Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1002366 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-४ |
Translated Chapter : |
स्थान-४ |
Section : | उद्देशक-४ | Translated Section : | उद्देशक-४ |
Sutra Number : | 366 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] चउव्विहा तिगिच्छा पन्नत्ता, तं जहा–विज्जो, ओसधाइं, आउरे, परियारए। चत्तारि तिगिच्छगा पन्नत्ता, तं जहा–आततिगिच्छए नाममेगे नो परतिगिच्छए, परतिगिच्छए नाममेगे नो आततिगिच्छए, एगे आततिगिच्छएवि परतिगिच्छएवि, एगे नो आततिगिच्छए नो परतिगिच्छए। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–वणकरे नाममेगे नो वणपरिमासी, वणपरिमासी नाममेगे नो वणकरे, एगे वणकरेवि वणपरिमासीवि, एगे नो वणकरे नो वणपरिमासी। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–वणकरे नाममेगे नो वणसारक्खी, वणसारक्खी नाममेगे नो वणकरे, एगे वणकरेवि वणसारक्खीवि, एगे नो वणकरे नो वणसारक्खी। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–वणकरे नाममेगे नो वणसंरोही, वणसंरोही नाममेगे नो वणकरे, एगे वणकरेवि वणसंरोहीवि, एगे नो वणकरे नो वणसंरोही। चत्तारि वणा पन्नत्ता, तं जहा–अंतोसल्ले नाममेगे नो बाहिंसल्ले, बाहिंसल्ले नाममेगे नो अंतोसल्ले, एगे अंतोसल्लेवि बाहिंसल्लेवि, एगे नो अंतोसल्ले नो बाहिंसल्ले। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–अंतोसल्ले नाममेगे नो बाहिंसल्ले, बाहिंसल्ले नाममेगे नो अंतोसल्ले, एगे अंतोसल्लेवि बाहिंसल्लेवि, एगे नो अंतोसल्ले नो बाहिंसल्ले। चत्तारि वणा पन्नत्ता, तं जहा–अंतोदुट्ठे नाममेगे नो बाहिंदुट्ठे, बाहिंदुट्ठे नाममेगे नो अंतोदुट्ठे, एगे अंतोदुट्ठेवि बाहिंदुट्ठेवि, एगे नो अंतोदुट्ठे नो बाहिंदुट्ठे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–अंतोदुट्ठे नाममेगे नो बाहिंदुट्ठे, बाहिंदुट्ठे नाममेगे नो अंतोदुट्ठे, एगे अंतोदुट्ठेवि बाहिंदुट्ठेवि, एगे नो अंतोदुट्ठे नो बाहिंदुट्ठे। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–सेयंसे नाममेगे सेयंसे, सेयंसे नाममेगे पावंसे, पावंसे नाममेगे सेयंसे, पावंसे नाममेगे पावंसे। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–सेयंसे नाममेगे सेयंसेत्तिसालिसए, सेयंसे नाममेगे पावंसेत्तिसालिसए, पावंसे नाममेगे सेयंसेत्तिसालिसए, पावंसे नाममेगे पावंसेत्तिसालिसए। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–सेयंसे नाममेगे सेयंसेत्ति मण्णति, सेयंसे नाममेगे पावंसेत्ति मण्णति, पावंसे नाममेगे सेयंसेत्ति मण्णति, पावंसे नाममेगे पावंसेति मण्णति। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–सेयंसे नाममेगे सेयंसेत्तिसालिसए मण्णति, सेयंसे नाममेगे पावंसेत्तिसालिसए मण्णति, पावंसे नाममेगे सेयंसेत्तिसालिसए मण्णति, पावंसे नाममेगे पावंसेत्तिसालिसए मण्णति। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–आघवइत्ता नाममेगे नो पविभावइत्ता, पविभावइत्ता नाममेगे नो आघवइत्ता, एगे आघवइत्तावि पविभावइत्तावि, एगे नो आघवइत्ता नो पविभावइत्ता। चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–आघवइत्ता नाममेगे नो उंछजीविसंपन्ने, उंछजीविसंपन्ने नाममेगे नो आघवइत्ता, एगे आघवइत्तावि उंछजीविसंपन्नेवि, एगे नो आघवइत्ता नो उंछजीविसंपन्ने। चउव्विहा रुक्खविगुव्वणा पन्नत्ता, तं जहा–पवालत्ताए, पत्तत्ताए, पुप्फत्ताए, फलत्ताए। | ||
Sutra Meaning : | चिकित्सक चार प्रकार के हैं। एक चिकित्सक स्वयं की चिकित्सा करता है किन्तु दूसरे की चिकित्सा नहीं करता है। एक चिकित्सक दूसरे की चिकित्सा करता है किन्तु स्वयं की चिकित्सा नहीं करता है। एक चिकित्सक स्वयं की भी चिकित्सा करता है और अन्य की भी चिकित्सा करता है। एक चिकित्सक न स्वयं की चिकित्सा करता है और न अन्य की चिकित्सा करता है। पुरुष चार प्रकार के हैं। एक पुरुष व्रण (शल्य चिकित्सा) करता है किन्तु व्रण को स्पर्श नहीं करता। एक पुरुष व्रण को स्पर्श करता है किन्तु व्रण नहीं करता। एक पुरुष व्रण भी करता है और व्रण का स्पर्श भी करता है। एक पुरुष व्रण भी नहीं करता और व्रण का स्पर्श भी नहीं करता। पुरुष चार प्रकार के हैं। एक पुरुष व्रण करता है किन्तु व्रण की रक्षा नहीं करता। एक पुरुष व्रण की रक्षा करता है किन्तु व्रण नहीं करता है। एक पुरुष व्रण भी करता है और व्रण की रक्षा भी करता है। एक पुरुष व्रण भी नहीं करता और व्रण की रक्षा भी नहीं