eka purusha apani barai karata hai kintu danadi satkarya nahim karata hai. Eka purusha danadi satkarya bhi karata hai aura apani barai bhi karata hai. Eka purusha danadi satkarya bhi nahim karata aura apani barai bhi nahim karata hai. Megha chara prakara ke haim. Eka megha samaya para barasata hai kintu asamaya nahim barasata. Eka megha asamaya barasata hai kintu samaya para nahim barasata. Eka megha samaya para bhi barasata hai aura asamaya para bhi barasata hai. Eka megha samaya para bhi nahim barasata aura asamaya bhi nahim barasata. Isi prakara purusha chara prakara ke haim. Eka purusha samaya para danadi satkarya karata hai, kintu asamaya nahim karata. Eka purusha asamaya danadi satkarya karata hai kintu samaya para nahim karata. Eka purusha samaya para bhi danadi satkarya karata hai aura asamaya bhi. Eka purusha samaya para bhi danadi satkarya nahim karata aura asamaya bhi nahim karata. Megha chara prakara ke haim. Eka megha kshetra mem barasata hai kintu akshetra mem nahim barasata. Eka megha akshetra mem barasata hai kintu kshetra mem nahim barasata. Eka megha kshetra mem bhi barasata hai aura akshetra mem bhi barasata hai. Eka megha kshetra mem bhi nahim barasata aura akshetra mem bhi nahim barasata. Isi prakara purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha patra ko dana deta hai kintu apatra ko nahim. Eka purusha apatra ko dana deta hai kintu patra ko nahim. Eka purusha patra ko bhi dana deta hai aura apatra ko bhi. Eka purusha patra ko bhi dana nahim deta aura apatra ko bhi nahim deta. Megha chara prakara ke haim. Yatha – eka megha dhanya ke amkura utpanna karata hai kintu dhanya ko purna nahim pakata. Eka megha dhanya ko purna pakata hai kintu dhanya ke amkura utpanna nahim karata. Eka megha dhanya ke amkura bhi utpanna karata hai aura dhanya ko purna bhi pakata hai. Eka megha dhanya ke amkura bhi utpanna nahim karata hai aura dhanya ko purna bhi nahim pakata hai. Isi prakara mata – pita bhi chara prakara ke haim. Yatha – eka mata – pita putra ko janma dete haim kintu usaka palana nahim karate. Eka mata – pita putra ka palana karate haim kintu putra ko janma nahim dete haim. Eka mata – pita putra ko janma bhi dete haim aura usaka palana bhi karate haim. Eka mata – pita putra ko janma bhi nahim dete aura usaka palana bhi nahim karate haim. Megha chara prakara ke haim. Yatha – eka megha eka desha mem barasata hai kintu sarvatra nahim barasata hai. Eka megha sarvatra barasata hai kintu eka desha mem nahim barasata. Eka megha eka desha mem bhi barasata hai aura sarvatra bhi barasata hai. Eka megha na eka desha mem barasata hai aura na sarvatra barasata hai. Isi prakara raja bhi chara prakara ke haim. Yatha – eka raja eka desha ka adhipati hai kintu saba deshom ka nahim. Eka raja saba deshom ka svami hai kintu eka desha ka nahim. Eka raja eka desha ka adhipati bhi hai aura saba deshom ka adhipati bhi hai. Eka raja na eka desha ka adhipati hai aura na saba deshom ka adhipati hai.