करता। पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष व्रण करता है किन्तु व्रण को औषधि आदि से मिलाता नहीं है। एक पुरुष व्रण को औषधि से ठीक करता है किन्तु व्रण नहीं करता है। एक पुरुष व्रण भी करता है और व्रण की रक्षा भी करता है। एक पुरुष व्रण भी नहीं करता है, व्रण को ठीक भी नहीं करता है। व्रण चार प्रकार के हैं। यथा – एक व्रण के अन्दर शल्य है किन्तु बाहर शल्य नहीं है। एक व्रण के बाहर शल्य है किन्तु अन्दर शल्य नहीं है। एक व्रण के अन्दर भी शल्य है और बाहर भी शल्य है। एक व्रण के अन्दर भी शल्य नहीं है और बाहर भी शल्य नहीं है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार का है। एक पुरुष मन में शल्य रखता है किन्तु व्यवहार में शल्य नहीं रखता है। एक पुरुष व्यवहार में शल्य रखता है किन्तु मन में शल्य नहीं रखता है। एक पुरुष मन में भी शल्य रखता है और व्यवहार में भी शल्य रखता है। एक पुरुष मन में भी शल्य नहीं रखता है और व्यवहार में भी शल्य नहीं रखता है। व्रण चार प्रकार के हैं। यथा – एक व्रण अन्दर से सड़ा हुआ है किन्तु बाहर से सड़ा हुआ नहीं है। एक व्रण बाहर से सड़ा हुआ है किन्तु अन्दर से सड़ा हुआ नहीं है। एक व्रण अन्दर से भी सड़ा हुआ है और बाहर से भी सड़ा हुआ है। एक व्रण अन्दर से भी सड़ा हुआ नहीं है और बाहर से भी सड़ा हुआ नहीं है। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष का हृदय श्रेष्ठ है किन्तु उसका व्यवहार श्रेष्ठ नहीं है। एक पुरुष का व्यवहार श्रेष्ठ है किन्तु दुष्ट हृदय है। एक पुरुष दुष्ट हृदय भी है और उसका व्यवहार भी श्रेष्ठ नहीं है। एक पुरुष दुष्ट हृदय भी नहीं है और व्यवहार भी उसका श्रेष्ठ है। पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष सद्विचार वाला है और सत्कार्य करने वाला भी है। एक पुरुष सद्विचार वाला है किन्तु सत्कार्य करने वाला नहीं है। एक पुरुष सत्कार्य करने वाला तो है किन्तु सद्विचार वाला नहीं है एक पुरुष सद्विचार वाला भी नहीं है और सत्कार्य करने वाला भी नहीं है। पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष भाव से श्रेयस्कर है और द्रव्य से श्रेयस्कर सदृश है। एक पुरुष भाव से श्रेयस्कर है किन्तु द्रव्य से पापी सदृश है। एक पुरुष भाव से पापी है किन्तु द्रव्य से श्रेयस्कर सदृश है। एक पुरुष भाव से भी पापी है और द्रव्य से भी पापी सदृश है पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष श्रेष्ठ है और अपने को श्रेष्ठ मानता है। एक पुरुष श्रेष्ठ है किन्तु अपने को पापी मानता है। एक पुरुष पापी है किन्तु अपने को श्रेष्ठ मानता है। एक पुरुष पापी है और अपने को पापी मानता है। पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष श्रेष्ठ है और लोगों में श्रेष्ठ सदृश माना जाता है। एक पुरुष श्रेष्ठ है किन्तु लोगों में पापी सदृश माना जाता है। एक पुरुष पापी है किन्तु लोगों में श्रेष्ठ सदृश माना जाता है। एक पुरुष पापी है और लोगों में पापी सदृश माना जाता है। पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष जिन प्रवचनों का प्ररूपक है किन्तु प्रभावक नहीं है। एक पुरुष शासन का प्रभावक है किन्तु जिन प्रवचनों का प्ररूपक नहीं है। एक पुरुष शासन का प्रभावक भी है और जिन वचनों का प्ररूपक भी है। एक पुरुष शासन का प्रभावक भी नहीं है और जिन प्रवचनों का प्ररूपक भी नहीं है। पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष सूत्रार्थ का प्ररूपक है किन्तु शुद्ध आहारादि की एषणा में तत्पर नहीं है। एक पुरुष शुद्ध आहारादि की एषणा में तत्पर नहीं है किन्तु सूत्रार्थ का प्ररूपक है। एक पुरुष सूत्रार्थ का प्ररूपक भी है और शुद्ध आहारादि की एषणा में भी तत्पर है। एक पुरुष सूत्रार्थ का प्ररूपक भी नहीं है और शुद्ध आहारादि की एषणा में भी तत्पर नहीं है। वृक्ष की विकुर्वणा चार प्रकार की है। यथा – नई कोंपले आना, पत्ते आना, पुष्प आना, फल आना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] chauvviha tigichchha pannatta, tam jaha–vijjo, osadhaim, aure, pariyarae. Chattari tigichchhaga pannatta, tam jaha–atatigichchhae namamege no paratigichchhae, paratigichchhae namamege no atatigichchhae, ege atatigichchhaevi paratigichchhaevi, ege no atatigichchhae no paratigichchhae. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–vanakare namamege no vanaparimasi, vanaparimasi namamege no vanakare, ege vanakarevi vanaparimasivi, ege no vanakare no vanaparimasi. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–vanakare namamege no vanasarakkhi, vanasarakkhi namamege no vanakare, ege vanakarevi vanasarakkhivi, ege no vanakare no vanasarakkhi. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–vanakare namamege no vanasamrohi, vanasamrohi namamege no vanakare, ege vanakarevi vanasamrohivi, ege no vanakare no vanasamrohi. Chattari vana pannatta, tam jaha–amtosalle namamege no bahimsalle, bahimsalle namamege no amtosalle, ege amtosallevi bahimsallevi, ege no amtosalle no bahimsalle. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha–amtosalle namamege no bahimsalle, bahimsalle namamege no amtosalle, ege amtosallevi bahimsallevi, ege no amtosalle no bahimsalle. Chattari vana pannatta, tam jaha–amtodutthe namamege no bahimdutthe, bahimdutthe namamege no amtodutthe, ege amtodutthevi bahimdutthevi, ege no amtodutthe no bahimdutthe. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha–amtodutthe namamege no bahimdutthe, bahimdutthe namamege no amtodutthe, ege amtodutthevi bahimdutthevi, ege no amtodutthe no bahimdutthe. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–seyamse namamege seyamse, seyamse namamege pavamse, pavamse namamege seyamse, pavamse namamege pavamse. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–seyamse namamege seyamsettisalisae, seyamse namamege pavamsettisalisae, pavamse namamege seyamsettisalisae, pavamse namamege pavamsettisalisae. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–seyamse namamege seyamsetti mannati, seyamse namamege pavamsetti mannati, pavamse namamege seyamsetti mannati, pavamse namamege pavamseti mannati. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–seyamse namamege seyamsettisalisae mannati, seyamse namamege pavamsettisalisae mannati, pavamse namamege seyamsettisalisae mannati, pavamse namamege pavamsettisalisae mannati. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–aghavaitta namamege no pavibhavaitta, pavibhavaitta namamege no aghavaitta, ege aghavaittavi pavibhavaittavi, ege no aghavaitta no pavibhavaitta. Chattari purisajaya pannatta, tam jaha–aghavaitta namamege no umchhajivisampanne, umchhajivisampanne namamege no aghavaitta, ege aghavaittavi umchhajivisampannevi, ege no aghavaitta no umchhajivisampanne. Chauvviha rukkhaviguvvana pannatta, tam jaha–pavalattae, pattattae, pupphattae, phalattae. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Chikitsaka chara prakara ke haim. Eka chikitsaka svayam ki chikitsa karata hai kintu dusare ki chikitsa nahim karata hai. Eka chikitsaka dusare ki chikitsa karata hai kintu svayam ki chikitsa nahim karata hai. Eka chikitsaka svayam ki bhi chikitsa karata hai aura anya ki bhi chikitsa karata hai. Eka chikitsaka na svayam ki chikitsa karata hai aura na anya ki chikitsa karata hai. Purusha chara prakara ke haim. Eka purusha vrana (shalya chikitsa) karata hai kintu vrana ko sparsha nahim karata. Eka purusha vrana ko sparsha karata hai kintu vrana nahim karata. Eka purusha vrana bhi karata hai aura vrana ka sparsha bhi karata hai. Eka purusha vrana bhi nahim karata aura vrana ka sparsha bhi nahim karata. Purusha chara prakara ke haim. Eka purusha vrana karata hai kintu vrana ki raksha nahim karata. Eka purusha vrana ki raksha karata hai kintu vrana nahim karata hai. Eka purusha vrana bhi karata hai aura vrana ki raksha bhi karata hai. Eka purusha vrana bhi nahim karata aura vrana ki raksha bhi nahim karata. Purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha vrana karata hai kintu vrana ko aushadhi adi se milata nahim hai. Eka purusha vrana ko aushadhi se thika karata hai kintu vrana nahim karata hai. Eka purusha vrana bhi karata hai aura vrana ki raksha bhi karata hai. Eka purusha vrana bhi nahim karata hai, vrana ko thika bhi nahim karata hai. Vrana chara prakara ke haim. Yatha – eka vrana ke andara shalya hai kintu bahara shalya nahim hai. Eka vrana ke bahara shalya hai kintu andara shalya nahim hai. Eka vrana ke andara bhi shalya hai aura bahara bhi shalya hai. Eka vrana ke andara bhi shalya nahim hai aura bahara bhi shalya nahim hai. Isi prakara purusha bhi chara prakara ka hai. Eka purusha mana mem shalya rakhata hai kintu vyavahara mem shalya nahim rakhata hai. Eka purusha vyavahara mem shalya rakhata hai kintu mana mem shalya nahim rakhata hai. Eka purusha mana mem bhi shalya rakhata hai aura vyavahara mem bhi shalya rakhata hai. Eka purusha mana mem bhi shalya nahim rakhata hai aura vyavahara mem bhi shalya nahim rakhata hai. Vrana chara prakara ke haim. Yatha – eka vrana andara se sara hua hai kintu bahara se sara hua nahim hai. Eka vrana bahara se sara hua hai kintu andara se sara hua nahim hai. Eka vrana andara se bhi sara hua hai aura bahara se bhi sara hua hai. Eka vrana andara se bhi sara hua nahim hai aura bahara se bhi sara hua nahim hai. Isi prakara purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha ka hridaya shreshtha hai kintu usaka vyavahara shreshtha nahim hai. Eka purusha ka vyavahara shreshtha hai kintu dushta hridaya hai. Eka purusha dushta hridaya bhi hai aura usaka vyavahara bhi shreshtha nahim hai. Eka purusha dushta hridaya bhi nahim hai aura vyavahara bhi usaka shreshtha hai. Purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha sadvichara vala hai aura satkarya karane vala bhi hai. Eka purusha sadvichara vala hai kintu satkarya karane vala nahim hai. Eka purusha satkarya karane vala to hai kintu sadvichara vala nahim hai eka purusha sadvichara vala bhi nahim hai aura satkarya karane vala bhi nahim hai. Purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha bhava se shreyaskara hai aura dravya se shreyaskara sadrisha hai. Eka purusha bhava se shreyaskara hai kintu dravya se papi sadrisha hai. Eka purusha bhava se papi hai kintu dravya se shreyaskara sadrisha hai. Eka purusha bhava se bhi papi hai aura dravya se bhi papi sadrisha hai Purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha shreshtha hai aura apane ko shreshtha manata hai. Eka purusha shreshtha hai kintu apane ko papi manata hai. Eka purusha papi hai kintu apane ko shreshtha manata hai. Eka purusha papi hai aura apane ko papi manata hai. Purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha shreshtha hai aura logom mem shreshtha sadrisha mana jata hai. Eka purusha shreshtha hai kintu logom mem papi sadrisha mana jata hai. Eka purusha papi hai kintu logom mem shreshtha sadrisha mana jata hai. Eka purusha papi hai aura logom mem papi sadrisha mana jata hai. Purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha jina pravachanom ka prarupaka hai kintu prabhavaka nahim hai. Eka purusha shasana ka prabhavaka hai kintu jina pravachanom ka prarupaka nahim hai. Eka purusha shasana ka prabhavaka bhi hai aura jina vachanom ka prarupaka bhi hai. Eka purusha shasana ka prabhavaka bhi nahim hai aura jina pravachanom ka prarupaka bhi nahim hai. Purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha sutrartha ka prarupaka hai kintu shuddha aharadi ki eshana mem tatpara nahim hai. Eka purusha shuddha aharadi ki eshana mem tatpara nahim hai kintu sutrartha ka prarupaka hai. Eka purusha sutrartha ka prarupaka bhi hai aura shuddha aharadi ki eshana mem bhi tatpara hai. Eka purusha sutrartha ka prarupaka bhi nahim hai aura shuddha aharadi ki eshana mem bhi tatpara nahim hai. Vriksha ki vikurvana chara prakara ki hai. Yatha – nai kompale ana, patte ana, pushpa ana, phala ana. |